मुंबई के बाहर एक ऊंची पहाड़ी पर
एक 21 साल की लड़की इस वक्त पहाड़ी की चोटी पर खड़ी होकर उस गहरी खाई को देख रही थी। उसके चेहरे पर एक कड़वाहट भरी मुस्कराहट थी। उसने इस वक्त एक वाइट कलर का अनारकली सूट पहना हुआ था। उसके चेहरे पर दुनिया जहां की मासूमियत नजर आ रही थी। पर इसके साथ ही उसके चेहरे पर दर्द भी नजर आ रहा था।
उसने अपने हाथ में पकड़े हुए मोबाइल की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए कहा, "बस तुम्हारा इंतजार है श्रेष्ठ सिंह दीवान। आज हमारी आखिरी मुलाकात होगी।" कहते हुए उसने अपनी दोनों बाहें खोली और जोर से चिल्लाई।
"आखिर ख्वाब टूट गई।" कहते हुए वो जोर जोर से हंसने लगी। हंसते हुए ही वो घुटनों के बल पहाड़ी पर बैठ गई। अब उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे।
दुसरी तरफ़ दीवान कॉर्पोरेशन हेड ऑफिस
इस वक्त एक लड़का जिसकी उम्र 30 साल के आसपास लग रही थी। वो एक लड़की को काफ़ी एग्रेसिव होकर किस कर रहा था। उसने उस लड़की को दीवार से सटाया हुआ था। वही वो लड़की भी उसके अग्रेशन को बर्दाश्त करते हुए उसका साथ दे रही थी।
कुछ देर बाद जब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने उस लड़के को खुद से दूर करते हुए गहरी सांस लेते हुए कहा, "श्रेष्ठ प्लीज कंट्रोल योरसेल्फ। मैं तुम्हें हैंडल नहीं कर पा रही हूँ।"
ये लड़का कोई और नहीं बल्कि हमारी कहानी का हीरो श्रेष्ठ सिंह दीवान है। श्रेष्ठ ने जैसा ही उस लड़की की बात सुनी तो उसने उसे बालों से पकड़ कर उसकी आँखों मे देख कर चिल्लाते हुए कहा, "अपनी औकात मत भूलो सनाया बजाज। तुम बस बेड गर्म करने के लिए हो।"
कहते हुए श्रेष्ठ ने सनाया को सोफे पर धक्का दे दिया और खुद उसके ऊपर जाकर उसे एग्रेसिव होकर किस करने लगा।
ये श्रेष्ठ की गर्लफ्रेंड सनाया थी। सनाया को दर्द हो रहा था। पर वो चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती थी। वो अपनी आंखें बंद करके श्रेष्ठ की वाइल्डनेस को बर्दाश्त करने की कोशिश कर रही थी। वही श्रेष्ठ गुस्से से उसके होठों को बाईट कर रहा था।
उसके दिमाग में किसी लड़की का चेहरा घूम रहा था। उसने गुस्से से सुनाया को काटते हुए कहा, "उसकी इतनी औकात नहीं कि वो मुझे चैलेंज कर सके। उसकी हिम्मत कैसे हुई मेरे साथ बदतमीजी से बात करने की?" कहते हुए श्रेष्ठ लगातार सनाया को उसी तरह टॉर्चर कर रहा था।
श्रेष्ठ की बातें सुनकर सनाया ने अपने दर्द को बर्दाश्त करते हुए कहा, "श्रेष्ठ तुम हमेशा तुम्हारी उस गवार बीवी का गुस्सा मुझ पर क्यों उतारते हो?"
उसने इतना कहा ही था की श्रेष्ठ ने उसका जबड़ा पकड़कर चिल्लाते हुए कहा, "तुम्हें मुझसे सवाल करने का हक़ किसने दिया? चुपचाप जिस काम के लिए यहाँ पर आई हो। वो काम करो और निकलो।" कहकर श्रेष्ठ दोबारा उसे किस करने लगा।
तभी उसका मोबाइल जो की उसके वर्किंग टेबल पर रखा हुआ था। वो जोर-जोर से बजने लगा।
पहले तो श्रेष्ठ ने इग्नोर किया और दोबारा सुनाया को वाइल्ड होकर किस करने लगा। उसका हाथ सनाया की पूरी बॉडी पर चल रहा था। वही सनाया भी श्रेष्ठ को अब और नाराज नहीं करना चाहती थी। इसलिए वो भी उसका साथ दे रही थी।
तभी दोबारा श्रेष्ठ का मोबाइल बजा और इस बार श्रेष्ठ झुंझलाता हुआ सनाया के ऊपर से उठकर अपना मोबाइल उठाने के लिए वर्किंग टेबल के पास आ गया। उसके कपड़े जमीन पर ही बिखरे हुए थे।
श्रेष्ठ ने मोबाइल पर फ्लैश हो रहे नाम को देखा। उस नाम को देख कर उसके चेहरे पर गुस्सा और इरिटेशन नजर आने लगी। उसने गहरी सांस ली और जल्दी से कॉल उठा लिया।
श्रेष्ठ के कॉल उठाते ही दूसरी तरफ से किसी की घबराती हुई आवाज सुनाई दी। "श्रेष्ठ कहां हो तुम? अभी के अभी घर वापस आओ। ख्वाब घर छोड़ कर कहीं चली गई है।"
दूसरी तरफ कॉल पर श्रेष्ठ के पिता हर्षवर्धन दीवान थे। जिनकी आवाज काफी ज्यादा घबराई हुई थी। उनकी बातें सुनकर श्रेष्ठ ने गुस्से से अपने हाथ की मुट्ठी बांधकर मन ही मन कहा, "ख्वाब, मेरी लाइफ की सबसे बड़ी प्रॉब्लम।"
वही श्रेष्ठ को कुछ ना बोलता देख कर हर्षवर्धन दीवान ने घबराते हुए कहा, "श्रेष्ठ तुम सुन रहे है? मैंने तुम से कुछ कहा हैं। तुम जल्दी घर आ जाओ। मुझे, मेरी बच्ची वापस चाहिए।"
श्रेष्ठ ने हर्षवर्धन जी की बात सुनकर गुस्से से कहा, "अभी मैं बिजी हूँ। मेरे पास उस गवार लड़की पर वेस्ट करने के लिए टाइम नहीं है।"
श्रेष्ठ की बातें सुनकर हर्षवर्धन दीवान जो कि अभी तक घबराते हुए श्रेष्ठ को घर आने की रिक्वेस्ट कर रहे थे। उन्होंने चिल्लाते हुए कहा, "श्रेष्ठ अगर तुम घर नहीं आए तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा। आगे तुम खुद जानते हो कि मैं क्या कर सकता हूँ"
इतना कहते हुए हर्षवर्धन जी ने कॉल कट कर दिया। वहीं श्रेष्ठ अभी अपनी जगह पर खड़ा होकर गुस्से से अपने मोबाइल को देख ही रहा था कि तभी सनाया जो की सोफे पर पड़ी हुई थी। वो अपनी जगह से उठकर खड़ी हुई और श्रेष्ठ के पास आ गई।
उसने श्रेष्ठ को बैक साइड से गले लगा कर उसकी गर्दन पर अपने होंठ चलाते हुए कहा, "क्या हुआ श्रेष्ठ? उस लड़की ने दोबारा कुछ किया क्या?"
सनाया की बात सुनकर श्रेष्ठ ने उसकी तरफ देखा और उसे गुस्से से खुद से दूर धक्का दे दिया। सनाया सीधा जमीन पर गिर गई।
श्रेष्ठ ने अपनी आग उगलती आँखों से सनाया की तरफ देखते हुए कहा, "मेरे मामलों में टांग अड़ाना बंद कर दो। तुम्हारे जैसी दो कोड़ी की लड़की की औकात नहीं है कि वो श्रेष्ठ सिंह दीवान से सवाल करें।"
इतना कहते हुए श्रेष्ठ तेजी से दीवान कॉरपोरेशन से निकल गया।
कुछ देर बाद दीवान मेंशन में,
इस वक्त श्रेष्ठ, हर्षवर्धन दीवान के सामने खड़ा था। हवो काफी ज्यादा गुस्से में लग रहे थे।
उन्होंने श्रेष्ठ की तरफ देख कर चिल्लाते हुए कहा, "तुमने क्या किया है? तुम्हारी वजह से आज ख्वाब घर छोड़कर चली गई। अगर उसे कुछ भी हुआ ना श्रेष्ठ, तो मैं तुम्हें जिंदगी में कभी माफ नहीं करूंगा। तुमने पिछले 6 महीने से जो कुछ भी उसके साथ किया। उसके बावजूद भी उसने हिम्मत नहीं हारी थी। पर आज उसने खुद कहा है कि वो अब और बर्दाश्त नहीं कर सकती। उसने मुझे अपनी कसम दी है की मैं उसके पीछे ना जाऊँ। इसलिए तुम जाओ और मेरी बच्ची और अपनी पत्नी को वापस लेकर आओ। वो भी सही सलामत। वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।"
हर्षवर्धन जी की बात सुनकर श्रेष्ठ ने चिल्लाते हुए कहा, "डैड,आप मुझे इस तरह से फाॅर्स नहीं कर सकते। और रही बात उस लड़की की, तो वो कहीं नहीं जाने वाली, इतनी ऐशो आराम की जिंदगी को छोडकर। जिसने सिर्फ पैसों के लिए मुझसे शादी की है। जब पैसों के लिए वो इतने दिनों तक मेरा टॉर्चर झेल सकती है तो क्या आपको सच में लगता है कि वो मुझे और इस घर को इस तरह से छोड़कर जाएगी?" श्रेष्ठ ने टोंट भरी आवाज में वो सब कहा।जिसे सुन कर ऐसा लग रहा था की जैसे उसे ख्वाब से कोई मतलब ही ना हो।
श्रेष्ठ की बात सुनकर और उसे इतना बेफिक्र होता देख, हर्षवर्धन जी ने चिल्लाते हुए कहा, "तुम्हारे अंदर ज़रा भी इंसानियत है? मेरी बच्ची इतनी बुरी हालत में रोते हुए घर से निकली है। भगवान् ना करे वो कहीं अपने साथ कुछ बुरा ना कर ले। तुम मेरी बात ध्यान से सुन लो,तुम अभी के अभी उसे लेने के लिए जा रहे हो। मतलब जा रहे हो, मुझे बस मेरी बेटी मेरी सामने सही सलामत चाहिए। वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।समझे तुम?" हर्षवर्धन जी ने चिल्ला कर आर्डर देते हुए कहा।
दूसरी तरफ
पहाड़ी पर वो लड़की, यानी कि ख्वाब अपने हाथ में मोबाइल को देख रही थी। उसने अपने कांपते हुए हाथों से एक मैसेज टाइप किया।
सेंड के बटन को दबाने से पहले उसने कुछ देर तक सोचा और आखिर में उस बटन पर क्लिक करके एक कड़वी मुस्कुराहट के साथ कहा, "उम्मीद है इस बार तुम खुद चलकर मेरे पास आओगे।"
इतना कहते हुए ख्वाब ने अपनी आंखें बंद कर ली और उसकी आँखों से दो आँसू की बूंद गाल पर आ गई।
दूसरी तरफ श्रेष्ठ जो की हर्षवर्धन जी की बात सुनकर भी अपनी जगह पर पत्थर की तरह जमा हुआ थ। उसके मोबाइल पर उसे मैसेज टोन की नोटिफिकेशन सुनाई दी।
पहले तो उसने इग्नोर किया पर जब उसे लगा कि कोई इंपॉर्टेंट मैसेज हो सकता है तो उसने अपना मोबाइल देखा मोबाइल पर उस मैसेज को देखकर श्रेष्ठ की आंखें गहरी हो गई और गुस्से से उसकी पकड़ मोबाइल पर कस गई।
श्रेष्ठ के चेहरे के एक्सप्रेशन देखकर हर्षवर्धन जी ने कहा, "क्या वो ख्वाब का मैसेज है?"
हर्षवर्धन जी की बात सुनकर श्रेष्ठ ने गुस्से से उनकी तरफ देखा और अपनी जगह से खड़ा हो गया।
श्रेष्ठ बाहर ही जा रहा था की तभी पीछे से हर्षवर्धन जी ने चिल्लाते हुए कहा, "अगर खवाब को तुम्हारी वजह से कुछ भी हुआ ना श्रेष्ठ। तो तुम भूल जाना कि तुम्हारा कोई बाप भी था।"
हर्षवर्धन जी आखरी शब्दों में कड़वाहट थी। जिसे सुनकर श्रेष्ठ के कदम जाते हुए रुक गए। उसने गुस्से से पलट कर उनकी तरफ देखा और तेजी से वहां से निकल गया।
श्रेष्ठ तेजी से गाड़ी ड्राइव कर रहा था। उसके पीछे ही उसके बॉडीगार्ड आ रहे थे। श्रेष्ठ बार-बार कुछ देर पहले आए मैसेज की तरफ देख रहा था।
उसने खुद से कहा, "बहुत तमाशा बना चुकी हो तुम मेरा, अब और नहीं। तुम्हारे इस रोज-रोज के नाटक की वजह से हर्षवर्धन दीवान हर रोज मेरी बेइज्जती करते हैं। आज मैं तुमसे अपनी हर एक बेज्जती का बदला लेकर ही रहूँगा, ख्वाब सिंह दीवान।" कहते हुए श्रेष्ठ की पकड़ स्टीयरिंग व्हील पर मजबूत हो गई।।
कुछ ही देर में श्रेष्ठ की गाड़ी पहाड़ी पर पहुंच चुकी थी। उसने जोर से ब्रेक दबाकर गाड़ी को टर्न किया। गाड़ी की आवाज इतनी तेज थी की पहाड़ी के चारों तरफ आवाज गूंज गई। ख्वाब जो की घुटनों के बल जमीन पर बैठी हुई थी और रो रही थी। उस गाड़ी की आवाज सुनकर उसने जल्दी से अपने आँसुंओं को साफ किया और अपनी जगह पर खड़ी हो गई।
श्रेष्ठ ने गाड़ी का दरवाजा खोला और तेजी से गाड़ी से निकलकर बाहर आ गया। उसे दूर पहाड़ी के कोने पर खड़ी ख्वाब नजर आई। जिसे देखते ही उसकी आँखों में हमेशा की तरह नफरत भर आ आयी। वो तेज कदमों से चलता हुआ ख्वाब से 10 कम की दूरी पर आकर खड़ा हो गया।
उसने ख्वाब की तरफ देखा तो रोने की वजह से उसका छोटा सा चेहरा और भी प्यारा लग रहा था। पर सामने मौजूद इंसान के लिए वो दुनिया का सबसे घटिया चेहरा था। ख्वाब ने अपने सामने मौजूद इंसान की तरफ देखा। जिसके लिए उसने पिछले 6 महीने से ना जाने क्या कुछ नहीं किया था? पर उस इंसान के लिए तो वो किसी जानवर से भी ज्यादा गई गुजरी थी।
श्रेष्ठ भी गुस्से से ख्वाब की तरफ देख रहा था। ख्वाब ने श्रेष्ठ की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा, "मिस्टर श्रेष्ठ सिंह दीवान, मेरे एक बार बुलाने पर आप यहाँ पर आ गए। इंप्रेसिव।" कहते हुए वो मुस्कुराने लगी।
ख्वाब की बात सुनकर श्रेष्ठ ने चिल्लाते हुए कहा, "बकवास बंद करो। तुम्हारी इतनी औकात नहीं है कि तुम श्रेष्ठ सिंह दीवान तुम्हारे बुलाने पर आ जाये। मैं खुद यहाँ पर आकर तुम्हारा तमाशा देखना चाहता था। पिछले 6 महीने से तमाशा ही तो कर रही हो तुम। अब तुम्हारा एक और तमाशा देखना बाकी रह गया था। अब बताओ क्यों कर रही हो ये नया तमाशा? कितने पैसे चाहिए? आखिर पैसों के लिए ही तो तुम मेरे साथ हो। इतनी बेइज्जती झेलने के बावजूद मेरा पीछा नहीं छोड़ रही हो। जबकि मुझे तुम्हारे अंदर एक परसेंट का इंटरेस्ट नहीं है।"
श्रेष्ठ की बात सुनकर ख्वाब ने मुस्कुराते हुए कहा, "मिस्टर दीवान आपको कुछ ज्यादा ही बड़ी गलतफहमी हो गई है। और आज मैं आपकी सारी गलतफहमियां दूर करने के लिए ही यहाँ पर आई हूँ। और आपको भी मैंने इसलिए ही बुलाया है। वरना मरते हुए आपका घटिया चेहरा देखने की ख्वाहिश नहीं थी मेरी।"
ख्वाब की आखिरी शब्दों को सुनकर श्रेष्ठ थोड़ी देर के लिए हैरान हो गया,मगर फिर हंसने लगा। उसने हंसते हुए कहा, "ओह रियली! तुम्हारे जैसी लड़की यहाँ पर सुसाइड करने के लिए आई है। तुम्हें क्या मैं स्टुपिड लगता हूँ? तुम्हारे जैसी लड़कियां पैसों के लिए किसी के भी बिस्तर पर जाने के लिए तैयार हो जाती है। तो ये सब ड्रामा मेरे सामने तो मत ही करो।" कहते हुए श्रेष्ठ हंसने लगा।
श्रेष्ठ की बात सुनकर ख्वाब ने उसकी तरफ देख कर दर्द भरी मुस्कराहट के साथ कहा, "आपको पता है मिस्टर श्रेष्ठ दिवान, अगर हम एक कुत्ता पाले और उसके साथ कुछ दिन बिताए तो भी हमें उस कुत्ते से लगाव हो जाता है। और मैंने तो आपके साथ 6 महीने गुजारे हैं। क्या आपको मुझसे एक परसेंट का भी लगाव नहीं हुआ? बोलिए मिस्टर दीवान।" कहते हुए ख्वाब पीछे जा रही थी।
वही ख्वाब की बात सुनकर और उसे पीछे जाते हुए देख कर उसकी धड़कने तेज हो गई पर उसने अपनी फिलिंग्स को कंट्रोल करते हुए कहा, "नहीं हुआ मुझे तुमसे लगाव। तुम मेरे लिए किसी कुत्ते से भी गई गुजरी हो।"
श्रेष्ठ की बात सुनकर ख्वाब ने मुस्कुराते हुए कहा, "मुझे हैरानी नहीं हुई। क्योंकि मुझे पता था की आपके लिए मैं क्या हूँ? इन फैक्ट मेरा होना या ना होना आपके लिए कोई मैटर नहीं करता है, हैं ना?" ख्वाब की बात सुनकर श्रेष्ठ उसकी तरफ देखने लगा।
उसे आज ख्वाब की बातें बहुत ही अजीब लग रही थी। कुछ अलग जो कि उसे घबराने के लिए मजबूर कर रहा था। पर फिर भी उसने कहा, "हां मेरे लिए तुम्हारा होना या ना होना एक बराबर है।"
श्रेष्ठ की बात सुनकर ख्वाब ने मुस्कुराते हुए कहा, "तो आज मैं आपको आपकी लाइफ की सबसे बड़ी खुशी देने वाली हूँ। आपकी लाइफ से हमेशा हमेशा के लिए जाकर। उसके बाद आपको मेरी जैसी मिडिल क्लास पैसों पर मरने वाली वेश्या, (यही कहा था ना आपने मुझे) के साथ जिंदगी जीने की जरूरत नहीं है।
"अंकल भी अब आपको कुछ नहीं कहेंगे। आप अपनी जिंदगी जीने के लिए आजाद है मिस्टर दीवान। आपने इस ख्वाब को, जिसने ना जाने अपनी जिंदगी को लेकर कितने ही ख्वाब देखे थे। उसे पूरी तरह से तोड़ दिया। पूरी तरह से तोड़ दिया मिस्टर श्रेष्ठ सिंह दीवान।" कहते हुए ख्वाब जोर-जोर से हंसने लगी।
श्रेष्ठ उसकी हंसी देख रहा था। उसकी हंसी में इतना दर्द था की श्रेष्ठ को भी वो दर्द अब महसूस होने लगा। वो अपनी जगह पर ही खड़ा होकर ख्वाब को देख रहा था।
ख्वाब ने श्रेष्ठ की तरफ देख कर हंसते हुए कहा, "बहुत कोशिश की मिस्टर दीवान आपसे नफरत करने की। पर नहीं कर पाई। ये दिल बेईमान है। मेरी बात ही नहीं सुनता। ना चाहते हुए भी आप जैसे इंसान से प्यार कर बैठा। ये जानते हुए भी कि आप इसके लायक नहीं है।"
श्रेष्ठ चुपचाप उसकी बातें सुन रहा था। आज पहली बार ख्वाब उसके सामने खुलकर बोल रही थीं। ख्वाब ने श्रेष्ठ की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा, "आपकी लाइफ के 6 महीने बर्बाद करने के लिए माफ कर दीजिएगा मिस्टर दीवान।" कहते हुए ख्वाब पीछे की तरफ जाने लगी।
श्रेष्ठ जिसे अब तक लग रहा था कि ख्वाब नाटक कर रही है। उसे इस तरह से पीछे जाते हुए देख कर वो घबराने लगा। उसने अपनी घबराहट छुपा कर थोड़े गुस्से भरी आवाज में कहा, "ये क्या बकवास कर रही हो और पीछे क्यों जा रही हो तुम?"
श्रेष्ठ की बात सुनकर ख्वाब ने मुस्कुराते हुए कहा, "मैं पीछे नहीं मिस्टर दीवान आपकी लाइफ से और इस दुनिया से हमेशा हमेशा के लिए दूर जा रही हूँ। अब और बर्दाश्त नहीं होता। हर रोज अपनी रुसवाई, हर रोज ये दर्द अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता। अब मैं अपनी इस दर्द भरी जिंदगी से आजादी चाहती हूँ।"
ख्वाब की बातों में दर्द था और उसकी आँखों में एक अलग ही पागलपन। जिसे देखकर श्रेष्ठ ने घबराते हुए कहा, "पागलपन बंद करो और वहीँ रुक जाओ" कहते हुए वो अपने कदम आगे की तरफ बढ़ाने लगा।
ये देखकर ख्वाब ने कहा, "आगे मत बढ़ना वरना मैं अभी कूद जाऊंगी।" ख्वाब की बात सुनकर श्रेष्ठ के कदम उसकी जगह पर ही रुक गए।
ख्वाब ने श्रेष्ठ की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा, "आपने कहा था ना मेरे साथ आपको घुटन महसूस होती है। तो अब मेरे मरने के बाद आपको और ज्यादा घुटन होगी। आपने कहा था ना की आपको मुझसे नफरत है। आप मेरी शक्ल भी नहीं देखना चाहते। मेरे मरने के बाद आपको मेरे अलावा कुछ और नजर नहीं आयेगा। हर पल, हर वक्त,आप सिर्फ मेरे बारे में सोचेंगे।"
ख्वाब की बात सुनकर श्रेष्ठ ने चिल्लाते हुए कहा, "क्या तुम अपनी मौत का इल्जाम मुझ पर लगा रही हो?"
श्रेष्ठ की बात सुनकर ख्वाब ने मुस्कुराते हुए कहा, "इल्जाम नहीं, मेरी मौत की वजह बता रही हूँ जो आप है, मिस्टर दीवान। मरूंगी मैं पर तड़पेंगे आप। हर पल, हर वक्त जिस इंसान से आपने हमेशा नफरत की आप उस इंसान को हर वक्त याद करेंगे। हर पल मिस्टर दीवान।" कहते हुए ख्वाब पीछे की तरफ जाने लगी।
श्रेष्ठ ने ख्वाब के पैरों की तरफ देखा जो की पहाड़ी की चोटी पर थे। उसने चिल्लाते हुए कहा, "ख्वाब रुक जाओ।"
ख्वाब ने मुस्कुराते हुए कहा, "अलविदा मिस्टर दीवान। "ये कहते हुए ख्वाब ने अपने दोनों हाथ खाई की तरफ झुका दिए और अगले ही पल वो खाई से नीचे गिर गई।
श्रेष्ठ ने चिल्लाते हुए कहा, "ख्वाब"
पर तब तक ख्वाब नीचे गिर चुकी थी। श्रेष्ठ दौड़ता हुआ खाई के पास आया। आज पहली बार उसकी आँखों में आँसू थे। वो घुटनों के बल बैठ गया। उसने चिल्लाते हुए कहा, "ख्वाब"
आखिर क्या थी ख्वाब और श्रेष्ठ की कहानी? क्या सच में यही है ख्वाब की जिंदगी का अंत?