"शिया जिंगे, इतना पैसा तुम्हें कहॉं से मिलेगा? तुम अभी भी लिन लिन की मॉं तो हो, इसीलिए ऐसा कुछ न करो कि उसका नाम खराब हो।"
जिंगे इस औरत के साथ अपना आपा खो चुकी थी। एक भेदक दृष्टि से वह बोली, "कौन से नाम खराब करनेवाली बातें तुम कहना चाहती हो? क्या मैं तुम्हारी नज़र में इतनी घटिया हूं कि मैं 300000 कमा नहीं सकती‽"
"ऐसा नहीं है। पर शायद कानूनी रास्ते से इतना पैसा तुम कमा न पाई हो।" तेंजिन ने नैतिकता का दिखावा करते हुए कहा, "जिंगे, अगर तुम्हें पैसे चाहिए थे, तो तुम हमारे पास आतीं, अपना नाम डुबानेवाला काम तो न करतीं? अपना नाम डुबाना चाहो, डुबाओ, पर तुम्हारा बेटा शी लिन? अब उसकी मॉं दर-दर की भिखारिन है। मैं अपने शब्द वापस लेती हूं, मैं तुम्हें देखती हूं सिर्फ़ एक हमसाया के तौर पर।"
"बकवास बंद करो।" शिया ची का गुस्सा आखिरकार फूट पड़ा। वह युवक था, पर गुस्सा आने पर डरावना मालूम पड़ता था।
सभ्यता के सभी दायरे पीछे छोड़कर उसने तेंजिन की ओर उंगली का रुखकर अशिष्टता से कहा, "कपड़ों से तो कम से कम एक अच्छे घराने की शिक्षित लड़की लगती हो, तुम्हारे मॉँ-बाप ने तुम्हें कुछ तौर-तरीके नहीं सिखाए? अपने पैमानों पर हमें क्यों नाप रही हो? "
"क्या केवल तुम्हारा पैसा नेक और हमारा बदी से भरा है? क्या तुम्हारे पास कोई सबूत है? नहीं, तो कहानियां गढ़ना बंद करो। यहॉं तुम अपने परिवार का नाम धूमिल कर रही हो।
"कितनी चरित्रहीन हो तुम, कि खुद के अच्छे एहसास के लिए तुम्हें मेरी बहन को नीचा दिखाना पड़ता है‽
"शी मुबाइ की ऑंखें फूट गई होंगी, जो उसने मेरी बहन से ऊपर तुम्हें चुना हो। तुम्हारी जैसी औरत मेरी बहन का नाखून भी न हो। मैं अपनी बहन के शब्द आखिरी बार दोहराता हूं, अपना कचरा उठाकर फुटो यहॉं से।"
"हमें तुम्हारे पैसे नहीं चाहिए, न तुम्हारी सड़ी हुई सूरत वापस देखनी है।"
"क्या… क्या कहा तुमने‽" तेंजिन गुस्से से कॉंपने लगी।
जीवन में पहली बार तेंजिन का इतना घोर अपमान हुआ, और वह भी कई लोगों के सामने।
तेंजिन भले शातिर थी, पर एक आराम-पसंद जिंदगी की आदी डरपोक लड़की भी थी।
"सुनाई नहीं दिया? दफ़ा हो जाओ।" शिया ची फ़िर बोला।
"हम ही चले जाते हैं, इससे क्या मुंह लगें?" जिंगे ने शिया ची को वापस चेंगवू के कमरे में खींचा और तेंजिन को नज़रभर देखा भी नहीं, मानो वह वहॉं हो ही नहीं।
परिचारिकाओं और डॉक्टरों की घूरती नज़रों और दबी-छुपी मुस्कुराहटों कके बीच तेंजिन उबल रही थी।
अपना गुस्सा दबा कर, उसने जिंगे के पीठ पीछे कहा, "शिया जिंगे, तुम मुबाइ के लायक नहीं हो। मैं जल्द ही उससे शादी करूंगी और तुम जीवन में कभी मुझे पछाड़ न पाओगी।"
ऑंखों में दुष्टता का विष समेटे वह झुककर और अपना क्रेडिट कार्ड उठाकर चली गई। उसने तो जिंगे के टुकड़े-टुकड़े कर दिये होते।
इसके विपरीत, जिंगे शांत रही, पर उसकी ऑंखें पहले से ज़्यादा सर्द हो चुकी थीं।
शिया ची को चिंता थी कि उसकी बहन को उस औरत के उन शब्दों से बुरा लगा होगा, इसीलिए उसने उसे खींचकर गले लगाया और कहा, "दीदी, उस औरत के स्तर तक न गिरो। तुम उससे पहले ही आगे हो, क्योंकि वह तुम्हारी जूठन चाट रही है, तुम्हारा नापसंद मर्द।"
जिंगे जानती थी कि शिया ची की बात सही थी, और मुस्कुराने लगी।
जिंगे धीमे से हॅंसी और बोली, "चिंता न करो। मैं ठीक हूं।मैं उसे वह संतोष न दूंगी। बस मैं उसका चेहरा बर्दाश्त नहीं कर सकती।"
शिया ची की ऑंखें चमक उठीं और उसने जिंगे के कान में कहा, "दीदी, मुझपर छोड़ दो। मैं आज रात तुम्हारा बदला लूंगा।"
जिंगे ने जिज्ञासा से उसे देखा, "क्या करनेवाले हो?"
"देखना बस," शिया ची के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान थी, जिसे देखकर जिंगे अपनी हॅंसी रोक न पाई, पर उसे यकीन था कि वह कुछ गंभीर नहीं करेगा।
अंततः दोनों ने वे बातें मन से निकाल दीं, क्योंकि चेंगवू के ऑपरेशन का समय होनेवाला था।