जब यूयू का जन्म हुआ, तो युन शीशी को उसे स्तनपान कराना पड़ता था,यह उसकी पढ़ाई को बाधित करता था। यह उसके जीवन का सबसे कठिन दौर था। वो अपनी क्लास में ठीक से बैठ भी नहीं पाती थी। क्यूंकि उसे एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में दाखिला मिला था, इसलिए उसपर काम का बोझ बहुत अधिक था। जब भी वो फ्री होती थी,तो उसे पुराना बचा हुआ काम करना पड़ता था। एक सामान्य दिन में,वो पार्ट-टाइम नौकरी भी करती थी और यूयू का ख्याल भी रखती थी। उसे लगता था जैसे वो कभी भी बेहोश हो जाएगी।
विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट होने के बाद,उसे एक अच्छी सैलरी वाली नौकरी मिल गयी,जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ था। जब वो काम के लिए घर से बाहर रहती थी और उसकी दत्तक माँ और बहन घर पर होती थीं,तो वो यह सोच कर डरती थी कि,वो दोनों यूयू के साथ वैसा ही व्यवहार करेंगी जैसा कि उसके साथ करती थीं।
शुरुवात में,जब वो पहली बार यूयू को घर लेकर आई,तो युन ना ने उसे उदासीनता से घूरा। वो अब तक नहीं भूल पायी थी कि,युन ना यूयू को छोटा ह**मी कहकर बुलाती थी। इसलिए,जैसे ही उसे नौकरी मिली, उसने यूयू के साथ घर छोड़ दिया,और किराए के अपार्टमेंट में रहने चली गयी।
जब वो काम पर जाती थी, तो यूयू को बाल विहार भेज देती थी, और जब उसकी छुट्टी हो जाती,तो वो प्रवेश द्वार पर उसका इंतज़ार करता रहता था।
वो खुश थी कि यूयू एक समझदार बच्चा था। अपनी छोटी सी उम्र के बावजूद,वो बहुत विचारशील था और शायद ही उसने कभी किसी चीज़ के लिए ज़िद्द की थी। अब वो अपनी माँ के बिना अकेले ही घर लौटने में सक्षम हो गया था।
डिपार्टमेंटल स्टोर से बाहर निकलकर, उन दोनों के सामने धधकता हुआ सूरज था।
उस छोटे बच्चे ने अपने हाथ में एक खिलौना पकड़ रखा था,और वो अपनी माँ के पीछे-पीछे चल रहा था,उसके कदम धीरे-धीरे भारी होते जा रहे थे। उस वक़्त गर्मी का मौसम था। वे कुछ ही समय पहले एक ताजगी भरे माहौल से बाहर आए थे,इसलिए वे तेज़ गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे।
यूयू ने अपना छोटा सा चेहरा उठाया और धीरे से पुकारा,"मम्मी..।"
युन शीशी ने पलटकर उसकी तरफ देखा। उसने देखा कि यूयू का पूरा चेहरा लाल हो रहा था,उसकी आँखें नीचे हो गयी थीं। युन शीशी ने चिंता से पूछा,"क्या हुआ यूयू? क्या तुम बीमार हो?"
यूयू की भौहें सिकुड़ गयीं। उसने अपने हाथ उसकी ओर बढ़ाए और लाड में कहा,"मम्मी,बहुत गर्मी है...! यूयू अब और नहीं चल सकता! आटे की बोरी! आटे की बोरी...।"
युन शीशी उसकी बात सुनकर दंग रह गयी और मुस्कुराते हुए नीचे झुक गयी। जब यूयू ने यह देखा,तो उसकी आँखें खुशी से हिल गईं। उसने अपनी जीभ को चंचलता से बाहर निकाला और उसकी पीठ पर छलांग लगा दी। युन शीशी ने उसे कसकर पकड़ा और खड़ी हो गयी।
खुश,यूयू ने उसके कंधों को पकड़ लिया, उसका छोटा सा चेहरा युन शीशी के चेहरे से चिपका हुआ था। उसने प्यार से पूछा,"मम्मी,क्या आप भी थक गई हैं?"
"बेशक।"
"देखना जब यूयू बड़ा हो जायेगा,तो वो मम्मी को गोद में उठा कर ले जाया करेगा!"
युन शीशी ने मुस्कुराते हुए कहा,"ठीक है! तुम सच में मम्मी की प्यारी सी जान हो!
उस बच्चे ने अपना हथेली के साइज का छोटा सा चेहरा ऊंचा किया और भोलेपन से पूछा।"मम्मी,प्यारी सी जान क्या होता है?"
"इसका मतलब होता है...एक दिलवाला इंसान - एक ऐसा इंसान जो सबसे प्यार करता है।"
"ओह! फिर,यूयू सिर्फ मम्मी से प्यार करेगा और किसी से नहीं!" यूयू ने अपने गुलाबी होठों को गोल किया, युन शीशी के चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ा, और-मुआह ! - उसने युन शीशी को चूम लिया।
मां और बेटे ने हँसते हुए एक-दूसरे से सिर फोड़े और मस्ती करते हुए वहां से चले गए।
एक बड़ी सी लिंकन गाड़ी सड़क किनारे चुपचाप खड़ी थी।
उस लिंकन का रंग काला था,और उसका आकार बहुत ही सुन्दर था। उसकी खिड़की से,एक अच्छा दिखने वाला छोटा सा लड़का दिखाई दे रहा था।
वो लड़का आलस से चमड़े की सीट पर लेटा हुआ था, उसका हाथ उसके गाल के नीचे था। वो लगभग छह साल का लग रहा था, लेकिन उसके चेहरे पर एक बड़े आदमी जैसे भाव थे, जो उसकी उम्र के साथ मेल नहीं खा रहे थे। उसने खिड़की से युन शीशी और यूयू को खुशी से जाते हुए देखा। उन्हें देखकर, उसके अंदर कुछ हलचल हुई।
वह जोड़ी आगे और आगे बढ़ती गई।
जब वो माँ और बेटे को पीछे से जाते हुए देख रहा था तो बेवजह, उसके दिल में एक अजीब सा भाव उभर आया। यह कुछ ऐसा था जिसे समझाया नहीं जा सकता था।
उसके दिल में थोड़ा सा दर्द हुआ। यह एक कड़वा एहसास था। तभी,उसे अकेलेपन का एहसास होने लगा।