Chapter 50 - शिया ची पर हमला

चेंगवू के शुभकामनाओं के साथ जिंगे घर से निकल गई।

जिस रिहायशी इलाके में वह रहती थी, वह काफी बड़ा था।कुछ दूर जाने के बाद जिंगे को गेट के पास एक पेड़ की छांव में शिया ची बैठा हुआ दिखा।

वह एक स्टील की बेंच पर बैठा था।उसका सर नीचे की ओर झुका हुआ था और उसका उसके कपड़े फट चुके थे।

जिंगे उसके पास गई और उसका नाम पुकारा।उसकी आवाज सुनकर शिया ची ने अपना सर उठाया।जिंगे ने उसके चेहरे पर घाव और कटे के निशान देखे।

"दीदी…"शिया ची ने धीरे से अपना चेहरा छुपाते हुए कहा, उसे अपनी इस हालत पर शर्म आ रही थी।

जिंगे को गुस्सा आया और उसने ची का चेहरा ठोढ़ी से थोड़ा उठाया। उसके चेहरे के घावों की जॉंच करते हुए गुस्सा उसकी आंखों में भरा हुआ था।

"किसने किया यह?" शिया ची ने उसकी आंखों में गुस्सा देखकर जबरन मुस्कुराते हुए कहा, "मैं ठीक हूं,यह तो छोटे-मोटे घाव हैं। बस थोड़ा गंभीर दिख रहा है...

"मैंने पूछा, किसने किया यह" जिंगे ने उसकी बात काट दी। उसकी आंखों में तीखी बदले की भावना भरी हुई थी। 

भले ही कभी-कभी जिंगे सबसे अलग रहती थी, लेकिन अगर कोई उसकी सीमा को पार करता, तो वह गुस्से से भर जाती।

उसकी सीमा स्पष्ट थी;वह अपने किसी भी करीबी का दर्द बर्दाश्त नहीं कर सकती थी। 

दुनिया में बहुत सारे लोग नहीं थे,जिनकी वह परवाह करती थी। लेकिन,उन थोड़े-से लोगों में उसके चाचा और शिया ची शामिल थे।

शिया ची बचपन से ही एक दयालु और प्यारा बच्चा था और जिंगे का अज़ीज़ छोटा भाई था। जिंगे अपने भाई के घावों पर मरहम लगाते हुए मानो गुस्से से उबल रही थी।

वह कभी भी उन लोगों को माफ नहीं कर सकती थी, जिन्होंने शिया ची पर हाथ डाला था। 

"मुझे बताओ, किसने किया यह" जिंगे की आवाज में अधीरता थी।

शिया ची ने झल्लाते हुए कहा "मुझे नहीं पता... जब मैं बाजार से घर आ रहा था, तो दो लोग सामने से मेरी तरफ आए और जानबूझकर मुझसे टकरा गए। जबकि, मेरी गलती नहीं थी फिर भी मैंने उनसे माफी मांगी, पर वह मुझे जाने नहीं दे रहे थे।उन्होंने कहा वह मुझे सबक सिखाना चाहते हैं,क्योंकि मैंने अचानक उनसे पंगा लिया है…दीदी,मुझे माफ कर दो, मैं बहुत फ़ालतू हूं.... मैंने उन लोगों का सामना करने की कोशिश कर रहा था,पर उन दोनों की ताकत के आगे हार गया। मुझे माफ कर दो ..मुझे नहीं पता वह कौन थे। "

जिंगे के मन में उन दोनों की तस्वीर उभरी, जिन्होंने शिया ची को मारा था और वह अपना आपा खोती जा रही थी। 

उसे अपने दिल में बहुत दर्द और गुस्सा भरा हुआ महसूस हुआ।

वह उन दोनों को चीर डालने के लिए क्या न कर बैठती!

लेकिन,उसे पहले उन्हें खोजना था, इसीलिए वह शांत हो गई।

"यह कहाँ हुआ.."? जिंगे ने पूछा।

"इस जगह से कुछ मीटर की दूरी पर.. "

"मेरे साथ अस्पताल चलो," जिंगे ने उसे उठाते हुए कहा।

शिया ची जिंगे की मदद से उठ गया लेकिन उसे अचानक लगा कि वह बहुत कमजोर पड़ गया है और वह कुर्सी पर जा बैठा। 

वह बुरी तरह पीला पड़ गया था और उसने जबरन अपने मुंह से शब्द बाहर निकाले,"दीदी,एक मिनट रुको,मुझे सांस लेने दो" 

जिंगे ने उसकी आंखों को डॉंवाडोल होते देखा और उसके मन में चिंता समा गई। 

"यहाँ रुको", जिंगे ने चौंकीदार के पास जाकर मदद ली और उसकी मदद से शिया ची को पास के ही अस्पताल में पहुंचा दिया।

शिया ची की हालत बाहर से जितनी दिखती थी उतनी अच्छी नहीं थी, उसे आंतरिक रक्तस्राव हो रहा था।उसने बहुत मुश्किल से खुद को संभाला, और जैसे ही वह अस्पताल पहुंचा वैसे ही मूर्छित होकर गिर गया। 

डॉक्टर ने कहा कि अगर वह एक पल भी और देर करती, तो यह जानलेवा हो सकता था। 

यह सुनकर जिंगे का गुस्सा और भड़क गया। उसे शिया ची पर बहुत गुस्सा आया कि उसे अपनी की बिलकुल परवाह नहीं है;बात बिगड़ते ही उसे मदद मॉंगनी चाहिए थी। 

जिंगे ने उसे मदद करनेवाले दोनों सुरक्षारक्षकों का आभार माना; यह वही दोनों थे, जिनकी सहायता से उसने वू रोंग को भगाया था।

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