Chapter 4 - 4

मधु की आंखें बंद थी और हॉट खुले हुए थे उसे इंतजार था   इस बंजर पड़े वीरान रेगिस्तान पर वीर अपने सांसों की  बारिश से नमी भरदे ! पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ ! 

अचानक वीर की नजर मधु की हथेलियों पर पड़ी वहां पर चूड़ी के घुसने  से जो जख्म हो रखा था वीर थोड़ी सी कड़क आवाज में बोला " अरे मधु मैडम इतनी भी क्या जल्दी थी जो तुम्हें ऐसे दौड़े चले आए थे बिना दरवाजे को खटखटाऐ बिना "

मधु किसी दूसरी दुनिया में एक ही उसका सारा गुस्सा छूमंतर हो चुका था मैं कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं थी अचानक उसकी नजर वीर की दोनों टांगों पर पड़ी जहां पर तोलिया बंधा हुआ था तोलिए कि दोनों किनारों के बीच में से तने हुए लिंग महाशय से बाहर की तरफ देखें जा रहे थे !

लज्जा और कामवासना दोनों का समावेश एकदम से मधु के अंदर होने लगा एक बार तो मन हुआ कि अपने हाथ से इसको टच करूं !

अचानक से उसे वीर वही छोड़कर बेड के पास रखे अपने बैग में कुछ ढूंढने लगा ! थोड़ी ही देर बाद वीर अपने साथ डिटॉल की सीसी और थोड़ा सा  कोटन साथ में ले आया !

मधु एकदम से हतप्रभ रह गई किस देश के ऊपर गुस्सा कर रही थी वह तो बड़ा अच्छा इंसान है पहली बार कोई ऐसा इंसान मिला है जो उसकी इतने देखभाल कर रहा है इस छोटी सी चोट के लिए भी वह परेशान है वह मंद मंद मुस्काए जा रही थी उसके वीरान पड़ी जिंदगी में कोई दस्तक दे रहा था !

वीर ने उसका एक हाथ पकड़ा और जख्म वाली जगह पर डेटोल से भरे कॉटन को रगड़ना शुरु किया और जख्म को साफ कर दिया दर्द के मारे मधु की आंखों से आंसू झलक आए ! मधु ने अपना दूसरा हाथ वीर के कंधे पर रख दिया वीर ने उसके हाथ पर पट्टी कर दी और बची हुई चूड़ियों को ऊपर कलाई की तरफ घर्षण करने लगा यह कहते हुए जब तक है पट्टी है इनको नीचे मत आने देना

ऐसा पहली बार हो रहा है कि कोई उसके शरीर से इतने नाजुकता के साथ पेश आ रहा है ! जो कि उसको पसंद आ रहा है ! वह चाहती थी कि कोई उसको प्यार करें ! शादीशुदा होने के बावजूद भी वह इस सुख से वंचित थी !

वीर  ने अचानक से अपना सवाल दाग दिया अरे मधु जी यह तो बताओ इतनी हड़बड़ी में ऊपर आए क्यों थे ! और यह कहकर वीर मुस्कुराने लगा ! मधु वीर की आंखों में देख रही थी ! मधु की आंखें किसी हिरनी से कम नहीं थी उसकी पलकें बड़े करीने से खुली हुई थी और एकाएक वीर की आंखों में देखे जा रहे थी !

अब मधु खड़ी हो गई और वहां से जाने को तैयार थी लेकिन वीर उसके सामने से हट ही नहीं रहा था ! उसने अपने चुलबुले अंदाज में बीर के होठों पर अपनी उंगली रखी "वीर अब मत पूछना मुझसे मैं यहां क्यों आई थी कभी ना कभी मैं खुद ही तुम्हें बता दूंगी प्लीज "

जैसे ही मधु खड़ी हुई उसके दोनों घुटनों में अचानक से दर्द हुआ लगता है वहां पर भी कोई चोट लगी है वह लगभग गिरने वाली थी उसने अपने दोनों हाथ वीर के दोनों कंधों पर रख दिए ! उसके बड़े बड़े नाखून वीर के नंगे कंधों पर किसी चाकू की तरह काम कर रहे थे !

दोनों के मुंह से एक टाइम पर ही चीख निकली ! दोनों एक दूसरे की आंखों मैं देख रहे थे और अचानक से वीर ने अपना चेहरा ऐसा जोर से इधर-उधर हिलाने लगा ! उसके चेहरे पर कुछ बाल आ रहे थे ! क्योंकि वीर अभी नहा कर निकला ही था उसके बाल बहुत गीले थे मधु के चेहरे पर एकदम से बारिश का सा अनुभव सा हुआ वीर के बालों से निकलती हुई छोटी-छोटी बूंदे उसे कामवासना से परिपूर्ण बारिश का अनुभव सा दे रही थी !

उसने अपना चेहरा वीर के चेहरे के पास कर दिया और अपनी आंखें बंद कर ली ! वीर ने अपने दोनों हाथ मधु की कमर पर रख दिया और एक हाथ से उसके ब्लाउज की जालियों पर हल्का-हल्का ऊपर नीचे करने लगा और दूसरे हाथ से उसके नितंबों को थाम लिया और एक मजबूत पकड़ के साथ उसके नितंबों को दबा दिया !

नितंबों की खाल को अपनी हथेलियों में भरते हुए बाहर की तरफ खींचते हुए धीरे-धीरे वीर के हाथ की स्पीड बढ़ती जा रही थी ! दोनों की सांसें एक दूसरे के अंदर समा रही थी  !

अब वीर ने अपने एक हाथ से जो कि उसकी ब्लाउज की जालियों पर था उस हाथ से मधु के बालों को पीछे की तरफ खींचने लगा अब उसकी गर्दन और पीछे की तरफ मुड़ गई !

अब वीर ने अपने लावा हुए होठों को मधु की मोर के जैसी गर्दन पर रख दीया और अपनी जीभ से गुदगुदी सा करने लगा और मधु के पूरे शरीर में एक अलग ही लेवल का आवेश हो रहा था मधु के हॉट बिल्कुल खुले हुए थे और अचानक हुए इस हमले से वह बिल्कुल अनजान  थी उसने अपने हाथों की पकड़ वीर के कंधों पर थोड़ी सी हल्के सी कर दी और अपना एक हाथ वीर की कमर पर ऊपर नीचे करने लगी !

वीर उसकी गर्दन को चुंबन देता  हुआ थोड़ा सा ऊपर की और बढ़ने लगा और उसकी  ठोड़ी को बेइंतेहा चूम रहा था और उसके जीभ के रगड़ बढ़ती ही जा रही थी !

वीर की हल्की हल्की दाढ़ी का स्पर्श पाकर मधु लगभग दूसरी दुनिया में पहुंच चुकी थी अचानक ही मधु के हाथ वीर की कमर से थोड़ा सा नीचे पहुंच गया और गलती से वीर का बांदा हुआ तोलिया खुल गया

वीर के लिए कंट्रोल कर पाना लगभग मुश्किल सा था उसने अब अपने होंठ मधु के होठों के ऊपर रखने वाला था की मधु को  एहसास हुआ कि क्या होने वाला है उसने अपना हाथ  तुरंत अपने होठों पर रख लिया और एकदम से वीर की बाहों से निकलकर कमरे से बाहर आ गई ! उसकी सांसे अब  भी जोर जोर बेकाबू से चल रही थी

कहानी का यह भाग आपको कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताएं 

Latest chapters

Related Books

Popular novel hashtag