"मैं चोर नहीं हूँ !"
कल्याण केंद्र के छात्रावास में,एक नौ साल की लड़की को हर कोई शक की नज़रों से देख रहा था, उसकी आँखें लाल हो रही थीं। उसकी बेहद खूबसूरत बड़ी-बड़ी आँखें पानी से भरी हुई थीं। हालांकि, कुपोषण की वजह से उसका शरीर कमज़ोर हो गया था।
सभी को अपनी तरफ नफरत और घृणा की दृष्टि से देखते हुए,उसे बुरा लग रहा था,और उसने घुटते हुए कहा,"वह जेड पत्थर....वह मेरा है! मैं ... मैं चोर नहीं हूँ! मेरी माँ मेरे लिए उसे छोड़ गयी थी!"
"तो तुम क्या कह रही हो कि मैंने तुम्हारा सामान चुरा लिया है?"उसके ठीक सामने उसकी ही उम्र की एक लड़की खड़ी थी। अपना सिर तिरछा करते हुए, उस लड़की ने उसे बेरुखी से देखा और फिर दूसरे बच्चों की तरफ देखकर मासूमियत से मुस्कुराने लगी।
उसकी तुलना में,वो लड़की प्यारी और घमंडी दिख रही थी,जैसे कि वो एक छोटी सी राजकुमारी हो,जो सबके लाड-प्यार से बिगड़ी हुई थी।
जैसे ही उसने बोला, आसपास खड़े बच्चे तुरंत उसके बचाव के लिए आ गए।
"तुम पक्का झूठ बोल रही हो ! रौएर क्यों तुम्हारा सामान चुराएगी !"
"हाँ,हाँ ! यह असंभव है! कैसे रौएर एक चोर है? ज़रूर,तुमने ही उसका सामान चुराया है!"
उनके सभी सवालों और तिरस्कार का सामना करते हुए, वो गरीब लड़की खुद का बचाव करने के लिए कोई सफाई देने में असमर्थ थी। दुखी होकर, उसने अपनी आँखों को जोर से रगड़ा और फूट-फूट कर रोने लगी।
"यह वास्तव में मेरा जेड पत्थर है! इसे वापस दे दो...।"
रौएर ने उसकी आँखों में आँखे डालकर घूरा,और सबसे बोलने के लिए पलट गयी,"हर कोई, समझ गया ना! सिहोशी एक चोर है! अब उसके साथ मत खेलना ! चोर बुरे होते हैं!"
सब बच्चों ने सख्ती से अपना सिर हिला दिया। "उह-हुह ! हमें राजकुमारी रौएर की बात माननी चाहिए! सिहोशी से कोई बात मत करना ! वो एक चोर है!"
"सिहोशी एक बुरी लड़की है! तुमने रौएर का सामान चुराया,तुम्हें शर्म आनी चाहिए!"
बच्चे उसकी हँसी उड़ाते हुए जाने लगे। वो लड़की, वहाँ अकेली खड़ी एक दीवार से टिक गई। उसने अपने आँसू रोक लिए और सब बच्चों को वहाँ से जाते हुए देखकर,कसकर अपनी मुट्ठी बाँध ली।
***
तभी,काले रंग के सूट पहने बहुत सारे आदमी डायरेक्टर के ऑफिस के बाहर कतार में खड़े हो गए।
एक रौबदार बुजुर्ग आदमी जिसकी उम्र पचास से ऊपर होगी,सोफे पर दृढ़ता से बैठ गया। उसने पारंपरिक चीनी परिधान पहने हुए थे,जिससे वो और भी सम्मानजनक दिख रहा था, और उसकी भौंहों की छाया के नीचे रोष की एक हवा थी।
हो सकता है कि,उम्र होने के कारण उनके चेहरे की आभा थोड़ी कम हो गयी हो, लेकिन उनके सुंदर नैन नक्श को देखकर, कोई भी अनुमान लगा सकता है कि,वो अपनी जवानी के दिनों में कितने अच्छे दिखते होंगे।
डायरेक्टर कागज़ातों का एक ढेर लेकर आया, उसने उस बुजुर्ग आदमी को वह सब ध्यान से दिखाए, और सम्मानपूर्वक उनके सामने वह पेश किए।"मि मु, ये वे बच्चे हैं जो पिछले साल कल्याण केंद्र में आए थे। उनकी सारी जानकारी यहाँ है। कृपया एक नज़र डाल लें।"
वृद्ध आदमी ने उन दस्तावेजों को अपने हाथ में लिया, उनमें से कुछ को ध्यान से देखा, और फिर अपनी भौंहैं चढ़ा लीं। बगल में खड़े उनके असिस्टेंट ने उनके चेहरे के भावों को देख लिया और अपना सिर उठाकर डायरेक्टर की तरफ मुस्कुराते हुए देखा और पूछा," वो बच्ची लगभग आठ नौ साल की है। क्या मैं पूछ सकता हूं कि,पिछले साल भर्ती हुए बच्चों में से कितने इस स्थिति के हिसाब से फिट हैं?"
डायरेक्टर ने थोड़ी देर के लिए कुछ सोचा और जल्दी से उत्तर दिया,"कृपया थोड़ा रुकिए।"
बुजुर्ग आदमी कागज़ातों को ध्यान से देख रहा था,उसकी आँखें एक फॅमिली फोटो पर टिकी हुई थीं। उसने अचानक हाथ बढ़ाकर इशारा किया। "मुझे इस लड़की से मिलना है।"
डायरेक्टर ने थोड़ी हैरानी से सिर हिलाया,"मैं समझ गया ! मैं उस लड़की को आपसे जल्दी मिलवाने की व्यवस्था करता हूँ !"
उसने फोन किया और कुछ ही समय बाद, एक शिक्षक उस लड़की को अंदर ले आया।
रौएर बहुत सावधानी से, अपने हाथों को पीछे किए और छाती ताने खड़ी थी। उसने धीरे से कहा, "दादाजी, आपसे मिलकर अच्छा लगा! मैं रौएर हूं।"
वृद्ध आदमी ने बहुत ध्यान से उसे देखा,और उसके चेहरे के हर एक कोने की बहुत गहराई से जांच की। जब वो उसे ध्यान से देख रहा था,उसकी आंखें धीरे-धीरे सिकुड़ती गयीं।
रौएर ने उत्सुकता से अपनी भौंहें सिकोड़ लीं। उस बुजुर्ग व्यक्ति के भयंकर और निर्दयी चेहरे को देखकर वो कुछ हद तक डर गयी थी। जैसे ही वो कुछ कदम पीछे हटी, उसने देखा कि वो बुज़ुर्ग आदमी उसे इशारे से बुला रहा है।
"इधर आओ ! दादाजी आपको ध्यान से देखेंगे !"
"… ठीक है।" रौएर ने संकोचवश दो कदम आगे बढ़ाए। बुजुर्ग आदमी ने धीरे से उसके कंधों को पकड़ा और उसे करीब से देखा। भले ही वो उसी उम्र की थी,फिर भी उन्होंने महसूस किया कि ना तो उसके नैन नक्श और ना ही उसकी दिखावट उस व्यक्ति से मिलती थी।
उसकी निगाहें धीरे-धीरे नीचे की ओर जाती चली गयीं, और उसके कॉलरबोन के ऊपर जेड पर जाकर रुकीं। बुजुर्ग आदमी ने जेड के टुकड़े को पकड़कर धीरे से पूछा,"यह जेड..."
रौएर थोड़ी देर के लिए स्थिर हो गयी,फिर उसने एक मीठी से मुस्कराहट देते हुए कहा,"यह जेड मुझे मेरी माँ ने दिया था।"
बुजुर्ग आदमी ने अपनी आँखें थोड़ी सिकोड़ लीं। उनके असिस्टेंट ने जल्दी से उनके इशारों को समझ लिया। उसने जल्दी से ब्रीफ़केस से जेड का एक और टुकड़ा निकाला और उसे बुजुर्ग को दे दिया।
जेड के दो टुकड़े एक साथ रखे गए और वे पूरी तरह से आपस में मिल गए।
बुजुर्ग आदमी के हाथ थोड़े कांपने लगे। यह देखकर,असिस्टेंट ने उनके इरादों को समझ लिया और डायरेक्टर के पास चला गया। उसने ब्रीफकेस में से एक बड़ी रकम का चेक निकालकर उसे सौंपने से पहले,उसे कुछ शब्द कहे। डायरेक्टर ने मुस्कुराकर वह चेक ले लिया।
कल्याण केंद्र के प्रवेश द्वार पर शानदार, काले रंग की लिमोसिन गाड़ियां एक लाइन से खड़ी थी।
दूर से एक अकेली-सी दिखने वाली लड़की ने लोहे की काली रेलिंग पर चढ़कर, अपनी नीरस आँखों से,रौएर को सूट पहने हुए पुरुषों के एक समूह के पीछे जाते हुए देखा। वो एक बड़ी सी बेंटले में बैठ गयी।
पल भर में कार के दरवाजे बंद हो गए,रौएर ने अपनी नज़रें घुमाकर बाहर की ओर देखा।
उनकी नज़रें आपस में मिलीं। कार की खिड़कियों के बंद होने से पहले रौएर ने उसकी तरफ चालाकी से मुस्कुरा कर देखा और फिर वह गाड़ियां वहां से दूर चली गयीं।
इस प्रकार,दोनों बच्चों के जीवन में अचानक एक नया मोड़ आ गया।