कुछ ही पलों में, अमीर वारिस की नज़रों में हिचक की जगह पूरी तरह से उसकी हवस ने ले ली। अपनी बाहों में उस औरत को देख कर वो धीरे से बोला, "जब तक हम सेक्स नहीं कर लेते तब तक के लिए रुको, तुम्हारे पिता के पास मुझे अपने दामाद की तरह स्वीकार करने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा"!
बेशर्म!
टैंग मोर ने अपने दोनों छोटे हाथों को आगे बढ़ाया। अपनी पूरी ताकत के साथ, उसने अपने करीने से सजाये गए नाखूनों से उसके चेहरे को नोच दिया। उससे उसके चेहरे पर गुस्से की लकीरें खिंच गईं।
यह औरत बहुत खूँखार थी, पर इससे उसके मन में जो उसके प्रति हवस थी वो और बढ़ गई।
टैंग मोर ने इस मौका का फायदा उठा कर उसे धक्का दे दिया और कौरीडोर में भागी।
उसका मकसद उससे जल्दी से जल्दी दूर होने का था। वो इतनी बेवकूफ़ नहीं थी कि उसी जगह पर रुक कर उसकी पकड़ में दुबारा आ जाती। खतरे से निकलने के बाद, वो उससे निपटने का मौका ढूंँढ ही लेगी।
"टैंग मोर, भागो मत। एक बार मैंने तुम्हें पकड़ लिया तो मैं तुम्हें आज रात कच्चा खा लूँगा"! अमीर वारीस उसका पीछा करते हुए बोला, ज़मीन पर तेज़ तेज़ कदम बढ़ा कर वो उसके और करीब पहुँचने ही वाला था।
टैंग मोर जितना जल्दी हो सकता था भाग रही थी। फिर भी उसकी ऊंँची हील उसका साथ नहीं दे रही थी और घबराहट में वो करीब करीब गिर गई। यह देखते हुए कि वो अमीर वारिस उसको पकड़ने ही वाला है, वो डर गई। इसी समय पर, उसकी टक्कर एक गरम और चौड़ी छाती से हुई।
ऊपर देखने पर, उसे सिर्फ गू मोहन का हसीन चेहरा ही अपनी नज़र के सामने दिखा।
हैरान हो कर उसने पूछा, "ऐसा कैसे है कि तुम यहाँ हो"?
गू मोहन ने अपना बलवान हाथ बढ़ाया और उसकी कमर से उसे पकड़ लिया। मुस्कुराते हुए, वो बोला, "अगर आज मैं यहाँ न होता, तो तुम्हें कच्चा खा लिया जाता, है ना"?
टैंग मोर को समझ नहीं आया कि वो क्या बोले।
इस समय तक वो अमीर वारिस वहाँ पहुँच चुका था। गू मोहन को देख कर उसने उसे गुस्से में ललकारा, "तुम क्या समझते हो कि तुम कौन हो? मैं एक सलाह देता हूँ। बेवजह इसमें मत पड़ो। जो औरत तुम्हारी बाहों में है वो मेरी है। अपने घटिया हाथ उस पर से हटाओ"!
गू मोहन ने उसे ऊपर कर लिया, जिससे कि वो उसकी बाँहों में और धंस गई। उस अमीर वारिस को ठंडेपन से घूरते हुए। वो चिड़ कर बोला, "क्या इत्तेफ़ाक है, मेरी बाहों में यह जो औरत है वो तो मेरी है। क्या तुम उसे मुझ से छीनने की कोशिश करना चाहते हो"?
मेरी बाहों में यह जो औरत है वो तो मेरी है....
क्या तुम उसे मुझ से छीनने की कोशिश करना चाहते हो...
यह शब्द सबसे ज़्यादा किसी को हीन महसूस करवाने वाले, उकसाने वाले और अपमान जनक हो सकते थे।
टैंग मोर ने उस आदमी की तरफ गौर से देखा। वो बहुत लंबा था। इतना लंबा कि वो बस उसके तीखे और सुदृढ़ जबड़े को ही देख पा रही थी। इस समय पर, उसका चेहरा शांत और आत्मविश्वास से पूर्ण था, और उसके चेहरे पर एक बार भी उस आदमी को देखते हुए कोई भाव नहीं आया। उसकी शांत चाल-ढाल बिलकुल उस घमंडी राजा की तरह थी जो अपनी प्रजा पर राज करता था या फिर उच्च कोटी के लोगों के कत्ल के लिए आदेश दे रहा था।
अब जब उसकी ताकतवर बाहें उसकी पतली कमर को बचा रही थीं वो उसकी बलवान सुदृढ़ मांसपेशियों को उसके पतले कपड़ों से महसूस कर पा रही थी। उस आदमी की ताक़त उसे सुरक्षित महसूस करवा रही थी और उसे मन में शांति दे रही थी।
शायद क्योंकि सू ज़ेह और वो अब अलग हो चुके थे, वो अब दूसरे आदमियों पर ध्यान देने लगी थी। चाहे वो उसकी काया के कारण था या उसके तेज़ के कारण, पर बेशक इस आदमी ने सू ज़ेह को कई कदम पीछे पछाड़ दिया था।
टैंग मोर को अपना दिल अंजाने में ही तेज़ धड़कता हुआ महसूस हुआ।
वो अमीर वारिस भी पूरी तरह उस के तेज़ के कारण हैरान था। कारघालिक में, वो इससे पहले इतने दबंग आदमी से नहीं मिला था। अपनी पूरी हिम्मत को जुटाते हुए उसने बहदुरी से पूछा, "तुम कौन हो? क्या तुम मुझे अपना नाम बताने की हिम्मत करोगे"?
गू मोहन ने अपने होंठ को कोने से काट लिया और बोला, "तुम तो इस लायक भी नहीं कि तुम मेरा नाम जान सको"।
"तुम"!
इसी समय, दो लोग वहाँ पहुंँचे और बोले, "छोटे भाई, आप किस से बात कर रहे हो"?
उस अमीर वारिस ने ऊपर देखा। उसके चेहरे के भाव पूरी तरह से बदल गए। यह तो फू किंगलन और हुओ बाईचेन थे!
कारघालिक में, केवल तीन परिवार ही सबसे अमीर और प्रभावशाली थे: फू, हुओ और लिन।
इतने सालों में, मेयर टैंग की मदद से सू ज़ेह के परिवार ने बहुत जल्दी ही अपना कारोबार बढ़ाया था। एंटरटेनमेंट की दुनिया में, प्रीवेलिंग एंटरटेनमेंट ने इतनी तरक्की कर ली थी कि उसे चार अमीर और प्रभावशाली परिवारों में गिना जाने लगा।
फिर भी, सू ज़ेह परिवार फू, हुओ और लिन परिवारों की दौलत से मुक़ाबला नहीं कर सकता था।
जो हसीन आदमी चमकती हुई ठंडी आँखों के साथ पैदा हुआ एक सच्चा रईस लग रहा था, फू किंगलन था। वो फू परिवार का छोटा भगवान था। हुओ बाईचेन हुओ परिवार का छोटा मास्टर था। ऊपरी तौर पर देखने से कुटिल और उद्दंड, वो उन लोगों में से था जो अपनी जिम्मेदारियों को निपुणता से निभाता था, और कोई पता नहीं लगा सकता था कि वो क्या सोच रहा है। अगर यह दोनों आदमी एक साथ वहाँ पहुंँचे थे और उस आदमी को "छोटे भाई" कह कर बुलाया था तो, यह आदमी आया कहाँ से था?
एक अलग-सा डर उस अमीर वारिस की रीड़ की हड्डी में तैर गई।