कमरे की पीली रौशनी में, जिंगे का चेहरा और भी पीला जान पड़ता था।
"बस एक छोटी-सी दुर्घटना थी। डॉक्टर ने भी कहा कि कुछ गंभीर नहीं है। कुछ दिन आराम करने के बाद मैं ठीक हो जाऊंगी," वह ज़्यादा कुछ बताकर अपने चाचा को परेशान नहीं करना चाहती थी, "अंकल, आपको अभी भी कमज़ोरी है, आप आराम क्यों नहीं कर रहे?"
चेंगवू को किडनी की बीमारी थी। साथ में वह साफ़सफ़ाई का काम करता था, इसीलिए उसे सुबह की शिफ़्ट पर जाने के लिए जल्दी सोना पड़ता था।
"मुझे अच्छा नहीं लग रहा था, क्योंकि तुम बड़ी देर से घर से बाहर थी, और देखो, तुम्हारे साथ सच में बुरा हुआ," चेंगवू ने तड़पकर कहा, "तुम्हारे साथ छह साल पहले ही दुर्घटना नहीं हुई थी? क्या वह काफ़ी नहीं था? लगता है भगवान शिया परिवार से नाराज़ हैं…"
चेंगवू की बात काटना मुश्किल था, क्योंकि शिया परिवार सचमुच खराब दौर से गुज़र रहा था।
जिंगे के पिता चल बसे, उसने कार दुर्घटना में अपनी याद्दाश्त खो दी और उसकी शादी का अंत भी तलाक में हुआ।
किस्मते की इसी मार के बीच, चेंगवू ने किडनी का रोग पकड़ लिया और हर महीने की डाइलिसिस के खर्च ने परिवार के हाथ और तंग कर दिए थे।
चेंगवू का बेटा, शिया ची एक अच्छा विद्यार्थी और देश के सर्वोत्तम विश्वविद्यालय के काबिल था।
लेकिन, अपने परिवार को अतिरिक्त खर्च से बचाने के लिए, शिया ची ने स्थानीय सरकारी स्कूल में दाखिला ले लिया। फीस काफ़ी कम थी, पर इससे उसके उज्ज्वल भविष्य पर बहुत विपरीत प्रभाव पड़ रहा था।
आज उसके साथ एक और कार दुर्घटना हुई और कोई भी समझ सकता था कि शिया परिवार की इस हालत के कारण उसके चाचा भगवान से इतने नाराज़ क्यों थे।
लेकिन, जिंगे मन ही मन भगवान का शुक्र अदा कर रही थी कि दुर्घटना ने उसकी याद्दाश्त उसे वापस दे दी थी।
"अंकल, मेरी ओर देखिए, मैं बिल्कुल ठीक हूं, आपको चिंता नहीं करनी चाहिए। साथ ही, आज की दुर्घटना ने ही मुझे मेरी याद्दाश्त वापस दी है। मुझे भरोसा है कि शिया परिवार के दिन जल्द ही फिरेंगे।"
शिया चेंगवू और शिया ची दोनों को एकसमान हैरत हुई।
"दीदी, सच?!"
जिंगे ने हामी भरी, "मैं ऐसी बात को लेकर मज़ाक क्यों करूंगी? मुझे लगभग कुछ भी मालूम नहीं था, और मैं इस परिवार में कोई योगदान नहीं दे पा रही थी; पर अब सबकुछ बदलेगा।"
"हां, दीदी। आखिर तुम्हारी याद्दाश्त वापस आ गई!" शिया ची खुश था। वह 20 साल था, पर जिंगे के मुताबिक वह अभी भी बच्चा था।
लेकिन, उसे अचानक कुछ याद आया और उसके चेहरे से मुस्कान गायब हो गई।
दूसरी ओर,चेंगवू जीवन को उतनी अनुभवी दृष्टि से नहीं देखता था, पर जिंगे की खुशी के लिए वह भी खुशी जता रहात था। उसने यह नहीं सोचा कि जिंगे की याद्दाश्त वापस आने से इसपर असर पड़ेगा कि वह पिछले कुछ सालों की अपनी बदहाली को कैसे देखती है।
पर शिया ची में यह समझ थी कि याद्दाश्त खोने से पहले और बाद के कुछ सालों का अंतर जिंगे के लिए बर्दाश्त करना कठिन होगा।
साफ़ कहे, तो जिंगे के लिए पहले स्वीकार करना ही कठिन था।
लेकिन, वह भूतकाल में जीती नहीं थी। उसने खुद को जल्द ही संभाल लिया।
जिंगे ने अपने परिवार के साथ कुछ और लमहे बिताए और यह कहकर, अपने कमरे में चली गई कि वह थकी हुई है।
चेंगवू भी सोने चला गया।
जिंगे सोने की तैयारी कर ही रही थी, कि उसने बेडरूम के दरवाज़े पर खटखटाहट सुनी "दीदी, सो गई क्या?"
"जाग रही हूं, अंदर आ जाओ" जिंगे ने जवाब दिया और बिस्तर पर उठ बैठी।
शिया ची ने कमरे का दरवाज़ा खोला, उसके हाथ में गर्म लाप्सी से भरा एक बाउल था।
"दीदी, तुमने सुबह से कुछ खाया नहीं था, इसीलिए मैंने बचे-खुचे खाने से थोड़ी लाप्सी बनाई है। उसमें प्रोटीन के लिए एक अण्डा डाल दिया है, जिससे तुम जल्द ठीक हो जाओगी। ध्यान से खाना, गर्म है।" शिया ची ने बिस्तर के बाजू के टेबल पर बाउल रखा और प्यार से कहा।
जिंगे ने अपने बिस्तर के सहारे बैठे उस जवान लड़के को देखा। छह साल पहले, शिया ची एक उजले चेहरेवाला शुद्ध और दयालु मन का बच्चा ही था। छह साल बाद, उसकी आंखों ने वो मासूमियत खो दी थी, पर उसका मन अभी भी दया से ओतप्रोत था।
शिया ची की बात सही थी कि जिंगे ने सुबह से कुछ नहीं खाया था। उसने वह छोटा सेरेमिक बाउल उठाया और धीरे-धीरे एक-एक चम्मच लाप्सी खाने लगी।
शिया ची उसके बिस्तर के किनारे जा बैठा, उसकी आंखों में कई भावनाएं एकसाथ भरी थीं। आखिरकार, वह पूछ बैठा "दीदी, क्या तुम्हें सच में सब कुछ याद आ गया?"