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Chapter 36 - एक लहर भीड़ (2)

"जेड कम्पन" एक तेजी से दिशा को बदलने की हरकत थी। बायें जाओ, दाएं जाओ इस दौरान लगातार आगे बढ़ते रहो। यह रास्ता अंग्रेजी के अक्षर जेड की तरह दिखता था। पर जब इस हरकत को बहुत तेजी से किया जाए तो तय की गई दूरी बहुत ही छोटी हो जाती थी। अगर पात्र यह हरकत पूरी तरह से पलक झपकते ही कर ले तो ऐसे लगता था जैसे कुछ हिला ही ना हो, बस एक लहर सी महसूस होती है।

अगर यह पात्र को बस "हल्का सा लहर लेते" दिखाना चाहता था तो बहुत से खिलाड़ी ऐसा कर सकते थे। पर एक खिलाड़ी के लिए जेड कम्पन को असली युद्ध में इस्तेमाल करना तभी संभव था जब वह महान खिलाड़ी हो। बस हल्की से हरकत पर निर्भर रहना हमलों से बचने के लिए, यह दिखाता था कि एक व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता और उसका संयम कितना सटीक है।

यह सिर्फ नीलधारा ही नहीं समझ रहा था बल्कि चमकता विद्युत और बाकी भी समझ रहे थे। इस पल जबकि वो सब अभी तक इस अनोखे खेल से अचंभित थे, उन्होंने देखा विकट देव को गोबलिंस की ओर भागते हुए और उन्हें पंजे से मारते हुए। हवा का एक झोंका बहा और दोनों गोब्लिन उड़ गए।

15 वे दर्जे का मायावी युद्ध कौशल गिरते हुए फूलों का पंजा। इस कुशलता के लिए काफी मजबूत उड़ाने की क्षमता का प्रभाव होना चाहिए। गोब्लिन हल्के होते थे इसलिए उन्हें पंजों से भी कई मीटर दूर उड़ाया जा सकता था।

विकट देव आराम करने के लिए रुका नहीं। उसका शरीर कई दिशाओं में भाग रहा था। उस तरफ दो गोब्लिन थे। जैसे ही खिलाड़ी उनके हमला कर पाने भर के इलाके में आता था, वैसे ही वो बड़ा डंडा निकाल कर, लगातार नजदीकी हमले करने लग जाते थे।

इस समय विकट देव उनके बहुत करीब नहीं गया और दूर से ही जारी रहा। आगे बढ़ते हुए दोनों गोब्लिन जो उड़ गए थे वह वापस खड़े हो गए थे। उनमे से एक पत्थर फेंकने के लिए तैयार था तो दूसरा बर्फ के तीर छोड़ने के लिए। जब विकट देव उन से 2 मीटर दूर था तभी उसने अपना युद्ध भाला छोड़ दिया। पू पू की दो आवाजे आई। पत्थर नहीं फेंका गया था और बर्फ के तीर भी बीच में ही रुक गए थे। विकट देव ने अपना भाला चलाया और दोनों राक्षस गिर गए। उनके ऊपर चढ़कर वह आगे दौड़ गया।

अगले निशाने पर दो गोब्लिन थे जो 10 बजे की अवस्था में खड़े थे। इस समय उनमें से एक ने लकड़ी पकड़ रखी थी और दूसरा बर्फ के तीर। जब बर्फ के तीर चले तो विकट देव ने तुरंत ही कूद गया और आराम से उड़कर उस गोब्लिन के पास पहुंचा जिसके पास बड़ी छड़ी थी। बीच हवा में ही उसने भाला चला दिया था जिसने गोब्लिन के बर्फ के तीर को बीच में रोक दिया। जमीन पर उतरने के बाद वह घूमा और तेजी से इस गोब्लिन के पीछे पहुँच गया। एक गोब्लिन पीछे मुड़ गया था जबकि दूसरे ने अपनी बड़ी छड़ी उठाई और उसका पीछा करने लगा। विकेट देव ने अपने हाथ उठाए और एक बार फिर गिरते हुए फूलों के पंजे का इस्तेमाल किया। दोनों राक्षस उड़ गए और बहुत ही सटीक तरीके से दूर जा गिरे। दुख की बात यह थी कि दोनों गोब्लिन के वार फिर रुक गए थे और वह गिर पड़े थे।

इसी तरह हर गोब्लिन हर जगह चाहे वह खड़ा हुआ चौकीदार हो या टहलता हुआ, सब विकेट देव के आने से चौकन्ने हो गए थे या तो पीछे खींच लिए गए थे या तो उड़ा दिए गए थे। हाथापाई में कुशल गोब्लिंस अपनी बड़ी सी डंडिया साफ़ कर रहे थे और विकेट देव का पीछा करते हुए चीख रहा था। सभी अपना कौशल दिखाने में व्यस्त थे। अचानक से जमा हुआ जंगल बहुत ही अजीब जगह हो गया। नीलधारा और अन्य सभी उसके पीछे थे और झिझक रहे थे। वह मना नहीं कर सकते थे कि विकेट देव में कुशलता थी पर इस तरह से अस्थिरता फैलाना कोठरी में जैसे चिड़िया उड़ रही हो और कुत्ते कूद रहे हो। ऐसा क्यों लग रहा था जैसे बहुत ऊंचे दर्जे का खिलाड़ी कोठरी में घुस गया हो?

इस लम्हे पर, नीलधारा और अन्य विकट देव को खो चुके थे। उनके सामने बहुत सारे चीखते हुए गोब्लिंस का भरमार पड़ा हुआ था। पर विकट देव का क्या? नीलधारा बस इतना जान पाया कि वह जिंदा था, दो कारणों से। पहला उसकी पार्टी की सूची से। विकट देव का स्वास्थ्य अभी भी आधे से ज्यादा था, जो की काफी सेहतमंद था। दूसरा इसलिए क्योंकि वह देख सकता था विकेट देव को समय-समय पर कूदते हुए। बिजली की एक चमक की तरह वह कूद रहा था और उसका शरीर गोब्लिंस द्वारा बार-बार रोक लिया जा रहा था।

"वहां... वहां लगभग 20 थे" घुमड़ते बादल की आवाज लड़खड़ाने लगी। इस तरह से 20 वे दर्जे पर कर पाना, यह बहुत बड़ी बात थी।

"अभी भी किसी को नहीं मारा?" चंद्र शोभा पहले से ही तैयार थी डॉल शुरूरू करने के लिए।

"मैं बस देखना चाहता हूँ कि वह हमारे पास वापस कैसे आएगा" चमकते विद्युत ने गोब्लिंस की भरमार को देखते हुए कहा, जिन्हें पीछे खींचा गया था। उसकी आवाज में तारीफ के स्वर थे।

"वह नहीं चाहता कि मैं इस तरह से डॉल शुरूरू करूँ, है न? यह काम नहीं करेगा" चंद्र शोभा परेशान थी। क्योंकि वहां लम्बी दूरी चलने वाले और हाथापाई करने वाले गोब्लिंस की लगभग 2 सेना खड़ी थी। एक सेना बड़ी डांडिया पकड़ी हुई थी और लगातार अपने लक्ष्य को देख रही थी। दूसरी सेना ने दूरी बनाई हुई थी और तभी दौड़ रहे थे जब विकट देव उनकी सीमा से दूर चला जा रहा था।

"वो क्या करने वाला है? क्या तुम मुझसे पूछ रही हो? मैं भी नहीं जानता" नीलधारा ने कहा।

जैसे ही उसकी आवाज सुनाई दी, चमकता विद्युत अचानक से ऊपर नीचे कूदने लगा। बहुत ही ज्यादा प्रयास के बाद वह देखना चाहता था कि राक्षसों की इस हालत के पीछे कारण क्या है। वैसे तो उसका कूदना हास्यास्पद था पर वो सब हँसे नहीं। नीलधारा ने तुरंत पूछा "क्या स्थिति है?"

"भीड़ इकट्ठा हो गई है जो काफी खूबसूरत दिखाई दे रही है" चमकते विद्युत ने कहा।

"ओह?" नीलधारा का भी मन था कि वह ऊपर नीचे कूदे पर वह नील नदी संघ के पांच बड़े जानकारों में से एक था और 10 वे सर्वर में संघ का नेता था इसलिए उसे अपनी थोड़ी सी इज्जत बनाये रखनी थी। नतीजतन वह सिर्फ पूछ ही सकता था "वो कैसे कर रहा है?"

"मैं कैसे जान पाऊंगा। अब कैसे भी हो वह समूह दर समूह आ रहे हैं" जब चमकता विद्युत ऐसा कह रहा था तब वह लगातार कूद भी रहा था। सब ने अचानक एक श्रृंखला में अजीब सी आवाज सुनी।

"गिरते हुए फूलों का पंजा, बहुत तगड़ा" चमकते विद्युत ने चिल्लाया। बाकी तीन ने भी देखा कि उनके सामने के गोब्लिंस शंका में थे। कौन जानता था कितने गोब्लिंस उड़ चुके थे इस गिरते हुए फूलों के पंजे से। गोब्लिन जो बड़ी छड़ी लिया हुए थे वह भी उड़ गया था और लंबी दूरी वाले गोब्लिंस से जा टकराए। एक ही चाल में बड़ी संख्या में वो सब गिर पड़े थे। मैदान का नजारा उन चारों के सामने खुल गया था। उन्होंने देखा विकेट देव अपने दाहिने हाथ में भाला लिए हुए था और बाएं हाथ से पंजे का इस्तेमाल कर रहा था। उसके कपड़े हवा में लहरा रहे थे और वह अभी भी गिरते हुए फूलों के पंजे की स्थिति में था। उसके इर्द-गिर्द गोब्लिंस जमीन पर बिना किसी क्रम के गिरे हुए पड़े थे।

स्क्रीन कुछ लम्हों के लिए रुक गई पर विकेट देव की ताकतवर झलक, लोगों की आंखों में जम गयी थी। कुछ सेकंड बाद गोब्लिंस जो बिना किसी क्रम के गिरे थे, खड़े हो गए और बिना डर के फिर से लड़ने लगे। विकट देव ने छलांग लगाई। चमकते विद्युत ने चिल्लाया "क्या कर रहा है? क्या वो उड़ने जा रहा है?" 

अंत में ..... 

"उड़ रहा है वह सही में उड़ रहा है" चमकते विद्युत के गाल पर आंसू बहने लगे जैसे ही वो चिल्लाया।

विकट देव ने कूदने के बाद 180 डिग्री की गुलाटी मारी। उसके तुरंत बाद गोली की एक आवाज सुनाई दी और वह अचानक ही पीछे की तरफ उड़ गया। नीलधारा और अन्य सब जानकार लोग थे। उन्होंने एक नजर से उसे देखा। यह बीच हवा में गोली चलाने की कुशलता वाली हरकत थी। हवा में खिलाड़ी ने गोली चलाई और बंदूक के झटके से पीछे की तरफ उड़ गया। जितना ज्यादा झटका उतना ही पीछे उड़ना पड़ता था। झटका ऐसा महसूस हुआ जैसे हमला किसी राइफल या और ऊंचे दर्जे की बंदूक से किया गया हो। पीछे उड़ते हुए, उसने सीधे ही राक्षस के सर को पार किया। जब वो जमीन पर गिरा, वह 4 के पीछे दौड़ा।

गोब्लिन पागलों की तरह भाग रहे थे और एक लहर की तरह उसके ऊपर कूद पड़े थे। जो लक्ष्य उनके सामने था, वह था नीलधारा और अन्य। चारों ने पसीना छोड़ना शुरू कर दिया था। तुरंत ही उन्होंने विकट देव की आवाज सुनी "मायावी हमला। डॉल शुरूरू के लिए तैयार हो जाओ"

उन्होंने आगे देखा चौकन्ने होते हुए।

इस लम्हे में पागलों की तरह पीछा कर रहे गोब्लिंस: लम्बी दूरी चलने वाले गोब्लिंस ने बिना हिले अपने हमले को जाने दिया और हाथापाई वाले तेजी से उनके ओर भागे। सारे छोटे राक्षस गुच्छे में सिमट गए थे। यह सही मौका था सामूहिक हमला करने के लिए।