एक मीठी रिंगटोन से वहाँ की शांति भंग हुई, जिससे कि उनके बीच की बातचीत भी बीच में रुक गई।
"हैलो..."
सू जेह का चेहरा काला स्याह हो गया, और फोन पर बात करने के तुरंत बाद ही उसकी मुट्ठियाँ कस कर बंद हो गईं।
उसने जल्दी ही अपना फोन रखा और टैंग मोर को घूरा।
"ज़ियाओवान पर उसके किसी निंदक ने हमला किया है और वो बुरी तरह से ज़ख्मी हो गई है। वो हॉस्पिटल में है"।
"तुम किसके इंतज़ार में हो। जल्दी जाओ और उसे मिलो"।
"टैंग मोर मैं चाहता हूँ कि तुम अभी एक बयान प्रसारित करो। तुम्हें यह साफ करना होगा कि हमारा रिश्ता पहले से ही टूट चुका था और हमनें अपनी सगाई भी एक साल पहले ख़त्म कर दी थी, इससे ज़ियाओवान को घर तोड़ने वाली नहीं समझा जाएगा"।
टैंग मोर ने उसे घृणा से देखा, उसके होंठ गुस्से में मुड़ गए। "तुम क्या सोचते हो कि मैं बेवकूफ़ हूँ या फिर मैं मदर टेरेसा जैसी कोई संत हूँ"?
"तो तुम यह नहीं करना चाहतीं"?
"क्या मैंने यह इतना साफ नहीं कहा कि तुम्हें समझ जाना चाहिए"?
"टैंग मोर, हालांकि हम अब साथ नहीं हैं पर हमारे परिवार पुराने मित्र हैं। मैं तुमसे अपने परिवारों के रिश्ते की वजह से सारे रिश्ते नहीं तोड़ूँगा...पर बेहतर होगा कि तुम मुझे कुछ ऐसा करने पर मजबूर न करो जिस पर हमें बाद में अफसोस हो," एक राजा की तरह तानाशाही से कहने के तुरंत बाद, सू ज़ेह मुड़ा और वहाँ से जाने लगा।
"रुको," एक शांत और कोमल आवाज़ ने उसे वापस आने का आग्रह किया।
सू ज़ेह ने गहरी सांस छोड़ी, उसकी भौहें नीचे हो गईं और उसके होंठ अंजाने में ही कोनों से ऊपर उठ गए।
बेशक बचा था!
टैंग मोर तेज़ी से आगे बड़ी और उसने अपना सीधा हाथ उस मुँह पर कस कर थप्पड़ मारने के लिए उठाया।
"पीयाक"!
जैसे ही उसने अपनी पूरी ताकत लगा कर उसे थप्पड़ मारा सू ज़ेह का हसीन चेहरा एक तरफ घूम गया।
"सू ज़ेह, मैं कल रात विला में इसलिए नहीं आई क्योंकि मैं तुम दोनों को देख कर उल्टी नहीं करना चाहती थी। तुम इंसानियत के नाम पर धब्बा हो। आज, यह थप्पड़ मेरा तुमको जवाब है। मैं तुमसे नफ़रत करती हूँ। तुम वहाँ तड़ी से खड़े हो कर कहते हो कि तुम्हें स्वच्छंद महिलाएँ पसंद नहीं हैं? तुम मुझे वैश्या कहते हो। मुझे भी तुम्हारे जैसे धोखेबाज़ कुत्ते पसंद नहीं"!
टैंग मोर हंस की जैसी शिष्टता के साथ मुड़ी और दूसरा शब्द कहे बिना ही उसने अपने अपार्टमेंट का दरवाज़ा बंद कर दिया।
…
टैंग मोर को अपनी हथेली में सुन्न कर देने वाला एहसास हुआ जब वो अपने अपार्टमेंट में वापस आई। यह अजीब-सा एहसास था, उसमें चुभन हो रही थी, पर वो साथ ही साथ सुन्न भी लग रहा था। वो अपने हाथ में अनुभूति को वापस लाने के लिए उसे रगड़ने लगी जब उसने ध्यान दिया कि उसके पीछे एक लंबी हसीन काया आ गई है।
गू मोहन।
उसने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया था कि इस सब के दौरान वो वहीं खड़ा था। उसने पहले ही अपनी पिछली रात वाले काले कपड़े बदल लिए थे और अब वो एक चमकदार सफ़ेद कमीज़ पहने हुए था, जिसके साथ उसने काली प्रेस की हुई पैंट पहनी थी, सब कपड़े बेहतरीन ढंग से प्रेस किए हुए थे और उसमें एक भी सलवट नहीं थी। उसकी कमीज़ उसके चौड़े कंधों और छाती को और उभार रही थी जबकि उसकी पैंट को बहुत करीने से काटा हुआ था जो कि उसकी लंबी टांगों पर बहुत फब रही थी। उसमें से एक बहुत ही शालीन तेज़ निकल रहा था जो कि आकर्षण से परिपूर्ण था।
वो यह कपड़े कहाँ से लाया?
वो...अभी भी यहाँ क्यों है?
क्या उसने सू ज़ेह और उसकी बातचीत को सुन लिया था?
टैंग मोर ने अपने दिमाग में दुबारा से अपनी और सू ज़ेह की बातचीत को दोहराया और एक सांस ली। किस्मत से, उसकी बातचीत में ऐसा कुछ नहीं था जिसे सेंसर करने की ज़रूरत थी। सब कुछ ठीक था, सिवाय...वैश्या के।
वो एक अजनबी को स्वच्छंद महिला या वैश्या के बारे में कोई सफाई नहीं देने वाली थी क्योंकि उसकी कोई ज़रूरत नहीं थी। हालाकि शिष्टाचार के अनुसार उसे उसका अभिवादन करना चाहिए था क्योंकि यह विनम्र लगता। उसका अभिवादन करके "गुड मॉर्निंग मिस्टर गू" बोलने से पहले वो हल्का-सा बुदबुदाई।
गू मोहन ने उसकी तरफ देखा कर कहा "मॉर्निंग"।
टैंग मोर ने दरवाजे की तरफ इशारा करके सीधे शब्दों में "सू ज़ेह " सफाई देने के लिए कहा।
गू मोहन ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई और न ही ऐसा दिखाया कि वो उस नाम को पहचानता था। "यह करता क्या है"?
" वो प्रीवेलिंग एंटरटेनमेंट का प्रेसिडेंट है... क्या तुमने उसके बारे में सुना है"?
"हाँ", गू मोहन ने दुबारा बोलने से पहले बेपरवाही में सिर हिलाया, "मैंने उसके बारे में सुना हुआ है"।
"तुमने सचमुच उसके बारे में पहले सुना हुआ है"?
गू मोहन ने उसके छोटे से चेहरे पर नज़र डाली, उसके कोमल नैन नक्श हैरानी में सिकुड़ गए था, "क्या तुमने मुझे अभी नहीं बताया"?
"…"
उसके उपेक्षापूर्ण व्यवहार को देख कर, टैंग मोर समझ गई कि वो सू ज़ेह को कुछ खास नहीं समझता था। बस उसे यह नहीं पता चल रहा था कि वो सू ज़ेह के चरित्र को हल्का समझ रहा था या उसके अहोदे को।
गू मोहन का चेहरा अभिव्यक्तिहीन था, उसकी गहरी, ठंडी आँखें बेरुखी थीं और उन्हें पढ़ पाना मुश्किल था। "क्या वो तुम्हारा मंगेतर है"?
"पुराना- मंगेतर"। टैंग मोर ने ज़ोर दिया।
गू मोहन ने धीरे से अपने होंठ ऊपर किए, वो घृणा से भरा हुआ नहीं दिख रहा था पर बेशक नफ़रत ज़रूर दिख रही थी। "तुम्हारी पसंद बुरी है"।
"…"
ठीक है, वो ना केवल सू ज़ेह को हल्का समझ रहा था, वो तो उसे भी हीन मान रहा था।
टैंग मोर बुरे मूड में थी। उसका मुँह गुस्से में बन गया और उसने चिढ़ कर सोचा, यह आदमी बहुत ही बदतमीज़ है।
"उससे सारे रिश्ते ख़त्म कर दो"।
उसके शब्द छोटे, सटीक और रोबीले थे।
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