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Chapter 43 - पंडित की जरूरत नहीं है

भूमि सप्तम और अन्य ने अभी अभी कोठरी छोड़ी थी। उस अनंत रात के नेतृत्व में कोठरी का दूसरा हिस्सा बड़े आराम से कट गया था। इससे ये देखा जा सकता था कि उस आदमी की काबलियत इन लोगों से ज्यादा थी और वह एक अत्यंत ही अनुभवी खिलाड़ी था। पर भूमि सप्तम और अन्य ने उसकी पूजा नहीं की। असल में वो उसकी काबलियत को देख ही नहीं सके। यह केवल निमग्न जेड ही नहीं थी। वो सब ही विकट देव के प्रभाव से ग्रस्त थे। अनंत रात एक अत्यधिक कुशल खिलाड़ी माना जाता था, पर वे उसकी कुशलता देख नहीं सके।

जैसे ही उन्होंने कोठरी छोड़ी, वह आदमी एक कोने में जाकर यूँ खड़ा हो गया मानो वो चाह रहा हो कि "आओ और आकर मेरी पूजा करो"। अंत में उसे एक संदेश मिला, "आपको पार्टी से निकाल दिया गया है"

"धत्त, इतनी बेइज्जती, तुम मुझे बाहर कैसे निकाल सकते हो?" अनंत रात गुस्से में था।

"क्या तुम्हारे पास करने के लिए कुछ नहीं है? जल्दी जाओ और करो" भूमि सप्तम ने कहा।

"नहीं, अब नहीं" अनंत रात ने कहा।

"ओह, माफ़ी चाहूँगा, अब हमारे पास जगह नहीं है। हमारा एक दोस्त आने वाला है" भूमि सप्तम ने कहा।

अनंत रात ने ये सुना और उसकी आँखे चमक उठी। उसके तुरंत टिप्पणी की "क्या विकट देव आ रहा है?"

"तुम्हे इससे क्या मतलब?" भूमि सप्तम ने कहा।

अंत में, अनंत रात ने जाने से मना कर दिया और बेशर्मों की तरह उन चारों के चक्कर लगाने लगा। भूमि सप्तम को बेचैनी होने लगी और उसके मन में आया की इस आदमी के टुकड़े टुकड़े कर दे। पर वह भयावह महत्वकांक्षा का जानकार था, इसलिए भूमि सप्तम ने अपने दरिंदगी भरे ख्याल को भुला दिया। अगर वो जाना नहीं चाहता था तो उसका मकसद क्या था? भूमि सप्तम ने अंदाजा लगाया और एक नतीजे पर पहुंचा। वो अपनी मदद नहीं कर सका और अधिक झुंझलाने लगा। इस तरह के जानकार से लड़ना, वो न जीत पाते। उनकी औसत कुशलता से वो पहले ही किस्मती थे की जानकार साथी कुछ कोठरी पार करने में उनके साथ था। इस समय, भयावह महत्वकांक्षा के जानकार ने उन्हें चुना था, क्या जानकार भाई अभी भी उनके साथ खेलेगा? वो अभी उसे बस एक दिन से जानते थे और वो अभी बहुत अच्छे दोस्त भी नहीं बने थे।

जैसे ही वो ख्यालों की दुनिया में गोते लगा रहा था विकट देव की काया धीरे धीरे उनके करीब आती गयी। निमग्न जेड ने पहले ही चिल्लाया, "भगवान!"

खेल में, जितनी तेज आवाज होती थी, उतनी दूर जाती थी। पर दिक्कत ये थी की आवाज की तेजी असली सुनने वाले आदमी पर निर्भर थी। वो इस समय निमग्न जेड की हालत का अंदाजा लगा सकते थे, चाहे वो घर में हो या इंटरनेट कैफ़े में, वो सही में चिल्ला रही थी। अतः अगर उसके आसपास लोग होंगे, तो वो उसे बेवकूफ समझ रहे होंगे।

विकट देव ने अपना युद्ध भाला अलग रखा, जो उसकी तरफ से अभिवादन के संकेत थे। भूमि सप्तम और अन्य भी उससे मिलने को तैयार थे, पर अनंत रात खरगोश की तरह भागा। वो सांय से आगे की ओर भाग गया।

"तुम विकट देव हो? तुमसे मिलना मेरे लिए खुशकिस्मती की बात है। मैं अनंत रात, भयावह महत्वकांक्षा का जानकार" अनंत रात ने अपना परिचय दिया।

"हाय" ये क्सिऊ ने जवाब दिया और फिर भूमि सप्तम की ओर मुड़ते हुए पूछा, "तुम दोस्त हो?"

"हाँ, मैं और भूमि सप्तम, कोठरी में काफी अच्छे दोस्त बन गये है" अनंत रात ने कहा।

"हट!, हो कौन तुम?" भूमि सप्तम ने इतना बेशर्म आदमी कभी नहीं देखा था।

"भाई भूमि सप्तम, ऐसा नहीं है" अनंत रात ने कहा।

भूमि सप्तम इस आदमी को जान से मार देना चाहता था। उसने पहले जानकार साथी को पार्टी से जुड़ने का न्योता भेजा और फिर अनंत रात पर चिल्लाते हुए कहा, "हम जा रहे है। अब जाओ अपना काम करो"

"मुझे भी ले चलो, मुझे भी ले चलो" अनंत रात ने लगातार चिल्लाते हुए कहा। ये जानकार कैसे हो सकता था? जब वो नए आये खिलाड़ी को पुराने सर्वर में लेकर चलते थे तो वो भी इतने बेशर्म नहीं होते थे। वो कम से कम ऐसा लिख देते थे।

"जगह नहीं है" भूमि सप्तम ने कहा।

"अच्छी बहन, क्या तुम अपनी जगह अपने इस भाई को दे सकती हो?" अनंत रात ने पार्टी की कमजोर कड़ी को ढूंढते हुए, बेशर्मी से निमग्न जेड को परेशान करते हुए कहा।

क्योंकि निमग्न जेड अभी नयी थी और उसने इतना बेशर्म आदमी अब तक नहीं देखा था, तो वह ठगी सी थी। न जानते हुए कि क्या करना चाहिए, उसने यूँ दिखाया मानो वह इस आदमी से समझौता कर लेगी, तभी टोकते हुए ये क्सिऊ ने कहा

"क्या तुम एक पंडित हो?" ये क्सिऊ ने पूछा।

"हाँ, मेरी कुशलता बहुत अच्छी है, जानकार" अनंत रात ने ऐसा कहते हुए अपनी चांदी की ताबीज निकाल ली। भूमि सप्तम और अन्य उस सामान को पहचान नहीं रहे थे, पर वो जानते थे की ये बहुत अच्छा सामान था।

"पाक ताबीज, एक नारंगी हथियार" ये क्सिऊ ने कहा।

"वाह, तुम तो सही में जानकार हो। बेहतरीन नजर है तुम्हारी। तुम मुझे साथ क्यों नहीं ले चलते?" अनंत रात ने तारीफ़ करते हुए कहा।

"हमे पंडित की जरूरत नहीं" ये क्सिऊ ने कहा।

तगड़ा वार

ये एक तगड़ा वार था

5 शब्दों का तगड़ा वार

अब तक जीवंत अनंत रात, मौन हो गया। भूमि सप्तम और अन्य सही में जानकार साथी की पूजा करते थे।

हमे पंडित की जरूरत नहीं! वाह, कितना ताकतवर था। अगर वो कोई आम खिलाड़ी होता और जमे हुए जंगल के बाहर खड़े होकर कहता, "हमे पंडित की जरूरत नहीं" तो भूमि सप्तम तक उसे फेंकू समझता। पर जानकार साथी अलग था। अगर जानकार साथी कह रहा था कि उसे पंडित नहीं चाहिए, तो जरूर ही उसे पंडित नहीं चाहिए होगा। पंडित, जाओ कहीं और खेलो।

"अब जाओ, जाओ, जाओ यहाँ से" भूमि सप्तम ने तेजी से कहा।

किसी ने अनंत रात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। अनंत रात वहां मूर्ति की तरह खड़ा रहा और पार्टी को कोठरी में जाते देखता रहा।

"जानकार साथी, हम मारेंगे कैसे?" भूमि सप्तम घुसा और उसने सीधे विकट देव से पूछा।

"मैं उसे खींचूंगा और तुम लोग बाहर से जितना नुकसान पहुंचा सको, पहुँचाना" ये क्सिऊ ने कहा।

वैसे तो एक लहर भीड़ का सबसे कठिन हिस्सा मुख्य टैंक का राक्षसों को खींचने की काबलियत पर था पर उसमे अन्य खिलाडियों की भी बड़ी जरूरत थी। इन लोगों के नुकसान पहुंचाने की क्षमता पर ये क्सिऊ को ज्यादा विश्वास नहीं था।

जब जानकार भाई खुद साथ था तो भूमि सप्तम और अन्य को लगा की कोठरी पार करना आराम और बेफिक्री का काम था। उनमे से केवल सीखने के इच्छुक निमग्न जेड ने आश्चर्यजनक रूप से गलत सवाल पूछा, "भगवान, क्या हम नया कीर्तिमान बनायेंगे?"

क्या यह सवाल अपने आप में बेइज्जती से भरा नहीं था? कोई तरीका नहीं था कि वो एक नया कीर्तिमान बनाते। इसका कारण जानकार साथी नहीं, बल्कि वो सब खुद थे। भूमि सप्तम और अन्य ने खुद पर शर्मिंदगी महसूस की और जानकार साथी को इस शर्मिंदगी भरे सवाल का जवाब देने में मदद की।

वो कोठरी से आराम से गुजर रहे थे। वो सरगना के गिराए सभी सामान ये क्सिऊ को दे रहे थे। केवल, अगर कोई इक्विपमेंट जो उसके वर्ग में माहिर हो, तो भी ये क्सिऊ सब वापस दे दे रहा था।

वो कोठरी में दो बार घुस चुके थे। छिपा हुआ सरगना कभी सामने नहीं आया और कोई भी खास इक्विपमेंट नहीं गिरा। विकट देव अभी एक बार और कोठरी में दौड़ सकता था पर भूमि सप्तम और अन्य पहले ही अपने दौड़ने की सीमा को छू चुके थे। वो बस दुःख के साथ छोड़ कर जा सकते थे। अंत में, जब वो कोठरी से गए तो उन्होंने अनंत रात को बाहर खड़े देखा। जब वो पहली बार अंदर गये थे, तो ये आदमी जा चुका था।

उन पांचों को देखकर अनंत रात तेजी से भागा।

"अब और नहीं जा सकते?" वो छोटा सा शातिर खुश होते हुए बोला, जिससे भूमि सप्तम के मन में उसे पीटने को लेकर प्रबल इच्छा पैदा हुई। अनंत रात जानता था कि वो इस कोठरी में केवल दो बार जा सकते थे।

"मैं अभी भी एक बार और जा सकता हूँ" ये क्सिऊ ने ईमानदारी से कहा।

"क्या इत्तेफाक है! मैं भी अभी एक बार और जा सकता हूँ" अनंत रात ने कहा।

"ऐसा है?" ये क्सिऊ ने हँसते हुए कहा।

"अभी एक और बड़ा इत्तेफाक बाकी है। देखो, मेरे पास तीन दोस्त है, जो अभी एक बार और भाग सकते है। तुम्हे नहीं लगता कि ये और भी ज्यादा बड़ा इत्तेफाक है?" अनंत रात ने कहा।

"तो हम एक नया कीर्तिमान क्यों नहीं बनाते?" ये क्सिऊ ने कहा।

"ठीक है, ठीक है" अनंत रात ने उत्तेजित होते हुए कहा।

"अगर हम नया कीर्तिमान बनाने जा रहे है तो मेरी दो शर्ते है" ये क्सिऊ ने कहा।

"तुम कह सकते हो"

"पहला, मैं इसकी कीमत लूँगा" ये क्सिऊ ने कहा।

"ओह! वो तो आसान है" अनंत रात ने कहा, "और दूसरा?"

"हमे पंडित की जरूरत नहीं" ये क्सिऊ हँसा।

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