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यह समय लगा था ये क्सिऊ को अनंत रात और अन्य के साथ। यह एक आम समय था। कोई भी पांच साधारण लोगों की पार्टी आधे घंटे में जमे हुए जंगल को पार कर लेती।
समय के बारे में कहने के लिए कुछ भी नहीं था पर अनंत रात गुस्से से भरा हुआ था और पूरे समय अपने दांत पीस रहा था।
उन्होंने सही में आगे ले जाने की कीमत मुफ्त में ही दे दी थी। शुरू से अंत तक विकट देव बताने से नहीं रुका। पर उन्हें इस तरह से बताया जैसे लड़ाको को बताया था। वो उन्हें आसानी से सरल तरीका समझा रहा था। अगर वो चारों नौसिखिया होते तो उन्हें जरूर इससे फायदा होता। पर अनंत रात और अन्य, वो बिना किसी कारण कोठरी में भागे। पूरी कोठरी में उन्होंने कुछ भी उल्लेखनीय नहीं देखा, उसके बारे में।
अंत में, उसने उन चारों को खास तौर से धीमे ढंग से ले गया। वो सब भी जानकार थे, पर उसके तरीके बेहद साधारण थे। उसके इस्तेमाल से वो लोग बेवकूफ जैसे दिख रहे थे।
अनंत रात ने महसूस किया कि विकट देव जानबूझकर नाटक कर रहा था, इसलिए उसने जानते हुए गलती की, जिससे महान जानकार की अंदरूनी शक्तियाँ जाग उठे।
इसके उल्टे, महान जानकार ने अनंत रात को समझाया की उसकी गलतियाँ क्या थी। उसे क्या करना चाहिए था, क्या नहीं करना चाहिए था...
ऐसा सुनकर की उसके तीनों साथी आस्तीन में मुंह छिपा कर हँस रहे थे, अनंत रात समझ गया उसे सही में मूर्ख समझा जा रहा था।
अंत में, सिर्फ एक उल्लेखनीय बात थी, वह ये कि विकट देव ने अपना वर्ग नहीं बदला था पर फिर भी दल में दो डी.पी.एस के बराबर अकेले नुकसान पहुँचाया था। उसके हथियार कम से कम खराब नहीं थे। पर ये युद्ध भाला क्या था? अनंत रात ने इसे कभी नहीं देखा था।
"भाई, क्या तुम हमे धोखा देने की कोशिश कर रहे हो?" अनंत रात ने कोठरी छोड़ने के बाद कहा।
"तुम ऐसा कैसे कह सकते हो। क्या मैं तुम्हे गलत ढंग से आगे ले गया?" ये क्सिऊ ने कहा।
"...." अनंत रात को क्या कहना था, पता नहीं था। हालांकि उसका नेतृत्व साधारण था, पर उसमे कोई कमी नहीं थी, उसने कोई भी जरूरी बात नजरअंदाज नहीं की थी। अगर अनंत रात ने वो जानबूझकर गलती न की होती, तो उसके नेतृत्व में कोई गलती नहीं थी।
ये कहा जा सकता था कि इस आदमी की बुनियाद मजबूत थी। अनंत रात ने इसे स्वीकार करने की बड़ी कठिन कोशिश की और अपने आप को लाख समझाना चाहा की ये कोठरी में जाना समय की बर्बादी नहीं थी। मुझे इससे फायदा हुआ। मुझे फयदा हुआ।
"क्या तुम सफ़ेद भेड़िये के केश लेने जा रहे हो?" ये क्सिऊ ने पूछा।
अनंत रात के गाल आँसुओं से भीग गये। ये वो आदमी था जिसे सही में फायदा हुआ था।
सफेद भेड़िये के केश लेने के बाद ये क्सिऊ ने सबको अलविदा कहा और चला गया। अनंत रात का पात्र हिला तक नहीं। कंप्यूटर के सामने बैठा खिलाड़ी भी चौंका हुआ था।
अचानक से पास में ही किसी ने उसे दो बार खोदा। अनंत रात ने अपना सर घुमाया और देखा की ये एक पार्टी का सदस्य था जो अभी उसके साथ कोठरी में गया था।
उसके स्क्रीन पर खेल नहीं था, बल्कि ग्लोरी के लेखों का फोरम था।
अनंत रात चलकर वहाँ गया और फिर उस आदमी को कहते सुना, "जब मैंने उसे सुना की वो आगे चलेगा, मुझे वो कुछ जाना पहचाना सा महसूस हुआ, इधर देखो..."
अनंत रात ने बस एक नजर देखा और उसे खून की उल्टियाँ होने लगी।
कैसी बुनियादी कुशलता? कैसा कुछ भी नहीं चुनना? उस घटिया आदमी ने इस गुफा को पार करने वाली किताब से पढ़कर सब बताया। एक भी शब्द अलग नहीं। जरूर उसने कोई गलती नहीं की।
"हमे ठगा गया है..." उस साथी ने कहा। 8 सफ़ेद भेड़िये के केश! और उसके बदले में 100% एक किताब से चुराई बातें, जिन्हें पहले भी लाखों लोग पढ़ चुके थे।
अनंत रात ने और भी ज्यादा असहाय महसूस किया। वो ठगा जाना चाहता था। सामने वाले ने उससे कोठरी में चलने को नहीं कहा था, फिर भी उसने बेशर्मी से उससे जबरदस्ती की थी। सामने वाले ने नहीं कहा था की मैं आगे लेकर चलूँगा, उसने खुद बेशर्मी से मांग की थी। शुरुआत में, सामने वाले ने किसी किताब से नहीं बताया था, पर उसने जोर दिया की कदम दर कदम समझाए।
कदम दर कदम? जब की उसकी पार्टी में सभी जानकार थे, उन्हें कदम दर कदम की जानकारी की जरूरत नहीं थी। उसकी इस मांग ने उसके अहम को ठेस पहुँचाया। अब देखो, वह सही में दर्द पहुंचा रहा था।
"राक्षस!" अनंत रात ने अपने दांत पीसे। वह वापस अपनी कुर्सी पर जाकर बैठ गया और गुस्से में विकट देव को लिखा, "साथी, तुम दयालु नहीं हो! क्या तुमने सहायता वाली किताब इस्तेमाल करके हमे धोखा नहीं दिया?"
"मैंने धोखा नहीं दिया। वो किताब मैंने ही लिखी है" ये क्सिऊ ने कहा।
सही में? अंत रात ने तुरंत अपने सर घुमाया और अपने दूसरे साथी से पूछा, "किसने लिखी है वो किताब?"उस आदमी ने अब तक इस बात पर ध्यान नहीं दिया था। वो वापस किताब की शुरुआत में गया और कहा, "एक ऑटम लीफ"
अनंत रात बेहद गुस्सा हो गया। वह वापस मुड़ा और अपने कीबोर्ड को पीटते हुए, "तुम किसे बढ़ा-चढ़ा कर बता रहे हो। वो किताब भगवान ये किउ ने लिखी है"
"सही है, वो मैं हूँ!"
बेशर्म, बेहद बेशर्म... अनंत रात पूरी तरह से मौन हो गया।
"मुझे कुछ काम है करने के लिए, इसलिए मुझे जाना है। हम बाद में बात करते है" अनंत रात को दूसरी तरफ से यह संदेश मिला।
भाग जाना, इसे भाग जाना कहते थे। "सुबह के तीन बज रहे है, क्या काम हो सकता है?" अनंत रात ने सोचा।
खुशहाल इंटरनेट कैफ़े में ये क्सिऊ इस समय कुछ मेहमानों के लिए कोला की कुछ बोतल ले कर जा रहा था।
पूरी रात यहाँ शांति थी।
सुबह के सात बजे, लोगो ने एक के बाद एक अपने कंप्यूटर बंद करने शुरू कर दिए। ये क्सिऊ का विकट देव 21 वे दर्जे पर था। शुरुआती गाँव छोड़ने के बाद, दर्जा बढ़ाना उतना आसान नहीं था। पहला, काम पड़ने वाला अनुभव काफी ज्यादा बढ़ जाता था। दूसरा, कोठरियों में घुसने की सीमा तय कर दी जाती थी। हालांकि 20 वे दर्जे तक शुरुआती गाँव में कंकालो के श्मशान में अनगिनत बार आया जाया जा सकता था। पर उससे मिला अनुभव काफी घट जाता था जैसे कि हर कोठरी के ऊपर पांच से ज्यादा दर्जे हो।
20 वे दर्जे के बाद, कोठरियों के अलावा, खिलाड़ियों को चुनौती पूरा करने और जंगली जानवरों को भी मारना होता था, दर्जा बढ़ाने के लिए।
10 वे सर्वर के एकदम शुरुआत में दर्जो की अंकतालिका में ये क्सिऊ ने नीलधारा, अनंत रात, ये सारे नाम, 24 वे दर्जे पर देखे थे। साफ़ तौर पर, वो पूरा दिन, पूरी रात खेलने पर निर्भर थे, इस तरह की उपलब्धि पाने के लिए। संघ द्वारा सम्भाले गये खिलाड़ी और आम खिलाड़ी में अंतर साफ़ था। इन ऊँचे 24 वे दर्जे के पहले, दर्जा 22 और दर्जा 23 बिलकुल खाली था। पर नए सर्वर के दर्जा 20 और 21, कठिन मेहनत करने वाले खिलाड़ियों से भरा हुआ था। उदाहरण के लिए, विकट देव और भूमि सप्तम जैसे खिलाड़ी। इतने कम समय में, वो अभी से सनकी समझे जाने लगे थे।
ज्यादातर खिलाड़ियों ने अभी तक शुरुआती गाँव नहीं छोड़ा था।
"सुप्रभात, भाई ये क्सिऊ" इस समय सारे साथी जो दिन में काम करते थे और सारी महिला कर्मचारी जो पैसा देखती थी सबने ये क्सिऊ को हेल्लो कह कर अभिवादन किया।
"सुप्रभात" ये क्सिऊ खेल से बाहर निकल आया और कंप्यूटर बंद कर दिया।
"सभी लोग काम में लगे हुए है। मैं अब काम खत्म करके जा रहा हूँ"
"ठीक है"
सब को हेल्लो कहने के बाद ये क्सिऊ ने हाथ फैलाये और दूसरे माले के अंदरूनी कमरों में लौट गया। जब उसने दरवाजा खोला, उसने टीवी की आवाज सुनी, बगल कमरे से आती हुई।
"मैडम, आप इतनी जल्दी उठ गयी?" ये क्सिऊ ने कहा और कमरे में घुस गया। अंत में उसने देखा की टीवी चल रही है और चेन गुओ सोफे पर सो रही थी। उसके आस पास चादर नहीं थी जो वो ओढ़ सके और वह ठंड से सिकुड़कर लेटी थी।
"मैडम, आपको कमरे में जाकर सोना चाहिए" ये क्सिऊ उसके पास गया और दो बार थपथपाते हुए कहा। चेन गुओ ने करवट बदला और उसे नींद खराब करने के लिए नफरत भरी निगाह से देखा।
ये क्सिऊ असहाय था और उसने देखा की चेन गुओ का कमरा भी बंद नहीं था। वो अंदर गया ढूँढने, जिससे वो उसे कुछ ओढ़ा सके। उसने मन ही मन चेन गुओ के कमरे को देख कर सोचा। उसने पाया की कमरे की दीवार, छत और फर्श सब नए थे। पर दूसरे हाथ पर सजावट और बिस्तर सभी कुछ पुराने अंदाज का था। ये क्सिऊ ने इसके बारे में बहुत ज्यादा नहीं सोचा। उसने चेन गुओ के तितर बितर फैले बिस्तर से चादर ली और चेन गुओ को ओढ़ा दिया। उसने टीवी बंद की और दयनीय छोटे से स्टोर रूम में सोने के लिए चल पड़ा।