Chapter 14 - 14

वीर की एक उंगली जो मधु के मुंह में थी अचानक वीर ने उसकी जीभ को अपनी उंगली से दबा दिया और नाखून से उसके ऊपर हल्का-हल्का कुरेद ने लगा मधु ने अपनी आंखें बंद कर ली और उसका मुंह खुला हुआ था !

दोनों की सांसो की रफ्तार बढ़ती ही जा रही थी जैसे दोनों जन्म जन्म के प्यासे हो ! वीर ने अपने गाल अपनी नमी युक्त सांसों के साथ मधु की गर्दन पर ऊपर नीचे करने शुरू कर दिए और गर्दन की खाल को अपने दांतो के बीच लेकर   जीभ से उसके साथ खेल रहा था !

जहां पर वीर और मधु एक दूसरे से प्यार में लिफ्ट थे उनके पीछे जो दीवार थी उस पर मोटी मोटी रोडिया बाहर की तरफ निकली हुई थी 

वीर ने उसके हाथों में उंगलियों को फंसा कर उसके हाथ को ऊपर उठाते हुए पीछे दीवार पर दवा लिया और उसकी बाजुओं से चूमता हुआ धीरे-धीरे ऊपर की तरफ बढ़ रहा था और मधु की सांसे वीर से कहीं ज्यादा रफ्तार पकड़े हुई थी वीर ने मधु के कंधे पर अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया ! मधु के जिस्म से उठने वाली एक नारी वाली खुशबू वीर को और ज्यादा मदहोश कर रही थी वीर ने बिना देरी किए मधु के गले में पहनने हुए पेंडेंट को अपने मुंह में ले लिया और जोर से बाजू की तरफ खींचा जिसकी वजह से मधु के गले के चारों ओर पेंडेंट के घर्षण के कारण निशान सा पड़ गया लेकिन उसको इस दर्द में भी मजा आ रहा था जैसे-जैसे पेंडेंट हिलता उसके मर्दन के साथ मधु और ज्यादा उत्साहित हो तो होती जा रही थी पेंडेंट के अंदर उसके कुछ बाल भी फस गए जो उसकी पीड़ा को और बढ़ा रहे थे !

अब वीर ने उसका जो हाथ उठा रखा था उसके अंडर आर्म्स के पास अपने होठों को ले जाकर उसके बाजू के नीचे किस करने लगा और मधु की सिसकारियां छूटने लगी उसने अपने जीवन में इस तरह का होने वाला अभिसार को पहली बार महसूस किया था  !

जैसे ही वीर मधु की बाजू पर काटता मधु को ऐसे लगता जैसे किसी शांत नदी में किसी ने कंकड़ फेंक दिया हो और उसे एक छोटे से कंकड़ की वजह से नदी के अंदर छोटी लहरें एक के बाद एक लहर उठ रही हो !

अचानक से मधु ने अपनी पोजीशन को चेंज किया और अब दीवार की तरह वीर आ गया मधु के दोनों हाथ वीर की कमर पर है और उसको ऊपर नीचे सह लाने में व्यस्त थे अचानक से मधु ने अपनी एड़ियों को ऊपर करते  हुए वीर के गालों पर काट लिया अभी वीर वीर कामवासना की गिरफ्त में आ गया दोनों के शरीरों में भूचाल सा आ गया हो दोनों के शरीर के रोम-रोम से प्यार की बारिश होने लगी थी 

अब मधु एड़ी उठाकर वीर के होठों को चूम रही थी अचानक से उसने वीर को पीछे की तरफ ओर धकेला और वह भूल गई कि पीछे मोटी मोटी रोडियो की दीवार है वीर को तो कुछ खास नहीं हुआ लेकिन उसके दोनों हाथ जो वीर की कमर पर थे अचानक से दोनों छील गए और उसने तुरंत अपने दोनों हाथ आगे की तरफ कर लिए और वीर को दिखाया

वीर ने मुस्कुराते हुए कहा तुम जब भी  मुझसे मिलती हो कुछ ना कुछ हो ही जाता है तुम्हारे साथ

वीर ने कहा तुम 1 मिनट के लिए यह रुको मैं अभी आता हूं वीर सीधा अपनी  कार से फर्स्ट एड किट निकाल कर ले आता है और मधु मधु के दोनों हाथों पर पट्टी कर देता है

अब वीर ने अपने किट के अंदर से एक बहुत  पतला सा सिरिंज टाइप का कुछ निकाला और मधु की कमर के पीछे खड़े होकर चोली को अपने दोनों हाथों से पहले खींचा दोनों किनारों को एक दूसरे के ऊपर चढ़ाकर 12 टांके से लगा दिया लेकिन मधु के लिए यह बहुत ज्यादा असहनीय था अब उसके चोली बहुत ज्यादा तंग हो गई उसने वीर से कहा यार मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा है

वीर ने कहा कोई बात नहीं हमें यहां कौन सा रुकना है बस जल्दी से खाना खाकर निकलते हैं वैसे भी सब ने खाना खा लिया देखो उधर पार्टी धीरे-धीरे खत्म होने की कगार पर है

वीर ने मधु को एक टेबल पर बैठने के लिए कहा और खुद एक प्लेट में खाने की काफी सारी चीजें ले आया

मधु जो भी हुआ उससे थोड़ा सा हैरत में थी मैं सोच रही थी कि यह सही हुआ या गलत हुआ इतनी ही देर में वीर की आवाज ने उसके तंद्रा को तोड़ दिया वीर ने एक नान के ऊपर थोड़ी सी सब्जी लगाकर मधु के होठों की तरफ बढ़ाया

मधु ने कहा मुझे बिल्कुल भी भूख नहीं है मैं स्टार्टर में ही काफी कुछ खा चुकी हूं अब वीर मुझसे नहीं होगा

वीर ने कहा मेरे हाथ से भी नहीं खाओगे

तभी मधु ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया तुम्हारे हाथ से तो शहर भी खा लो डॉक्टर साहब

दोनों ने लगभग अपना खाना खत्म कर लिया अब वीर ने अचानक एक बड़ा सा गुलाब जामुन मधु की होठों की तरफ बढ़ाया और इशारा किया कि इसको एक बार में ही पूरा खाना है मधु ने कहा वीर बाबू यह बताओ अगर मैं उसको टुकड़ों में खा लूं तो क्या होगा

वीर ने अपनी भोहो को ऊपर उठाते हुए अपनी शरारती आंखों मैं चमक लाते हुए कहा अरे यार मैं तो यह देखना चाहता था तुम्हारा मुंह कितना खुल जाता है

इतना सुनते ही मधु एकदम  शर्मा से गई और उसने झुकी हुई पलकों से वीर की तरफ देखा और उसने कहा यह गुलाब जामुन सिर्फ मैं तुम्हारे लिए खा रही हूं जैसे ही मधु ने गुलाब जामुन खाना शुरू किया उस का रस उसके होठों से रिश्ता हुआ उसके ठोड्डी तक आ रहा था वीर ने अपने अंगूठे से उस रस को उसके होठों तक साफ किया और उसके आंखों में देखते हुए अपने अंगूठे को चूस लिया और और कहने लगा मुझे नहीं पता था कि यह इतना रसीला होगा

अब वीर और मधु सब से मिलते हुए वहां से बाहर निकलने लगे वीर ने साइड वाली सीट का दरवाजा खोल दिया और मधु को इशारा क्या बैठने के लिए

अभी कुछ दूर ही गाड़ी चली थी वीर ने मधु से कहा कुछ परेशान से लग रहे हो

मधु ने जवाब दिया यार आपको बताया तो था मेरे सीने में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है आपने इतना कसकर जोक चोली को बांदा है मैं काफी देर से कोशिश कर रही हूं लेकिन वह खुल ही नहीं रही अब तो सीधा घर ही जाना है अगर वह ढीली हो जाती तो यह है हसीन सफर अच्छा कट जाता

वीर ने गाड़ी रोक दी और मधु की तरफ आ गया और अपने दोनों हाथों से मधु के चोली को खोलने की कोशिश करने लगा मधु का मुंह सीधा वीर की सिक्स पैक  पर पढ़ रहा था उसे कुछ क्षणों में ही एहसास हुआ वीर कॉ लिंग का इंप्रेशन उसकी पेंट से साफ साफ नजर आ रहा था उसे तुरंत आभास हो गया कि वीर के मन में क्या चल रहा है

उसने अपने दोनों हाथों से वीर को पीछे हटाते हुए कहा रहने दो वीर थोड़ा सा जल्दी जल्दी चला लो कोई बात नहीं

वीर ने सीट के साइड में जो हैंडल होता है जिससे सीट का झुकाव आगे या पीछे की तरफ किया जा सकता है उसको दबा दिया और सीट पिछली सीट से टच हो गई अब मधु बिल्कुल लेटने वाली अवस्था में थी 

वीर ने कहा ऐसे मुझे दिखाई नहीं दे रहा है तुम उल्टा लेट जाओ तो मैं आसानी से इसको देखकर  ढीली कर देता हूं कर देता हूं

तनिक सोच विचार के बाद मधु उल्टा लेट जाती है वीर की नजर सबसे पहले उसकी कमर पर पड़ती है उसके नितंब बाहर की तरफ निकले होते हैं और कमर अंदर की तरफ बसी होती है उसने अपने दोनों हाथ से नितंबों को पकड़कर ऊपर नीचे किया

मधु के पूरे बदन में सनसनी सी फैल जाती है वीर तुम्हें क्या करने के लिए कहा है तुम क्या कर रहे हो

बाकी की कहानी अगले हसीन भाग में

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