Chapter 2 - 2

दरवाजे की घंटी जोर-जोर से बज रही थी ! उमेश भी ऑफिस के लिए निकल चुका था ! मधु अपनी  दुनिया में खोई हुई थी !

दरवाजे की घंटी की आवाज सुनकर मधु की तंद्रा अचानक से  टूटी और वह दरवाजे के तरफ बढ़ने लगी ! अब तो घंटी बजाने वाले ने और भी हद कर दी दरवाजे को ही पीटने लगा !

मधु ने गुस्से में दरवाजा खोला और उसकी आंखें खुली की खुली रह गई  ! जैसे ही उसने दरवाजा अंदर की तरफ खोला एक शख्स बिल्कुल अंदर आने को हुआ !

मधु ने इतना सुंदर व्यक्तित्व का धनी पुरुष कभी नहीं देखा था ! चेहरे पर बड़ा सा काला चश्मा गालों पर हल्के हल्के दाढ़ी और एक ऐसी परफ्यूम जो आज तक उसने कभी महसूस नहीं की थी और थोड़े से लंबे बाल और उसके हल्की सी छोटी सी चोटी, और एक ब्लेजर जिसके सारे बटन खुले हुए थे और उसकी नंगी छाती की कसावट मधु को दीवाना बना रही थी !

उसका चेहरा मधु के चेहरे के लगभग बिल्कुल पास था ऐसा लग रहा था जैसे वह उसको किस करने वाला हो ! मधु को ऐसा एहसास हो रहा था जैसे उसके सूखे पड़े लबों पर वह अभी नमी भर देगा और प्यार की सीतलहर बिखेर देगा !

मधु की तो सीटीपीटी गुम हो गई ! सेहमी हुई सी दरवाजे के दोनों पलों को पकड़कर खड़ी थी ! उसने एक रोबदार आवाज में कहा " मेरा नाम वीर है "

मधु ने झटके से कहा "तो मैं क्या करूं "

वीर पहले से बहुत ज्यादा करीब था उसने थोड़ा सा और अंदर आना चाहा लेकिन मधु अपने जगह से हिली हि नहीं !

वीर ने झटके से अपना एक हाथ मधु की कमर पर रखा उसके भरे हुए  कूल्हे के ऊपर के और अपने हाथ को अचानक से दबा दिया वीर का चेहरा मधु के गालों के के बिल्कुल पास था! मधु लगभग कांपने लगी थी !

वह  कुछ समझ पाती उससे पहले ही वीर ने उसके कान में फुसफुस आया ! " अरे नादान औरत मेरी उमेश से बात हुई है और मैं यहां रहने वाला हूं ' और वीर ने उसका एक हाथ दरवाजे से हटाकर साइड में कर दिया !

मधु को अचानक से समझ में आया और उसने कहा सॉरी

मधु ने सॉरी कहा और कुछ बोलने वाली थी ! की वीर अंदर आने के लिए एक कदम और बढ़ा दिया ! मधु एकदम से अचंभित सी हो गई की यह क्या हो रहा है ! मधु ने अपना एक हाथ कमर पर रखा हुआ था और दूसरे हाथ से गेट को पकड़ा हुआ था !

मधु को एक पल के लिए लगा जैसे वीर उसे अभी गले ही लगा लेगा वह तुरंत ही एक कदम पीछे की तरफ हट गई !

मधु मन ही मन काफी बढ़ बढ़ाई कि यह कौन सा तरीका है किसी से पहली बार मिलने का हद होती है हद

वीर - अरे यह बताओ कि मेरा कमरा कौन सा है

मधु अपनी ही सोच में डूबी हुई थी उसने वीर की  बात पर ध्यान ही नहीं दिया !

वीर दोबारा से अपना एक कदम मधु की तरफ बढ़ाते हुए बोला ओए सुन सकती क्या बहरी हो ? किस ख्याल में डूबे हुए हो ?

मधु एकदम से चौक कर पड़ी !  इतने सारे सवाल वह भी एक साथ ! मधु ने अपने हाथ से कान पर आई हुई जुल्फों को कान के पीछे लगाने की कोशिश  सि की !  और अपनी आंखों को बड़ा करते हुए वीर की नजरों तक पहुंचने की कोशिश सी की ! बीर की हाइट लगभग 6 फुट 2 इंच की होगी इसलिए मधु की गर्दन थोड़ा सा पीछे की तरफ तन गई ! और दूसरे हाथ से इशारा करने लगी ही थी की कमरा ऊपर फर्स्ट फ्लोर पर है !

पर इतना सुनने से पहले ही वीर बोल पड़ा कोई सुनने बोलने की बीमारी है क्या ?  हमेशा  सोच में बैठे रहते हो?

मधु को एकदम से इतना जोर का गुस्सा आया की उसका चेहरा ही तमतमा गया और उसने एकदम से वीर को देखते हुए बोलना शुरू किया !

मैं यही सोच रही थी ! कि तुम्हारे घर वालों ने तुम्हें खुला कैसे छोड़ दिया पागल खाने से आज ही आए हो ! पहली बार किसी से मिलते हैं तो कैसे बात करते हैं वह तो शायद तुमने कभी सीखा ही नहीं है कमरा ऊपर चलो मैं दिखा देती हूं !

वीर एकदम से झुंझला सा गया और उसने बोला चलो दिखा दो कमरा छोड़ो यह सब बातें ! 

लेकिन मधु उसकी आंखों का रिएक्शन देखना चाहती थी जब वह मधु  से  बोल रहा था क्योंकि उसने एक बहुत बड़ा काला चश्मा अपने चेहरे पर लगा हुआ था !

मधु आगे आगे चलने लगी और वीर उसके पीछे पीछे चलने लगा ! मधु ने अचानक अपनी कदमताल रोकते हुए पीछे की तरफ पलटी और अपना एक हाथ सीड़ियों के ग्रिल पर रख दी और अपना दूसरा हाथ अपने कमर पर रख लिया !

मधु- (इसको अभी मजा चखाती  हूं )

जिस दरवाजे को तुम इतनी जोर जोर से पीट रहे थे ना उसको बंद करके आओ !

वीर ने अचानक से अपने दोनों हाथ से अपने सर के बालों को जकड़ लिया और अपनी गर्दन झुका ली !

मधु-  तुम्हारे सर में क्या कोई अलादीन का चिराग लगा हुआ है की उसको  रगड़ो गे तो वह जिंद निकल कर आएगा और तुम्हारे लिए दरवाजा बंद कर जाएगा हद है बंदा कितना आलसी है !

मधु बोलते ही जा रही थी ! अचानक वीर ने अपना एक हाथ झुनझुनआते हुए इशारा किया कि मैं बंद करके आता हूं !

वीर ने दरवाजा बंद कर दिया और चलते हुए सीढ़ियों पर आ गया जहां पर मधु खड़ी हुई थी उस से एक कदम आगे!

वीर बिल्कुल मधु के पीछे खड़ा हुआ था आगे चलने के इंतजार में लेकिन मधु थी कि अपनी ही बकबक में लगी हुई थी ! वीर एकदम से झूल झूलाने सा लगा और अपना एक हाथ अपने बालों में घुमाने लगा मधु थी की टस से मस नहीं हो रही थी ! मधु को भी उसको सताने में मजा आ रहा था !

आखिरकार वीर को बोलना पड़ा अरे ओ मैडम आगे चलने का क्या लोगे ?

मधु ने इतराते हुए अपने नितंबों को हिलाते हुए कहां " मेरा घर मैं तो धीरे-धीरे चलूंगी "

वीर का पारा एकदम से आकाश में चढ़ गया ! और उसने गुस्से में आकर मधु के भरे हुए नितंबों  के ऊपर एक जोरदार चपथ लगाई और अपनी उंगलियों और अंगूठे से जोर से दबा दिया !

मधु को इस बात का बिल्कुल भी अंदेशा नहीं था कि ऐसा भी कुछ हो सकता है  ! अचानक हुए इस हमले से वह लगभग एकदम से शक पका सी गई !

मधु कि सांसे  ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे उसकी सारी अकड़ 1 मिनट में निकल गई और वह कुछ भी बोल पाने की स्थिति में भी नहीं थी वह एकदम से साइड में हट गई !

वीर उसके साइड से होता हुआ निकला और आगे की तरफ बढ़ गया मधु उसी सीडी पर खड़ी हुई थी ! वीर के जूतों की आवाज अब तक मधु के कानों में साफ-साफ सुनाई दे रही थी और वीर आगे जाकर कमरे में घुस गया और उसने दरवाजे को इतनी जोर से मारा उसका गुस्सा साफ साफ नजर आ रहा था !

मधु को फिर से गुस्सा आने लगा और तमतमआती हुई नीचे आकर सोफे पर बैठ गई ! और उसने अपना एक पैर फोल्ड करके सोफे पर टीका लिया ! और अपनी कोहनी को घुटने पर टिका लिया और अपने हाथ के सहारे अपने गुस्से में भरे हुए चेहरे को संभालने की कोशिश करने लगे और  बार-बार एक ही बात सोचें जा रही थी  के वीर को कैसे मजा चखाया जाए ! कितना बदतमीज लड़का है समझता क्या है अपने आपको बात करने की तमीज भी नहीं है आने दो इनको आज रात को ही वीर को घर से ना निकलवा दिया ना मेरा नाम भी मधु नहीं ऐसे ही खुद से बढ़ बढ़ाए जा रही थी !

15:20 मिनट बीत जाने के बाद अचानक ही मधु को ख्याल आया की कल रात में सोने से पहले जब वह नहाने के लिए बाथरूम में जा रही थी तो नीचे पतिदेव थे तो मजबूरी में ऊपर वाले कमरे में नहाने के लिए गई थी और उसकी ब्रा और पैंटी जो की बड़ी स्टाइलिश थी अभी भी ऊपर वाले कमरे के बाथरूम में हैंगर पर लटकी हुई थी !

और मधु अचानक से बढ़ बढ़ाते हुए ऊपर की तरफ भागी कि पता नहीं यह पागल  लड़का मेरे बारे में क्या सोचेगा ! और मधु इतनी तेज दौड़ रही थी की एक साथ दो दो सीडीओ को को पार कर रही थी !

ऊपर के कमरे में बाथरूम के अंदर ही अटैच है !  कमरे के बाहर का दरवाजा लगभग खुला हुआ था तो मधु बिना नोक किए हुए कमरे के अंदर प्रवेश कर गई

उसकी निगाहें वीर को ढूंढ रही थी वीर कमरे में नजर नहीं आ रहा था फिर उसकी नजर अचानक से बेड के ऊपर पड़ी वहां पर वीर ने जो टीशर्ट और जींस पहनी हुई थी वहां उलटी पलटी पड़ी हुई थी !

और बड़बड़ आती हुई बाथरूम की तरफ बढ़ गई के नवाब साहब अभी तो आए है और अभी इनको नहाना है !

अंदर का नजारा देखकर तो मधु के होश ही उड़ गए  !बिल्कुल नंगा नहा रहा था ! उसकी चौड़ी छाती पर ढेर सारा साबुन का झाग और उसका तना हुआ लिंग एक पल के लिए मधु की नजरें वही रुक सी गई ! फव्वारे से सीधा पानी उसकी कमर पर गिर रहा था और महाशय अपने लिंग को झाग लगा लगा कर खेल रहे थे !

और एकदम से चिल्लाई छी !!

और एकदम से उल्टा दौड़ना शुरू किया

मधु _ अपनी आंखों को ऊपर करते हुए बोली " इतने बड़े हो गए हो इतनी भी समझ नहीं है कि कम से कम अंडर वियर तो पहन कर नहाना चाहिए ! और बाथरूम के दरवाजे में जो कुंडी लगी है ना वह लगाने के लिए है पर तुम तो गवार हो तुम्हें शायद या पता नहीं होगा ?

वीर_ ए पागल औरत तू क्या दिमाग से पैदल है इतना भी नहीं पता कि किसी के कमरे में आते हैं तो दरवाजे को नोक करते हैं ! और वीर ने अचानक तावल लपेटा और मधु की तरफ दौड़ पड़ा वीर की छाती पर अभी भी झाग लगे हुए थे पानी उसके रोम-रोम से टपक रहा था !

मधु एकदम से जल्दबाजी में भागी थी अपने ही पैरों में उलझ कर गिर पड़ी और उसके दोनों उभार फर्स से टकरा गए दोनों हाथों की चूड़ियां टूट गई और उसके चीख निकल गई !

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