म्यू वानरु को इस बारे में एक बार भी शक नहीं हुआ। यदि दादाजी ने उनकी सगाई नहीं करवाई होती,और अगर यह शादी उनकी इच्छा से नहीं हो रही होती, तो यह आदमी शायद एक बार भी उसकी तरफ नहीं देखता। अगर वो उससे प्यार करता,तो वो उसे किस करने की अनुमति क्यों नहीं देता,और उसे यह क्यों नहीं कहता कि,"मैं तुमसे प्यार करता हूँ?"
हालाँकि,वो एक दासी की तरह उससे प्यार करती थी,इसलिए उसने सब कुछ सहा,और उसे स्वीकार कर लिया। म्यू याज़हे एक सज्जन और अभिमानी आदमी था। वह म्यू ग्रुप का क्राउन प्रिंस था। भले ही दादाजी म्यू,म्यू वानरु को बहुत पसंद करते थे, लेकिन यह आदमी म्यू वानरु की पहुँच से बाहर था।
इसलिए,वो हर बार खुद को तसल्ली दे देती थी। उसने खुद को समझाया कि वो म्यू परिवार की मंगेतर है; वो भविष्य में, म्यू परिवार की यंग मिस्ट्रेस बनने जा रही थी। कुछ महीनों में, उनका सगाई समारोह आयोजित होने वाला था, इसलिए उसे कोई गड़बड़ नहीं करनी चाहिए। जो उसे मिल रहा है,उसे उसी में संतुष्ट हो जाना चाहिए। लेकिन,वो थोड़ी लालची हो गयी थी। वो न केवल म्यू याज़हे को चाहती थी- बल्कि उसके प्यार को भी पाना चाहती थी !
म्यू वानरु ने थोड़ी कड़वाहट से मुस्कुराते हुए, धीमी आवाज में कहा,"आप सच में... मेरे साथ रहना चाहते हैं ना?"
मु याज़हे का ध्यान कहीं और था,और उस महिला के चेहरे के उलझन भरे भावों पर उसने ध्यान नहीं दिया। यह देखकर कि म्यू याज़हे अपने ख्यालों में खोया हुआ था, म्यू वानरु ने उसका कॉलर और भी कसकर पकड़ लिया।
"ज़हे, क्या तुम सच में मुझसे प्यार करते हो? मुझे जवाब दो!"
म्यू याज़हे ने ज़िद्दी म्यू वानरु को धकेल दिया और अपनी मेज के सामने जाकर नरम आवाज़ में बोला, "वानरु,ज़िद्द मत करो।"
म्यू याज़हे ने अपनी आँखें नीचे कर लीं। उसकी आवाज़ भावहीन और गहरी थी,जैसे कि वो एक छिड़े हुए बच्चे को शांत कर रहा था।
म्यू वानरु एक बच्ची थी,जब दादा म्यू ने दस साल पहले उसे म्यू परिवार में अपनाया था। वो उसे म्यू याज़हे के पास ले आए और उन दोनों की सगाई करवा दी। म्यू परिवार एक समृद्ध और शक्तिशाली परिवार था। और म्यू वानरु, दादाजी की आंखों का तारा थी; वो संस्कारी और शांत थी। वो म्यू याज़्हे से प्यार करती थी, लेकिन वो उससे प्यार नहीं करता था।
म्यू याज़हे के लिए यह विवाह, अनावश्यक था।
वो सिर्फ अपने दादा की इच्छाओं का पालन कर रहा था।
उसके व्यक्तित्व के हिसाब से, महिलाओं की उसके जीवन में कोई जगह नहीं थी। वे एक ज़रूरत नहीं थीं। अपने दादा को खुश रखने के लिए वो यह शादी कर रहा था। उसके हिसाब से यह केवल एक समझौता था। म्यू परिवार के रिश्तेदार धीरे-धीरे अपनी चालें चल रहे थे; उनमें से कई उसकी पोजीशन पर नजर गड़ाए हुए थे। वो म्यू साम्राज्य के विस्तार के लिए इस शादी का उपयोग कर रहा था।
प्रेम? यह शब्द उसके लिए बहुत ज़्यादा विलासिता का पर्याय था।
प्यार क्या था? क्या शोहरत और दौलत का पीछा करते हुए उच्च वर्ग के लोगों के तौर तरीके उस पर हावी हो गए थे? या ये हठी और खुद की इच्छा वाली मु वानरु का असर था ?या यह गैर अनुभवी माडल्स और कलाकारों के लिए प्रसिद्धि पाने का एक तरीका था ?
भौतिक इच्छाओं की इस दुनिया में,धन और इच्छाएँ आपस में जुड़ी हुई हैं; तो ऐसे में कौन प्यार की बात करेगा?
अपनी माँ के अलावा,उसने कभी किसी अन्य महिला से प्यार नहीं किया था। रिश्ते-नाते और प्यार सभी उसकी समझ से बाहर थे। वो बेपरवाह और बेरुखा था,उसने अपनी एक अलग दुनिया बसा रखी थी।
व्यापार के क्षेत्र में, वो केवल अपने एक इशारे से हलचल मचा सकता था। वो चीजों को बड़े ही बेरहम और दृढ़ तरीके से करता था। निजी तौर पर,कोई भी उसके साथ सौदे कर सकता था,लेकिन उसके दिल में जाने के बारे में कभी नहीं सोच सकता था।
उसके साथ प्रेम की बात करना?
मजाक की बात है।
उसकी टेबल पर रखा फोन अचानक बज उठा। म्यू वानुरु ने उसके लिए कॉल का जवाब दिया और सेक्रेटरी डेस्क से एक आवाज़ वाला सन्देश सुना,"डायरेक्टर,यंग मास्टर आ गये हैं।"
दरवाजे के बाहर से क़दमों की आवाज़ सुनाई दी। तभी,ऑफिस का दरवाजा खुला और एक छोटा सा सिर दिखाई दिया।
"डैडी!"उस बच्चे ने देखा कि म्यू याज़हे व्यस्त नहीं था,इसलिए वह अंदर चला आया। यह देखकर कि मयू वानुरु भी वहां है, उसके चेहरे पर तुरंत बेचैनी की एक लहर फैल गई। उसने उसे,"मम्मी"कहकर बुलाया।
यह सुनकर,म्यू वानुरु को कुछ असहज लगा। वो नहीं जानती थी कि वो उसकी "मम्मी" होने के बावजूद उस छोटे से बच्चे के करीब क्यों नहीं थी। शायद,यह इसलिए था क्योंकि वह उसका खून नहीं था। खून का रिश्ता ना होने के कारण,उनका संबंध बाकी माँ और बेटे जैसा गहरा नहीं था।