"मालिक मेरा खाना हो गया है।"
दीया ने धीरे से कहा। उसने सारा खाना खा लिया था जो आकर्ष ने मंगवाया था।
"बहुत बढ़िया। हमें बाहर आए बहुत समय हो गया है। मुझे बाजार से कुछ सामान खरीदना है जिसके बाद जल्दी से घर चलते हैं। मां कब से हमारा इंतजार कर रही होगी!"
इतना कहकर आकर्ष ने दीया का हाथ पकड़ा और रेस्टोरेंट से बाहर जाने लगा।
'क्या यह लड़का पागल हो गया है? यह जानते हुए की अंकुश रेस्टोरेंट के बाहर इसका इंतजार कर रहा है फिर भी यह बाहर जा रहा है।'
उन दोनों को रेस्टोरेंट से बाहर जाता देख सोनाक्षी ने अपने आप से कहा। उसने भी जल्दी से अपना खाना खत्म किया और आकर्ष के पीछे-पीछे रेस्टोरेंट से बाहर निकल गई। सेकंड फ्लोर पर जितने भी लोग थे वो भी यह जानने को उत्सुक थे कि रेस्टोरेंट के बाहर क्या होने वाला है। इसलिए वो सब भी एक-एक करके रेस्टोरेंट से बाहर जाने लगे।
अपने सुख से ज्यादा दूसरों का दुख देखने में लोगों को ज्यादा आनंद आता है। यह कहावत यहाँ बिल्कुल सही बैठ रही थी।
रेस्टोरेंट के बाहर अंकुश और वह तीनों लड़के बड़ी बेसब्री से आकर्ष का इंतजार कर रहे थे।
"इतना समय हो गया है और वह अभी तक बाहर नहीं आया है। कहीं ऐसा तो नहीं कि वह हमसे डर गया है।"
"मुझे भी ऐसा ही लग रहा है। वो बस सभी के सामने ना डरने का दिखावा कर रहा था। पर सच्चाई उसे भी पता है कि वह अंकुश भाई का मुकाबला नहीं कर सकता। जरूर वह कहीं जाकर छुप गया होगा।"
"देखो वह लड़का रेस्टोरेंट से बाहर आ रहा है!"
इससे पहले की तीसरा लड़का आकर्ष के बारे में कुछ कहता उन्होंने देखा कि आकर्ष और दीया एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए रेस्टोरेंट से बाहर आ रहे हैं। वह एक दूसरे के दुश्मन जरूर थे पर इस समय उन चारों को आकर्ष से जलन हो रही थी।
"चलो कम से कम तुम्हारे अंदर इतनी तो हिम्मत है कि तुम मेरा सामना करने रेस्टोरेंट से बाहर आ गए। मुझे तो लगा था कि तुम कहीं डर कर छुप गए होगे!"
अंकुश ने हंसते हुए आकर्ष से कहा।
"मैं बाहर क्यों नहीं आऊंगा? मेरे रास्ते में एक बड़ा कुत्ता और तीन छोटे कमजोर कुत्ते खड़े हैं जो कब से भौंक रहे हैं। क्या चार कुत्तों से डर कर मैं पूरे दिन रेस्टोरेंट में बैठा रहूंगा?"
आकर्ष ने भी वापस हंसते हुए जवाब दिया।
"यह लड़का इस समय भी अंकुश से माफी मांगने की जगह उसके गुस्से को और ज्यादा भड़का रहा है। क्या इसे डर नहीं लग रहा कि अंकुश इसे खत्म कर देगा?"
सोनाक्षी जो आकर्ष के पीछे-पीछे रेस्टोरेंट से बाहर आई थी उसके जवाब को सुनकर हैरान थी। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि आकर्ष इस समय भी बिना डरे अपनी जगह पर खड़ा है।
बाकी सभी लोगों के मन में भी इस समय यही सवाल घूम रहा था। पर साथ में उन्हें आकर्ष पर दया भी आ रही थी।
"तुम्हें शायद पता नहीं है कि तुम अभी क्या कर रहे हो! लगता है तुम्हारे माता-पिता ने तुम्हें यह नहीं सिखाया कि लोगों से बात कैसे की जाती है। कोई बात नहीं. उनका यह काम मैं कर देता हूं।"
अंकुश ने एक झूठी हंसी हंसते हुए कहा। उसे लगा था कि आकर्ष उससे माफी मांगेगा लेकिन उसने तो सभी के सामने उसे कुत्ता बोल दिया था। अंकुश ने इतनी शर्मिंदगी आज से पहले कभी महसूस नहीं की थी।
वो एक शारीरिक मंडल के छठे स्तर का योद्धा था और 1000 पाउंड जितनी ताकत उत्पन्न कर सकता था।
"इस दुनिया में ऐसे बहुत से लोग है जो मुझे मारना चाहते हैं और उनके पास वो काबिलियत भी है लेकिन. तुम उन लोगों में शामिल नहीं हो! तुम्हारे पास मुझे खत्म करने की ताकत नहीं है।"
आकर्ष ने म्यान से तलवार निकालते हुए कहा। उसने एक हाथ से दीया का हाथ पकड़ रखा था और दूसरे हाथ से तलवार।
"यह लड़का क्या कर रहा है? क्या यह सच में इस लड़की को इन सब में शामिल करना चाहता है।"
लोगों ने जब देखा कि आकर्ष दीया का हाथ पकड़े हुए अंकुश की ओर बढ़ रहा है तो वह सब आकर्ष को भला बुरा कहने लगे।
कहीं इस लड़के को ऐसा तो नहीं लग रहा कि अगर यह इस लड़की के साथ अंकुश के सामने जाएगा तो अंकुश इस लड़की का चेहरा देख उसे माफ कर देगा।
मैनेजर सहदेव इस समय मेरु रेस्टोरेंट के थर्ड फ्लोर पर बैठे थे और खिड़की से बाहर हो रही सारी घटनाओं पर अपनी नजर रखे हुए थे।
"इस लड़के में कुछ तो बात है। अगर इसकी जगह कोई और होता तो अब तक डर कर भाग गया होता या माफी मांग लेता। पर यह अभी भी इतना शांत है जैसे कुछ हुआ ही ना हो।"
मैनेजर सहदेव ने बड़ी रुचि के साथ आकर्ष की ओर देखते हुए कहा।
इधर अंकुश का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया था। सभी की तरह उसे भी यही ही लग रहा था कि आकर्ष दीया का इस्तेमाल कर रहा है। पर क्या वह सच में आकर्ष को माफ करने वाला था।
जवाब था.बिल्कुल नहीं।
उसने अपनी सारी ऊर्जा एकत्रित की और आकर्ष की ओर भागने लगा। उसने जिस युद्ध कला का अभ्यास किया था वो एक पीले वर्ग के मध्यम स्तर की युद्ध कला थी।
उसे अपनी युद्ध कला पर इतना भरोसा था कि उसने अपने मन में ही कल्पना कर ली थी कि आकर्ष उसके एक पंच का सामना भी नहीं कर पाएगा।
वहाँ मौजूद लोगों में से कुछ ने अंकुश की उस युद्ध कला को पहचान लिया था और उनका भी यही सोचना था कि आकर्ष का आज आखिरी दिन है।
वह तीनों लड़के जो अंकुश के साथ थे खुशी से उछलने लगे। उन्हें भी अंकुश की ताकत पर पूरा भरोसा था।
"यह.लड़का"
सोनाक्षी की सांसे इस समय तेज हो गई थी। हालांकि आकर्ष ने उससे सीधे मुंह बात तक नहीं की थी और उसे हमेशा शर्मिंदा किया था पर इन सब के बावजूद सोनाक्षी उससे नफरत नहीं कर पा रही थी। पता नहीं क्यों पर उसका दिल उससे कह रहा था कि वह आकर्ष को बचाएं।
"नहीं.रुको!"
अचानक सोनाक्षी के मन में क्या आया, उसने चिल्लाते हुए अंकुश से रुकने को कहा।
पर अब बहुत देर हो गई थी। अंकुश का पंच आकर्ष के बहुत करीब पहुंच गया था और उसे छूने वाला ही था। इस समय अगर अंकुश खुद चाहता तो भी अपने पंच को नही रोक सकता था।
"दीया.डरना मत!"
आकर्ष ने धीरे से दीया से कहा। उसने अचानक से दीया को अपनी ओर खींचा और अपनी बाहों में भर लिया। अगले ही पल उसकी रफ्तार इतनी बढ़ गई कि एक पलक झपकने से भी कम समय में वह अपनी जगह से हट गया।
Woosh!
Clang!
आकर्ष ने ना सिर्फ अपनी जगह बदली थी बल्कि अपनी तलवार से अंकुश पर एक वार भी कर दिया था।
यह सब सर्पशक्ति के कारण मुमकिन हो पाया था।
अगले ही पल सभी लोगों का ध्यान अंकुश पर गया। सभी ने तलवार चलाने की आवाज सुनी थी इसलिए वह सब यह जानने के लिए कि.'क्या हुआ है' अंकुश की ओर देखने लगे। लेकिन उन्होंने जो कुछ देखा उसे देखने के बाद उन्हें अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। अपने सामने के नज़ारे को देख उन सबके मुंह से कोई आवाज नहीं निकल रही थी। उनके सामने अंकुश का बेजान शरीर पड़ा था। उसके गले पर एक गहरा घाव था जिससे अभी भी खून निकल रहा था। वो अंकुश जो की शारीरिक मंडल के छठे स्तर का योद्धा था, वो अंकुश जिसकी गिनती आहूजा परिवार के प्रतिभाशाली योद्धाओं में होती थी। अब उसका बेजान शरीर मेरु रेस्टोरेंट के सामने पड़ा था। इससे भी हैरान करने वाली बात यह थी कि उसे जिसने मारा था वो मात्र चौथे स्तर में था।
धक धक!.धक धक!.धक धक!
कुछ समय के लिए मेरु रेस्टोरेंट के बाहर इतनी शांति हो गई थी कि लोगों के दिलों की आवाज को साफ सुना जा सकता था। अंकुश के बेजान शरीर को देखने के बाद सभी का ध्यान आकर्ष पर गया।
अंकुश को खत्म करने के बाद, आकर्ष तुरंत दीया के साथ वहां से जाने लगा। पर जाने से पहले उसने उन तीन लड़कों की तरफ देखा और कहा.
"अगर तुम तीनों को अब भी मुझसे कोई समस्या है तो तुम अपने आहूजा परिवार के साथ मुझसे मिलने मिश्रा परिवार के महल में आ सकते हो। और हां.मेरा नाम याद रखना कहीं किसी और को मत पकड़ लेना. मेरा नाम आकर्ष सिंघानिया है. आकर्ष सिंघानिया।"
आकर्ष ने बहुत धीमी आवाज में कहा था लेकिन फिर भी सभी को उसकी आवाज सुनाई दी थी।
" यह लड़का आकर्ष सिंघानिया है"
अचानक सभी को याद आया कि इस नाम को उन्होंने पहले भी कहीं सुना है। 15 दिन पहले पूरे सांची में आकर्ष को लेकर बातें हो रही थी। उस समय बहुत ही कम लोगों ने आकर्ष को देखा था पर उसका नाम सभी जानते थे।
"तो यह लड़का आकर्ष सिंघानिया है, वो ही आकर्ष सिंघानिया जिसने कुछ दिन पहले आहूजा परिवार के एल्डर श्रीकांत आहूजा को चुनौती दी थी।"
"हां मैंने भी इसके बारे में सुना था! पर मुझे नहीं लगा था कि आकर्ष सिंघानिया एक बच्चा होगा।"
"पर कुछ भी कहो. यह प्रतिभाशाली तो है। इसने एक ही वार में अंकुश को खत्म कर दिया। यह बहुत तेज है। मैं तो इसकी तलवार को देख ही नहीं पाया।"
"वैसे क्या तुम लोगों ने ध्यान दिया कि यह सिर्फ शारीरिक मंडल के चौथे स्तर में है, फिर भी इसने अंकुश जो की शारीरिक मंडल के छठे स्तर में था, उसके गले को इतनी आसानी से काटा जैसे कि यह किसी का गला नहीं बल्कि कोई सब्जी काट रहा हो!"
आकर्ष और दीया के वहां से जाने के बाद सभी लोग उसी के बारे में बातें कर रहे थे। आकर्ष को देखने के बाद वो इतना तो समझ गए थे कि आकर्ष ने ऐसे ही श्रीकांत को चुनौती नहीं दी है। उसे अपने आप पर पूरा विश्वास है।
"आकर्ष अभी सब खत्म नहीं हुआ है। तुमने आज जो कुछ भी किया है उसकी सजा तो तुम्हें मिलकर रहेगी।"
"उसे छोड़ो और पहले अंकुश के शरीर को लेकर वापस आहूजा परिवार में चलो।"
तीनों लड़कों में से एक लड़के ने कहा। उनकी आंखों में अभी भी डर साफ नजर आ रहा था। उन्होंने जल्दी से अंकुश के शरीर को उठाया और आहूजा परिवार के महल की ओर चल दिए।
"आकर्ष.तो यह लड़का आकर्ष है।"
सोनाक्षी ने हंसते हुए अपने आप से कहा। जब तक आकर्ष मिश्रा परिवार में है वो जब चाहे उससे मिल सकती थी। क्या पता इस दौरान उन दोनों के बीच की गलतफहमी कुछ कम हो जाये और वह आकर्ष को हासिल कर पाए।
"चलो चलते हैं"
सोनाक्षी ने अपनी दासी से कहा।
एक-एक करके सभी लोग वहां से जाने लगे पर उनकी बातें अभी भी जारी थी। सभी इस समय सिर्फ आकर्ष के बारे में ही बातें कर रहे थे।
आज से पहले उन्होंने सिर्फ उसका नाम सुना था लेकिन आज उन्होंने ना सिर्फ उसका चेहरा देखा था बल्कि उसकी काबिलियत भी देखी थी। शारीरिक मंडल के चौथे स्तर में होते हुए छठे स्तर के योद्धा को उसने एक ही वार में खत्म कर दिया था। अगर उन्होंने इसके बारे में किसी और से सुना होता तो वो इसे सिर्फ एक अफवाह मानते, पर उन्होंने यह सब कुछ अपनी आंखों के सामने होते देखा था, इस पर विश्वास करने के अलावा वो कुछ भी नहीं कर सकते थे।
"यह लड़का आकर्ष था?"
मेरु रेस्टोरेंट के थर्ड फ्लोर पर बैठे मैनेजर सहदेव ने चौंकते हुए कहा।
"वह बहुत तेज है। सिर्फ चौथ स्तर में ही उसकी रफ्तार इतनी तेज है तो जब वह सातवें स्तर में पहुंच जाएगा तो श्रीकांत को हराना उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं होगी। पर सिर्फ दो महीने के अंदर चौथे स्तर से सातवें स्तर में प्रवेश करना नामुमकिन है। मैं उससे सिर्फ एक बार मिला हूं पर उसे देख इतना जरूर समझ गया हूं कि आकर्ष कोई मूर्ख नहीं है। जब उसने खुद श्रीकांत को चुनौती दी है तो जरूर उसे अपने आप पर पूरा विश्वास होगा। लगता है मुझे इस पर नजर रखनी होगी।"
इधर आकर्ष मेरु रेस्टोरेंट से निकलने के बाद सीधा मिश्रा परिवार के बाजार में आया। उसने हमेशा की तरह कुछ हथियार बनाने की सामग्री व जड़ी बूटियां खरीदी और दीया के साथ वापस मिश्रा परिवार के महल की ओर जाने लगा।
यह सारी सामग्री उसने इसलिए खरीदी थी ताकि वह जल्द से जल्द सातवें स्तर में प्रवेश कर सके।
"श्रीकांत.बस 2 महीने और.फिर देखो मैं तुम्हारा क्या हाल करता हूं!"
आकर्ष ने एक शैतानी हंसी हंसते हुए अपने आप से कहा।
"मालिक क्या आप ठीक हैं?"
आकर्ष के चेहरे पर वह शैतानी हंसी देख दीया ने चिंता करते हुए पूछा।
"मैं ठीक हूं! तुम बताओ. आज जो कुछ भी हुआ था क्या उसे देखकर तुम्हें डर लगा?"
आकर्ष ने दीया का हाथ पकड़ते हुए पूछा।
"वो मालिक.मैंने अंकुश पर हमला होते नहीं देखा था। मेरा ध्यान उस समय कहीं और था।"
दीया ने शर्माते हुए कहा।
"कहीं और"
आकर्ष को कुछ समझ नहीं आया। पर तभी उसे याद आया कि अंकुश पर हमला करने से पहले उसने दीया को अपनी बाहों में भर लिया था। आकर्ष ने ऐसा इसलिए किया था क्योंकि वह नहीं चाहता था कि दीया डर जाए। उसने दीया से यह जरूर कहा था कि वो ऐसे दृश्यों से ना डरे! पर वह यह भी जानता था कि वो एक ही दिन में दीया का डर खत्म नहीं कर सकता है। अगर उसने किसी का गला कटते हुए देख लिया होता तो वो यह दृश्य कभी भूल नहीं पाती। वो जानता था कि धीरे-धीरे दीया को आदत हो जाएगी। वैसे भी उसके सांची छोड़ने में अभी काफी समय बचा था।