यह औरत उसकी यादों जितनी ही घमण्डी अभी भी थी।
वह अपने पूरे जीवन में इससे अधिक मदांध महिला से नहीं मिला था।
भले उसने कितना ही गलत क्यों न किया हो, वह न क्षमा मॉंगती, न उसे पछतावा होता, न वह शोक ही प्रकट किया करती।
यहॉं तक कि आज की परिस्थिति में उसने अपनी ज़िद और घमण्ड को नहीं छोड़ा था।
मुबाइ अपने आप को सोचने से कभी रोक न पाया: क्या वह कभी बदलेगी?
मुबाइ इन विचारों में खोया हुआ था कि, किसी ने ऑफ़िस के दरवाज़े पर दस्तक दी।
वह अपने मनोराज्य से बाहर आया और बोला, "अंदर आइए…"
चांग अन ने दरवाज़ा खोला और अंदर चला आया।उसे देखकर मुबाइ ने पूछा, "तुम इतनी जल्द कैसे वापस आ गए?"
चांग अन ने चेहरे पर एक अस्पष्ट भाव के साथ उत्तर दिया, "मिस चू ने अपनी खुद की गाड़ी बुलाई और चली गईं। मैं शर्मिदा हूं, सीईओ शी, व्यक्तिगत रूप से मिस चू को घर न भेज पाने के लिए।"
"क्या हुआ, वह परेशान क्यों थी?" मुबाइ अचानक कुछ सोचकर बोला।
चांग अन ने सर झटका और उत्तर दिया, "पता नहीं, पर जो कुछ मिस चू मुझे बता पाईं, उससे ऐसा लगता है कि मिस शिया के परिवार ने उन्हें तंग किया था…"
मुबाइ ने और कुछ नहीं पूछा, "ओके, धन्यवाद।"
"तो मैं इजाज़त चाहूंगा, सीईओ शी," चांग अन बोला। मुबाइ ने यह जानने की ज़रा भी रुचि न दिखाई कि उसकी मंगेतर को क्या हुआ था।
मुबाइ को लगा था कि ऐसा कुछ होगा, जब तेंजिन ने कहा था कि वह जाकर जिंगे को मदद का प्रस्ताव देगी। जिंगे ने स्पष्ट रूप से कह दिया था कि उसे कोई मदद नहीं चाहिए।
तेंजिन ने सोचा था कि वह मुबाइ की नज़रों में दरियादिल साबित होगी, पर मुबाइ ने इसे सिर्फ़ उसकी बेवकूफ़ी समझा।
तेंजिन यह जानते हुए वापस चली गई कि उसकी दरियादिली को स्वीकार नहीं किया जाएगा। मुबाइ की दृष्टि में वह इसी बर्ताव की हकदार थी।
मुबाइ बेवकूफ़ाना हरकतें पसंद करनेवालों में से नहीं था।
इसीलिए, न उसे तेंजिन के लिए बुरा लगा, और न उसे सांत्वना देने की उसकी कोई मंशा बनी।
तेंजिन घर आने के बाद धैर्य से मुबाइ के कॉल का बेकार इंतज़ार करती रही।
इसने उसे और चिढ़ा दिया और वह अपने दोस्तों के साथ बात करने के लिए ऑनलाइन आ गई।
सूअर की बच्ची, मैंने उसे पैसे दिए, क्योंकि मैं अभी भी उसे शी लिन की मॉं समझती हूं! वह खुद को समझती क्या है कि वह पूरे अस्पताल के कर्मचारियों के सामने मेरी बेइज़्ज़ती कर देगी!मेरी नज़रों में वह बस एक कु*या है, और कुछ नहीं।
तेंजिन, वह यकीनन एक कु*या है, पर तुम ऐसी बेकार गलीज़ औरत के लिए अपना आपा क्यों खोती हो? तुम्हारी कानी उंगली के बराबर भी वह नहीं है।
तेंजिन मुस्कुराई। क्या तुम्हें मुझे ये बताने की ज़रूरत है? वैसे, एक बात बताऊं, दुख की बात है कि यह देखने के लिए तुमलोग वहॉं नहीं थीं, कि वह कितनी बेज़ार हो गई है। चेहरे पर झुर्रियॉं आ गई हैं और वह एक झुग्गी में रहती है। उसका जीवन को खत्म हो गया। तुम्हें क्या बताऊं, मुझे कितनी खुशी हुई उसकी परिस्थिति देखकर? मैं तो ज़मीन से खुशी के मारे उछलनेवाली थी।
कर्म का फल यही होता है। यकीनन, भगवान ऐसी चरित्रहीन औरत को सज़ा देगा। तेंजिन, सिर्फ़ इंतज़ार करो, उसकी हालत बद से बदतर होती चली जाएगी। कुछ सालों में, उसे ज़िंदा रहने के लिए किसी बूढ़े मोटे खूसट को अपना शरीर बेचना होगा। उस वक्त वह सिर्फ़ पछता पाएगी कि वह पैसे उसने क्यों नहीं लिए, जो आज तुम उसे दे रही थीं।
तेंजिन का मूड सातवें आसमान पर पहुंच गया।
उसके होठों पर एक चौड़ी मुस्कान आ गई। माफ़ करना, मेरी तुलना में वह आज भी बदतर है, ठीक है? तुम्हें देखना चाहिए था कि उसने कैसे चीथड़े पहने हुए थे, ऐसे कपड़े तो मैं पायदान के लिए भी इस्तेमाल नहीं करती। वह मेरी मॉं से भी बूढ़ी लगती है। तुम्हें पता नहीं उसे आंटी कहने से रोकने के लिए मुझे खुद से कितनी जद्दोजहद करनी पड़ी?
जबानी जमाखर्च चलता रहा।
तेंजिन के दोस्तों के बीच, जिंगे का इस कदर अपमान हो रहा था, कि उसे मानवी मल से बेहतर कुछ नहीं समझा जा रहा था।