वास्तव में,युन येचेंग का परिवार मूल रूप से काफी संपन्न था। उनके पास बीच बाजार में एक संपत्ति थी,जिससे उन्हें काफी लाभ होता था, इसलिए उन्हें धनी माना जाता था। परन्तु,साल की शुरुआत में, अचानक दुनिया भर में आर्थिक संकट आया,जिसका असर उनके परिवार पर भी पड़ा। कंपनी लगातार घाटे में चल रही थी। कई शेयरधारकों ने अपने निवेश को वापस ले लिया था। यह देखते हुए कि कंपनी दिवालिया होने वाली थी, उनकी पत्नी ने युन शीशी को ही इसके लिए दोषी ठहराया। ऐसा इसलिए था, क्योंकि ठीक एक साल पहले,युन येचेंग ने निवेश के लिए जमा किए हुए पैसे का प्रयोग,युन शीशी को एक प्रतिष्ठित हॉस्टल वाले हाई स्कूल में पढ़ाने के लिए कर लिया था, ताकि वह घर से दूर रह सके।
उनकी पत्नी के अनुसार,अगर येन येचेंग यह कदम नहीं उठाते, तो कंपनी पर आर्थिक संकट नहीं आता और युन परिवार की ऐसी हालत नहीं होती।
इस मामले को लेकर घर में कई बार बहस हुई। जब युन शीशी छुट्टियों में घर वापिस गयी,तो जब भी उसके पिता घर पर नहीं होते थे,तो माँ-बेटी दरवाजे बंद करके उसे मारती थीं। इस वजह से,उसके पिता को दिल का दौरा तक पड़ गया था।
वो यह सब बातों के बारे में सोच ही रहे थे,तभी उन्होंने देखा कि कोई दरवाजा खोल रहा है- सेक्रेटरी- और युन शीशी धीरे-धीरे अंदर आ रहे थे। अपने पिता को देखकर,उसकी आँखों की पुतलियां थोड़ी हिल गयीं। उन्हें देखकर उसकी आँखें भर आयीं, लेकिन जल्दी ही उसने खुद को संभाल लिया। उसके पिता तुरंत खड़े हो गए और सेक्रेटरी को संदेह की नज़रों से देखा।
स्थिति को समझते हुए,सेक्रेटरी जल्दी से वहां से निकल गयी और उनके लिए दरवाजा बंद कर दिया।
"शीशी!" वो गुस्से के भाव से उसके पास गए। उन्होंने युन शीशी के कंधों को पकड़ लिया और सिर से पैर तक उसे देखा।"तुम पिछले दो महीनों से कहां हो? क्या तुम जानती हो कि इस पूरे समय में मैं तुम्हारे लिए कितना चिंतित था?"
शर्म महसूस करते हुए युन शीशी ने उनकी तरफ देखा। केवल दो ही महीने में, चिंता से उसके पिता के पूरे बाल सफ़ेद दिखाई दे रहे थे, और उनके चेहरे पर झुर्रियां पड़ गयीं थीं। वो कई दिनों से उसकी चिंता कर रहे थे। वे सारा दिन कंपनी में दस्तावेजों के ढेर को निपटाते थे,और अपने खाली समय में शीशी को ढूंढते थे। इस तरह ज्यादा मेहनत करने से वे काफी थक चुके थे।
"पिताजी, मेरी चिंता मत कीजिए। मैं बिलकुल ठीक हूँ "युन शीशी ने उन्हें आश्वासन दिया। उसने पूछा, "कंपनी कैसी चल रही है?"
"क्या तुमने वह पैसे जमा करवाए थे?"
वो सीधे मुद्दे पर आ गए।
युन शीशी हैरान थी, उसे समझ नहीं आ रहा था कि उन्हें क्या जवाब दे। वो कोई भी बहाना बनाने से पहले एक पल के लिए घबरा गई। उसके पिता ने उसके हाथ के पिछले हिस्से को कस कर पकड़ रखा था।"ओह,बच्चे। मुझे सच बताओ। मुझसे झूठ मत बोलो। मुझे तुम्हारी फिर से चिंता करने के लिए मजबूर मत करो, ठीक है?" उन्होंने अचानक कुछ भयानक सोचा। सीधे बैठे हुए,उन्होंने जल्दी से पूछा, "क्या तुमने कुछ गलत काम किया है?"
वो अपना सिर नीचा करके बैठी हुई थी और कुछ भी बोल नहीं रही थी,उसके पिता उसका चेहरा देखकर सच्चाई ढूंढ़ने की कोशिश कर रहे थे,पर कोई फायदा नहीं था। उन्होंने दरवाजे की तरफ इशारा करते हुए पुछा,"तुम्हारे साथ वो महिला कौन थी?"
युन शीशी काफी देर तक चुप रही। आखिरकार,एक कीट की भिनभिनाहट की तरह धीमी आवाज में उसने कबूल किया,"मैं... मैं सरोगेट बन गई हूं ..."।
पूरे कमरे में अचानक खामोशी फ़ैल गयी।
अविश्वास से उसकी तरफ घूरते हुए उनकी भौहें चढ़ गयीं,"तुम ... तुम ऐसा कैसे कर सकती हो?..."
"पिताजी…।"
जैसे ही वो अपनी कांपती हुई आवाज़ में कुछ बोलती,उसे एक तेज़ आवाज़ अपने कानों में सुनाई दी! उसके पिता ने गुस्से में उसे एक थप्पड़ मार दिया। थप्पड़ इतना तेज़ था कि युन शीशी का चेहरा एक तरफ मुड़ गया। हिचकिचाते हुए उसने अपने जलते हुए गर्म गालों को छुआ,तभी उसके पिता ने उससे गुस्से में सवाल किया,"तुमने अपने आप को इस तरह से इतना नीचे क्यों गिराया? एक सरोगेट बनना ... तुम ऐसा कैसे कर सकती हो?"
उसकी उम्र बहुत कम थी,वो अभी-अभी बड़ी हो रही थी,लेकिन ना जाने क्यों उसने एक सरोगेट बनने का फैसला किया? उसे क्या पता था कि ऐसा करके वो अपनी जिंदगी बर्बाद कर रही है!
एक पिता के रूप में, उसकी नजरों में, क्या वो इतना बेकार था कि अपनी बेटी की रक्षा भी नहीं कर सकता था?
"मैं इस पैसे को छूऊंगा भी नहीं! मैं,युन येचेंग, इस हद तक नहीं गिर सकता!"
जब उन्होंने बोल लिया, तो वो गुस्से में अपनी सीट से उठे और कमरे से बाहर चले गए।
युन शीशी चुपचाप अपना सिर नीचे करके खड़ी रही,और कसकर अपने कपड़ों के कोने को पकड़ लिया।
(कहानी में आगे एक नया मोड़ आता है,जानने के लिए पढ़िए अगला अध्याय....)