वो व्यंगतमक हंँसी हंँसा। "वन नाइट स्टैंड" को बहुत सटीक नाम दिया गया था, क्योंकि उसका नतीजा यही इशारा कर रहा था। जो दो शॉट्स उसने लिए थे उनका कामोत्तेजक असर था जिससे इंसान अपने संकोच छोड़ देता था। आखिर उसमें डाले जाने वाली द्रव्यों के बारे में जाने बिना उसने उसे पीया भी क्यूँ होगा? कितनी बेवकूफ़ औरत है।
उसने अपनी हथेली को बढ़ाया और उसे उस जगह धकेल दिया जहांँ पर वो पहले बैठी थी। उसने उसे सख़्ती से कहा "ठीक से बैठो"।
उसने उसे सचमुच धकेला?
टैंग मोर ने नाराज़ हो कर अपना मुंँह फुला लिया। उसके पीछे इतने सालों से उसकी ख़ुशामद करने के लिए इतने प्रेमी थे कि वो उनकी गिनती भी नहीं कर सकती थी। यह पहली बार था कि उसे किसी आदमी से इतनी ठंडी प्रतिक्रिया मिली हो।
वो नाराज़ हो कर कुछ बड़बड़ाई, फिर मुड़ कर दुबारा उसके कंधे पर टिक गई। "मिस्टर गू क्या तुम सचमुच मुझे एक चरित्रहीन औरत मानते हो"?
उन दोनों की एक दम साफ़ परछाई खिड़की पर दिखाई दी। उसकी आवाज़ आलस से भरी हुई और सुस्त थी, जिसमें से कामुकता झलक रही थी।, फिर भी उसकी आँखें उनींदी हैरानी को न्यौता देती निपुणता से बीच में फड़क रही थीं। वो बेहद आकर्षक थी।
गू मोहन की पुतलियाँ गहरी हो गईं और उसकी पकड़ स्टीरिंग व्हील पर कस गई। उसने एक भौं चढ़ाई, उसकी आवाज़ भरी और गहरी थी, "क्या तुम्हें कभी किसी आदमी ने छुआ है"?
टैंग मोर ने अपना जबड़ा उसके छरहरे कंधे पर रख दिया, उसके कान में उसकी लुभावनी आवाज़ उसके कान में पड़ी। "तुम जानना चाहते हो? मुझे छू कर देखो और तुम्हें पता चल जाएगा"।
उसकी सांस की गर्मी से उसके कान पर गुदगुदी हुई और गू मोहन की गोले जैसी आँखों में एक सुलगती हुई आग लगा दी। वो डरावने ढंग से एक सोये हुए तेंदुए की तरह छोटी हो गईं, उसके होंठों के कोने थोड़े ऊपर उठ गए जैसे उसकी आँखें उस पर पड़ीं। उस परिपक्व आदमी का आकर्षण बहुत ज़बर्दस्त था। उसकी आँखें उसके होंठों पर पड़ी जैसे ही वो खुले, उसकी आवाज़ गहरी धीरे से सुनाई दी, "ओह? क्या मतलब है तुम्हारा"?
टैंग मोर को लगा वो करीब-करीब उससे आकर्षित हो चुकी है। वो सच्चाई और विवेक के बीच में झूल रही थी। वो एक ऐसा प्रलोभन था जो लगभग उस सहित, किसी को भी आकर्षित कर सकता था। उसने अपनी विचारधारा को रोका और धीरे-धीरे उस भावहीनता की गहराई में डूबती चली गई।
"मिस्टर गू, बधाई हो। मैंने तुम्हें आज रात मेरे प्यार का आनंद लेने के लिए चुना है"।
"…"
वो अब 30 साल का हो चुका था। उसकी बढ़ती दौलत और दृढ़ स्तर की वजह से, और जिसके साथ उसके पास इतना आकर्षक हुस्न और आकर्षण था, उसके पीछे खूबसूरत महिलाओं की एक लंबी कतार थी जो उसके साथ डेट पर जाना चाहती थीं और वो आपस में किसी भी हद तक लड़ सकती थीं। यह औरत अपने आप में नायाब थी। उसने इस विश्वास के साथ कि वो एक बेशकीमती खज़ाने की तरह थी और उसने वाकई यह घोषणा कर दी थी कि उसके प्यार का आनंद ले सकता था
तीन साल पहले, उसने यह दावा किया था कि वो उसका था। तीन साल बाद, वो हमेशा की तरह उतनी ही रोचक थी।
गू मोहन इसे अब और बर्दाश्त नहीं कर सकता था। अगर वह गाड़ी चलाते समय उसे परेशान करती रही तो वह ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएगा। उसने उसे इस बार फिर से और अधिक मजबूती से यात्री की सीट पर धकेल दिया।
इस बार, गू मोहन ने जब उसे दूर धकेला तो टैंग मोर ने बुरा नहीं माना। वह वापस पीछे की सीट पर जा बैठ गई और उसने अपनी आँखें बंद कर लीं, उसकी छाती धीरे-धीरे ऊपर और नीचे उठ रही थी, और धीरे-धीरे उसकी घनी पलकें आराम से बंद हो गईं।
…
गू मोहन ने अपार्टमेंट के नीचे मेबेच को पार्क किया। उसने पीछे का दरवाजा खोला, नीचे झुक कर उसके शरीर के नीचे अपनी बाहों को खिसकाया, और धीरे से उसे बाहर निकाल दिया। वह नशे के कारण गहरी नींद में थी और उसका सिर गू मोहन की छाती में गिर गया।
टैंग मोर ने अपने छोटे से चेहरे को उसकी चौड़ी छाती में छुपा लिया, ठीक उसकी शर्ट के कॉलर के नीचे। कॉलर का कलफ़ उसकी नाजुक त्वचा को चुभ रहा था इसलिए उसने अपने आप को उसकी बाहों में खिसका लिया और एक आरामदायक स्थिति खोजने की कोशिश की।
गू मोहन ने उसे देखा, हमेशा की तरह भावहीन हो कर, उसकी आँखें एक दुर्लभ सज्जनता दिखा रही थीं। वह एक घमंडी बिल्ली के बच्चे जैसी थी।
उसने उसके अपार्टमेंट में प्रवेश किया और उसे आराम से लाउंज में रखा।
टैंग मोर खुद को सीधा नहीं रख पा रही थी, उसका शरीर थका हुआ और सुस्त था। उसकी ड्रेस के स्ट्रैप उसके कंधे से नीचे खिसक गए, जिससे उसकी दूधिया त्वचा दिखने लगी जो छूने में नरम और मुलायम थी। वह न केवल प्यारी थी, उसमें एक ऐसा मीठापन था जो मंत्रमुग्ध कर देने वाला था और एक आकर्षण था जो किसी के दिल को छू सकता था।
उसने अपने भ्रमित विचारों को छुपाया और अपने नाजुक हाथों को उसकी ओर कर दिया। "मिस्टर गु, मैं तुमको आज रात के लिए कारघालिक की सबसे महान सुन्दरी दूँगी। यह सारा समय तुम्हारा है और तुम इसका पूरा आनंद ले सकते हो।"
उसने अपनी आँखें बंद कर लीं, और उसके चुंबन का इंतज़ार करने लगी।
वो इस तरह पेश आई जैसे वो किसी राजघराने की हो, और खुद को किसी राजा के सामने पेश कर रही।
गू मोहन ने अपने होठों के कोने को थोड़ा-सा ऊपर उठाया और आगे बढ़ा। वो उस के ऊपर झुका और अपनी आवाज़ में एक अजीब से अहंकार से बोला, "मेरी कीमत बहुत ज़्यादा है, क्या तुम्हें यकीन है कि तुम मुझे अपने प्यार में सरोबार कर पाओगी??"
उसके नन्हे हाथ हवा में लटके हुए थे, उसने उन्हें नहीं पकड़ा। टैंग मोर उसके मन में उठने वाली शिकायत को रोक नहीं पाई। वो बहुत अच्छा अभिनय कर लेता था। न केवल वह दिवालिया है और एक ऐसा इंसान है जिसकी तलाश पुलिस भी है, वो मेरे घर में भी जबरदस्ती रह रहा है। क्या मतलब है कि उसकी कीमत बहुत ज़्यादा है?
"ठीक है, ठीक है। मुझे समझ आ गया।"
टैंग मोर ने अपने पर्स से एक सिक्का निकाला और उसके हाथ में रख दिया। "इसे ले लो।"
यह क्या है?"
"वेश्यावृत्ति करने कि कीमत।"
"…"
.
गू मोहन ने उस क्षण फैसला किया कि उसने बहुत ज़्यादा पी ली थी। वह स्पष्ट रूप से नशे में थी और बेशक वह अपने सोचने समझने की शक्ति को खो चुकी थी।
"तुमको पहले नहा लेना चाहिए।"
"नहा लूँ?" टैंग मोर ने हंँसते हुए कहा, " थोड़ी देर पहले तक तो तुम केवल एक मामूली आदमी की तरह नाटक कर रहे थे। अब तुम वास्तव में एक साथ अंतरंग स्नान करना चाहते हो और मुझे पकड़ना चाहते हो।"
उसने अपनी पतली बाहों को उसे ले जाने के लिए बढ़ा दीं क्योंकि वो खुद बाथरूम में जाना नहीं चाहती थी।
"…"
यह देखकर कि वह बिल्कुल नहीं हिल रहा, उसने गुस्से में उसने अपने पैरों को एक जिद्दी बच्चे की तरह पटकना शुरू कर दिया। वह उसके निर्देशों को नहीं सुन रहा था, यहाँ तक कि उसकी फीस भी ले लेने के बाद भी, कितना बेशर्म आदमी है! उसने अपने शब्दों को दोहराया, "मुझे तुमसे गले मिलना है!"
गू मोहन ने उसे ऊपर उठा लिया।
टैंग मोर के हल्के शरीर को उसने आसानी से उठा लिया। वो उसके मजबूत कंधों और चौड़ी छाती से उसकी मर्दानगी महसूस कर पा रही थी। वह खुशी से उसकी बाहों में झुक गई और उसने उसके रूखे चेहरे को अपने दो छोटे हाथों से छू लिया। उसके चेरी जैसे लाल होंठ आकर्षक ढंग से खुले, "ओह, तुम्हारे होंठ तो बहुत सेक्सी हैं। बेशक जैसे एक औरत चाहती है उसे वैसे ही चुंबन देने के लिए बने हैं ...म्म... एकदम टोंड सिक्स पैक और मजबूत शरीर ..." उसके हाथ उसकी छाती, उसकी बाहों पर घूम रहे थे, और उसकी उंगलियों ने उसके मर्दाना शरीर को महसूस कर रही थी।
गू मोहन ने उसकी छोटी-छोटी हरकतों और दबंग बातों पर ध्यान नहीं दिया। वह उसे बाथरूम में ले गया, ग्लास शॉवर स्क्रीन खोला और उसे शॉवर हेड के नीचे खड़ा कर दिया।
टैंग मोर ने अपने आप को उस के आलिंगन दूर किए जाने से अपनी गुस्सा दिखावाने के लिए एक दम से अपनी भौंहों को सिकोड़ लिया।
वह उसके कसे हुए शरीर पर नाराज़ होते हुए झूलती रही। "तुम क्या कर रहे हो? मैंने कीमत दे दी है। क्या तुम्हें सच में इस तरह से अपने ग्राहक के साथ पेश आना चाहिए?"
ग्राहक राजा होता है।
गू मोहन की कमर सीधी हो गई और वह उसके ऊपर झुक गया। उसने उसे सख्ती से अपनी ओर खींचा, "मैं कौन हूँ?"
टैंग मोर ने उसे एक टकटकी लगा कर देखा, उसकी आवाज नरम थी, "मिस्टर गू..."
गू मोहन ने अपने होठों को घूमा लिया। इतना भी बुरा हाल नहीं था, इसलिए वह अब भी जानती थी कि वह कौन था।
टैंग मोर ने उसके चेहरे पर छोटी सी मुस्कान को देखा और वो उससे मोहित होने से खुद को रोक नहीं पाई। उसने उसकी कमर को कसकर पकड़ लिया गले लगा ली,अपनी बाहों के घेरे में जकड़ लिया, "मिस्टर गू ग्राहक हमेशा राजा होता है। चूंकि मैंने पहले ही कीमत चुका दी है, मैं तुम्हारी मालिक हूंँ। तुम्हें मुझे खुश करना होगा, नहीं तो... नहीं तो..." अन्यथा ... मैं तुम्हारी त्वचा पर एक जलती हुई मोमबत्ती टपका दूँगी, एक बेल्ट से तुम्हें कोड़े मारूँगी और तुम्हारे साथ एस एंड एम का एक घटिया खेल खेलूंँगी। "
टैंग मोर ने माने जाने के लिए धमकी देने की कोशिश करते हुए उसे कुछ और घटिया शब्द बोले और लगातार यह सोचती रही कि वो उसके साथ और क्या कर सकती थी।
गू मोहन का गुस्सा धीरे धीरे बढ़ता जा रहा था। पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति इस तरह के उकसावे को स्वीकार नहीं कर पाएगा। वह उस पर लटकी हुई थी, उसका शरीर उसके शरीर से सटा हुआ था, और उसकी आँखें उसके विचारोत्तेजक शब्दों के विपरीत निर्दोष रूप से फड़फड़ा रही थीं। उसके शरीर की गंध ने उसके होश उड़ा दिए और वह अपने अंदर न रुकने वाली इच्छा को जागते हुए महसूस कर रहा था। यह एक एेसी जला देने वाली आग थी जिसे उसने लंबे समय से महसूस नहीं किया था।
वह उसे पाना चाहता था।
जब से वह तीन साल पहले इस महिला से मिला था, तब से किसी भी अन्य महिला की प्रतिक्रिया को महसूस करना उसके लिए मुश्किल हो गया था। बस सिवाय उसके।
हालाँकि, जब वह नशे में नहीं थी, तब वो उसे पाना चाहता नहीं था। वो उसके साथ एक ऐसा आपसी सहमती से रिश्ता चाहता था जो संवेदनहीनता से प्रभावित न हो।
गू मोहन ने उसके सुंदर चेहरे को देखा, उसके गाल लाल और त्वचा कोमल थी। उसकी हथेली ने उसके चेहरे को सहलाया और फिर उसके कंधों की मालिश करने के लिए नीचे खिसक गए।
"बैम!" शावर हेड से शुरू हो गया और उसके शरीर पर ठंडा पानी टपकने लगा, उसके कपड़ों को मैली बिल्ली की तरह भिगो दिया।
"आह!" टैंग मोर अनजाने में गुस्से में बोली, उसका नशा क्रूरता से उतार गया।
वह होश में आने लगी।
उसके लंबे बाल अब पहले जैसी खूबसूरती से नहीं उड़ रहे थे, और उसके छोटे चेहरे पर पूरी तरह से चिपक गए थे। बहुत देर से अपना संयम बनाए मोहन के सामने वह बेहद दयनीय अवस्था में थी। वह उसके सामने पूरी तरह से सूखा हुआ था, अपनी बाहों को मोड़ कर खड़ा हुआ था।
इस समय, वह शांत और तनावमुक्त था। दूसरी ओर, वह बुरी तरह से लड़खड़ा रही थी और गीली लटों से उसके चेहरे पर पानी टपक रहा था।
टैंग मोर गुस्से से फट जाना चाहती थी। वह गुस्से में उत्तेजित हो कर बोली, "गू मोहन, तुम क्या कर रहे हो? तुमने मुझे ठंडे पानी से सराबोर क्यों कर दिया, तुमने तो सच में हद कर दी है!"
गू मोहन ने अपनी बड़ी हथेली में अपने छोटे, गीले चेहरे को पकड़ा, उसकी आवाज़ गहरी और शांत करने वाली थी, "टैंग मोर, तुमने मुझे वेश्य के रूप में रखने की कोशिश की?"
"नहीं।" टैंग मोर का दिमाग घूम गया, फिर वह सुन्न हो गया और वह अंदर की तरफ सिमट गई। उसने उन घटिया शब्दों को याद किया जो उसे नहीं बोलने चाहिए थे। कई अलग-अलग दृश्य उसे गले लगाने और खुद को उसके करीब जाने की कोशिश के लिए उसके मन में उमड़ने लगे। उसने उसे खुश करने के लिए उसे एक सिक्का भी दिया था। अपने सिर को पकड़ कर, वह बेहद शर्मिंदा हो गई और उसे लगा जैसे वह उल्टी कर देगी।