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Chapter 38 - क्या नुकसान है?

वह कोठरियों से बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे थे। नीलधारा बहुत ही खुश दिख रहा था। ये क्सिऊ भी चिंता मुक्त था। नीलधारा और अन्य बहुत बेहतर थे भूमि सप्तम और उसके दल से, फिर चाहे वह इक्विपमेंट हो या कुशलता। जब उसने उन लोगों को एक लहर भीड़ में पहली बार आगे का रास्ता दिखाया तो उसे कोई भी नियम दोबारा चिल्लाना नहीं पड़ा। इससे भी ज्यादा जब चारों ने उसके मतलब को समझ लिया तो वो लोग खुद ही तय कर पा रहे थे कि उनके लिए सही समय कब होगा।

इस तरीके को केवल दो बार इस्तेमाल करके, राक्षसों के पहले सरगना के लिए रास्ता साफ कर दिया था। नीलधारा ने समय देखा। अभी उन्हें 5 मिनट भी नहीं हुए थे। राक्षस कोई बहुत बड़ा मुद्दा नहीं थे, इसलिए अगला लक्ष्य था सरगना।

पहला सरगना गोब्लिन चौकीदार था जो आम गोब्लिन से ज्यादा मजबूत था। वह एक भेड़िए के पंजों की छड़ी लेकर चलता था और उसके पास शारीरिक क्षमता बहुत अधिक थी, हमला करने की। हालांकि यह सरगना किसी नई कुशलता से लैस नहीं था पर वह अपनी छड़ी से एक बार वार कर दे, तो भी खिलाड़ी खुद को असहाय महसूस करते थे।

इसका कारण सरगना खुद नहीं था, पर यह था कि आम दल हमला करने के लिए मुख्य टैंक का इस्तेमाल करते थे। इसी तरह मुख्य टैंक केवल बचाव के लिए और सरगना को ज्यादा नुकसान पहुंचाने के लिए ही इस्तेमाल किया जा सकता था। अगर आंकड़े एक निश्चित अंक तक नहीं पहुंचते थे तो मुख्य टैंक केवल तकनीक पर निर्भर होता था। पर तकनीक ऐसा कुछ नहीं था जो बड़े आराम से पा लिया जाए। नतीजतन अगर आंकड़े जरूरत के हिसाब से ना हो तो जानकार ही इसका इस्तेमाल कर सकते थे। आम खिलाड़ी को अच्छे इक्विपमेंट खरीदने पड़ते थे अपने अंको को सुधारने के लिए।

तकनीक की बात की जाए तो नीलधारा को विकट देव पर कोई शक नहीं था। वो बिना विशेषता के 20 वे दर्जे पर था और अभी से 20 गोब्लिन को खींच सकता था और उन्हें गोल चक्कर में घुमा सकता था। अगर कोई कहता की इस तरह के आदमी के पास कोई तकनीक नहीं थी तो नीलधारा उसकी बात मानने से मना कर देता। पर सरगना के विरुद्ध नीलधारा बिल्कुल भी परेशान नहीं था कि विकट देव मर भी सकता है गोब्लिन चौकीदार से, पर वह परेशान था कि वह इसे ढंग से कर पाएगा कि नहीं। अगर उसने कोई गलती की और चौकीदार की बड़ी छड़ी इस मायावी को पड़ी तो मायावी तुरंत ही मर जाएगा।

"मैं करूंगा, तुम पूरी कोशिश करना ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने की" ये क्सिऊ ने कहा।

"हमें कितनी देर इंतजार करना होगा?" नीलधारा ने बड़े ही पेशेवर ढंग से पूछा। साधारण मुख्य टैंक को खींचने में सरगना से लड़ने के लिए कुछ पल लगते थे ताकि वो सब काम भर का बारूद इकट्ठा कर सके और समय आने पर वह खुद ही हमले का शिकार न हो जाये। 

"इंतजार करने की कोई जरूरत नहीं है। एक बार जैसे ही खींच लो अंदर चले आना" ये क्सिऊ ने कहा।

"एक बार खींचते ही अंदर आ जाना?" चारों ने एक साथ चौंकते हुए कहा।

"हाँ कीर्तिमान तोड़ना है ना तुम लोग को, तो जल्दी करनी पड़ेगी। मैं शुरू करने जा रहा हूँ" ये क्सिऊ ने पहले ही कीबोर्ड को पीट दिया था जिससे विकेट देव उठ सके। नीलधारा और अन्य कुछ अचंभित से थे पर उन्होंने शिकायत नहीं की। हालांकि उन्होंने बहुत समय बचाया था, छोटे राक्षसों को मारने से पर उन्हें अभी भी लगता था कि उन्हें धैर्य से काम लेना चाहिए सरगना के खिलाफ। नतीजतन वह हिले नहीं और वह देखते रहे विकेट देव को गोब्लिन चौकीदार को भाले से मारते हुए।

नाग दंत, आकाशीय आक्रमण, दोहरा घाव, साधारण ऊपरी हमला, साधारण घाव एक और आकाशीय हमला....

"तुम लोग किसका इंतजार कर रहे हो"

ऐसा सुनने के बाद नीलधारा उठ खड़ा हुआ जैसे वह सो रहा था पर फिर भी अभी भी ठगा सा था। विकट देव ने जहाँ से खींचना शुरू किया था, वहीं गोब्लिन चौकीदार पूरे समय लुढ़क कर हवा में ही पड़ा हुआ था। क्या खूबसूरती से, कभी न खत्म होने वाला करतब दिखा रहा था। वह चारों यह सोचने से अपने आप को रोक नहीं पाए कि वह गिन सके की कितनी बार विकट देव ने हमला किया और वह देखना चाहे की कितनी बार सरगना गिरा...

इसी के साथ उन चारों को एहसास हुआ कि वह सिर्फ एक फिल्म की प्रशंसा नहीं कर रहे थे और उन्होंने तुरंत ही वार करना शुरू किया। अपने जादुई सामानों के ऊपर से उछलते हुए तलवारे निकालते हुए वह सब एक साथ भागे।

आग, बर्फ, सितारों की चमक, तलवार की चकाचौंध.... चारों ने खूबसूरती के साथ अपने अलग-अलग हमलों का उपयोग किया। किसी ने भी एक दूसरे के रास्ते में आने की कोशिश नहीं की और किसी ने भी एक दूसरे की अवस्था को रोका नहीं। फिर भी हर कोई एक दूसरे के लिए अपने मन में चिंता लिए हुए था। उन्हें डर था कि उनका हमला बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता था और सरगना अपनी बड़ी छड़ी का इस्तेमाल उन पर कर सकता था।

हालांकि विकट देव ने सबको बता कर रखा था कि किसी भी प्रभाव और हमले का प्रयोग से छूटना नहीं चाहिए क्योंकि आखिरकार वो एक मुख्य टैंक का विशेषज्ञ नहीं था। मुख्य टैंक का विशेषज्ञ एक लड़ाके की तरह होता था जो वर्गों को बदलने के बाद भी बहुत ज्यादा संभालने की कुशलता को बरकरार रखता था, साथ ही बहुत ज्यादा संभालने की कुशलता जो 20 वे दर्जे के नीचे थी वह भी रखता था। हालांकि विकट देव यह सब कुशलता सीख सकता था पर उसने अभी तक इस तरह की कुशलता को अपनाया नहीं था।

नतीजतन चारों ने आराम से हमला किया और एकदम से नहीं टूट पड़े। उन्होंने पेशेवर ढंग से हमलो को संभाला। वो सब लगातार हमला कर रहे थे और करते जा रहे थे, जब तक उन्होंने विकेट देव को कहते नहीं सुना "सब लोग पूरी तरह से टूट पड़ो। यह दूसरों पर नहीं फटेगा"

यह देखकर कि वह कितने विश्वास में था, उसे सामना न करने देना अच्छा ना होता, इसलिए उन्होंने अपने दांत भींचे और पूरी ताकत से हमला कर दिया।

ग्लोरी के पास कोई ऐसा औजार नहीं था जिससे पता किया जा सके कि कितने हमले संभाले गए। नुकसान और आरोग्यम किए जा सकते थे कोठरी पार करने के बाद भी। वह चारों ही विशेषज्ञ थे और सब के पास अपना एक मुखर युद्ध लड़ने का तरीका भी था। पहले हर कोई पीछे था, डरा हुआ था। उन्हें डर था कि दूसरा कोई ना फट पड़े। अब उनके दिलों की गहराई में यह उम्मीद थी कोई और नहीं फटेगा। अगर कोई और नहीं फटेगा तो वो अंदाजा लगा सकते थे कि होने वाला नुकसान बहुत ही मामूली होगा।

अंत में गोब्लिन चौकीदार ने उन चारों को देखा भी नहीं। वह बड़ी छड़ी केवल विकट देव की तरफ थी। विकट देव बहुत ही तेजी से इधर से उधर कूद रहा था, इससे भी ज्यादा आश्चर्यजनक यह था कि उसकी हरकत से उसके हमले करने की रफ्तार पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। वो कभी भी ठहर नहीं रहा था और गोब्लिन के इर्द-गिर्द दौड़ रहा था।

नीलधारा भी एक हाथापाई वाले वर्ग से था। अब जितना ज्यादा वह देखता था उतना ज्यादा ही घबराता था। विकट देव के तरीके से सरगना ने तेजी से जवाब देना चालू कर दिया और लगातार ही उसका पीछा करता रहा। अतः अब कोई फर्क नहीं पड़ता था कि वह दाएं जाये या बाएं, सरगना उसके पीछे ही था। इसलिए वह केवल झुक के ही सरगना के हमले से बच सकता था। पर अगर वह पीके करता, तो इस तरह के लड़ाई का तरीका काफी नहीं था एक खिलाड़ी को चक्कर दिला कर उल्टी कराने के लिए। ऐसा लग रहा था कि यह खिलाड़ी भी पीके करने में अच्छा था। 

गोब्लिन चौकीदार अंततः गिर पड़ा। चारों आखिर तक सरगना का ध्यान खींचने में कामयाब नहीं हुए। उन चारों को शर्मिंदगी सी महसूस हुई यह कहते हुए कि वह सब सिर्फ एक गुट बनाकर सरगना को घेरे हुए थे। वह उसे घेरे हुए थे और कोई तरीका नहीं छोड़ रहे थे हमला करने का। ऐसा लग रहा था कि जिस राक्षस को वो पीट रहे थे वो जान भी नहीं रहा था कि वह लोग वहाँ थे।

"साथी तुमने इतने आराम से इसे कैसे खींच लिया?" नीलधारा अपने आप को पूछने से रोक नहीं पाया। उसे महसूस हुआ कि मुख्य टैंक में विशेषज्ञ, फूलों का लालटेन भी कई बार सरगना को फट पड़ने पर मजबूर कर देता।

"जब तक मेरे द्वारा पहुंचाया गया नुकसान तुम्हारे पहुंचाए गए नुकसान से ज्यादा है तब तक ठीक है" ये क्सिऊ ने जवाब दिया 

"..." 

नीलधारा ठहर सा गया, घुमड़ते बादल चौंक गया, चंद्र शोभा कुछ कह ना सकी और चमकते विद्युत ने कहा "असलियत में वह मुख्य टैंक नहीं था, वह नुकसान को भी संभाल रहा था"

चारों के आंखों से आंसू बह गए। सही है विकट देव ने ज्यादा नुकसान पहुंचाया था उन लोगों से और कुछ नहीं।

बिना आराम के लिए रुके विकट देव ने गोब्लिन के एक पूरे झुंड को खींच लिया। बाकी चारों ने उसका पीछा किया और फुसफुसाए "उसके द्वारा पहुंचाया गया नुकसान सही में हमसे ज्यादा था" घुमड़ते बादल ने धीरे से बोला।

"और बहुत ज्यादा था। कैसे उसके हमले इतने स्थाई हो सकते थे?" चंद्र शोभा ने कहा।

"मैं उसकी कुशलता का सम्मान करता हूँ, तो भी उसे इतने आराम से कर पाना, उसके हमलो की क्षमता इतनी गिरी हुई भी नहीं थी। क्या तुममें से कोई उस भाले को पहचानता है?" नीलधारा ने पूछा।

"मैं नहीं पहचानता। वह बहुत ही अजीब सा है जैसे किसी बड़े से लहसुन की फांकी जैसा" चमकते विद्युत ने कहा। 

"तुम्हारे घर में लहसुन उस तरह से दिखता है?" घुमड़ते बादल ने कहा।

"यह कहने का तरीका था। क्या तुम जानते हो कि वह क्या था?" चमकते विद्युत ने कहा।

"भाड़ में जाओ" घुमड़ते बादल ने दुखी होते हुए कहा। 

"सभी लोग शांत हो जाओ। वह पीछे खींच रहा है उस पर ध्यान दो" नीलधारा ने कहा। 

उनके सामने विकट देव ने राक्षसों को खींचना शुरू कर दिया। उन चारों ने शिकायत करने की कोशिश नहीं की। हालांकि उन्होंने ऐसा 2 बार पहले भी किया था पर वह अभी भी खतरे से सावधान थे। अगर उन्होंने कोई गलती की होती, अपनी कुशलता को सही समय पर प्रयोग करने में, तो वह कुछ गोब्लिंस को खो सकते थे। जिसका नतीजा बहुत ही घातक होता।

राक्षसों को पीछे खींचो, इकट्ठा करो और मार डालो।

हर खिलाड़ी अपने जिम्मेदारी को अच्छे से निभा रहा था। दो लहर के बाद उन्होंने सभी राक्षसों को मारते हुए दूसरे सरगना के पास पहुंच गए। दूसरे सरगना के सामने पहुंचना, नीलधारा और अन्य बिल्कुल भी शरीफ नहीं थे और उन्होंने पूरे ताकत से हमला किया। अंत में... अंत में उन चारों ने शांति से विकट देव का पीछा किया। 

"इतना तेज! हम जरूर कीर्तिमान तोड़ देंगे" चमकते विद्युत ने अचानक से आह भरी। 

"और वह भी एक बड़े अंतर से" नीलधारा ने खुश होते हुए कहा।

"हे हे" घुमड़ते बादल ने भी अपनी खुशी जताई। 

"..." चन्द्र शोभा ने क्या कहना है सोच नहीं पाई। 

नुकसान और क्या नहीं। वह उसके बारे में सोचना नहीं चाहते थे।