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Chapter 37 - तुम मेरी कर्ज़दार हो

लेकिन उस चरित्रहीन औरत ने पुलिस में शिकायत दर्ज़ कर सालों पहले मुझपर उसकी हत्या के साजिश रचने के आरोप लगाने का साहस ज़रूर दिखाया था।

 मैंने भी उसे रास्ते पर लाकर अपनी ओर से दया दिखाई ही है।

बेशक, वू रोंग ने मुंह से यह सब नहीं कहा । उसने नफरत भरी नज़रो से जिंगे की ओर देखा । यह जानते हुए भी कि, जिंगे उसे मुसीबत में डालने आई है , वह ज़रा भी डरी हुई नहीं थी । 

उसे शिया परिवार की पूरी संपत्ति विरासत में मिली थी; वो जिंगे से क्यों डरती?

 वू रोंग ने व्यंग से कहा, " चान , क्या तुम सठिया गई हो, जो तुमने एक अजनबी को घर के अंदर आने दिया। हमारा घर युवा केंद्र नहीं है कि कोई भी मुंह उठाकर अंदर चला आए"। 

श्रीमती चान ने नर्मी से जवाब दिया, "लेकिन मैडम, ये मिस शिया हैं…"

 "चान , तुम सच में सठिया गई हो! इस घर में एक ही युवती है और वो वू शुआंग है।तुम्हें क्या लगता है कोई भी राह चलती घर की मालकिन बन जायेगी?"

 श्रीमती चान डरकर चुप हो गईं।

वू रोंग के आक्रमक रवैये से जिंगे ज़रा भी भयभीत न हुई ।

उसने वू रोंग को इस तरह से देखा मानो उसे मार ही डालेगी। 

वू रोंग धीरे-धीरे सीढ़ी से नीचे की ओर जाते हुए उतनी ही तीखी नज़र से बोली, "शिया जिंगे , तुम यहां क्या कर रही हो? अपनी तशरीफ़ का टोकरा घर से बाहर निकालो,वरना मैं दरबान से कहकर तुम्हें धक्के से बाहर निकलवाऊंगी।

जिंगे पलट कर जवाब देती है, "ऐसा? मैं चकित हूं कि मुझे बाहर निकालने का हक तुम्हें किसने दिया"।

"यह मेरा घर है! क्या ये काफी नहीं है? मैं और एक बार कह रही हूं, बाहर निकलो। मेरे घर गलीज़ कर रही हो, " वू रोंग 6 साल पहले से बिल्कुल विपरीत नफरत और ज़हर से भर गई थी । 

जिंगे के पिता शिया चेंगवेन के गुज़रने से पहले वू रोंग सौतैली मॉं होने के बावजूद दया और प्रेम की मूर्ति हुआ करती थी। 

बदकिस्मती से आज वह उतनी ही दुष्ट हो गई थी, जितनी वह पहले दयालु थी। 

उसकी दुष्ट हरकतों का अंदाज़ा लगने में काफी देर होने के लिये जिंगे खुद को दोषी मानती थी।

 "तुम्हारा घर?" जिंगे उसके थोड़ा और नज़दीक जाकर ऑंखों से आग उगलते हुए बोली,"वू रोंग, क्या तुम्हें वाकई ऐसा लगता है कि मैं पिताजी की मृत्यु, मेरी स्वयं की कार दुर्घटना,पिताजी के वसीयत में चली हुई चालों की सच्चाई से बेखबर हूं?"

वू रोंग के चेहरे पर थोड़ी देर के लिए चिंता की घटा छा गई। 

उसने गौर से जिंगे को देखी और धीरे से कहा, " तो तुम्हारी याददाश्त वापस आ गयी"। 

 "बिल्कुल, मैं वह सब कुछ वापस लेने आई हूं, जिसकी तुम मेरे लिए कर्ज़दार हो"।

वू रोंग व्यंगपूर्वक हंस पड़ी। उसे इस बात की कोई परवाह नहीं थी कि जिंगे की याददाश्त वापस आई है या नहीं , वह लड़की अभी भी उसकी नज़रों में कुछ नहीं थी ।

 "मैं तुम्हारी कर्जदार हूं ? मैं तुम्हारी पिता की पत्नी हूं , उनके मरने के बाद , हर चीज स्वभाविक रुप से मेरी हो गई , फिर मैने तुम्हारा क्या लिया है ? तुम कौन होती हो , वसीयत के बारे पूछनेवाली?"

कानून की खामियों का उपयोग कर रही वू रोंग शी चेंगवेन की संपत्ति पर पेश किए गए अपने दावे के लिये जिंगे को खतरा नहीं समझ रही थी । 

 "शिया जिंगे , अगर तुम मुझे अदालत में चुनौती भी देती हो, तो मुझे उसका डर नहीं है। लेकिन तुम्हें डर होना चाहिये, क्योंकि मैं तुमपर मानहानि का मुकदमा करने जा रही हूं।" 

 जब उसने ये सुना कि जिंगे पुलिस में उसके खिलाफ शिकायत दर्ज़ कराने गई थी, उसने पहले ही अपने वकील से दस्तावेज़ तैयार करने के लिये संपर्क कर लिया था । 

वह निश्चित कर रही थी कि यह छोटी-सी दुष्ट लड़की उससे झगड़ा मोल लेकर अफसोस करेगी ! 

 "शौंक से करना, चलो देखते हैं कि कौन जीतता है और कौन हारता है ," जिंगे ने दृढ स्वर में कहा। इससे वू रोंग को संदेह और भय हो गया कि जिंगे उस पर कोई निम्न श्रेणी का आरोप ना लगा दे। 

फिर भी, तुरंत ही उसने अपने मन में आए संदेह को निकाल बाहर किया, आखिरकार , वह इतनी चालाक थी ही कि उस दुष्ट का मुहतोंड जवाब दे सके ।

 " मेरी बात याद रखो। मैं तुम्हे व्यक्तिगत रुप से जेल भेजूंगी," वू रोंग ने बेरहमी से कहा। वो पीछे मुड़ी और उसने आदेश दिया , " चान , सुरक्षाकर्मियों को बोलो कि इसे बाहर निकाले!" 

 श्रीमती चान दंग रह गईं । 

वू रोंग उस बूढ़ी नौकरानी को गुस्से से देखते हुए चिल्लाई, " क्या अब तुम भी मेरे खिलाफ विद्रोह पर उतर आई हो ?" 

"बिल्कुल नहीं, मैडम …" मिसेज. चान के पास सुरक्षा कर्मियो को बुलाने के बाद दूसरा कोई चारा नहीं था।

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