Chapter 8 - 8

मधु ऐसी के नीचे झुक कर खड़ी हो जाती है ! और सुराग में से झांकने लगती है ! उसकी आंखें फटी की फटी रह जाती हैं ! जब उसने देखा वीर और वह पतली सी लड़की दोनों  निर्वस्त्र एक दूसरे के साथ गुथे होते हैं !

वीर का एक हाथ उस लड़की के जांग पर होता है !  और दूसरा हाथ उसके कंधे पर होता है ! वीर धीरे-धीरे उस लड़की के कानों के साथ खेल रहा होता है !

अचानक वह लड़की बोलती है वीर मुझे गुदगुदी रुक जाओ ना थोड़ा सा टाइम दे दो बाबू तुम तो कभी थकते ही नहीं हो बाबू !!

और दोनों का संवाद एक पल के लिए रुकता है !  और दोनों एक दूसरे की आंखों में देख कर खिलखिला कर हंसने लगते हैं !

वीर ने कहा देख स्वाति तुझे प्यार में सिर्फ कहने के लिए नहीं करता दिल से करता हूं और इतना कहकर  स्वाति के माथे को चुमने लगता है ! उसके गीली जीभ स्वाति के माथे पर दाएं से बाएं घूम रही थी और वीर का जो हाथ उसकी जांग पर था ! वह धीरे-धीरे उसके घुटने तक जा रहा था ! स्वाति के दोनों हाथ वीर की कमर पर चल रहे थे ! धीरे-धीरे दूसरा राउंड करने  की तैयारी पर थे !

अचानक से वीर ने अपना मुंह स्वार्थी के मुंह के ऊपर ले जाकर खोल दिया और स्वाति ने भी देखते-देखते पूरा साथ दिया और अपने हॉट पूरे के पूरा खोल दिए ! वीर ने अपने मुख मंडल से अपनी जीभ को बाहर निकाला ! उसकी लाल सुर्ख जीभ किस हिसाब से कम नहीं लग रही थी  !  जिस हिसाब से बॉडी तिरछी ऊपर नीचे घूम रही थी ! कभी वीर अपनी जीब को नाक से स्पर्श करता तो कभी अपनी ठुदी पर जीभ को लगाकर अपने प्यार का इजहार करता !

अब जवाब में स्वाति ने भी अपनी जीव को बाहर निकाल दिया ! अब वीर की जीभ से एक लार की बूंद सीधे स्वाति की जीभ के ऊपर गिरी !

स्वाति ने सीधे अपनी आंखें बंद की और उस आनंदमई बूंद को अपने अंदर समेट लिया और उसके मुख से कामवासना भरी आवाज में वीर एक बूंद और ना प्लीज बाबू !

इतना सुनते ही वीर ने अपनी जीभ से एक- दूसरी बूंद सीधा स्वाति की जीभ पर टपकाआने की कोशिश  की पर इस बार वीर का निशाना गलत हो गया और लार की बूंद का टपका सीधा स्वाति के ऊपर वाले होंठ पर पड़ा !  स्वाति ने अचानक अपनी जीभ अपने ऊपर वाले होंठ पर स्पर्श करके उस लार की बूंद  को अपने मुख में लाने का प्रयास करने लगी !

लेकिन अचानक से वीर ने मौके का फायदा उठाते हुए अपना मुख मंडल नीचे किया और उसके ऊपर वाले होंठ पर अपनी जीभ रख दी ! और उसके खुले हुए होठों के चारों ओर अपनी जीभ ऐसे घुमाने लगा जैसे लड़कियां लिपस्टिक लगाने के  साथ लिप लाइनर का यूज करती हैं !

इतना सब कुछ देखने के बाद मधु को इस बात का एहसास होता है उसकी योनि जो पहले से ही गीली हो चुकी थी उसमें नमी का प्रभाव और ज्यादा बढ़ गया ! उसने अपनी दोनों जांघों को एक दूसरे से सटाया और खुद से ही अपने आप थोड़ा सा आगे पीछे होने लगी  ! उसको यह सब कुछ करने में ही बड़ा मजा आ रहा था  ! उसने अपने होंठ खोलें और अपनी जीभ अपने होठों से बाहर निकाली ! जैसे उसकी जीभ पर भी वह प्यार का कर्तरा का पड़ा हो ! उसने कभी सोचा भी नहीं था कि होठों का ऐसा भी कभी मिलन हो सकता है ! फिर अचानक से मुस्कुराए बिना रह पाई जब उसको यह ख्याल आया वीर है तो सब कुछ मुमकिन है !

एक पल के लिए वीर और स्वाति अपने खुले हुए मुख से अपनी जीभ को एक दूसरे से स्पर्श कर रहे थे ! धीरे-धीरे दोनों की सांसे फिर से तेज चलने लगी ! अचानक से स्वाति ने वीर की कमर पर अपने नाखून गड़ा दिए ! जिसके परिणाम स्वरूप वीर के मुख से एक आह निकल गई और वीर ने अपनी उंगलियों के बीच स्वाति का जबड़ा कुछ इस तरह कदर पकड़ा और उसकी आंखों में देखकर थोड़ा सा हंसते और मुस्कुराते हुए बोला शैतान लड़की मुझे दर्द हो रहा है यार तेरे नाखून ना मेरा खून निकाल देंगे !

जवाब में स्वाति ने भी उत्तर दिया तुम जो मुझे इतना दर्द देते हो उसका क्या ?

वीर की हाजिर जवाबी किसी से छुपी हुई नहीं थी उसने झट से बोलना शुरू किया जितना दर्द देता हूं उससे ज्यादा प्यार भी तो करता हूं और इतना कहते ही वीर ने अपने दांतो तले स्वाति की कान की बालियों को पकड़ा और धीरे-धीरे ऊपर नीचे करने लगा !

वीर की हल्की हल्की दाढ़ी स्वाति के कानों पर चुभ रही थी स्वाति को इस धीमे-धीमे प्यार से बड़ा मजा आ रहा था और परिणाम स्वरूप उसने अपनी गर्दन धीरे-धीरे क्यों तकिए के ऊपर गढ़ानी शुरू कर दी!

कामवासना के कारण उसका सर पूरी तरह से तकिए के ऊपर पूरा जोर लगा रहा था और उसकी गर्दन बीच में से उठी हुई थी !

वीर ने स्वाति के जबड़े जोरदार किस किया ! इस तरह से उसके दांत स्वाति के गालों में गढ़ से गए ! स्वाति ने अपने हाथ जोकि वीर की कमर पर थे अचानक से वहां से हटाकर वीर के लिंग को टटोलने लगी ! जो कि दोनों के पेट के बीच में घर्षण कर रहा था !

अब वीर स्वाति की गर्दन के साथ खेल रहा था उसके गर्दन की खाल को अपने गीले होठों की मदद से कभी ऊपर की तरफ खींचता तो कभी नीचे की तरफ खींचता तो जवाब मैं स्वाति भी कामवासना में वशीभूत होकर अपने सर को और पीछे की तरफ करती पुरुष के गर्दन और ज्यादा जकड़ी जाती यानी कि उसकी गर्दन और ज्यादा टाइट हो जाती है !

अब स्वाति के दोनों हाथ वीर के बालों के ऊपर थे या यह कहूं तो गलत नहीं होगा कि उसने अपनी उंगलियों में उसके बाल फंसा रखे थे और अपनी उंगलियों की मदद से वीर के चेहरे को नीचे की तरफ धकेलने की कोशिश कर रही थी !

कामवासना के कारण मधु के मुख से आहे निकलनी शुरू हो गई  ! धीरे-धीरे उसने अपनी आंखें बंद करते हुए वीर र र बोलना शुरु कर दिया ! अचानक से उसने अपने एक हाथ से वीर के कान को खींचा और अपनी एक उंगली वीर के कान में डालकर गुदगुदी करने लगी !

दोनों इस पल एक दूसरे में समा जाना चाहते थे बाहर खड़ी हुई मधु यही सोच रही थी असली प्यार तो यही है क्या सिर्फ सीधा संभोग करना ही सही है उसका यह योवन एक मरुस्थल बन गया है जो हमेशा बारिश के लिए तरसता रहता है !

मधु कुछ और सोच पाती इतनी ही देर में वीर ने अपने दूसरे पर कामवासना से परिपूर्ण प्रहार से उसका ध्यान आकर्षित किया !

वीर ने स्वाति की गर्दन के नीचे जो हड्डियां होती हैं उस पर जोरदार मदहोशी भरी तुम चुंबनो की झड़ी लगा दी ! पुष्कर उसके चुमने से से हुए निशान साफ साफ नजर आ रहे थे !

स्वाति के मुख से एक बार फिर से आह निकलने वाली  निकली !

वीर र र र मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं !

वीर र र र वीर र र र मुझ में समा जाओ मुझ में खो जाओ

वीर र र र वीर र र रवीर र र र

इस बार वीर ने स्वाति के गले से एक चैन जो लटकी हुई थी उसको अपने दांतो तले दबा लिया और उसको खींचता हुआ उसके एक उभार की गोलाई के नीचे जाकर अटका दिया

और चैन को बीच में से अपने दांतो से पकड़कर उसके उभरे हुए मनके यानी नप्पल पर रगड़ने लगा. वीर को यह सब कुछ करने में बड़ा मजा आ रहा था कभी अपने मुख् मंडल से उस भरे हुए मनके को दाएं तरफ रगड़ता तो कभी बाएं तरफ से रगड़ता ! एक सेकंड में लगभग दो से तीन बार वीर उस चेन को इधर-उधर कर रहा था ! वह मनका बार-बार हुए हमले के कारण लाल हो गया

स्वाति ने अपना सीना वीर की छाती पर रगड़ना शुरू किया

आज के लिए इतना ही पाठक गण कमेंट करके जरूर बताएं आप सब लोगों को आज का भाग कैसा लगा

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