Chapter 6 - 6

मधु सीधा अपने कमरे में आ जाती है और अपने आप पर काबू पाने की भरपूर कोशिश करती है ! उसकी सांसे अभी तेज चल रही थी ! अब वह थोड़ा सा नॉर्मल होकर नाईट ड्रेस के लिए टी-शर्ट और लोअर पहन कर बेड के ऊपर उमेश का इंतजार करने लगती है ! उसके पूरे बदन से कामवासना की कसक उठ रही थी ! उसका एक हाथ अपने आप उसके लोअर के अंदर चला जाता है ! जैसे नदी के किनारे पर कंकड़ होते हैं वैसे ही उसकी योनि के पास छोटे-छोटे बाल उसकी उंगली पर एक अलग ही घर्षण पैदा कर रहे थे ! उसकी योनि के किनारों पर जो बिल्कुल छोटे-छोटे बाल थे वह दिन में दो-तीन बार हुए अचानक वासना पूर्ण हमले के कारण गीले हो चुके थे!

अचानक ही कमरे के अंदर उमेश की एंट्री हो जाती है और उमेश अपने कपड़े निकालने लग जाता है और अपने सारे कपड़े निकाल देता है ! बेड के ऊपर झुकते हुए उमेश ने मधु के लोअर का इलास्टिक पकड़ा उसके नाखून लोअर  निकालते हुए मधु की योनि के इर्द-गिर्द घर्षण करते हुए जांघों तक ले आया !

मधु ने अपने दोनों पर एक दूसरे से सटा लिए जैसे वह चाह रही हो कि उमेश उसके साथ थोड़ा सा और खेलें लेकिन हुआ बिल्कुल इसके विपरीत !

और एक झटके में उमेश ने मधु का लोअर उसकी टांगों से बाहर निकाल दिया और अपने लिंग पर कंडोम चढ़ा कर हमला करने वाला था मधु ने आग्रह किया क्या जिसके बिना ही करो ना

लेकिन उमेश का रिएक्शन बहुत गंदा था उसने उसको झटक कर बोला पागल हो गए हो क्या इतनी भी समझ नहीं है क्या 

और इतना कहकर उमेश ने अपना लिंग मधु की योनि में प्रवेश करा दिया ! मधु की योनि कामवासना के कारण पहले से ही प्यासी थी ! लेकिन अचानक उसकी आंखों के सामने वीर का चेहरा घूम गया उसे वीर की नंगी छाती की याद आई उसके छाती से उठने वाली खुशबू उसे मदहोश करने लगी और यह सोच कर उसका पूरा शरीर अंकड़ने लगा उसने अपने दोनों जांघों के जोर से योनि के मध्य में उमेश के लिंक को पकड़ना चाहा

कुछ झटकों के बाद मधु होने वाली थी उसने अपने हॉट उमेश के होठों के पास ले जाकर चुमना चाहा लेकिन जैसे ही वह अपना चेहरा ऊपर लेकर आई उसके शरीर में जोर से अकड़न हुई वेयर इस पल को और ज्यादा इंजॉय करना चाहती थी लेकिन वह कुछ और कर पाती उससे पहले ही उमेश अपने इस काम से फारिक हो गया

कितने सालों के बाद आज वह समागम के दौरान संतुष्ट हुई इतने सालों के बाद उसे ऑर्गेज्म प्राप्त हुआ उसके चेहरे पर खुशी हुई थी और एक कोफत भी थी कि वह अपने पार्टनर के साथ इंजॉय करना चाहती थी लेकिन वह उसको समझ ही नहीं पाया

यह सोच सोच कर कब उसकी आंखें लग गई उसको पता ही नहीं चला .

रोज की दिनचर्या के हिसाब से उमेश उठा और ऑफिस चला गया और मधु भी अपने काम में लगी रही लेकिन बार-बार उसका ध्यान कल की रात पर जा रहा था .

दिन के लगभग 3:00 बज गए और वह किचन में काम कर रही थी ! किचन मेन गेट के सामने ही था ! गेट के नीचे से किसी लड़की के सेंडल दिखाई दे रहे थे ! वह बाहर निकलने वाली थी की अचानक उसे सीढ़ियों से उतरता हुआ से वीर दिखाई दिया ! जोकि किसी से फोन पर बात कर रहा था और कह रहा था रुको यार मैं गेट खोल रहा हूं !

यह देखने के लिए मधु किचन के अंदर ही रुक गई कि कौन है आने वाला है !

वीर ने फोन काट कर अपने लोअर के पॉकेट में रख लिया और जल्दबाजी में गेट खोल दिया . सामने एक क्रीम कलर का टॉप पहने और ब्लू कलर का प्रिंटेड प्लाजो पैंट पहने एक पतली सी लड़की खड़ी हुई थी गेट के अंदर आते ही वह कूदकर वीर की बाहों में चढ़ गई !

देखना उसको अपनी बाहों से जल्दी से नीचे उतार दिया और कहने लगा अरे यार यहां 1 सनकी औरत रहती है मतलब कि  मेरी मकान मालकिन अगर वहां तुम्हें यहां देख लेगी तो बेवजह तमाशा बन जाएगा

मधु को यह सुनते ही बहुत गुस्सा आया दिल तो कर रहा था एक बार बाहर जाए और बताएं कि सनकी औरत किसको कह रहा है बे

मधु बुरी तरह से जल  गई फिर उसने निश्चय किया कि यहीं पर खड़े होकर देखते हैं यह बंदा और क्या गुल खिलाता है

वीर ने पलट कर देखा और उससे कहने लगा लगता है मकान मालकिन सोई हुई है और इतना कहते ही उसने अपनी जीभ बाहर निकाली और उधर से उस पतली लड़की ने भी अपनी जीभ बाहर निकाली दोनों एक दूसरे से  जीभ को टच करने लगे वीर के दोनों हाथ उस पतली लड़की की कमर पर थे और दोनों एक दूसरे को चूमते जा रहे थे अब उस पतली लड़की ने एकदम  से छलांग लगाकर वीर की गोदी में जा चढ़ी और अपने दोनों पैर वीर के कुलो पर लपेट लिए और वीर उसी से मुद्रा में ऊपर के कमरे में ले जाने लगा

वीर के दोनों हाथ उसके पतले पतले  कुलो के ऊपर एक जोरदार पकड़ के साथ एक एक कदम आगे बढ़ा रहा था हर कदम के ऊपर दोनों एक दूसरे को खूब चुंबन दिए जा रहे थे वीर अभी कुछ सीडी ही चढ़ा था कि लड़की के कान के बाल वीर ने अपने मुंह में लेकर कान के पीछे सेट करने लगा और अपने जीभ से उसके कान के पीछे घर्षण करने लगा ! वीर की मध्यमा उंगली उसके दोनों कुलों के बीच में लगातार ऊपर नीचे हो रही थी अचानक से लड़की ने कहा वीर तुम सुधरोगे नहीं ना एक पल  वेट नहीं होता तुमसे

इतना सुनते ही दोनों खिलखिला कर हंसने लगे. मधु को बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था ! मधु के हाथ मे एक स्टील  का गिलास था उसने अपनी उंगलियों से उसे लगभग मोड़ ही दिया

और उसने निश्चय किया कि आप भी ऊपर जाकर उसको मजा चखाती हूं उस लड़की को भी घर से बाहर निकाल देते 

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