वो आदमी अब गाड़ी के बिल्कुल बाहर खड़ा था। वो जल्द ही वहाँ से किसी और जगह उसे ढूँढने निकल गए। जब उन्होनें गाड़ी को अजीब ढंग से हिलते हुए और वहाँ से एक महिला की करहाने की आवाज़ आते हुए सुना। गाड़ी के अंदर मौजूद जोड़ा अंतरंग हरकतों में मस्त था और उनका रुकने का कोई इरादा नहीं लग रहा था।
एक बार जब वो आदमी वहाँ से चले गए तो, उसने जल्दी से टैंग मोर को पीछे कर दिया।
टैंग मोर उसकी झांघों से खिसक गई और उसने अपना हुलिया सुधारा, अपने कपड़ों को ठीक किया और अपनी पतली उँगलियों से अपने बालों में कंघी की। उसने उसे थप्पड़ मारने के इरादे से, अपनी बाजू को घुमाया।
उसके इरादों को भाँपते हुए, उसने उसकी कलाई को पकड़ लिया और उसे कसते हुए, एक फीकी मुस्कान दी। "किसी को भी मारने से पहले तुम्हारे पास उचित कारण होना चाहिए। क्या मैंने तुम्हारे साथ कुछ भी अनावश्यक किया?"
टैंग मोर ने चिड़ कर जवाब दिया, "मैं तुम्हें मार रही हूँ क्योंकि... तुम उत्तेजित हो रखे हो!"
उसने अपनी एक भौंह को चढ़ाया और उसे अपनी गहरी ठंडी आँखों से पूरी तरह से निडरता से देखा।
टैंग मोर बेचैनी से खिसक गई और उसे अफसोस हुआ हुआ कि उसने उसकी पोल क्यों खोल दी, जब कि इस बात से उसे कोई शर्मिंदगी नहीं थी। यह ख़तरनाक था, वो उन लोगों में से नहीं था जिससे वो मुक़ाबला कर सकती थी। उसे इस बारे में बात ही नहीं करनी चाहिए थी और उस आदमी को छेड़ना भी नहीं चाहिए था जो अभी भी उनकी कुछ समय पहले के नजदीकी के कारण उत्तेजित था। इसका नतीजा यह हो सकता था कि वो अपने आप को उस पर हावी कर दे।
"मुझे छोड़ो"। उसने अपनी कलाई को उस से दूर करने की कोशिश करी जो अभी भी उसने कस कर पकड़ी हुई थी।
"तुम्हें याद नहीं मैं कौन हूँ"?
टैंग मोर एक पल के लिए अवाक रह गई। फिर वो उससे चिड़ कर नफ़रत से बोली, "मिस्टर, तुम्हारा ध्यान आकर्षित करने का तरीका बहुत पुराना है"।
उसकी कोरी और सुंदर आँखों को देख कर उसके होंठ किनारों से थोड़ा मुड़े और एक मुस्कान में बदल गए। वो मंत्रमुग्ध कर देने वाली थी। उसे वो उसी दिन से याद थी, बेशक उसे कुछ याद नहीं था।
यह वही लड़की थी जो उसे तीन साल पहले राजधानी में मिली थी। उसने तो बल्कि उसे लगातार याद दिलाया था कि उसे उसको ढूँढना था।
उसने जब हल्की रंग की हुई खिड़कियों से उसे कार के सामने से जाते हुए देखा था वो तभी उसको पहली नज़र में ही पहचान गया था। हालाँकि अब तो काफी साल हो चुके थे, फिर भी उसने इतनी गहरी छाप छोड़ी थी कि वो उसे भूल ही नहीं पाया था।
"मिस्टर, क्या तुम मुझसे दूर हटोगे? मैंने तुम्हें बचाया भी और मारा भी। मैं यह मान के चल रही हूँ कि अब से हम दोनों का एक-दूसरे पर कोई कर्ज़ नहीं है। मुझे अब जाना है, मुझे किसी से मुलाक़ात करनी है।"
"मुलाक़ात?" उसने उसकी कलाई पर से पकड़ ढीली कर दी, और फिर उसने अपनी बड़ी हथेलियों से उसका छोटा-सा चहरा पकड़ा। उसका चेहरा छोटा था, करीब उसकी हथेली जितना और उसकी त्वचा गोरी और कोमल थी। उसने अपने खुरदुरे अंगूठे से उसके गाल को हल्के से सहलाया, वो उसे जाने नहीं देना चाहता था। "क्या तुमने कहा नहीं था कि तुम्हें कराहना नहीं आता था"?
टैंग मोर उसकी पकड़ से छूट गई और उसने अपना चेहरा उससे दूसरी तरफ करते हुए उसे गुस्से में हड़काया, "तुम इतने बेवकूफ हो। जब एक महिला कहती है कि उसे कराहना नहीं आता तो उसका असल में मतलब होता है कि वो तुम्हारे साथ सेक्स नहीं करना चाहती।"
उसने कार का दरवाज़ा खोला, नीचे उतरी और पीछे देखे बिना वहांँ से चली गई।
….
टैंग मोर अपने अपार्टमेंट में दरवाज़ा खोलने के बाद अंदर घुसी। जैसे ही वो दरवाज़ा बंद करने के लिए पीछे मुड़ी, एक चमकता हुआ काला चमड़े का जूता बीच की जगह में आ गया, और उसे रोकने लगा।
कार में मौजूद उस आदमी में सचमुच इतनी हिम्मत थी कि वो उसका पीछा करते हुए उसके अपार्टमेंट तक आ गया था।
अब जब वो वहाँ पर खड़ा था, वो उसे और पास से देख पा रही है। वो बेहद लंबा था और दरवाज़े के किनारे, एक मूर्ति की तरह खड़ा था।
"क्यों.... तुम क्यों मेरा पीछा कर रहे हो, तुम मुझ से चाहते क्या हो?" टैंग मोर ने सावधानीपूर्वक पूछा।
क्या वो इसलिए था .... क्योंकि वो अभी भी उनके पहले मिलने के समय से उत्तेजित था और वो उसके साथ कुछ करना चाहता था? वो एक बेहद सुंदर महिला थी, और ऐसा लगता था कि, सू ज़ेह को छोड़ कर, जो आदमी उसके साथ रहना चाहते थे अगर एक लाइन में खड़े हो जाते तो वो लाइन हुआंगपू नदी तक वह कतार पहुँच जाती। किसी ऐसे इंसान को ढूँढना मुश्किल था जो उसके प्रति आकर्षित ना हो, क्या वो उन में से एक था? क्या वो उसके साथ कुछ करेगा?
उसे नहीं पता था कि उसके दिमाग में क्या चल रहा था। उसने अंजाने में अपने होंठों को कोनों से उठाया और बोला, "मैं यहाँ यह देखने आया हूँ कि तुम किस के साथ सेक्स करना चाहती हो"।
"…"
उसने तो बस एक बहाना बनाया था उससे दूर होने का, क्योंकि उसके मन में अभी भी धोखे का डंक उसे तंग कर रहा था। वो अभी भी मन ही मन बहुत दुखी थी और वो उससे हल्का-फुल्का मज़ाक करने के मूड में बिल्कुल नहीं थी। उसके नथुने गुस्से में फूल गए और उसने ज़ोर दे कर पूछा, "मिस्टर तुम आखिर मुझ से चाहते क्या हो?"
"मैं यहाँ दो दिन रुकूँगा"।
"क्या?"
"तुम मुझे भगा दोगी?"
"बेशक...."
"तब मुझे तुम्हें याद दिलाना ही होगा। वो आदमी शायद अभी भी मुझे ढूंढ रहे हैं। अगर मैं पकड़ा गया, तो बेशक मैं तुम्हें भी उलझा दूँगा। तुम्हें बहुत सारी मुसीबत झेलनी पड़ेगी"।
रुक जाओ, रुक जाओ, रुक जाओ। टैंग मोर वो सब कर रही थी जिससे उसका गुस्सा दब जाये। उसने एक गहरी सांस ली और एक ज़बरदस्ती की मुस्कान चहरे पर ला कर बोली, "कोई परेशानी नहीं है, मेरे पिता यहाँ के मेयर हैं..."
उसने अपने कंधे बेपरवाही में उचकाए, "लगता है तुम अपने मेयर पिता को परेशान करने के लिए तैयार हो। तुम बेटी होने के लायक नहीं"।
टैंग मोर निस्तब्ध रह गई। वो चाह कर भी अपने गुस्से को रोक नहीं पायी और उसने अपने मोतियों जैसे दाँतों से अपने नीचे वाले होंठ को गुस्से में काट लिया।