"मुझे माफ़ करना मिस्टर फू, मिस्टर हुओ। मुझे कुछ ज़रूरी काम आ गया है और मुझे अभी निकलना होगा"। अमीर वारिस ने जल्द ही अपनी बहदुरी छोड़ दी और फटाफट एक कुत्ते की तरह दुम दबा कर वहाँ से चला गया।
…
एक बार जब वो आदमी वहाँ से चला गया, गू मोहन ने अपनी बाहों में पकड़ी हुई औरत पर से अपनी पकड़ ढीली कर दी, "क्या तुम खुद चल सकती हो"?
टैंग मोर को चक्कर आ रहे थे। शराब का असर उसके सिर को एक गोल चक्कर झूले की तरह घूमा रहा था। "वन नाइट स्टैंड" के दो शॉट्स ने धीरे-धीरे अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था और उसका नशा अब उस पर जोरदार असर दिखा रहा था।
"मैं चल सकती हूँ"। वो खड़ी हो गई और जान बूझ कर उससे एक कदम पीछे हो गई।
पर एक कदम लेने के ही बाद, वो बेढंगे तरीके से लुड़क गई, उसका शरीर कार्पेट की तरफ गिरा।
गू मोहन ने अपनी मांसल बाहों को बढ़ा कर आखिरी पल में उसके शरीर को पकड़ लिया। उसने अपने होंठ भीचे और अपनी भौहें चढ़ाई। उसकी आवाज़ गहरी और भारी थी, "क्या तुम अगली बार फिर से इतनी पियोगी "?
टैंग मोर ने उसे अपनी कोरी और पनीली आँखों से देखा। वो बस उसके कठोर भावों को ही देख पा रही थी। उसने अपना छोटा-सा सिर हिलाया और अनजाने में उसे झुका दिया। इस तरह से कि वो दुबारा इतनी शराब नहीं पीएगी।
उसने आखिर ऐसा व्यवहार भी क्यों किया जैसे कि वो एक छोटी बच्ची थी जिसने गलती कर दी थी।
उस स्वादिष्ट ड्रिंक के बारे में सोचते हुए, उसने फिर अपना सिर यह बताने के लिए हिलाया कि वो और पीना नहीं चाहती थी।
गू मोहन ने अपने होंठ भीचे और उसकी भौहें दो अलग अलग ढंग से घूम गईं। उसने एक शब्द भी नहीं बोला और और उसकी तरफ झुक गया, उसका वहाँ होना उस पर हावी होने लगा जैसे ही उसकी परछाई उस पर पड़ी।
टैंग मोर के शरीर को जैसे ही हवा में लहराने के छोड़ दिया, जब उसकी ताकतवर बाहों में उसने उसे भरा , उसे ऐसा लगा उसके दिल की धड़कन रुक गई है। उसने घबरा कर अपनी बाहें उसके गले में डाल दी और वो यह सोचने लगी कि वो अचानक बिना कुछ कहे उसको अपनी बाहों में क्यों पकड़ रहा है। उसकी ताकत बेशक मर्दाना थी और उसे वहाँ सुरक्षित लग रहा था।
हुओ बाईचेन ने ऐसे सीटी बजाई मानो उसने कोई बहुत बढ़िया तमाशा देखा हो।
गू मोहन ने निकलने से पहले हुओ बाईचेन पर नाराज़गी भरी एक नज़र डाली और फिर वो टैंग मोर के साथ बिल्डिंग से बाहर निकल गया।
…
बार से निकलते हुए, ठंडी हवा का एक झोंका उसके चेहरे के पास से गुज़रा, जिससे उसके बाल पीछे की ओर धीरे से उड़ गए। जब हवा का झोंका उसके पास से गुज़रा तो टैंग मोर को बेहतर महसूस हुआ, पर ऐसा लग रहा था कि उसका शरीर और गर्म हो रहा था।
उसने उसकी तरफ देखा, "मैं अब अंकल फू को यहाँ बुला लेती हूँ...."
"कोई ज़रूरत नहीं है, मैं गाड़ी चला लेता हूँ"। गू मोहन ने पैसेंजर सीट की तरफ का दरवाज़ा खोला और उसे आराम से कार के अंदर बैठा दिया। उसने फिर झुक कर सीट बेल्ट को बांँध दिया।
वो ड्राइवर सीट पर वापस आया, दरवाज़ा बंद किया और एक्सिलरेटर पर पैर रखा।
टैंग मोर की आँखें शांति से कार के अंदर वाले हिस्से पर घूम गईं। उसने शांति से ध्यान दिया कि वो मेबैच का लिमिटिड एडिशन चला रहा था, जिसका शुरुआती क़ीमत कई करोड़ से शुरू होती थी। उसने अपना सिर होशियारी से उसकी तरफ घुमाया और कहा "तुमने यह कार कहाँ से ली"?
गू मोहन आगे ही देखता रहा और सपाट जवाब दिया, "यह मेरे दोस्त की है। तुम क्यों पूछ रही हो"?
"अरे कुछ नहीं, मैंने तो बस ऐसे ही पूछ लिया"।
उसका तो न केवल दिवालिया निकला हुआ था उसकी तो तलाश में पुलिस भी थी। वो इतनी महंगी गाड़ी नहीं खरीद सकता। पर उसके दोस्त इतने अमीर थे तो यह मुमकिन था।
नशा उसके पूरे शरीर में फ़ैल रहा था और टैंग मोर अपने अंदर एक सुलगती हुई आग को महसूस कर पा रही थी जो धीरे-धीरे उसके बदन को अंदर से गर्म कर रही थी। उसने अपना बुना हुआ लाल कार्डिगन उतार दिया, फिर भी उसे थोड़ी गर्मी लग रही थी। उसने एक पतले स्ट्रैप वाली सफ़ेद ड्रेस पहनी हुई थी और वो ड्रेस मुश्किल से उसके घुटने ढँक रही थी।
उसे अपना कार्डिगन उतार कर थोड़ा बेहतर लगा और वो इस द्वंद में थी कि वो अपना स्ट्रैप वाला टॉप उतारे या नहीं।
उसने अचानक एक आदमी की आवाज़ अपने कानों में गूँजती हुई सुनी, "अपने कपड़े उतारना बंद करो, ठीक है? अगर तुमने कुछ भी और उतारा तो तुम निर्वस्त्र हो जाओगी"।
टैंग मोर सुन्न हो गई। उसे क्या हो गया था? उसे अपनी ही हरकतों पर शक होने लगा, उसने अपने सिर को जगह पर आने के लिए झटका दिया और थोड़ा गुस्सा जाहिर किया। आखिर वो अपने कपड़े एक आदमी के सामने क्यों उतार रही थी?
उसने अपनी छोटी हथेलियों से अपने चेहरे को पकड़ा, उसकी उँगलियों ने जब उसके चेहरे को छुआ तो वो थोड़ी ठंडी थीं। उसका बदन जल रहा था।
उसे लगा, उसके शरीर के साथ कुछ तो गड़बड़ थी।
उसने अपना सिर घुमा कर अपने साथ बैठे आदमी को देखा। उसका ध्यान पूरी तरह से गाड़ी चलाने में था और उसने अपनी हथेलियों के दोनों तरफ को स्टीरिंग व्हील पर रखा हुआ था। एक महंगी स्टील की घड़ी उसकी कलाई पर सजी हुई थी और देख कर वो यह बता सकती थी कि वो ख़ास तौर पर बनवाई गई है। शहर की चमकीली रोशनी के माध्यम से उसकी चमक उसके चेहरे पर पड़ रही थी और उसका चेहरा आकर्षक रूप से चमक रहा था क्योंकि रोशनी में उसके नैन-नक्श उभर कर आ रहे थे। वो बेहद हसीन था।
टैंग को अपना मुँह सूखने का एहसास हुआ और उसने अंजाने में ही अपने होंठ चाट लिए। उसे अचानक बहुत प्यास लगने लगी। उस के साथ बैठा आदमी बहुत ही मनमोहक था जिसे नकारा नहीं जा सकता था। उसे लगा वो किसी चुंबकिए क्षेत्र में फंस गई थी और वहाँ से निकल नहीं पा रही थी। उसने उसके रोम - रोम को पुलकित कर दिया और जब वो उसे देख रही थी वो उसके विचारों से खेल रहा था, जैसे ही उसे वो एहसास याद आया जब उसकी बाहों ने उसे पकड़ा हुआ था उसकी मर्दाना खुशबू उसकी नाक में घुस गई। वो इन विचलित कर देने वाले ख़्यालों से, और उसके प्रति इस अजीब से आकर्षण से अपने आप को रोक नहीं पा रही थी।
वो आगे झुकी और उसने अपनी नाज़ुक बहाँ उसके कंधे पर रख दी। फिर उसने अपना छोटा-सा चेहरा उस पर टिकाया और उसे छेड़ते हुए बोली, "तुम इतना नाटक क्यों कर रहे हो, क्या तुम मुझे निर्वस्त्र नहीं देखना चाहते"?
गू मोहन ने उसे अपनी आँख के कोने से देखा। उसकी त्वचा गोरी और सुंदर थी और उसके लंबे बाल उसके कंधों पर नहुत नज़ाकत से गिर रहे थे। उसके सुर्ख लाल होंठ और सफ़ेद दाँत थे जो उसकी दोषरहित त्वचा से बहुत मेल खा रहे थे, उसके गाल आढ़ू की तरह हल्के गुलाबी हो गए थे। उसकी आँखें शराब के कारण नशीली हो गई थीं, फिर भी उनमें कुटिलत से किसी को लुभाने की ताकत थी।
उसके गले में उसका एडम एप्पल उभर कर सामने आ गया।