टैंग मोर रसोई की तरफ अपने लिए थोड़े नूडल्स बनाने चली गई। अभी तक का उस का दिन बहुत लंबा, थकाने वाले था और उसे बहुत ज़ोर से भूख लगी थी।
....
अंकल फू दस मिनट बाद पहुंँचे।
टैंग मोर ने कागज़ का लिफ़ाफ़ा गू मोहन को पकड़ा दिया। उसने अपनी एक सुंदर भौंह को चढ़ा कर लिफ़ाफ़े के अंदर एक सरसरी निगाह डाली।
उसे यह समझ आ रहा था कि वो क्या सोच रहा था। जब उसने ख़ून से सनी हुई कमीज़ को कचरे के डिब्बे में फेंका तो उसने जल्दी से देख लिया था। वह एक खास तौर पर बनाई गई कमीज़ थी जिसका शायद एक छोटा-सा बटन ही कई हज़ार का होगा। उसके उच्च स्तर और जिस घृणा से उसने उस अप्रिय चीज़ को देखा, उससे साफ पता चलता था कि वह आदमी बेशक बहुत पैसे वाला था और उसका बहुत ऊंँचा रुतबा रखता था।
गू मोहन?
हालाकि टैंग मोर कारघालिक के उच्चवर्ग से वाकिफ़ थी, उसने कभी गू मोहन के बारे में नहीं सुना था। शायद वो कारघालिक से नहीं था।
आखिर वो करता क्या था? क्या यह मुमकिन था कि किसी तरह का सफेदपोश अपराध करने के बाद वो कंगाल हो गया था और गिरफ़्तारी के डर से वो छिप कर बच रहा हो?
चाहे वो कुछ भी हो, वो इसका हिस्सा नहीं बनना चाहती थी। वो बस यह चाहती थी कि वो वहाँ शांति से रहे और उसके लिए कोई मुसीबत न खड़ी करे। उन दोनों के लिए सबसे बेहतर यही था कि कुछ दिनों के बाद वो वहाँ से चुपचाप चला जाए और उसकी ज़िंदगी में परेशानी न पैदा करे। वैसे भी उसके पास और बहुत से मुद्दे थे सुलझाने के लिए।
"मिस्टर गू, कृपया थोड़ी देर के लिए इसी से काम चला लें और इसे पहन लें। कपड़ों का जोड़ा शॉपिंग माॅल से खरीदा गया था और वो काफ़ी महंगा है।"
गू मोहन ने उसे दुबारा देखा और उसके काफ़ी देर रुकने के बाद, कागज़ का लिफ़ाफ़ा बिना कुछ कहे लिया और वहाँ से चला गया।
टैंग मोर रसोई में वापस आ गई। अपने लिए एक बड़े कटोरे में नूडलस डालते हुए, और उसे थोड़े हरे प्याज़ से सजाते हुए वो अपने आप से ही गुनगुनाने लगी।
उसने अपने कान में एक गहरी आवाज़ सुनी, "मैं हरे प्याज़ नहीं खाता"।
टैंग मोर अचानक की आवाज से करीब-करीब गिर गई, उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था। गू मोहन उसके बिल्कुल पास में खड़ा था।
वो बहुत ही अच्छे ढंग से एक स्याह काली कमीज़ पहने हुए था जिसके साथ उसने मेचिंग काली पैंट पहनी हुई थी। दो बटन खुले छोड़े हुए थे, जिससे उसकी गढ़ी हुई छाती दिख रही थी और चमड़े की काली बेल्ट उसकी कमर पर लिपटी हुई थी। सिर से ले कर पैर तक काले रंग के कपड़े पहने हुए वो अंधकार का अवतार लिए हुए लग रहा था। उसके कपड़े उसकी लंबी कद काठी पर बहुत फ़ब रहे थे और उस में से एक नायाब तेज़ निकल रहा था जो कि उसे आम आदमी की पहुँच से बहुत दूर पहुंँचा रहा था।
केवल यही एक इंसान था जिससे टैंग मोर कभी मिली थी जो कि इतने साधारण कपड़ों में भी इतना बढ़िया दिख रहा था और अपने हिला देने बदन पर पहनने से वो उन्हें इतना स्टाइलिश बना रहा था।
उसके पास एक दम दोषहीन शरीर था और उसका एक दानव के जैसा आकर्षण आम से पैंट कमीज़ में भी इतना बढ़िया दिख रहा था। वो बिल्कुल ही दोषरहित था।
"मुझे इस से कोई मतलब नहीं है कि तुम्हें हरे प्याज़ पसंद हैं या नहीं। यह नूडल्स मेरे लिए हैं--- हे"!
इससे पहले कि वो अपनी बात ख़त्म कर पाती वह उसके हाथ से पहले ही वो नूडल्स का अनमोल कटोरा छीन चुका था।
उसने उसे वापस लेने की कोशिश करी और उसने चौप्स्टिक्क्स भी ले लीं।
बिना किसी चेतावनी के, वो नीचे झुका, और अपना सिर तब तक नीचे किया जब तक वो बहुत अनुपयुक्त ढंग से पास आ गया। "मैं तुम्हें बताना भूल गया...." उसकी आवाज़ धीमी हो गई और उसकी गर्म सांस से उसके कान पर गुदगुदी होने लगी।
टैंग मोर हैरान थी और उसके हाथ काँपते हुए शेल्फ तक पहुंँचे जिससे कि वो स्थिर रह सके। उसे यह उम्मीद नहीं थी कि वो अपना चेहरा उसके इतना पास ले आएगा। उसे इतना पास से देखने पर उसने यह महसूस किया कि उसके नैन-नक्श बिल्कुल दोषरहित थे। "क्क ...क्या"?
गू मोहन ने कुछ ढूंढते हुए उसे चीनी मिट्टी के से चहरे पर देखा। उसकी गोरी त्वचा पर कोमल नैन-नक्श थे और जब उन पर सीधी रोशनी पड़ रही थी तो वहाँ से प्रकाश निकल रहा था। यहाँ तक कि उसके चहरे पर बारीक बाल भी चमक रहे थे।
उसके होंठ सुंदर थे, वो बहुत ही आकर्षक चेरी-लाल रंग के थे जो कि बहुत मोहक था।
गु मोहन ने अपना गला साफ किया। यह वही होंठ थे जिन्हें उसने तीन साल पहले चखा था। वो अहसास... अविस्मरणीय था।
उसने उसकी तरफ गौर से देखा और उसकी आवाज़ भारी और गहरी थी, "सबसे बड़ी अंडरवियर भी बहुत छोटी है"।
"…"
गू मोहन फिर बिना पीछे देखे वहाँ से चला गया।
उसका पूरा चेहरा, उसकी बालों की जड़ों तक लाल हो गया। वो क्या कहना चाहता था? क्या वो यह बता रहा था कि वो वहाँ नीचे से काफी बड़ा था?
उसने नहीं कहा!
क्या उसे बिल्कुल शर्म नहीं थी?
टैंग मोर ने एक बार और अपने मन में कोसते हुए नूडल्स बनाए।
थोड़ी देर बाद जब वो खाना खाने के लिए कमरे में गई तो वो तब भी खा रहा था। उसके बिल्कुल सीधा बैठने और सुलझे हुए तरीके से पता चल रहा था कि, बेशक उसकी बहुत अच्छी परवरिश हुई थी।
उसके पेट में से गुड़गुड़ की आवाज़ आने लगीं। इस बारे में भूख के कारण वो और नहीं सोच पाई, उसके सामने बैठी और अपनी नूडल्स को थोड़ा सा उठाया।
बाकी की रात शांति से बीत गई। जब उसका पेट अच्छे से भर गया, वो अपने कमरे में सोने चली गई और वो अलग से ड्राइंग-रूम में सो गया।
…
अगली सुबह।
टैंग मोर की नींद उसके लगातार बज रहे फोन की घंटी से खुली। उसने नींद में फोन उठाया, और उसकी आँखों से नींद उड़ाती हुई एक आवाज़ उसके कान में पड़ी, "हैलो मोर, क्या तुम उठ गई हो? जल्दी से, अपना लैपटॉप खोलो"।
टैंग मोर ने जैसा कहा गया किया और बिना हैरान किए, मुख्य समाचार ध्यान आकर्षित करने वाला था--'नई पीढ़ी की भोली-भाली देवी हेन ज़ियाओवान ने टैंग मोर के मंगेतर को लुभाया'।