श्रीमान शी, मुझे आपको सूचित करते हुए अत्यंत खेद कि जिस रोगी को आज सुबह आपने हमारे यहाँ भेजा था वह अचानक लापता हो गई है। हमें यकीन है की वह स्वयं की इच्छा से ही अस्पताल छोड़ कर गई हैं! तो भी, वह अभी पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं, उन्हें जाना नहीं चाहिए था। क्या आप संपर्क कर उन्हें वापस अस्पताल ला सकते हैं?
मुबाई सही था कि इस कॉल का सम्बन्ध शिया जिंगे से था लेकिन फिर भी उसे नहीं लगा था कि वह औरत इतनी सनकी हो सकती है की चिकित्सक के मना करने पर भी अस्पताल छोड़ कर चली जाए।
जिंगे एक कार दुर्घटना में घायल हुई थी, उसकी चोट ज्यादा चिंताजनक नहीं थी फिर भी डॉक्टर ने कहा था की ये जरुरी है की वह कुछ दिन चिकित्सकों की निगरानी में अस्पताल में रहे।
कौन सोच सकता था की होश में आने के बाद वह इस तरह बिना किसी को कुछ बताये चली जाएगी।
उसके जाने के बाद परिचारिका को जिंगे के बेड की बगल वाली मेज पर ३००० RMB मिले। उसके होश में आने के बाद नर्स ने ये कहते हुए उसे पैसे दिए थे की ये मुबाई की तरफ से हैं। अस्पताल से जाते समय वह पैसे पीछे छोड़ गई थी, उसने उसकी भलमनसाहत को साफ़ नकार दिया था।
जब कि अभी भी वह पूरी तरह स्वस्थ नहीं हुई थी और उसके पास पैसे भी नहीं थे। उसका इस तरह चले जाना मुबाई की समझ से बाहर था।
क्या उसे खुद के स्वाथ्य की भी परवाह नहीं है?
मुबाई उसकी इस मूर्खता से थोड़ा चिढ़ सा गया फिर भी वह अपनी कार ले कर उसे ढूँढने निकल पड़ा।
उसे उसकी बिल्कुल भी कोई चिंता नहीं थी लेकिन आखिरकार वह शी लिन की माँ थी।
शी लिन की खातिर वह उसे खुद के सहारे नहीं छोड़ सकता था।
जहाँ मुबाई उसे पूरे शहर में ढूँढता फिर रहा था ,वहीं जिंगे पुलिस स्टेशन में बैठी थी।
वो वहां शिकायत दर्ज़ कराने के लिए थी।
सिर पर बंधी हुई पट्टी, चोटिल चेहरा, पीला पड़ा हुआ रंग, और अशक्त शरीर, ये सब देख कर पुलिस को लगा की वह अपने साथ हुए किसी हादसे की रिपोर्ट लिखवाने आई है।
लेकिन पता चला कि वो छह साल पहले हुई एक कार दुर्घटना की रिपोर्ट लिखवाना चाहती है।
"मिस शिया , ज़रा मुझे समझने दीजिये, आप ये कहना चाहती हैं कि छह साल पहले आपके साथ जो कार दुर्घटना हुई थी वो जान बूझ कर किया हुआ हत्या का प्रयास था? ", पुलिस ने ताज्जुब से पूछा।
जिंगे ने सिर हिला कर हामी भरी। उसकी आँखों में दृढ़ता झलक रही थी , उसने कहा, "बिल्कुल सही ! छह साल पहले अपने पिता के गंभीर रूप से बीमार हो जाने की वजह से मैं विदेश से जल्दबाजी में वापस आई थी। किसी ने मुझे जान से मारने की कोशिश की थी और उस घटना को वाहन दुर्घटना का रूप दे दिया था।
शुक्र है कि मैं मरी नहीं, बस मैंने अपनी याददाश्त खो दी थी। आज जब मेरे साथ वैसी ही एक दुर्घटना हुई तो मुझे पिछ्ला सब कुछ याद आ गया।"
"आप इतनी विश्वसनीयता के साथ कैसे कह सकती है की वह दुर्घटना जान बूझ कर की गई थी।"
"मुझे ये याद है कि मेरा ध्यान इस बात पर गया था की जैसे ही मैं एयरपोर्ट पर उतरी, उस कार ने लगातार मेरा पीछा किया था । वह मेरी प्रतीक्षा कर रहा था।"
पुलिस अफ़सर अब गंभीर हो गया था, "क्या आप कुछ और याद कर के बता सकती हैं? "
"मुझे याद है कि कार की नंबर प्लेट के आखिरी दो अंक 53 थे और वह एक काले रंग की एसयूवी थी।"
पुलिस अफ़सर ने अविश्वास की एक हल्की सी झलक के साथ कहा, "लेकिन मिस शिया, यह दुर्घटना छह वर्ष पहले हुई थी और अभी आपने खुद ही कहा कि आप कुछ समय के लिए याद्दाश्त खो चुकीं थीं, तो आप यह निश्चित तौर पर कैसे कह सकती हैं कि आपको जो कुछ भी याद है वह सब सही है? "
धीमे स्वर में जिंगे ने कहा, "उस आदमी की वजह से जो मुझे मारना चाहता था।" यह कैसे संभव है की किसी व्यक्ति को अपनी हत्या की कोशिश करने वाला याद न रहे। इसके अलावा, मेरे स्मृति-दोष के दौरान भी मेरी पुरानी याददाश्त एकदम ठीक थी।
बिना एक पल की देरी किये पुलिस ने उस पर यकीन कर लिया।
उसे ये इसलिए हुआ था क्यूंकि उसने जिंगे के दस्तावेज़ निकाल कर देखे और पाया की जिंगे, विश्व के दस श्रेष्ठ विश्वविद्यालों में से एक, अकादमी S, की सर्वश्रेष्ठ छात्रा रही है।
"मिस शिया , आपकी नज़र में कोई ऐसा है जिस पर आप को संदेह है या आपने अतीत में किसी के साथ अन्याय किया है? "
"मुझे सिर्फ अपनी सौतेली माँ और उनकी बेटी पर ही संदेह है, मेरे पिता की मृत्यु के फ़ौरन बाद ही उन्होंने मुझे उनकी वसीयत से अलग कर दिया, सारी जायदाद उन माँ-बेटी को मिली जब की अपने पिता से उत्पन्न हुई संतान के रूप में मैं उनकी इकलौती वारिस हूँ।"
ये कहते हुए जिंगे की आँखें घृणा से भर गई।
जिंगे के बचपन में ही उसके माता-पिता का भी तलाक हो गया था। वह विदेश में अपनी माँ के साथ रह कर बड़ी हुई थी।
अपने पिता के पुनर्विवाह के बाद जिंगे साल में एक बार अपने पिता के परिवार के साथ कुछ समय बिताने अपने देश आया करती थी। उसकी अपनी सौतेली माँ और बहन से अच्छी निभती थी। वे उसके प्रति सज्जनतापूर्ण और विनम्र थी।
जिंगे ने उन्हें हमेशा परिवार के सदस्य के रूप में मान दिया था लेकिन कौन जानता था की माँ बेटी की मंशा कुछ और ही है।
जब उसके पिता मृत्यु शय्या पर थे तो उन्हें भय था की जिंगे उनकी जायदाद के एक बड़े हिस्से पर अपना हक़ जतायेगी तो आखिरकार उनके शातिर स्वभाव ने अपना सिर ऊपर उठाया।