बुरी खबर
वसंत ने अपने वादे के अनुसार अगली सुबह दो म्यान आकर्ष के यहां भिजवा दी। इन दोनों म्यानों में विशेष बात यह थी कि इनको बनाने के लिए वसंत ने इनके अंदर उक्कू का इस्तेमाल किया था। ताकि जब भी म्यान से तलवार बाहर निकाली जाए तो म्यान को किसी भी प्रकार की क्षति ना हो।
उन दोनों म्यानों में से एक म्यान आकर्ष ने दीया को दे दी और एक अपने पास रख ली।
रही बात रेवती की.तो उसके लिए आकर्ष ने कुछ अलग सोच रखा था।
उसने तय किया कि वो पहले चक्र मध्य मंडल में प्रवेश करने तक का इंतजार करेगा। एक बार चक्र मध्य मंडल में प्रवेश करने के बाद वो अपनी आंतरिक ऊर्जा से बनी आग का इस्तेमाल करके अपनी मां के लिए एक हथियार बनाएगा। चक्र मध्य मंडल में प्रवेश करने के बाद उसका हथियार शिल्पकार और वेद्य का स्तर खुलने वाला था। इसलिए उसके बनाये हथियार उसकी मां रेवती की ताकत कई गुना बढ़ाने वाले थे।
वेद्य और हथियार शिल्पकार दोनों के स्तर लक्ष ने पहले ही खोल दिए थे इसलिए अब आकर्ष को सिर्फ अपनी आंतरिक ऊर्जा का इंतजार था। उसे वेद्य और हथियार शिल्पकार के स्तरों को बढ़ाने के लिए अभ्यास की जरूरत नहीं थी, जैसे-जैसे वो चक्र मध्य मंडल से आगे के मंडलों में प्रवेश करेगा उसके वेद्य और हथियार शिल्पकार के स्तर भी अपने आप बढ़ते वाले थे।
"मां.वसंत चाचा आपका बहुत ज्यादा सम्मान करते हैं! उन्होंने कल कहा था कि आपने कुल प्रमुख से उनकी जान बचाई थी। उन्होंने ऐसा क्या किया था जिसके लिए कुल प्रमुख उन्हे जान से करने वाले थे?"
आकर्ष ने रेवती से पूछा।
यह बात 10 साल पहले की है। वसंत उस समय हमारे मिश्रा परिवार के ही एक एल्डर की बेटी से प्यार करता था। उन दोनों ने बिना किसी को बताए शादी कर ली। और जब वह लड़की एक बच्चे को जन्म देने वाली थी तब जाकर पूरे मिश्रा परिवार को इस बारे में पता चला। एल्डर इस बात से बहुत ज्यादा गुस्सा हो गए और उन्होंने वसंत को मिश्रा परिवार के महल से निकाल दिया। इसके कुछ समय बाद एल्डर की बेटी ने एक बच्चे को जन्म दिया लेकिन जन्म देते वक्त वह बच नहीं पाई। इन सब में उस छोटे बच्चे की क्या गलती थी? वह बस एक बच्चा था! जिसने ठीक से दुनिया भी नहीं देखी थी। मैंने इस बारे में कुल प्रमुख से बात की और वसंत को वापस मिश्रा परिवार में बुला लिया ताकि वह उस बच्चे की जिम्मेदारी ले सके।
रेवती ने भावुक होते हुए कहा। उस समय के बारे में सोचकर उसकी आंखें नम हो गई थी।
अब आकर्ष को पूरी बात समझ में आई थी। उसने कभी नहीं सोचा था कि वसंत के मुस्कुराते चेहरे के पीछे ऐसा कड़वा अतीत भी होगा।
"अब जब मैं उस समय के बारे में सोचती हूं तो मुझे यह जानकर बहुत खुशी होती है कि मैंने उस समय वसंत की मदद की। अगर हमने उस समय वसंत को वापस नहीं बुलाया होता तो हमारे मिश्रा परिवार की हालत और भी ज्यादा खराब होती। तुम्हें शायद पता नहीं है लेकिन मिश्रा परिवार के बाजार से हम जितने पैसे कमाते हैं उसका एक बहुत बड़ा हिस्सा वसंत के बने हथियारों से आता है।"
"अब यह सब बातें छोड़ो और जाकर अभ्यास करो। तुम्हारे पास सिर्फ 2 महीने बचे हैं, वरिष्ठ ने जो वज्रज्वाल गोली तुम्हारे लिए बनाई थी उनकी मदद से तुम जल्दी ही सातवे स्तर में प्रवेश कर लोगे।"
रेवती ने कहा।
"यस मैडम"
आकर्ष ने तुरंत अपनी जगह से खड़े होकर सेल्युट करते हुए कहा।
रेवती को कुछ समझ नहीं आया कि आकर्ष ने अभी क्या किया है? इससे पहले कि वह उससे कुछ पूछे आकर्ष वहां से जा चुका था।
"यह आकर्ष ने अभी क्या किया?"
रेवती ने अपने आप से ही पूछा।
अगर वह पृथ्वी पर होती तो आसानी से समझ जाती कि आकर्ष ने अभी उसे सेल्यूट किया था जो एक कमांडो अपने सीनियर को देखने पर करता है।
समय पानी की तरह गुजरता रहा और बहुत जल्द डेढ़ महीना बीत गया।
Crackle!
Crackle!
आकर्ष के कमरे से पिछली बार की तरह ही फिर से हड्डियों के चटकने की आवाज आ रही थी। कुछ देर बाद आकर्ष के कमरे का दरवाजा खुला और आकर्ष अपना शरीर मोड़ते हुए बाहर आया।
"जितना सोचा था उससे कम समय में सफलता मिल गई।"
आकर्ष ने हंसते हुए कहा।
वज्रज्वाल गोली और सप्त शारीरिक दिव्य जल के निरंतर प्रयोग से वो इस डेढ़ महीने में शारीरिक मंडल के सातवें स्तर में पहुंच गया था।
एक सामान्य सातवें स्तर के योद्धा के पास 2000 पाउंड की ताकत होती थी। लेकिन आकर्ष के पास लगभग 3000 पाउंड की ताकत थी। और यह सब सर्पशक्ति के कारण हो पाया था।
"मेरे पास अभी भी आधा महीना है। अगर मैं अपनी रफ्तार पर थोड़ी और मेहनत करूं तो श्रीकांत को हराना मेरे लिए और भी ज्यादा आसान हो जाएगा। अच्छा है मेरे पास लक्ष की सर्पशक्ति है जिसका अभ्यास करके मैं अपनी रफ्तार को और ज्यादा बढ़ा सकता हूं।"
आकर्ष ने अपने आप से कहा।
लक्ष एक अनंत मंडल का योद्धा था इसलिए वह अच्छे से जानता था कि एक योद्धा के लिए रफ्तार का क्या महत्व है। इसलिए उसने कई सालों तक शोध करके सर्पशक्ति बनाई थी। उसके मन में शर्पशक्ति का विचार सांपों को देखने के बाद आया था। सांपों के पेर नहीं होते है लेकिन फिर भी उनकी रफ्तार एक सामान्य इंसान से ज्यादा तेज थी। उसने सर्पशक्ति बनाने के लिए सांपों के साथ-साथ उन सभी जीवो पर भी शोध किया था जिनमें सांपों के जैसे गुण थे जैसे छिपकली, बिच्छू।
लक्ष के शोध अनुसार सर्पशक्ति ने आकर्ष के शरीर को बहुत लचीला बना दिया था। उसका शरीर इतना लचीला बन गया था कि वह अपने शरीर को पेड़ के चारों ओर किसी सांप की तरह लपेट सकता था।
आकर्ष लगातार सर्पशक्ति का अभ्यास कर रहा था और लगभग 1 घंटे तक अभ्यास करने के बाद आखिरकार उसकी रफ़्तार पहले से तेज होने लगी। लेकिन वह अभी भी अपनी इस रफ्तार से संतुष्ट नहीं था इसलिए वह फिर से अभ्यास करने लगा।
बहुत समय तक अभ्यास करने के बाद उसे किसी के पैरों की आवाज सुनाई दी। आकर्ष ने पलट कर देखा तो पाया कि उससे कुछ दूरी पर रेवती खड़ी थी जो उसे अभ्यास करता देख रही थी।
"मां आप यहां"
आकर्ष ने मुस्कुराते हुए कहा।
वो जब भी रेवती को अपने सामने देखता था तो उसकी आंखों में एक अलग चमक आ जाती थी। उसके उदास चेहरे पर भी मुस्कान आ जाती थी। उसे इस जन्म में मां का प्यार मिला था जो उसके लिए किसी वरदान से कम नहीं था।
"आकर्ष मैं."
वह कुछ कहने वाली थी पर तभी उसका ध्यान आकर्ष के ऊर्जा स्तर पर गया।
उसने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा.
"आकर्ष.तुम्हारा ऊर्जा स्तर.क्या तुम."
"हां मां.आप बिल्कुल सही सोच रही हो! मैंने सातवे स्तर में प्रवेश कर लिया है।"
आकर्ष ने कहा।
"आखिरकार."
रेवती इस समय बहुत ज्यादा खुश थी। वह पिछले बहुत दिनों से इस बात को लेकर चिंतित थी कि क्या मुकाबला से पहले आकर्ष सातवें स्तर में प्रवेश कर पाएगा? लेकिन आज जब आकर्ष ने सातवें स्तर में प्रवेश कर लिया था तो उसे ऐसा लग रहा था मानो उसके दिल पर से एक बहुत बड़ा बोझ हट गया है।
उसके बेटे ने उसे निराश नहीं किया था। बल्कि उसने तो दिए गए समय से भी आधे महीने पहले सातवें स्तर में प्रवेश कर लिया था।
" आकर्ष तुमने मुझे आज सबसे बड़ी खुशखबरी दी है। इसके लिए तुम्हें उपहार तो मिलना चाहिए। तुम शाम तक इंतजार करो! आज मैं तुम्हारा पसंदीदा खाना बनाऊंगी।"
रेवती ने खुशी से आकर्ष को गले लगाते हुए कहा।
उसने कुछ पैसे लिए और बाजार चली गई।
अपनी मां को खुश देख आकर्ष भी बहुत खुश था।
"मालिक! मालिक!"
आकर्ष रात के खाने के बारे में सोच कर खुश हो रहा था तभी उसने किसी की आवाज सुनी।
"यह अतुल मेरा पीछा क्यों नहीं छोड़ रहा? अब इसे क्या चाहिए?"
आकर्ष ने चिढ़ते हुए कहा।
उसने उस आवाज को तुरंत पहचान लिया था। यह आवाज सोमदत्त के बेटे अतुल की थी, जो पिछले दो महीनो में लगभग 10 बार उससे मिलने आ चुका था। आकर्ष को अतुल का आना या उससे मिलना बिलकुल भी पसंद नहीं था, वह बस सोमदत्त के कारण चुप था वरना उसने कब का अतुल को सबक सिखा दिया होता।
"अतुल मैं तुम्हें पहले भी समझा चुका हूं! मुझे तुम्हारा मालिक बनने में कोई भी रुचि नहीं है। अगर तुम अब भी नहीं सुधरे तो मुझे सोमदत्त चाचा से इस बारे में बात करनी पड़ेगी।"
आकर्ष ने धमकी भरी आवाज में कहा।
अतुल उससे जब भी मिलता था बस बकवास करता रहता था। इसलिए आकर्ष को उससे बात करना पसंद नहीं था।
"मालिक आप पिताजी को इस बारे में कुछ मत बताना.पहले मेरी बात तो सुनिए! मुझे आपको कुछ बताना है! आपके लिए एक बुरी खबर है!"
अतुल ने हांफते हुए कहा।
उसने जब सुना कि आकर्ष उसके पिता से उसकी शिकायत करने वाला है तो वह डर गया।
"पहले मुझे बताओ क्या हुआ है?"
आकर्ष ने कहा।
"मालिक जब मैंने इस बारे में सुना था तो मैंने अपने पिता को बताने से पहले आपको इस बारे में बताना ठीक समझा। अब तो आप विश्वास करेंगे कि मैं आपके लिए कितना वफादार हूं।"
अतुल ने कहा।
"अपनी बकवास बंद करो और मुझे बताओ क्या हुआ है? क्या बुरी खबर है?"
आकर्ष ने गुस्सा होते हुए पूछा।
इसलिए उसे अतुल से मिलना पसंद नहीं था क्योंकि वह हर वक्त इधर उधर की बाते करता रहता था।
"वो मालिक.मुझे भी बड़ी मुश्किल से इस बारे में पता चला है। यहां तक की आहूजा परिवार के लोगों में से भी बहुत कम लोग इस बारे में जानते हैं।"
अतुल ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा।
"आहूजा परिवार. साफ-साफ बताओगे क्या खबर है?"
आकर्ष ने पूछा।
"वो मालिक. हम सभी जानते हैं कि श्रीकांत शारीरिक मंडल के नोवे स्तर में है, पर यह झूठ है। असल में श्रीकांत ने कुछ समय पहले ही चक्र मध्य मंडल में प्रवेश कर लिया है। आप जितना जल्दी हो सके, मुकाबला करने से मना कर दीजिए। वरना मुझे डर है कि श्रीकांत कहीं आपको."
अतुल ने कहा।
उसे लगा था कि उसने अभी जो कुछ बताया है उसे सुनकर आकर्ष डर जाएगा लेकिन उसे हैरानी तब हुई जब उसने देखा कि आकर्ष को उसकी कही बात से कोई फर्क नहीं पड़ा है।
वैसे आकर्ष ने भी अंदाजा लगा लिया था कि श्रीकांत इन दो महीनों में चक्र मध्य मंडल में प्रवेश कर लेगा। उस समय यह बस उसका एक अंदाजा था। लेकिन अभी उसे जिस बात का डर था वह सच हो गई थी।
शारीरिक मंडल के नौवें स्तर में मौजूद योद्धा के पास 10000 पाउंड की ताकत होती थी जो कि लगभग एक हाथी की ताकत के बराबर थी। वहीं चक्र मध्य मंडल में प्रवेश करने के बाद योद्धा को एक और हाथी की ताकत मिल जाती थी। चक्र मध्य मंडल के योद्धा का ना केवल शरीर.शारीरिक मंडल के योद्धा की तुलना में ज्यादा मजबूत होता था बल्कि उनके पास आंतरिक ऊर्जा भी होती थी।
आकर्ष को अब मुकाबले को लेकर चिंता हो रही थी। जो खुशी उसके चेहरे पर कुछ समय पहले दिखाई दे रही थी वो अब गायब हो चुकी थी। उसे लगा था कि सातवें स्तर में प्रवेश करने के बाद वो मुकाबला जीत सकता है लेकिन अब.
कुछ देर चुप रहने के बाद आकर्ष ने अतुल की ओर देखते हुए कहा.
"अतुल यह बात सिर्फ हम दोनों के बीच में रहनी चाहिए। किसी भी तीसरे व्यक्ति को इसके बारे में पता नहीं चलना चाहिए।"
"मेरे पिताजी को भी नहीं?"
अतुल ने पूछा।
"क्यों.तुम्हारे पिताजी कोई व्यक्ति नहीं है?"
आकर्ष ने गुस्सा होते हुए कहा।
"मालिक मैं किसी को इसके बारे में नहीं बताऊंगा लेकिन."
अतुल ने हंसते हुए कहा।
"लेकिन क्या."
आकर्ष ने पूछा।
वो अतुल के बोलने के ढंग से ही समझ गया था कि अतुल इतनी आसानी से अपना मुंह बंद नहीं करेगा।
"मालिक मैं अपना मुंह बंद कर लूंगा लेकिन.आपको विनय को हराने में मेरी मदद करनी होगी।"
अतुल ने शरारती ढंग से हंसते हुए कहा।
कुछ देर सोचने के बाद आकर्ष को याद आया कि विनय.मिश्रा परिवार के दूसरे एल्डर का छोटा बेटा है।
विनय मिश्रा, मिश्रा परिवार का एक प्रतिभाशाली योद्धा था। वो 17 साल का था और उसने अभी कुछ दिन पहले शारीरिक मंडल के छठे स्तर में प्रवेश किया था। सभी एल्डर उसकी तुलना अभिजीत के साथ करते थे। अभिजीत के बाद विनय ही मिश्रा परिवार का एकमात्र सहारा था।
"विनय को हराने में तुम्हें मेरी मदद चाहिए?.लेकिन जहां तक मुझे पता है तुम दोनों एक ही स्तर में हो! उसकी तरह तुम्हारे पास भी दिव्य जल और वज्रज्वाल गोलियों की कोई कमी नहीं है। फिर तुम खुद ही उसे क्यों नहीं हरा देते?"
आकर्ष ने पूछा।
"मैं उसे कैसे हरा सकता हूँ वो मुझसे दो साल बड़ा है।"
"मालिक बस इस बार मेरी मदद कर दीजिए। पिछली बार भी विनय ने मुझे बहुत मारा था। मैं फिर से उसके हाथों पिटना नहीं चाहता। अगर आप मेरी मदद नहीं करेंगे तो मुझे डर है कि मैं ज्यादा देर तक इस बात को छुपा नहीं पाऊंगा!"
अतुल ने कहा।
वह जानता था कि आकर्ष किसी भी हालत में यह बात छुपाना चाहता है। अगर वह बात छुपाने के बदले आकर्ष से मदद मांगेगा तो आकर्ष उसे मना नहीं कर पाएगा।