Chereads / मिस्टर सीईओ , स्पॉइल मी १०० परसेंट ! / Chapter 1 - तलाक के तीन साल बाद

मिस्टर सीईओ , स्पॉइल मी १०० परसेंट !

Enchanting Smile
  • --
    chs / week
  • --
    NOT RATINGS
  • 537.8k
    Views
Synopsis

Chapter 1 - तलाक के तीन साल बाद

"माफ़ कीजिये, पर हम यहाँ 30 साल से ऊपर की महिलाओं को काम नहीं देते", रेस्तरां के मैनेजर ने अधीरतापूर्वक शिया जिंगे को बाहर जाने का इशारा करते हुए कहा।

उदास हो कर जाते हुए जिंगे ने मैनेजर को दबी आवाज़ में कहते हुए सुना "मेरा व्यवसाय कैसे आगे बढ़ेगा अगर मेरे पास एक बूढ़ी और कुरूप वेट्रेस होगी?"

सुन कर जिंगे की ज़रा सी त्योरियाँ चढ़ गई, उसका मन किया कि वो मुड़े और मैनेजर से कह दे कि वो अभी सिर्फ 25 साल की है। लेकिन जब उसने बगल की खिड़की में अपना प्रतिबिम्ब देखा तो कुछ भी कहने से खुद को रोक लिया। उसके चेहरे से तरुणाई जा चुकी थी और वह चमक, जो उसकी आँखों को और खूबसूरत बनाती थी, अब मंद पड़ गई थी । दुर्बल शरीर, रूखे बाल, झुर्रियों से भरा चेहरा और पुराने कपड़ों ने उसके रंग-रूप में 10 साल और जोड़ दिए थे। उसे अहसास हुआ की पिछले कुछ सालों में वह बूढी लगने लगी है जब की अभी वह सिर्फ 25 साल की ही थी। बीते कुछ सालों में भोगे हुए बेहिसाब कष्टों को याद कर जिंगे कड़वाहट से मुस्कुरा उठी। अपने निढाल शरीर को खींचते हुए जिंगे जैसे ही जाने को हुई तभी उसने देखा कि एक कार ठीक उसके पीछे आ कर रुक गई।

रेस्ट्राँ के मैनेजर की निगाहों से कीमती मेबैश कार का आना छुप नहीं सका। मैनेजर ने चापलूसी करते हुए कहा "सीईओ शी, स्वागत, स्वागत है आपका", जाती हुई जिंगे यकायक रुक गई।

"मुबाई, क्या तुम इसके बाद मेरे साथ कपडे खरीदने चलोगे? आज चैनल काउंटर पर नया सामन आने वाला है।" चू तेंज़िन ने कार से उतरते हुए बड़ी विनम्रता से कहा। उसने शी मुबाई की बाहों को अधिकारपूर्वक थाम रखा था।

मुबाई ने उसकी तरफ नज़र डाली और रुखाई से कहा "एन"!

इस एक शब्द ने जिंगे को वहीं जमा दिया। इस से पहले की वह खुद को रोकती, उसका सिर धीरे से घूम गया.....

उसकी नज़र मुबाई के आकर्षक चेहरे पर पड़ी, ये वही हो सकता था....

जिंगे कभी सोच ही नहीं सकती थी कि तलाक के ३ साल बाद वो दोनों ऐसे मिलेंगे। वो परेशान थी, उसका भाग्य ख़राब था।

वह अब भी पहले की तरह शांत और संयत था, आम लोगों की पहुँच से बाहर। उसकी बगल में खड़ी तेंज़िन अब भी उतनी ही शालीन और गरिमापूर्ण थी जितनी वह ३ साल पहले थी। अंत में वे दोनों एक साथ हो ही गए। वैसे भी, उसके दृश्य से बाहर होते ही ये अचरज की बात भी नहीं थी।

मुबाई ने उसे देखते ही कहा "शिया जिंगे"? उसकी आँखों में अविश्वास झलक रहा था।

तेंज़िन के हाव-भाव बदल गए और उसने हैरानी से कहा "हे भगवान!, शिया जिंगे, क्या सच में ये तुम हो?, क्या हो गया है तुम्हे?"

जिंगे ने खुद को उसकी अचंभित नज़रों से दूर किया, वो जल्दी से बड़बड़ाते हुए मुड़ी "तुमने मुझे कोई और व्यक्ति समझ लिया है।"

वो फ़ौरन वहां से निकलने के लिए मुड़ी।

वह किसी भी तरह उन दोनों का आज सामना नहीं करना चाह रही थी। कोई भी महिला अपने पूर्व पति और उसकी खूबसूरत प्रेमिका,जो उसकी प्रतिद्वंदी थी, से ऐसी अपमानजनक स्थिति में नहीं मिलना चाहेगी। ख़ास तौर पर अब तो बिलकुल नहीं जब वो दोनों साथ हों।

कौन जीता, कौन हारा, ये एकदम स्पष्ट था।

मुबाई भागती हुई जिंगे को देख कर चिल्लाया - "शिया जिंगे, वहीं रुक जाओ।"

जैसे ही उसने उसकी बाहों को पकड़ा, उसे लगा उसकी बाहों में सुइयाँ चुभ रही हैं, वह चिल्लाते हुए बोली- "मुझे जाने दो, मैं शिया जिंगे नहीं हूँ, सच में नहीं हूँ।"

उसका ध्यान पूरी तरह खुद को मुबाई से छुड़ाने में लगा हुआ था इसलिए तेज़ रफ़्तार से आती हुई कार की तरफ उसका ध्यान नहीं गया। आखिरकार उसने खुद को छुड़ाया और तेज़ गति से सड़क के पार दौड़ने लगी।

मुबाई चिल्लाया- "जिंगे!, सावधान रहो", पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कार जिंगे से टकरा चुकी थी।

जिंगे सिर के बल गिरी और तुरंत ही बेहोश हो गई।

वह एक लम्बे सपने में खो गई...

Latest chapters

Related Books

Popular novel hashtag