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Chapter 10 - "is khwab dead"

प्रेजेंट टाइम........

श्रेष्ठ अभी भी पहाड़ी पर घुटनों के बल बैठा हुआ था। वही समर्थ भी उसके सामने ही बैठा हुआ था। समर्थ श्रेष्ठ का असिस्टेंट होने के साथ-साथ उसका दोस्त भी था।

समर्थ ने नफरत भरी नजरों से श्रेष्ठ की तरफ देखा और अपनी जगह से खड़ा हो गया। वही श्रेष्ठ के कानों में समर्थ की बातें ही घूम रही थी।

"तुमने ही उसका खून किया है।"

साथ ही उसे ख्वाब की बातें भी सुनाई दे रही थी। 

"तुम ही मेरे खूनी हो।" 

यह सब कुछ सुनकर श्रेष्ठ ने अपने कानों पर हाथ रख दिया और वह जोर से चिल्लाने लगा। इस वक्त पहाड़ी पर कई सारी गाड़ियों की आवाज सुनाई पड़ी। समर्थ ने पलट कर देखा तो कई सारी पुलिस की गाड़ियां वहां पर पहुंच चुकी थी।

उसकी गाड़ियों को देखकर समर्थ दौड़ता हुआ पुलिस के पास आया। उसने सब कुछ पुलिस को साफ-साफ बता दिया। 

पुलिस ने समर्थ की तरफ देखते हुए कहा, "आप टेंशन मत लीजिए हम मिसेज दीवान को जल्दी ढूंढ लेंगे।" 

इतना कहकर वह अपनी बचाव टीम के साथ पहाड़ी के नीचे के इलाके की तरफ चले गए। अभी अंधेरा होने में टाइम था। और वह लोग ऊपर से ख्वाब का पता नहीं लगा सकते थे।

श्रेष्ठ ने अपनी खाली आंखों से खाई की तरफ देखा। और वह भी अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया। 

उसने पुलिस के पास जाकर उसका कॉलर खींचकर चिल्लाते हुए कहा, "उसे कुछ नहीं होना चाहिए।"

श्रेष्ठ के इस तरह से कॉलर खींचने की वजह से पुलिस ने गुस्से से कहा, "देखिए मिस्टर दीवान आप इस तरह से ऑन ड्यूटी ऑफिसर पर हाथ नहीं उठा सकते।" 

पुलिस की बात सुनकर श्रेष्ठ ने चिल्लाते हुए कहा, "लगता है तुम्हें पता नहीं है कि मैं कौन हूं?"

श्रेष्ठ की बात सुनकर समर्थ गुस्से से श्रेष्ठ के पास आया। उसने श्रेष्ठ को पुलिस से दूर करके चिल्लाते हुए कहा, "आखिर तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है? तुम खुद को समझते क्या हो? भगवान? हर किसी पर अपना रोब झाड़ते हो। तुम्हें क्या लगता है तुम पैसे से सब कुछ खरीद सकते हो?" 

समर्थ की बात सुनकर श्रेष्ठ ने गुस्से से उसकी तरफ देखा। समर्थ ने उसे कंधे से हिला कर चिल्लाते हुए कहा, "अगर तुम पैसे से सब कुछ खरीद सकते हो तो अभी के अभी ख्वाब को वापस लाओ। अगर तुम ख्वाब को वापस ले आए तो मैं समझ जाऊंगा की दुनिया में तुमसे पावरफुल कोई नहीं है।"

समर्थ की बात सुनकर श्रेष्ठ चुप पड़ गया। क्योंकि उसके पास इस चीज का कोई जवाब नहीं था।

तभी उस पुलिस ऑफिसर के पीछे से दूसरे पुलिस ऑफिसर ने कहा, "सर हमने एक टीम को नीचे भेज दिया है। और हम लोग भी उनके साथ देने के लिए नीचे जा रहे हैं। हो सकता है कि हमें डेड बॉडी नीचे ही मिल जाए।"

श्रेष्ठ जो कि अपनी जगह पर गुस्से से खड़ा था। डेड बॉडी सुनकर उसने चिल्लाते हुए कहा, "मरी नहीं है वह। वह ऐसे नहीं मर सकती।" 

श्रेष्ठ की बात सुनकर पुलिस ऑफिसर डर गया। श्रेष्ठ ने गुस्से से कहा, "मैं भी उसे ढूंढने के लिए तुम लोगों के साथ आऊंगा।" 

श्रेष्ठ की बात सुनकर पुलिस वाले उसे रोकना चाहते थे पर श्रेष्ठ कहां किसी की सुनने वाला था। कुछ देर में सभी लोग पहाड़ी के नीचे जंगल में ख्वाब को ढूंढ रहे थे। श्रेष्ठ पागलों की तरह जंगल में चिल्ला रहा था। समर्थ भी उसकी हालत देखकर हैरान था।

वह लोग अभी झाड़ियां में यहां वहां ख्वाब को ढूंढ रहे थे पर उन्हें कुछ भी पता नहीं चल रहा था। समर्थ और करीब 50 से भी ज्यादा पुलिस वाले ख्वाब को लगातार ढूंढने में लगे थे। सभी लोग अब थक चुके थे क्योंकि पिछले तीन घंटे से वह लोग उसे ढूंढ रहे थे। अब अंधेरा भी होने को आया था पर ख्वाब का कुछ पता नहीं चल रहा था।

श्रेष्ठ एक डायरेक्शन में ख्वाब का नाम चिल्लाते हुए उसे ढूंढ रहा था। तभी उसे झाड़ियां में कुछ चमकती हुए चीज नजर आई। उसने ध्यान से देखा तो उसे वह क्या था यह ठीक से नजर आया।

उस चीज को वह कैसे नहीं पहचानता? आखिर वही तो पहले और आखिरी चीज थी जो उसने ख्वाब को दी थी, उसका मंगलसूत्र। झाड़ियां में ख्वाब का डायमंड का मंगलसूत्र चमक रहा था जिसे देखकर श्रेष्ठ दौड़ता हुआ उस डायरेक्शन में भाग गया।

समर्थ जो की श्रेष्ठ के पीछे ही था उसने जब श्रेष्ठ को उस डायरेक्शन में भागते हुए देखा तो वह चिल्लाने लगा। क्योंकि वहां पर काफी सारे कांटो से भरी हुई झाड़ियां थी। 

समर्थ ने चिल्लाते हुए कहा, "श्रेष्ठ रुको।" पर श्रेष्ठ उसकी बात नहीं सुन रहा था। उसकी आंखों के सामने तो ख्वाब का मंगलसूत्र ही नजर आ रहा था। उसके हाथों पर भी बुरी तरह से कांटे लग चुके थे पर उसे कोई फर्क नहीं पड़ा। श्रेष्ठ दौड़ता हुआ मंगलसूत्र के पास आया। उसने उसे अपने हाथ में लिया। उसे देखते ही उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। उसने धीरे से कहा, "ख्वाब।"

रात के 12:00 बजे दीवान मेंशन......

हर्षवर्धन दीवान अभी भी परेशानी से लिविंग रूम में बैठे हुए थे और चक्कर काट रहे थे। आज घर पर कोई सर्वेंट भी नहीं सोए थे। क्योंकि सभी लोग जानते थे कि ख्वाब लापता है। हर्षवर्धन दीवान को अभी तक यह बात नहीं पता थी कि ख्वाब कहां गई है? उनके दिल में कहीं ना कहीं उम्मीद थी की श्रेष्ठ ख्वाब को ढूंढ कर ले आएगा।

वह भी यह सब सोच ही रहे थे कि तभी लिविंग रूम का दरवाजा खुला। दरवाजा खुलने की आवाज सुनते ही हर्षवर्धन दीवान ने पलट कर देखा तो दरवाजे पर उन्हें श्रेष्ठ नजर आया। जिसके कपड़े मिट्टी से सने हुए थे। और उसकी हालत भी ठीक नहीं लग रही थी। 

उसके हाथों पर और पैरों पर चोट के निशान थे। जो की जंगल में ख्वाब को ढूंढते हुए लगे थे। श्रेष्ठ को देखकर हर्षवर्धन दीवान दौड़ते हुए उस तरफ गए। 

वही श्रेष्ठ अपनी ही दुनिया में खोया हुआ था और धीमे कदमों से घर के अंदर आ रहा था। उसके हाथ में अभी भी वह डायमंड का मंगलसूत्र था और वह उसे ही देख रहा था।

हर्षवर्धन दीवान जल्दी से उसके पास आ गए। उन्होंने श्रेष्ठ को कंधे से पकड़ कर हिलाते हुए कहा, "ख्वाब कहां है?"

श्रेष्ठ जो कि अपनी ही दुनिया में खोया हुआ था। अपने पिता की आवाज सुनकर उसने अपना चेहरा ऊपर उठा कर देखा तो श्रेष्ठ की आंखें रोने की वजह से लाल हो गई थी और इस वक्त उसकी आंखों में दर्द नजर आ रहा था। जिसे देखकर हर्षवर्धन दीवान ने घबराते हुए कहा, "हमने पूछा ख्वाब कहां है श्रेष्ठ?"

हर्षवर्धन दीवान की बात सुनकर श्रेष्ठ ने लड़खड़ाती जुबान में कहा, "वह कूद गई। वह कूद गई।"

श्रेष्ठ ने इतना कहा ही था कि हर्षवर्धन दीवान ने चिल्लाते हुए कहा की, "क्या बकवास कर रहे हो? हमारी ख्वाब कहां है? क्या किया तुमने हमारी बच्ची के साथ? हमने तुम्हें उसे लाने के लिए भेजा था ना बोलो श्रेष्ठ।"

हर्षवर्धन दीवान की बात को सुनकर श्रेष्ठ ने चिल्लाते हुए कहा, "वह मेरे सामने पहाड़ी से नीचे कूद गई। उसने कहा कि वह मेरी वजह से मर रही है। पर मैंने कुछ नहीं किया। सच में डैड।"

श्रेष्ठ ने इतना कहा ही था कि हर्षवर्धन दीवान ने एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर मार दिया। श्रेष्ठ का गाल एक साइड झुक गया और वह हैरानी से अपने पिता की तरफ देखने लगा।

हर्षवर्धन दीवान ने उसको कॉलर से पकड़कर झंझोड़ते हुए कहा, "क्यों श्रेष्ठ? क्या बिगाड़ा था हमारी बच्ची ने तुम्हारा? तुमने उससे उसकी जिंदगी छीन ली।" 

उन्होंने इतना कहा ही था कि उनका ध्यान श्रेष्ठ के हाथ में पकड़े मंगलसूत्र पर गया। जिसे देखते ही उनकी आंखों में नफरत नजर आने लगी।

उन्होंने उसके हाथों से मंगलसूत्र छीन कर चिल्लाते हुए कहा, "यह हमारी बच्ची के गले का फांसी का फंदा था। जिसने आज उसकी जान ले ली।" इतना कहकर उन्होंने मंगल सूत्र को तोड़कर जमीन पर फेंक दिया।

वही श्रेष्ठ ने जब देखा कि मंगलसूत्र के मोती पूरे फर्श पर बिखर गए हैं। वह जमीन पर बैठकर पागलों की तरह उन्हें समेटने लगा। 

वही उसे देखकर हर्षवर्धन जी ने हंसते हुए कहा, "इन्हें समेट कर क्या करोगे? जब तुमने हमारी ख्वाब को इस कदर तोड़ दिया कि आज उसने अपनी जिंदगी से हार मान ली।"

हर्षवर्धन दीवान की बात सुनकर श्रेष्ठ जो की पागलों की तरह मंगलसूत्र के मोती जमा कर रहा था। उसने अपना चेहरा ऊपर उठाकर उनकी तरफ देखा। हर्षवर्धन दीवान ने हंसते हुए कहा, "हमारी बेटी को तुमने प्रॉस्टिट्यूट बनने के लिए कहां था ना? याद करो श्रेष्ठ।"

हर्षवर्धन दीवान की बात सुनकर श्रेष्ठ की आंखों से लगातार आंसू बहने लगे। उसके दिमाग में कुछ पुरानी बातें घूमने लगी।

फ्लैशबैक (कंटिन्यू स्टोरी)

श्रेष्ठ की बात ख्वाब के कानों में गूंज रही थी। "तुम एक कॉल गर्ल बन जाओ।" उसकी आंखों से पानी की तरह आंसू बह रहे थे। वही हर्षवर्धन दीवान ने जब ख्वाब की हालत देखी तो उनकी आंखों में भी आंसू आ गए।

उन्होंने श्रेष्ठ की तरफ देख कर गुस्से से कहा, "श्रेष्ठ कम से कम थोड़ी तो शर्म लिहाज रख लो। बीवी है तुम्हारी। तुम ऐसा भी कैसे कर सकते हो उसके साथ?"

हर्षवर्धन दीवान की बात सुनकर श्रेष्ठ ने हंसते हुए कहा, "मिस्टर दीवान भूलिए मत आपने अपनी प्रॉपर्टी के शेयर्स मेरे नाम ट्रांसफर करने से पहले सिर्फ यह शर्त रखी थी कि मुझे इसके साथ शादी करनी है और मैं इसे खुद डिवोर्स नहीं दे सकता। इसके साथ कैसे बिहेव करना है? कैसे रहना है? यह आप मुझे नहीं बताएंगे। और अब आप मुझे प्रॉपर्टी को लेकर धमकी भी नहीं दे सकते क्योंकि अब सब कुछ मेरे हाथ में है, मिस्टर दीवान।" 

श्रेष्ठ की बात सुनकर हर्षवर्धन दीवान को खुद पर गुस्सा आने लगा। श्रेष्ठ को शादी के लिए राजी करने के लिए उन्होंने शादी के वक्त पर अपनी प्रॉपर्टी के 80% शेयर्स श्रेष्ठ के नाम कर दिए थे। अब उनके पास सिर्फ 20 परसेंट शेयर्स थे। इसलिए वह चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते थे।

उन्होंने ख्वाब की तरफ देखा और उसे कंधों से पकड़कर खड़ा करके उसकी आंखों में देखते हुए कहा, "हमें माफ कर दीजिए ख्वाब। हमें नहीं पता था कि यह हैवान आपकी ऐसी हालत कर देगा। हमें लगा था कि आपके साथ इसकी शादी करकर हम इसे सुधार देंगे। पर हम गलत थे। आपको इस जानवर के साथ रहने की कोई जरूरत नहीं है। हमने आपको अपनी बेटी माना है। आप हमारे साथ चलिए।" 

इतना कहकर उन्होंने ख्वाब का हाथ पकड़ा। ख्वाब ने अपनी खाली आंखों से उनकी तरफ देखा और उनके हाथों से अपना हाथ खींचते हुए कहा, "नहीं अंकल।"

ख्वाब की बात सुनकर हर्षवर्धन जी ने कहा, "ख्वाब।" 

उन्होंने इतना कहा ही था कि ख्वाब ने कहा, "अब यही मेरा घर है। आपने उनके साथ मेरी शादी कराई थी। चाहे यह मेरे साथ कैसे ही बर्ताव क्यों ना करें? मैं उनके साथ ही रहूंगी।"

ख्वाब की बात सुनकर श्रेष्ठ हंसने लगा। उसने हंसते हुए कहा, "मिस्टर दीवान अभी-अभी इसको पता चला है कि आपकी प्रॉपर्टी लगभग अब पूरी की पूरी मेरे पास है। इसलिए अब इसे लग रहा है अब तो आप बूढ़े हो चुके हैं और प्रॉपर्टी भी अब आपके पास कम है। इसलिए यह चाहती है कि यह मेरे पास रहकर मुझे अपने हुस्न के जाल में फंसा कर मेरी प्रॉपर्टी को अपना बना ले। यही प्लान है ना तुम्हारा।"

ऐसा कहते हुए श्रेष्ठ ने घिन भरी नजरों से ख्वाब की तरफ देखा।

हर्षवर्धन दीवान ने ख्वाब की तरफ देखते हुए कहा, "पर ख्वाब।"

उन्होंने इतना कहा ही था कि ख्वाब ने उनकी तरफ देखते हुए कहा, "अंकल आपको हम पर भरोसा है ना।" 

हर्षवर्धन दीवान ने ख्वाब की तरफ देखा। जिसकी आंखों में उन्हें कुछ और ही नजर आ रहा था। उन्होंने बस अपना सिर हिला दिया। 

ख्वाब ने उनके हाथों को अपने हाथ में लेकर अपने दर्द को कंट्रोल करके डिटरमिनेशन भरी आवाज में कहा, "हम आपसे वादा करते हैं अंकल। हम इस रिश्ते को दिल से निभाएंगे। और एक ना एक दिन इन्हें भी एहसास करवा कर ही रहेंगे कि यह जो कुछ भी कर रहे हैं। वह गलत है। आप बस हम पर भरोसा रखिए। आप हम पर भरोसा करेंगे ना।" 

श्रेष्ठ जो कि उन दोनों की बातें सुन रहा था। उसने हंसते हुए कहा, "सीरियसली, तुम्हें लगता है कि तुम मुझे बदल दोगी। तो अपने कान खोल कर सुन लो ख्वाब चौहान। श्रेष्ठ सिंह दीवान को ना कोई बदल पाया था ना ही कोई बदल पाएगा। इसलिए तुम सपने देखना बंद करो।" इतना कहकर श्रेष्ठ तेजी से वहां से चला गया।

वही उसे जाते हुए देख कर हर्षवर्धन दीवान ने ख्वाब से कहा, "ख्वाब हमें माफ कर दीजिए। हमने आपकी जिंदगी बर्बाद कर दी।"

हर्षवर्धन दीवान की बात सुनकर ख्वाब ने उनकी आंखों में देख कर मुस्कुराते हुए कहा, "शायद हमारी किस्मत में ही यह लिखे हुए थे।"

ऐसा कहते हुए उसने दर्द भरी नजरों से सीढ़ियों से ऊपर जा रहे श्रेष्ठ की तरफ देखा।

क्या ख्वाब बदल पाएगी श्रेष्ठ को? और क्या हर्षवर्धन दीवान मानेंगे ख्वाब की बात? जानने के लिए बने रहिए मेरे साथ।