ख्वाब हैरानी से रोते हुए जमीन पर ही पड़े हुए, बेड पर उसकी तरफ मुस्कुरा कर देख रहे श्रेष्ठ को देख रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा है? वही ख्वाब को इस तरह से जमीन पर गिरे हुए देख कर श्रेष्ठ ने मासूम सा चेहरा बनाते हुए कहा, "बीवी सॉरी, तुम तो जमीन पर गिर गई।" इतना कहकर वो बेड से उठकर खड़ा हो गया।
ख्वाब को अब श्रेष्ठ की हरकतें देख कर डर लग रहा था। इसलिए वो जमीन पर पड़े हुए ही पीछे की तरफ जाने लगी। उसे अपनी हथेली पर बहुत ही ज्यादा दर्द महसूस हो रहा था। बिच्छू के डंक की वजह से उसका हाथ उसे भारी लग रहा था। उसी के साथ उसकी कमर के दर्द की वजह से वो उठ भी नहीं पा रही थी। इस वक्त वो खुद को बहुत ही ज्यादा लाचार महसूस करते हुए पीछे की तरफ सरक रही थी।
ख्वाब को इस तरह से डरते हुए देख कर श्रेष्ठ ने उदासी भरी आवाज में कहा, "बीवी आई एम सॉरी, तुम मुझसे गुस्सा हो ना, इसलिए मुझसे दूर जा रही हो?" कहते हुए श्रेष्ठ घुटनों के बल ख्वाब के सामने बैठ गया।
श्रेष्ठ को देखकर ख्वाब को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करें? उसने रोते हुए श्रेष्ठ से कहा, "आप ऐसा क्यों कर रहे हो? हमने आपके साथ क्या गलत किया है?"
श्रेष्ठ ने ख्वाब की तरफ देखा और प्यार से कहा, "बीवी मैं मजाक कर रहा था। मुझे नहीं लगा था की तुम्हें इतनी चोट लग जाएगी। प्लीज मुझे माफ कर दो।" कहते हुए श्रेष्ठ ख्वाब की तरफ जाने लगा।
ख्वाब ने श्रेष्ठ की तरफ देखा तो उसका चेहरा इस वक्त सच में किसी इनोसेंट बच्चों की तरह लग रहा था। ख्वाब ने कहा, "प्लीज ऐसा मत कीजिए। हमें दर्द हो रहा है।"
ख्वाब की बात सुनकर श्रेष्ठ उसके पास आया। उसने ख्वाब का छोटा सा चेहरा अपने हाथ में भरते हुए कहा, "रोना बंद करो बीवी। तुम रोते हुए बहुत ही ज्यादा बुरी लगती हो। आई एम सॉरी ना बीवी। मैंने सॉरी बोला ना। क्या तुम मुझे माफ नहीं करोगी?"
श्रेष्ठ ने ख्वाब की आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए कहा।
ख्वाब की आंखें आंसुओं से भरी हुई थी। उसे हद से ज्यादा दर्द हो रहा था। दर्द की वजह से उसका चेहरा भी पीला पड़ता जा रहा था। उसने श्रेष्ठ की तरफ देखकर रोते हुए कहा, "हम आपको माफ कर देंगे। हमें डॉक्टर के पास लेकर चलिए। हमें बहुत दर्द हो रहा है। हम मर जाएंगे।"
ख्वाब की बात सुनकर श्रेष्ठ ने उसे अपने सीने से लगाते हुए कहा, "बीवी मैं तुम्हें ऐसे कैसे मरने दे सकता हूं? अभी अभी तो हमारी शादी हुई है। और तुम हो की मरने की बातें कर रही हो। बेड मैनर्स, अच्छी बच्ची बनो।"
ख्वाब को दर्द तो हो रहा था पर श्रेष्ठ के इस तरह से गले लगाने की वजह से उसे अच्छा लग रहा था। वो उसके सीने पर अपना सिर रखकर रो रही थी। कुछ देर बाद श्रेष्ठ ने ख्वाब का चेहरा खुद के सीने से हटाकर अपने हाथों में पकड़ा। उसने टेढ़ी नजरों से पलट कर अपने सीने की तरफ देखा तो उसकी शेरवानी ख्वाब के आंसुओं से गीली हो गई थी।
ये देख कर श्रेष्ठ का चेहरा अजीब सा हो गया। ख्वाब कुछ समझ पाती इससे पहले ही श्रेष्ठ ने उसे खुद से दूर धक्का दे दिया। ख्वाब दोबारा जमीन पर गिर गई। वो हैरानी से श्रेष्ठ की तरफ देखने लगी।
श्रेष्ठ ने गुस्से से कहा, "तुमने मेरी ब्रांडेड शेरवानी को खराब कर दिया वो भी अपने इन मगरमच्छ के आँसुओं से।" श्रेष्ठ की बात सुनकर ख्वाब हैरानी से उसकी तरफ देखने लगी।
उसे श्रेष्ठ किसी सनकी इंसान की तरह लग रहा था। जो पल भर में गिरगिट की तरह रंग बदल रहा था। पर उसकी कुछ कहने की हिम्मत नहीं हो रही थी। अब उसे श्रेष्ठ से सच में डर लग रहा था।
ख्वाब कुछ कहती इससे पहले ही श्रेष्ठ ने उसे बालों से पकड़कर खड़ा करते हुए कहा, "बहुत सपने देखे थे ना तूने अपनी सुहागरात को लेकर? कि किस तरह से तू मेरी बाहों में आएगी? मैं तुझे ढेर सारा प्यार करूंगा और तू पूरे दीवान अंपायर की मालकिन बनकर राज करेगी। यही सोचा था ना तूने, ख्वाब चौहान?"
ऐसा कहते हुए श्रेष्ठ नफरत भरी नजरों से ख्वाब की आंखों में देखने लगा।
ख्वाब जिसे अब तक श्रेष्ठ का बिहेवियर समझ नहीं आ रहा था। मगर इस वक्त वो श्रेष्ठ की नजरों में खुद के लिए नफरत साफ-साफ देख सकती थी। उसने डरते हुए कहा, "आप ये सब कुछ क्यों कर रहे हो?
ख्वाब की बात सुनकर श्रेष्ठ ने मुस्कुराते हुए कहा, "मैं ये सब क्यों कर रहा हूं?"
श्रेष्ठ ने ये सवाल बहुत ही ज्यादा नफरत भरी आवाज में रिपीट किया था। ख्वाब उसकी आंखों में देख रही थी। श्रेष्ठ उसका हाथ पकड़ कर उसे खींचता हुआ रूम के दरवाजे की तरफ ले जा रहा था ।
ख्वाब रोते हुए उसके साथ घसीटते हुए आ रही थी। क्योंकि श्रेष्ठ काफी तेज चल रहा था। और वो उसके कदम से कदम नहीं मिल पा रही थी। और ऊपर से उसकी कमर में भी मोच आ गई थी जिसकी वजह से उसे हद से ज्यादा दर्द हो रहा था।
श्रेष्ठ ने ख्वाब को दरवाजे के पास लाकर दीवार से सटा दिया। ख्वाब डरी हुई नजरों से श्रेष्ठ की तरफ देख रही थी। अब उसे अपने हाथ में और कमर में और भी ज्यादा दर्द होने लगा।
श्रेष्ठ ने उसके पास आकर उसके इर्द गिर्द दीवार पर अपने दोनों हाथ रख कर दांत पीसते हुए कहा, "ये सवाल उस आदमी से पूछना जिसने तुम्हारे जैसी दो कौड़ी की मिडिल क्लास लड़की, जिसकी औकात खुद का पेट पालने तक कि नहीं है, उसे मेरे गले बांध दिया हैं। उस आदमी से ये सवाल पूछना कि मैं तुम्हारे साथ ये सब कुछ क्यों कर रहा हूं? आई होप तुमने मेरे साथ अपनी सुहागरात एंजॉय की होगी, बीवी।"
कहते हुए श्रेष्ठ ने दूसरे हाथ से दरवाजा खोला और ख्वाब को जोर से धक्का देकर दरवाजे के बाहर निकाल दिया। ख्वाब दोबारा खुद को नहीं संभाल पाई और सीधा दरवाजे के बाहर गिर गई। इस बार उसे पहले से भी ज्यादा जोर से लगी थी। इस बार वो बच्चों की तरह फूट-फूट कर रोने लगी क्योंकि अब दर्द उसकी बर्दाश्त से बाहर था।
श्रेष्ठ ने ख्वाब की तरफ घिन भरी नजरों से देखा। और फिर तिरछा मुस्कुराते हुए कहा, "बीवी हमारी सुहागरात और तुम्हारी मुँह दिखाई के गिफ्ट के बारे में अपने प्यारे ससुर जी को जरूर बताना। बाय-बाय बीवी।"
इतना कहकर श्रेष्ठ ने जोर की आवाज के साथ दरवाजा बंद कर दिया। ख्वाब किसी कचरे की तरह उसके दरवाजे के बाहर पड़ी हुई थी। उसके रोने से श्रेष्ठ को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।
ख्वाब की रोने की आवाज सुनकर एक नौकरानी जो की सीढ़ियों से ऊपर आ रही थी। वो दौड़ते हुए कॉरिडोर की तरफ भागने लगी। जैसे ही उसने श्रेष्ठ के दरवाजे के बाहर ख्वाब को इस तरह से जमीन पर पड़े हुए देखा तो वो घबराते हुए ख्वाब के पास आ गई।
उसने ख्वाब को उठाने की नाकाम कोशिश करते हुए कहा, "छोटी मैडम क्या हुआ आपको? आप इस तरह से रूम के बाहर क्या कर रही है? और आप रो क्यों रही है?" उस नौकरानी ने घबराते हुए उससे ये पूछा।
ख्वाब ने अपनी आँसू भरी आंखों से उस नौकरानी की तरफ देखा। उसका नाम ममता था। ख्वाब पिछले एक हफ्ते से यही रह रही थी। जिस वजह से वो ममता को जानती थी।
उसने अपनी अटकती हुई आवाज में गहरी सांस लेते हुए कहा, "ममता दीदी वो उन्होंने हमें रूम से निकाल दिया।" इतना कहकर ख्वाब जोर-जोर से रोने लगी।
ख्वाब को इस तरह से टूट कर रोते हुए देख कर ममता का दिल बुरी तरह से दुखने लगा। ममता की उम्र 45 साल थी। उसने ख्वाब की तरफ देख कर उसे अपने सीने से लगाते हुए कहा, "छोटी मैडम रोना बंद कीजिए। और आप इतना काँप क्यों रहीं हैं? क्या हुआ है मुझे बताइये?"
ख्वाब ने रोते हुए कहा, "वो हमें बिच्छू ने काट लिया।" कहते हुए ख्वाब अपना हाथ उठाने की कोशिश करने लगी पर उसका हाथ उसे पहले से भी ज्यादा भारी महसूस हो रहा था।
ममता ने उसके हाथ की तरफ देखा तो उसका हाथ बुरी तरह से सूज चुका था। ये देखकर ममता घबरा गई। उसने ख्वाब को उठाने की कोशिश की तो ख्वाब के मुंह से एक जोरदार चीख निकल गई। क्योंकि उसकी कमर भी काफी ज्यादा दर्द कर रही थी। ममता समझ गई की ख़्वाब की कमर में मोच आ गई है।
ममता को कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसने ख्वाब को जमीन पर बैठाते हुए कहा, "मैडम आप शांत हो जाइए। मैं किसी को मदद के लिए बुलाती हूं। आप प्लीज रोइए मत। आपकी तबीयत और खराब हो जाएगी।"
ऐसा कहते हुए ममता दौड़ते हुए किसी को मदद के लिए बुलाने चली गई। वही ख्वाब जमीन पर पड़ी हुई अभी भी रो रही थी। उसने आँसू भरी आंखों से दरवाजे की तरफ देखा।
उसे याद आ रहा था कि किस तरह से वो अपनी सुहागरात की सेज पर श्रेष्ठ का इंतजार करते हुए बैठी हुई थी। उसने कभी नहीं सोचा था कि उसकी शादी की पहली रात उसके लिए किसी नाइट मेयर की तरह डरावनी बन जाएगी।
उसने अपनी आँखें बंद की तो उसकी आंखों के सामने उसकी फ्रेंड अमायरा की बातें घूमने लगी। अमायरा ने उससे कहा था।
"ख्वाब तू समझती क्यों नहीं है? अमीर घर के लड़कों को हम जैसी मिडिल क्लास लड़कियों से कोई मतलब नहीं होता। उन्हें तो अपनी तरह ही हाई सोसाइटी की वेल मेंटेन, और मॉडर्न लड़कियां ही पसंद आती है। और सिर्फ एक मजबूरी और एक वादे को पूरा करने के लिए तू अपनी ज़िन्दगी इस तरह दांव पर मत लगा। ख्वाब मेरी बात समझ। मत कर ये शादी।"
ये सब कुछ सोचते हुए ख्वाब जोर जोर से रोने लगी। उसने रोते हुए कहा, "तूने सही कहा था अमायरा। आज मेरा हकीकत से सामना हो चुका है। हम सिर्फ अमीरों की गुलामी करने के लिए होते हैं। मगर मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था।" ऐसा कहते हुए ख्वाब जोर जोर से रोने लगी।
अब तक ममता भी दो सर्वेंट के साथ ख्वाब के पास आ गई थी। उन्होंने जैसे तैसे करके ख्वाब को सहारा दिया और उसे लेकर दूसरे रूम में गए। ये श्रेष्ठ का प्राइवेट विला था। उसने शादी से पहले ही हर्षवर्धन दीवान के सामने ये शर्त रख दी थी कि वो शादी के बाद दीवान मेंशन में नहीं रहेगा। इसलिए इस वक्त हर्षवर्धन दीवान यहां पर मौजूद नहीं थे।
ख्वाब अभी भी रो रही थी क्योंकि अब दर्द उसकी बर्दाश्त से बाहर हो चुका था। उसकी हालत देखकर घर के सर्वेंट को भी रोना आ रहा था। ममता ने कॉल करके डॉक्टर को घर आने के लिए बुला लिया था।
श्रेष्ठ का रूम
श्रेष्ठ अपने रूम में अपने हाथ में बीयर की बोतल लेकर लगातार बियर पी रहा था। उसकी आंखें इस वक्त खून की तरह लाल हो गई थी। उसका पूरा रूम बिखरा हुआ था। उसने बेड पर रखी हुई बेडशीट और रूम के सारे फूलों को बेदर्दी से जमीन पर फेंक दिया था।
उसने गुस्से से चिल्लाते हुए कहा, "हर्षवर्धन दीवान बहुत शौक है ना मुझे सुधारने का। अब देखना जिस लड़की को मुझे सुधारने के लिए आपने मेरे गले से बंधा है ना अगर वो खुद इस रिश्ते को तोड़कर मुझसे दूर ना चली गई तो ये वादा है श्रेष्ठ सिंह दीवान का खुद से। उसे इस कदर तोड़ दूंगा कि वो दोबारा कभी मेरी तरफ आंख उठा कर देखने की भी हिम्मत नहीं करेगी। वो हर दिन कोसेगी की उसने क्यों मुझसे शादी के लिए हां कहीं। आपने कहा था ना कि मैं इस रिश्ते को नहीं तोड़ सकता। जो कि आपने जबरदस्ती मेरे गले से बांधा है, तो कोई बात नहीं। आपकी वो ख्वाब जिस पर आपको बहुत ज्यादा भरोसा है। वो खुद ही ये रिश्ता तोड़ेगी।" इतना कहकर श्रेष्ठ जोर-जोर से हंसने लगा।
श्रेष्ठ हंस रहा था। तभी उसके बेड पर रखा हुआ मोबाइल बजने लगा। उसने टेढ़ी नजरों से मोबाइल पर फ्लैश हो रहे नाम को देखा और कॉल उठा लिया।
दूसरी तरफ से किसी ने सेडक्टिव आवाज में कहा, "श्रेष्ठ डार्लिंग कहां हो तुम? आज तो तुम्हारी शादी हो गई है ना तो लगता हैं की तुम मुझे भूल गए।"
दूसरी तरफ श्रेष्ठ की गर्लफ्रेंड सनाया थी। सनाया की बात सुनकर श्रेष्ठ ने गुस्से से कहा, "अपनी औकात मत भूलो सनाया। मैंने तुम्हें अपने पर्सनल मामले में बोलने का हक नहीं दिया है। तुम बस मेरी रखैल हो।" श्रेष्ठ ने ये चिल्लाते हुए कहा।
वही उसकी बात सुनकर सनाया जो की कॉल के दूसरी तरफ थी। गुस्से से उसकी पकड़ फोन पर टाइट हो गई पर उसने कुछ नहीं कहा। उसने माफी मांगते हुए कहा, "आई एम सॉरी श्रेष्ठ। क्या तुम क्लब नहीं आ रहे हो आज?"
सनाया की बात सुनकर श्रेष्ठ ने कहा, "आई एम कमिंग।" इतना कहकर बिना सनाया की कोई बात सुने श्रेष्ठ ने कॉल कट कर दिया।
कुछ ही देर में श्रेष्ठ ने अपने कपड़े चेंज कर लिए थे। उसने एक सिंपल सी ब्रांडेड ब्लैक कलर की शर्ट और नीचे ब्लू कलर का जींस डाला हुआ था। वो तेजी से रूम से बाहर निकाला। वो कॉरिडोर से नीचे जा ही रहा था कि तभी उसे सीढ़ियों से ऊपर आ रहे डॉक्टर नजर आए। उन्हें देख कर श्रेष्ठ की आंखें गहरी हो गई।
श्रेष्ठ को देखकर डॉक्टर ने श्रेष्ठ को ग्रीट करते हुए कहा, "आप कहां जा रहे हैं मिस्टर दीवान? आज तो आपकी शादी हुई है ना।"
ये श्रेष्ठ के फैमिली डॉक्टर थे। उनका नाम डॉक्टर अभिनव शुक्ला था। अभिनव की बात सुनकर श्रेष्ठ ने मुस्कुराते हुए कहा, "हां शादी हुई है पर मुझे मेरी बीवी कुछ खास पसंद नहीं आई इसलिए मैं बाहर सुहागरात मनाने के लिए जा रहा हूं। वो क्या है ना, मैंने सुना था की कोई भी रस्म आधी अधूरी नहीं छोड़नी चाहिए।"
श्रेष्ठ की बात सुनकर डॉक्टर अभिनव शुक्ला की आंखें हैरानी से बड़ी हो गई। वो कुछ कहते इससे पहले ही श्रेष्ठ ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम यहां पर मेरी बीवी का इलाज करने के लिए आए हो ना?"
श्रेष्ठ की बात सुनकर अभिनव शुक्ला कुछ कहता है इससे पहले ही श्रेष्ठ ने कहा, "जिन पैरों से चलते हुए आए हो उन्हीं पैरों से वापस चले जाओ। वरना हो सकता है कि तुम्हें चार कंधों की जरूरत पड़े।"
श्रेष्ठ ने ये बात डरावनी तरीके से कही थी। वही उसकी बात सुनकर अभिनव शुक्ला के माथे पर पसीना नजर आने लगा। उसके मुंह से कुछ निकल ही नहीं रहा था। श्रेष्ठ डरावनी सीटी बजाता हुआ वहां से नीचे चला गया।
वही अभिनव शुक्ला सीढ़ियों पर किसी मूर्ति की तरह खड़े होकर सोच रहे थे कि अब वो क्या करें? एक तरफ उनकी जान का सवाल था क्योंकि वो जानते थे की श्रेष्ठ किस तरह का इंसान है? और दूसरी तरफ किसी इंसान की जिंदगी का सवाल था।
क्या ख्वाब को मिल पाएगा इलाज? किस हद तक जाएगा श्रेष्ठ? क्या हर्षवर्धन जी को पता चलेगा श्रेष्ठ की हरकत के बारे में?