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Chapter 3 - first meeting with khwab

हर्षवर्धन जी की बात सुनकर श्रेष्ठ के चेहरे पर हद से ज्यादा गुस्सा नजर आने लगा। उसने चिल्लाते हुए कहा, "आप जैसा इंसान मैंने अपनी लाइफ में नहीं देखा। आप जानते हैं कि उस शिवम से मैं कितनी नफरत करता हूं। फिर भी आप मेरी मेहनत की कमाई कमिने के नाम करना चाहते हैं। आप जैसा इंसान मेरा बाप है। मुझे शर्म आती है आप जैसे आदमी को मेरा बाप कहने में। मेरा कोई बाप होने से अच्छा था कि मैं अनाथ होता। और क्या कहा आपने? आपकी पसंद की लड़की से शादी। ओह रियली मिस्टर दीवान आपको लगता है कि मैं आपकी पसंद की लड़की से शादी करूंगा। तो ये ख्वाब आपका कभी पूरा नहीं होगा। इसलिए बस सपने देखते रहिए पर ये बात याद रखिएगा कि सपनों का सच से कोई वास्ता नहीं होता।"

इतना कहते हुए श्रेष्ठ गुस्से से सीढ़ियों से ऊपर जाने लगा। उसकी बात सुनकर हर्षवर्धन जी ने अपनी आंखें बंद की और खुद से कहा, "आई एम सॉरी श्रेष्ठ पर तुम्हें सुधारने के लिए मुझे ये कड़ा कदम उठाना ही होगा।"

उन्होंने चिल्लाते हुए कहा, "श्रेष्ठ तुम्हारे पास बस आज रात का टाइम है। अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी तो मैं कल ही वकील को बुलाकर अपनी सारी प्रॉपर्टी शिवम के नाम कर दूंगा। मैं जानता हूं कि तुम इतने काबिल हो कि खुद के मुकाम पर ऐसी हजारों कंपनियां खड़ी कर सकते हो पर मुझे यकीन है कि तुम अपनी मेहनत की कमाई शिवम के हाथ में नहीं जाने दोगे।"

इतना कहते हुए हर्षवर्धन जी चुप हो गए। वही श्रेष्ठ जो कि ऊपर जा रहा था उसके हाथ की मुट्ठी बन गई। उसने गुस्से से अपनी आंखें बंद की और तेजी से ऊपर अपने रूम में चला गया।

हर्षवर्धन जी श्रेष्ठ की पीठ को देख रहे थे। उन्होंने खुद से कहा, "तुम समझते क्यों नहीं हो श्रेष्ठ? मैं जो कुछ भी कर रहा हूं तुम्हारी भलाई के लिए कर रहा हूं। कब तक इस तरह से अय्याशियों में अपनी जिंदगी बर्बाद करते रहोगे? तुम्हें आज समझ नहीं आ रहा है कि तुम किस रास्ते पर जा रहे हो पर तुम्हें ये रास्ता सिर्फ बर्बादी की तरफ लेकर जा रहा है मेरे बच्चे।"

इतना कहते हुए हर्षवर्धन जी ने अपनी आंखें बंद की और गहरी सांस लेकर सीढ़ियों से ऊपर अपने रूम की तरफ जाने लगे। अपने रूम की तरफ जाते हुए वो एक रूम के सामने आकर रुक गए।

वही श्रेष्ठ गुस्से से अपने रूम में आ गया। इस वक्त वो बहुत ही ज्यादा गुस्से में था। उसने अपने रूम का सामान जमीन पर उठाकर पटक कर चिल्लाते हुए कहा, "मिस्टर दीवान आप मुझे इस तरह से ब्लैकमेल नहीं कर सकते। ये सारी प्रॉपर्टी मेरी है। मेरी मेहनत की कमाई और शिवम के हाथ में अपनी मेहनत की कमाई का ₹1 नहीं लगने दूंगा। चाहे मुझे कुछ भी क्यों ना करना पड़े? 

इतना कहते हुए श्रेष्ठ गुस्से से पूरे रूम को तहस नहस कर रहा था। कुछ ही देर में उसने पूरे रूम को कबाड़ खाना बना दिया था।

वहीं दूसरी तरफ,

हर्षवर्धन जी गहरी सांस लेकर दरवाजे के सामने खड़े थे। उन्होंने दरवाजा खोला तो अंदर से उन्हें किसी के सिसकने की आवाज सुनाई दी। उन्होंने धीमी आवाज में कहा, "ख्वाब।"

उनकी आवाज सुनते ही बेड पर एक लड़की जो कि पेट के बल लेट कर पिलो में अपना चेहरा छुपा कर रो रही थी। उसने अपना चेहरा ऊपर उठा कर देखा।

उसकी काली आंखें इस वक्त आंसुओं से भरी हुई थी। ख्वाब को इस हालत में देख कर हर्षवर्धन जी को अपने दिल में दर्द महसूस हुआ। वो जल्दी से उसके पास बेड पर आकर बैठ गए। 

उन्होंने ख्वाब के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, "बच्चे क्यों रो रही हो? हमने आपसे कहा ना सब कुछ ठीक हो जाएगा। क्या आपको हम पर भरोसा नहीं है?"

हर्षवर्धन जी की बात सुनकर ख्वाब ने आँसू भरी आंखों से उनकी तरफ देखा और जल्दी से उनके गले से लिपट गई। हर्षवर्धन जी ने भी उसे अपने सीने से लगा लिया। 

ख्वाब ने रोते हुए कहा, "अंकल मुझे सिर्फ अब आप पर ही भरोसा है। पापा ने कहा था कि मुझे आपकी सारी बातें माननी है।"

ख्वाब की बात सुनकर हर्षवर्धन जी ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, "तो बेटा जो बात हमने आपसे कही थी आपने उस बारे में सोचा? क्या आप शादी के लिए तैयार हैं?" 

हर्षवर्धन जी की बात सुनकर ख्वाब की पकड़ उन पर मजबूत हो गई। उसने अपनी आंखें बंद की तो उसकी आंखों के सामने एक हैंडसम से लड़के का चेहरा नजर आया। 

उसने मन ही मन खुद से कहा, "आई एम सॉरी।"

इतना कहकर उसने अपनी आंखें खोली और कहा, "मैं शादी के लिए तैयार हूं अंकल।"

ख्वाब की बात सुनकर हर्षवर्धन जी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। उन्होंने प्यार से कहा, "हम खुश है कि आपने हमारी बात समझी। आप अब रोना बंद कीजिए क्योंकि आप रोते हुए बिल्कुल भी प्यारी नहीं लगती। आपके पापा अगर आपको इस तरह से रोते हुए देखेंगे तो उन्हें भी तकलीफ होगी। और आप चाहती है ना कि वो आपको खुश देख कर खुद भी खुश हो। इसलिए अब एक बड़ी सी मुस्कुराहट के साथ हमारी तरफ देखिए।"

हर्षवर्धन जी की बात सुनकर ख्वाब एक नकली मुस्कुराहट के साथ उनकी तरफ देखने लगी। हर्षवर्धन जी भी समझ सकते थे कि इस वक्त ख्वाब कितनी ज्यादा टूटी हुई है। 

उन्होंने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, "हम जानते हैं कि इस वक्त आप क्या महसूस कर रही है पर हम खुद से वादा करते हैं। हम आपको अपनी बेटी की तरह रखेंगे।" इतना कहते हुए उन्होंने ख्वाब को अपने सीने से लगा लिया।

दूसरी तरफ श्रेष्ठ के रूम में

श्रेष्ठ ने गुस्से में पूरे रूम को तहस-नहस कर दिया था। और इस वक्त अपने हाथ में एक वाइन की बोतल लेकर वो ड्रिंक कर रहा था। गुस्से से उसने खुद से चिल्लाते हुए कहा, "मिस्टर दीवान आपको क्या लगता है, आप श्रेष्ठ सिंह दीवान को झुकाएंगे वो भी अपने सामने? कभी भी नहीं। श्रेष्ठ सिंह दीवान कभी किसी के सामने ना झुका है और ना झुकेगा।"

श्रेष्ठ ने चिल्लाते हुए ऐसा कहा और शराब की बोतल को जमीन पर पटक दिया। इस वक्त उसका मोबाइल जो की टेबल पर रखा हुआ था वो जोर-जोर से बजने लगा। 

श्रेष्ठ ने गुस्से से उस मोबाइल की तरफ देखा। कुछ देर तक तो उसने कॉल नहीं उठाया पर जब मोबाइल कंटिन्यू बजता रहा तो श्रेष्ठ ने तंग आकर कॉल उठाकर चिल्लाते हुए कहा, "अगर बेफिजूल में कॉल किया होगा तो मैं तुम्हारी जान ले लूंगा।" 

श्रेष्ठ की आवाज सुनकर दूसरी तरफ उसका असिस्टेंट समर्थ जो कि उसे कॉल कर रहा था वो बुरी तरह से डर गया। पर फिर भी उसने खुद को संभालते हुए कहा, "श्रेष्ठ सर वो मुझे आपको एक इंपॉर्टेंट बात बतानी थी।"

समर्थ की बात सुनकर श्रेष्ठ ने चिल्लाते हुए कहा, "बकवास बंद करो और सीधे मुद्दे की बात पर आओ।" 

श्रेष्ठ की बात सुनकर दूसरी तरफ से समर्थ ने घबराते हुए कहा, "सर जो प्रोजेक्ट्स आप हैंडल कर रहे थे, वो सारे हर्षवर्धन सर ने अपने हाथ में ले लिए हैं।"

समर्थ की बात सुनकर श्रेष्ठ का गुस्सा और भी ज्यादा बढ़ गया। उसने चिल्लाते हुए कहा, "क्या बकवास कर रहे हो? वो ऐसा कैसे कर सकते है?" 

श्रेष्ठ की बात सुनकर समर्थ ने कहा, "सर कंपनी के 80% के शेयर होल्डर हर्षवर्धन सर है और वो फैसले ले सकते है। जहां तक मुझे सुनने में आया है, हर्षवर्धन सर आपके चाचा जी के बेटे शिवम को सीईओ बनाना चाहते हैं। मुझे नहीं पता कि ये बात कितनी सच है और कितनी झूठ? पर अगर ऐसा हुआ तो सब बर्बाद हो जाएगा।"

समर्थ की बात सुनकर श्रेष्ठ की पकड़ अपने फोन पर मजबूत हो गई। गुस्से से इस वक्त उसकी आंखें खून की तरह लाल हो गई। उसने बिना कुछ कहे अपना मोबाइल उठाकर जमीन पर पटक कर चिल्लाते हुए कहा, "हर्षवर्धन दीवान बहुत शौक है ना आपको अपनी मनमानी करने का? तो अब आप देखेंगे कि मैं क्या कर सकता हूँ" 

ऐसा कहते हुए श्रेष्ठ गुस्से से रूम से बाहर आ गया। बाहर आकर कॉरिडोर में उसने एक सर्वेंट की तरफ देख कर चिल्लाते हुए कहा, "मिस्टर दीवान कहां है?" 

श्रेष्ठ की बात सुनकर वो सर्वेंट बहुत ही ज्यादा डर गई। उसने डरते हुए ख्वाब के रूम की तरफ इशारा किया। श्रेष्ठ तेजी से गेस्ट रूम की तरफ अपने कदम बढ़ाने लगा। इस वक्त उसकी आंखें ड्रिंक करने की वजह से लाल हों गई थी।

श्रेष्ठ ने गुस्से से गेस्ट रूम का दरवाजा जोर की आवाज के साथ खोला और अंदर आ गया। वहीं अंदर हर्षवर्धन जी जो कि ख्वाब को प्यार से समझ रहे थे। दरवाजा खुलने की आवाज सुनकर उन्होंने पलट कर देखा। 

श्रेष्ठ को देख कर उनके चेहरे पर गुस्सा नजर आने लगा। वही ख्वाब जो कि रो रही थी उसने भी अपना चेहरा ऊपर उठकर श्रेष्ठ की तरफ देखा। उसका चेहरा आंसुओं से भीगा हुआ था पर इस वक्त भी वो बहुत ही ज्यादा प्यारी लग रही थी। 

वही श्रेष्ठ जो कि गुस्से से रूम में आया था। उसने जैसे ही हर्षवर्धन जी की बगल में उस लड़की को देखा तो उसके चेहरे के एक्सप्रेशन चेंज हो गए । वो इतनी खूबसूरत थी की श्रेष्ठ उसे अजीब नज़रों से घूर रहा था। 

क्या ख्वाब को देखने के बाद, श्रेष्ठ मानेगा इस शादी के लिए? और क्या चल रहा है हर्षवर्धन जी के दिमाग में? कौन है ख्वाब? इन सभी सवालों का जवाब आपको जल्द ही मिलेगा।