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Chapter 44 - वह आज भी तुम्हारी फ़िक्र करता है

गाड़ी का शीशा नीचे आया और उसमें मुबाइ का खूबसूरत चेहरा दिखा, एक ऐसा चेहरा जिसे देखकर किसी भी औरत के दिल की धड़कन बढ़ जाती। 

लेकिन जिंगे शांत थी।

जिस तरह से जिंगे ने उसे देखा, वह पहले से बिल्कुल अलग था। 

यह किसी डरी और आश्रित लड़की की दृष्टि नहीं थी, जो उसने शादी के वक़्त देखा था, ना ही उसके चेहरे पर तनाव या परेशानी दिख रही थी जो उसके चेहरे पर तलाक के 3 सालों के बाद उनकी पहली मुलाकात में दिखी थी। 

दस दिन के अंदर जिंगे कुछ और बन चुकी थी। 

उसकी टकटकी भरी निगाहों को देखकर, मुबाइ ने धीरे से कहा, "अंदर आ जाओ, मैं तुम्हें छोड़ देता हूं।"

... छोड़ देता हूँ?

जिंगे थोड़ा अचंभित हुई, उसे लगा वह उसका मजाक उड़ा रहा है।उसने पीछे मुड़कर देखा और सीधे चलती गई, उसने दोबारा उसे पलट कर नहीं देखा। 

क्या वह उसे मना कर रही है? 

मुबाइ खुद का मज़ाक उड़ाने लगा। 

उसे पूरी जिंदगी में किसी औरत ने कभी इनकार नहीं किया था और अभी-अभी में जिंगे ने उसके प्रस्ताव को कई बार नामंजूर कर दिया था। 

"लोग कहते हैं कि तलाक के बाद दोस्ती नहीं हो सकती, क्या यह सच है?" 

हालाँकि , उसका मानना था कि तलाक के बाद भी, ऐसा कोई कारण नहीं कि वह एक दूसरे को दुश्मन की तरह देखें। 

सच कहे तो, वह उसके लगातार इंकार करने से थोड़ा नाराज था।

गाड़ी धीरे- धीरे उसका पीछा करने लगी और मुबाइ ने खिड़की के शीशे को नीचे करते हुए कहा, "मुझे गलत मत समझो, मैं तुमसे लिन लिन के बारे में बात करना चाहता हूं"। 

उसकी अपेक्षा के अनुसार, जिंगे लिन लिन का नाम सुनते ही रुक गई। 

"क्या बात करना चाहते हो"? उसने पूछा। 

"अंदर आओ", मुबाइ ने फ़िर कहा।यह स्पष्ट था कि अगर वह कार में नहीं आई,तो वह उसे वापस अंदर आने के लिए नहीं बोलेगा।

जिंगे उसके गाड़ी के सामने से घूमकर पीछे की सीट पर बैठ गई।

मुबाइ को आश्चर्य हुआ, क्योंकि उसे लगा कि वह आगे बढ़ जाएगी। 

उसने जिंगे के खूबसूरत चेहरे को देखा और उसकी आंखों में खो गया।उसने महसूस किया कि वह बदल गई है।

यह बदलाव सिर्फ़ सतही नहीं था, बल्कि उसके पूरे व्यक्तित्त्व में फैल गया था।

हालाँकि उसने सस्ते कपड़े पहने थे, कोई मेकअप नहीं लगाया था और उसके तन पर कुछ भी महंगा नहीं था, वह उसकी करोड़ों की कार के लायक ही लग रही थी। 

ऐसा लग रहा था जैसे इतनी महँगी गाड़ी में आकर उसने इस गाड़ी की इज्जत बढ़ा दी हो। 

यह अचंभित करनेवाला था, उसमें इतना आत्मविश्वास कहाँ से आया? 

मुबाइ की आंखों में जिज्ञासा झलक रही थी।उसके पीछे बैठी वह औरत अचानक ही बहुत रोचक हो गई थी। 

"कहाँ जा रही हो"?

"अस्पताल"

यह सुनने के बाद, मुबाइ ने पूछना चाहा कि उसने सारा खर्च कैसे उठाया। 

अस्पताल में हुए झगड़े के बाद, उसने किसी से अस्पताल में पूछताछ करवाई थी।उसे बताया गया था कि उसने 30000 आरएमबी के बिल का पूरा भुगतान कर दिया था।शायद, इसलिए उस दिन उसने चेक लेने से इंकार कर दिया था। 

लेकिन,जितना उसे मालूम था, वह लोग हमेशा से गरीब थे तो उनके पास इतना पैसा कहां से आया?

मुबाइ खुद से सवाल करता रहा, क्योंकि उसे मालूम था कि जिंगे उसके किसी भी सवाल का जवाब नहीं देगी। 

जिंगे ने अचानक कहा "बोलो"।वह अपने ख्यालों से बाहर निकल आया, एक पल के बाद ही उसे एहसास हुआ कि वह क्या कह रही है। 

"लिन लिन को पिछले कुछ सालों में बेहतरीन सुविधा दी गई है, उसने तुम्हारा जिक्र कभी नहीं किया" उसने कहा। 

जिंगे में अपने सर को झुकाया और अपने चेहरे को उसकी नजर से छुपाने लगी। 

आखिरकार वो एक इंसान थी, जिसके अंदर खून, मांस और एक दिल था जिसे चोट पहुंचती थी। लेकिन फिर, वह अपने बेटे के ऊपर उसे भूल जाने का इल्जाम नहीं लगा सकती थी, क्योंकि तलाक लेना उसका खुद का निर्णय था। 

अपनी शादी और बच्चे को छोड़ना उसकी स्वेच्छा थी। 

मुबाइ ने उसकी तरफ देखा और बोला, "वो एक बहुत अच्छा लड़का है, तुम्हारी कमी अब उसे नहीं खलती, लेकिन सच तो यह है कि उसे अभी भी तुम्हारा ख्याल है।" 

जिंगे का शरीर काँप गया। " सच?" उसने उत्तर दिया।

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