Chapter 5 - 5

मधु जल्दी-जल्दी से कदम रखते हुए ऊपर वाले कमरे से बाहर निकल कर सीधा नीचे की तरफ आ गई ! उसे एहसास था कि क्या होने वाला था ! और नीचे आकर सोफे पर बैठ गई उसको अपने किस्मत पर लगभग रोना सा आ रहा था !

कि भगवान ने उसकी शादी भी किस हालात में की थी !

उमेश उसकी बड़ी बहन के पति हैं और 2 साल पहले ही उसकी बहन सुधा की अचानक हुई मौत के बाद उसके मां बाप ने उमेश के साथ ही उसकी शादी कर दी ! ना उसकी रजा पूछी और उमेश उम्र में मधु से लगभग 13 साल बड़े हैं !

मधु ने अपनी किस्मत मानकर उमेश से प्यार करने की कितनी कोशिश की लेकिन उसकी हर कोशिश बेकार ही रही उमेश के पास उसके लिए समय ही नहीं था हर समय अपने बिजनेस में ही उलझे रहना यही फितरत और यही किस्मत !

लेकिन जो भी हो वह सच्चाई से दूर नहीं भाग सकती थी ऐसा सोचते सोचते कब शाम के 7:00 बज गए पता ही नहीं चला ! मधु की तंद्रा जब टूटी जब दरवाजे की घंटी उमेश ने बजाई !

मधु ने दरवाजा खोला उमेश ने उसकी तरफ लगभग देखा भी नहीं और सीधा अंदर कमरे में आ गया ! मधु ने पानी का गिलास दिया कमाल की बात है मधु ने जिस हाथ से पानी का गिलास दिया था कुछ देर पहले ही वीर उस  पर पट्टी लगाई थी ! मधु को फिर से अपनी किस्मत के बारे में सोच कर बड़ी लानत सी हुई !

रात 9:00 बजे मधु ने खाना तैयार कर दिया डाइनिंग टेबल पर उमेश के साथ बैठ गई तभी उमेश ने वीर को कॉल किया कि नीचे आ जाओ खाना रेडी है !

2 मिनट के बाद ही वीर झटपट से नीचे आ गया और मधु के सामने वाले चेयर पर बैठ गया ! वीर ने सिर्फ लोअर पहना हुआ था और ऊपर से शर्टलेस था उसकी भरी हुई छाती और उसके नीचे सिक्स पैक्स साफ साफ नजर आ रहे थे और उसके बड़े बड़े बाल कानों को छुपा रहे थे !

वीर और उमेश ने काफी बात कि और मधु को बताया वीर एक डॉक्टर है और एक साइंटिस्ट भी है ! उन्होंने कुछ दिन पहले ही एक ऐसा रिसर्च किया है ! जिसमें आप किसी भी अंग को अपने हिसाब से छोटा बड़ा कर सकते हैं !

मधु अपनी नजर वीर से मिला नहीं पा रही थी वह नीचे गर्दन करके अपना खाना खाने में मगन होने की कोशिश ही कर रही थी और इसी बीच खाने की टेबल के नीचे जो एक लकड़ी होती है जिस पर सब लोग पैर रखते हैं ! अचानक उसे एहसास हुआ की उसके पैर पर कुछ टच हो रहा है उसने नीचे हल्का सा झुक कर देखा तो उसके पूरे बदन में एकदम से करंट सा लगा क्योंकि यह तो वीर का पैर था.

मधु दिन वाले हादसे से अभी  बाहर भी नहीं निकली थी और फिर से वही सब कुछ होने लगा जिससे वह दूर भाग रही थी ! मधु ने अपना खाना जल्दी जल्दी से खत्म किया और अपनी झूठी थाली लेकर किचन में आ गई !

और सिंक के अंदर बर्तन धोने में लग गई अचानक उसकी नजर ऊपर दीवार के ऊपर छिपकली पड़ी ! मधु भी छिपकली की तरफ देख कर मुस्कुराए और कहने लगी " बहन तुझे भी यही जगह मिली है तुझे मुझे डराने में मजा आता है ना देख जो भी हो गिरना मत "

इधर वीर का भी डिनर खत्म हो गया उसने उमेश से पूछा की थाली कहां रखनी है उमेश ने कहा रहने दो मधु ले जाएगी वीर ने  थोड़ा सा हक जताते हुए कहा यार अपना ही घर है कहीं मैं होटल में थोड़ी ना आया हूं ! और इतना कहते ही बीर अपनी झूठी थाली उठाकर किचन की तरफ बढ़ गया !

किचन में जाते ही जैसे ही वह एंटर हो रहा था उतनी ही देर में छिपकली ऊपर से सिंक के अंदर उस थाली में गिर जाती है   जो थाली मधुर धो रही होती है और अचानक हुए इस हमले से डरी हुई मधु वैसे ही पीछे मुड़ कर भागने की कोशिश करती है तो दूसरा हादसा तैयार था !

वीर वहीं पर अपनी झूठी प्लेट लिए हुए खड़ा हुआ था और वीर भी इस बात से अनजान था कि ऐसा कुछ होने वाला है

वीर की थाली सीधा मधु के  पेट से टकराई और मधु का मुख मंडल सीधा वीर की छाती पर लगा क्योंकि दर्द के मारे मधु थोड़ा सा आगे की तरफ झुक गई थी लेकिन मजाल है उसके मुंह से उस वक्त उफ तक नहीं निकली.

क्योंकि वीर ने उस वक्त कोई भी शर्ट नहीं पहन रखी थी उसके छाती पर उभरे हुए निप्प ल पर एकदम से मधु के होठ लगे और उसने दर्द के मारे उसे जोरसे काट लिया वीर के जिस्म से उठती हुई मर्दाना खुशबू उसे मस्ताना बना रही थी

मधु ने अपनी जुबान से वीर के नि प्पल के साथ खेलना शुरू कर दिया और वीर ने अपने हाथ से थाली को छोड़ दिया और थाली दोनों के पैरों के बीच में ही फस गई ! वीर में अचानक से दोहरा हमला किया.

अपने हाथ से मधु के जबड़े को पकड़कर चुमने ही वाला था और दूसरा हाथ अचानक से पीछे पेटिकोट के अंदर घुसाने की कोशिश करने लगा. और अपने कसी हुई छाती को मधु के सीने पर जोर जोर से रगड़ दिया. जैसे उसकी उंगली का प्रवेश पेटिकोट के थोड़ा सा अंदर हुआ उसकी एक उंगली उसके दो पर्वत जैसे नितंबों के बीच घर्षण कर रही थी.

कामवासना के कारण मधु की पिंडलियों में ऐठन सी होने लगी ! पेट और सीने पर गुदगुदी सी होने लगी ! सांसे लगातार भारी होती जा रही थी ! मधु ने अपने दोनों जांघों से अपनी योनि को अपने आप दबाने लगी

अगले ही पल उसे कुछ एहसास हुआ और उसने वीर को पीछे धक्का दिया और भागते हुए अपने कमरे में आ गई !

आप सब पाठकों का आज का भाग कैसा लगा जरूर बताएं और अगले भाग का इंतजार करें आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा एक रोमांचक प्यार भरी मुलाकात के लिए करते रहिए इंतजार अगले भाग का तब तक के लिए शब्बा खैर शुभरात्रि

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