श्रेष्ठ इस वक्त बिल्कुल शैतान की तरह लग रहा था। वह लगातार मायरा की गर्दन दबा रहा था। मायरा ने अपनी बंद हों रही थी वो अपनें कांपते हाथों से श्रेष्ठ के हाथों को अपने गले से हटाने की नाकाम कोशिश की। उसकी आंखें बंद हो रही थी पर श्रेष्ठ को कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था।
अभी मायरा शायद अपनी आखिरी सांस लेकर गिर ही रही थी कि तभी तेजी से दरवाजा खुला। दरवाजा खुलने की आवाज सुनकर मायरा ने धीरे से अपनी आंखें खोलकर उम्मीद भरी नजरों से दरवाजे की तरफ देखा।
श्रेष्ठ का ध्यान तो किसी चीज पर था ही नहीं। उसकी आंखों में खून उतर आया था। ऐसा लग रहा था की जैसे वह मायरा की जान लेकर ही शांत होगा। वही दरवाजा खोलकर कोई और नहीं श्रेष्ठ का असिस्टेंट समर्थ अंदर आया था। उसने जब देखा की श्रेष्ठ मायरा की गर्दन दबा रहा है तो वह दौड़ता हुआ श्रेष्ठ के पास आया। उसने चिल्लाते हुए कहा, "सर छोड़िए उसे। वह मर जाएगी।"
समर्थ के चिल्लाने का श्रेष्ठ पर कोई असर नहीं पड़ा। वह अभी भी मायरा की गर्दन को पकड़ कर खड़ा था। यह देखकर समर्थ ने घबराते हुए श्रेष्ठ को पीछे खींचना शुरू कर दिया।
समर्थ के इस तरह से खींचने की वजह से श्रेष्ठ की पकड़ मायरा की गर्दन पर ढीली हो गई। और मायरा सीधा जमीन पर गिर गई और जोर-जोर से खांसने लगी। वही श्रेष्ठ ने गुस्से से पलट कर समर्थ की तरफ देखा और एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर मारते हुए कहा, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे रोकने की? भूलो मत तुम बस मेरे नौकर हो।"
श्रेष्ठ का थप्पड खाने के बावजूद भी समर्थ के चेहरे के एक्सप्रेशन नहीं बदले। उसने अपना सिर झुकाते हुए कहा, "आई एम सॉरी सर पर आप उसकी जान ले लेते और यह आपकी रेपुटेशन के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है।"
समर्थ की बात सुनकर श्रेष्ठ ने चिल्लाते हुए कहा, "बकवास बंद करो। श्रेष्ठ सिंह दीवान को किसी चीज का डर नहीं है। किसी भी चीज का नहीं।"
कहते हुए उसने जमीन पर पड़ी मायरा की तरफ देखा और घिन भरी नजरों से सीधा क्लोजेट में चला गया। कुछ देर बाद श्रेष्ठ क्लोजेट से रेडी होकर बाहर आया।
मायरा जमीन पर सिकुड़ कर बैठी हुई थी। उसने कंबल से खुद को कवर किया हुआ था। उसे देखकर श्रेष्ठ के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कुराहट आ गई। उसने पलट कर समर्थ की तरफ देखा जो की एक कोने में चुपचाप खड़ा होकर दीवार को घूर रहा था।
श्रेष्ठ ने एक नजर मायरा की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए कहा, "अब से तुम्हारी जिंदगी की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। तुमने श्रेष्ठ सिंह दीवान से पंगा लेकर अपनी जिंदगी बर्बाद की है मायरा सिंघल।"
कहते हुए श्रेष्ठ तेजी से रूम से बाहर निकल गया। वही मायरा ने डरी हुई नजरों से दरवाजे की तरफ देखा। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। उसने खुद से कहा, "मैंने सच में खुद की जिंदगी बर्बाद कर दी।"
कहते हुए वह फूट-फूट कर रोने लगी। वही समर्थ ने एक नजर उसे देखा और वह भी रूम से बाहर चला गया।
कुछ देर बाद श्रेष्ठ के मेंशन में....
श्रेष्ठ की कार मेंशन के सामने आकर रुकी। ड्राइवर ने जल्दी से उतरकर श्रेष्ठ के लिए कार का दरवाजा खोला। श्रेष्ठ भी एटीट्यूड के साथ कार से बाहर निकला।
उसने एक नजर घर की तरफ देखा और तिरछी मुस्कुराहट के साथ अंदर आ गया। लिविंग रूम में उसे कोई भी नजर नहीं आया। श्रेष्ठ सीधा सीढ़ियों से ऊपर अपने रूम की तरफ अपने कदम बढ़ाने लगा। तभी रास्ते में उसे ममता जी नजर आई जो की घबराई हुई लग रही थी।
उन्हें देखकर श्रेष्ठ ने मुस्कुराते हुए कहा, "मेरी नई नवेली दुल्हन कहां है ममता?"
ममता जी जो की ख्वाब के रूम की तरफ ही जा रही थी। श्रेष्ठ की आवाज सुनकर उन्होंने डरते हुए अपना चेहरा ऊपर उठा कर देखा तो उन्हें श्रेष्ठ तिरछी मुस्कुराहट के साथ अपनी तरफ देखते हुए नजर आया।
श्रेष्ठ को देखकर उनके मुंह से कुछ नहीं निकला। वहीं उन्हें चुप देख कर श्रेष्ठ उनके पास आकर खड़ा हो गया। पर उसने एक डिस्टेंस मेंटेन किया था। जैसे ममता जी को छूने से वह गंदा हो जाएगा।
उसने उन्हें ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहा, "मैंने कुछ पूछा है? क्या तुम्हें तमीज नहीं है कि तुम अपने मालिक के सवालों का जवाब दो?"
ममता जी भले ही उम्र में श्रेष्ठ से बड़ी थी। पर श्रेष्ठ को अपने सामने ना बड़ों से बात करने की तमीज थी और ना ही छोटों से प्यार। वह हर किसी को अपने पैरों की जूती समझता था। ममता जी और बाकी सब को इस सब की आदत थी।
ममता जी ने अपना चेहरा ऊपर उठकर घबराते हुए कहा, "वह मैडम रूम में आराम कर रही है।"
ममता जी की बात सुनकर श्रेष्ठ ने मुस्कुराते हुए कहा, "हां मेरी बीवी। उसे तकलीफ हो रही होगी। उसे मेरी जरूरत है। मैं उसके पास जाना चाहता हूं। बताओ मेरी बीवी कहां है?"
कहते हुए श्रेष्ठ काफी इनोसेंट लग रहा था। जैसे सच में उसे ख्वाब की चिंता हो। अगर ममता जी ने कल श्रेष्ठ का बिहेवियर नहीं देखा होता तो शायद वह भी श्रेष्ठ की बातों में आ जाती। पर वह अच्छे से जानती थी की श्रेष्ठ जरूर ख्वाब के साथ कुछ बुरा करना चाहता है।
उन्होंने घबराते हुए मन ही मन कहा, "अभी नहीं। अभी तो उनका दर्द कम हुआ है। उन्हें और तकलीफ नहीं होने दूंगी।"
सोचते हुए उन्होंने कहा, "सर वह सो रही है प्लीज।"
ममता जी ने इतना कहा ही था की श्रेष्ठ ने चिल्लाते हुए कहा, "जो सवाल किया है उसका जवाब दो। मुझे मेरे सामने बेफिजूल में जुबान चलाने वाले लोग हरगिज बर्दाश्त नहीं है।"
श्रेष्ठ की धमकी सुनकर ममता जी ने घबराते हुए गेस्ट रूम की तरफ इशारा किया। श्रेष्ठ ने मुस्कुराते हुए कहा, "मैं चाहता हूं कि मैं और मेरी बीवी दोनों क्वालिटी टाइम स्पेंड करें इसलिए कोई भी हमें डिस्टर्ब करने के लिए रूम में नहीं आएगा। और अगर कोई मेरे ऑर्डर के खिलाफ गया तो हो सकता है कि वह जिंदा अपने घर वापस ना जा पाए। तुम मेरी बात समझ गई ना ममता।"
कहते हुए श्रेष्ठ तिरछी मुस्कुराहट के साथ गेस्ट रूम की तरफ अपने कदम बढ़ाने लगा।
वही श्रेष्ठ की धमकी सुनकर ममता जी को रीड की हड्डी में उन्हें कंपन महसूस हुई। उन्होंने बस अपना सिर हिला दिया। क्योंकि वह जानती थी की श्रेष्ठ मजाक नहीं कर रहा है।
उन्होंने खुद श्रेष्ठ का जानवरों वाला अवतार अपनी आंखों के सामने देखा था। श्रेष्ठ तेजी से ख्वाब के रूम की तरफ अपने कदम बढ़ाने लगा। वही ममता जी चुपचाप नीचे चली गई। उनकी आंखों से आंसू बह रहे थे। पर वह चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती थी।
श्रेष्ठ उस गेस्ट रूम के दरवाजे पर आकर खड़ा हो गया जिसमें ख्वाब सोई हुई थी। उसने अपनी गर्दन को सहलाते हुए कहा, "मेरी नई नवेली दुल्हन मेरा इंतजार कर रही होगी। सुहागरात पर तो मैंने उसे रूम से निकाल दिया। पता नहीं बेचारी कैसी होगी?"
कहते हुए उसने रूम का दरवाजा खोला। दरवाजा खुलते ही ख्वाब जिसकी कंडीशन अब ठीक थी। उसने जल्दी से पलट कर दरवाजे की तरफ देखा । और दरवाजे पर खड़े श्रेष्ठ को देखकर उसकी आंखों के सामने कल रात के नजारे घूमने लगे।
उसने डरी हुई नजरों से श्रेष्ठ की तरफ देखा जो की मुस्कुराता हुआ उसकी तरफ ही आ रहा था। ख्वाब ने बेड पर ही पीछे की तरफ से खिसकते हुए कहा, "आप हमारे पास मत आओ।"
कहते हुए ख्वाब अपने हाथों के सहारे पीछे की तरफ सरकने लगी। तभी उसका हाथ जिस पर उसे बिच्छू ने डंक मारा था। उसे वहां पर तेज दर्द महसूस हुआ।
दर्द का अहसास होते ही ख्वाब ने अपने हाथ की तरफ देखा और रोने लगी। तब तक श्रेष्ठ भी बेड के पास आ गया था।
श्रेष्ठ ने ख्वाब की तरफ देख कर उदासी भरी आवाज में कहा, "तुम्हें दर्द हो रहा है बीवी।"
श्रेष्ठ की आवाज सुनकर ख्वाब ने अपना चेहरा ऊपर उठाकर घबराई हुई नजरों से उसकी तरफ देखा और रोते हुए कहा, "प्लीज हमें कुछ मत कीजिए। हमें दर्द हों रहा है।"
ख्वाब की बात सुनकर श्रेष्ठ ने उसके चेहरे की तरफ अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा, "दर्द हो रहा है?" श्रेष्ठ का हाथ अपने करीब आते हुए देख कर ख्वाब घबराते हुए पीछे होने लगी वही।
यह देखकर श्रेष्ठ ने चिल्लाते हुए कहा, "पति हूं तुम्हारा। तुम्हें छूने का पूरा हक है मुझे।" इतना कहकर श्रेष्ठ ने ख्वाब के बालों को पकड़ कर उसका चेहरा अपने सामने किया। ख्वाब घबराई हुई नजरों से श्रेष्ठ की तरफ देखने लगी।
श्रेष्ठ ने मुस्कुराते हुए उसके आंसू देखे और एक डरावनी आवाज में कहा, "तुम क्यों रो रही हो बीवी? तुम बच्ची थोड़ी हो। कोई ऐसे रोता है भला। वह भी शादी के दूसरे दिन। तुम्हें तो मेरे लिए कुछ मीठा बनाना चाहिए। लगता है तुम यह रस्म भी भूल गई। चलो कोई बात नहीं। मुझे तो याद है ना। वैसे भी पति-पत्नी तो एक दूसरे की मदद करने के लिए ही होते हैं ना। चलो तुम्हें पहली रसोई की रस्म करनी होगी।"
कहते हुए श्रेष्ठ ने ख्वाब को हाथ से पकड़ कर खींचते हुए बेड से खड़ा किया। ख्वाब लड़खड़ा गई। वह नीचे गिरने वाली थी पर उसने खुद को संभाल लिया।
श्रेष्ठ उसे घसीटता हुआ रूम से बाहर की तरफ ले जाने लगा। ख्वाब ने रोते हुए कहा, "प्लीज मत कीजिए। हमें दर्द हो रहा है।" श्रेष्ठ ने उसके उसी हाथ को पकड़ा था जिस हाथ पर बिच्छू ने काटा था। रात भर दर्द सहने के बाद अब जाकर ख्वाब को राहत मिली थी। और श्रेष्ठ दोबारा उसके इस हाथ पर प्रेशर बना रहा था।
ख्वाब के चिल्लाने की आवाज पूरे घर में गूंज रही थी। पर कोई कुछ नहीं कर सकता था। सभी सर्वेंट लिविंग रूम में खड़े होकर सब कुछ देख रहे थे। श्रेष्ठ ख्वाब को खींचता हुआ नीचे ले आया।
ख्वाब के पैरों पर भी चोट लग गई थी। पर श्रेष्ठ को इस सबसे कोई फर्क नहीं पड़ा। उसने ख्वाब को लाकर सीधा किचन में धक्का दे दिया। ख्वाब ने डरी हुई नजरों से श्रेष्ठ की तरफ देखा।
श्रेष्ठ ने मुस्कुराते हुए कहा, "चलो मेरे लिए कुछ मीठा बनाओ। मुझे देखना है की मेरी बीवी कुकिंग कैसे करती है?"
श्रेष्ठ की बात सुनकर ख्वाब जोर जोर से रोने लगी। क्योंकि उसे अपने हाथों में दर्द हो रहा था। वही उसे रोते हुए देख कर श्रेष्ठ ने चिल्लाते हुए कहा, "चुपचाप कुकिंग करो। मुझे यह बेफिजूल में रोना-धोना बिल्कुल पसंद नहीं है।"
वह इतनी जोर से चिल्लाया था कि ख्वाब घबरा कर चुप हो गई। उसने डरी हुई नजरों से उसकी तरफ देखा और फिर किचन में सामान ढूंढने लगी।
तभी श्रेष्ठ ने उसे रोकते हुए कहा, "बीवी रुको।" इतना कहकर उसने एक सर्वेंट को बुलाया। कुछ देर बाद ख्वाब हैरानी से अपने सामने रखे सामान को देख रही थी।
वही श्रेष्ठ अपने दोनों हाथ सीने से बांधकर उसे मुस्कुराते हुए देख रहा था। वही ख्वाब रोते हुए डरी हुई नजरों से उसकी तरफ देख रही थी। उसके सामने सिर्फ स्पाइसी और खट्टी चीज ही रखी हुई थी।
श्रेष्ठ ने कहा, "चलो, जल्दी से खीर बनाओ।" श्रेष्ठ की बात सुनकर ख्वाब ने डरते हुए एक पतीला गैस पर चढ़ाया और उसमें खीर बनाने के लिए जो कुछ भी वह इस्तेमाल कर सकती थी वह सामान डालने लगी।
यह देखकर श्रेष्ठ ने चिल्लाते हुए कहा, "रुको।" उसके चिल्लाने की आवाज सुनकर ख्वाब घबराते हुए रुक गई।
श्रेष्ठ ने उसके पास आकर गुस्से से कहा, "तुम्हें कुछ बनाना नहीं आता हटो यहां से।" इतना कह कर उसने ख्वाब को धक्का दे दिया। ख्वाब सीधा किचन के फ्लोर पर गिर गई।
श्रेष्ठ ने पतीले में काफी कुछ डाल दिया। वह कुछ भी उठाकर पतीले में डाल रहा था। उसने नमक, मिर्च, हल्दी, धनिया पाउडर सब कुछ खीर में डाल दिया था।
ख्वाब हैरानी से सब कुछ देख रही थी। कुछ देर बाद श्रेष्ठ ने मुस्कुराते हुए कहा, "देखो बीवी तुम्हें तो कुछ नहीं आता। पर मैंने तुम्हारे लिए खुद कुकिंग की है। अब तुम इसे टेस्ट करके बताओ?"
श्रेष्ठ की बात सुनकर ख्वाब ने चिल्लाते हुए कहा, "आप पागल हो गए हैं। यह सब क्या किया आपने?"
वही ख्वाब को चिल्लाते हुए देख कर श्रेष्ठ ने टेढ़ी गर्दन करके उसकी तरफ देखा और कहा, "ओह, तुम्हारे मुंह में जुबान भी है। पर कोई बात नहीं। तुम्हारी जुबान बोलने लायक नहीं बचेगी।"
ऐसा कहते हुए उसने ख्वाब को खड़ा किया और पतीले में रखी हुई खीर को जो की पूरी रेड नजर आ रही थी। क्योंकि श्रेष्ठ ने पूरा मिर्ची पाउडर उसमे डाल दिया था।
श्रेष्ठ ने जल्दी से एक स्पून लिया और उसमें वह मिर्च और मसाले वाली खीर लेकर उसने वह ख्वाब के मुंह के सामने किया।
ख्वाब ने रोते हुए कहा, "प्लीज ऐसा मत कीजिए। हम मर जाएंगे।"
ख्वाब की बात सुनकर श्रेष्ठ ने मुस्कुराते हुए कहा, "बीवी तुम टेंशन मत लो। मैं तुम्हें इतनी जल्दी और इतनी आसानी से थोड़ी मरने दूंगा। तुम्हें तो अभी और दर्द झेलना हैं। तुम्हें मुझसे शादी करनी थी ना। तो अब मुझसे शादी करने का अंजाम तो भुगतना ही होगा ना।"
ऐसा कहते हुए श्रेष्ठ ने जबरदस्ती वह स्पून ख्वाब के मुंह में डाल दिया। ख्वाब ने उसे उगलने की कोशिश की तो यह देखकर श्रेष्ठ ने कहा, "इसे थूकने की गलती मत करना। वरना जो तुम उगलोगी मैं उसे दोबारा तुम्हारे मुंह में डालने से पहले एक बार भी नहीं सोचूंगा।"
श्रेष्ठ की बात सुनकर ख्वाब रोते हुए उसे चबाने लगी। उसकी आंखें खून की तरह लाल हो गई थी। उसका चेहरा भी लाल हो गया था। वही श्रेष्ठ लगातार उसे खिला रहा था।
वही ख्वाब चिल्ला रही थी। रो रही थी। पर श्रेष्ठ को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। श्रेष्ठ ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम्हें कैसी लगी हमारी शादी की पहली सुबह बीवी? बहुत रोमांटिक है ना।"
श्रेष्ठ की बात सुनकर ख्वाब उसे आंसू भरी आंखों से देखने लगी।
क्या होगा ख्वाब की जिंदगी में? क्या श्रेष्ठ इसी तरह से दर्द देता रहेगा ख्वाब को? क्या होगा कहानी में? आगे जानने के लिए बने रहिए मेरे साथ।