Chapter 45 - बख़्शीश

"पु! इसने अभी क्या कहा? पक्का मैंने गलत सुना है? आठ सोने के सिक्कों से कम?"

जहाँग वान की गर्वीली आवाज़ सुनकर, सबने थूक दियाl सब उसकी ओर ऐसे घूर रहे थे जैसे किसी पागल को घूरते हैंl

क्या तुम सच में हो?

खजाने की सट्टेबाजी में, कोई जोश और किस्मत के लिए दांव लगाता हैl कोई चाहे कोई भी वस्तु चुने, वह कम से कम सौ सोने के सिक्कों की होती हैl आठ सोने के सिक्के... तुम इतने सिक्कों से क्या खरीदने की उम्मीद रखते हो!

"क्या इस आदमी का दिमाग अभी भी चल रहा है?"

"आठ सोने के सिक्के? वाह, अच्छा होगा कि तुम मिटटी का ढेला उठाओ और वापस चले जाओl"

"तुम अब भी आठ या उससे कम सिक्के बोलने की हिम्मत कर रहे होl यहाँ की कोई भी वस्तु इतनी सस्ती नहीं है, ठीक है..."

...

एक ही क्षण बाद, वहां खड़ी भीड़ की आँखों से हंस हंस कर आंसू निकलने लगेl

हे भगवान, लड़के, क्या तुम इतना मज़ाक करना बंद कर सकते हो?

तुम यहाँ आठ सोने के सिक्कों से कम कीमत की कोई वस्तु पाने की इच्छा कैसे कर सकते हो? अगर तुम्हारे पास अस्सी सोने के सिक्के हों , तो भी तुम यहाँ कुछ नहीं खरीद सकते!

"क्यों? खजाने की सट्टेबाजी के इतने बड़े कमरे में, तुम्हारे पास आठ सोने के सिक्कों की एक भी वस्तु नहीं है? क्या तुम्हें शर्म नहीं आती?"

भीड़ द्वारा उड़ाए जा रहे अपने मज़ाक को नज़रंदाज़ करते हुए, जहाँग वान ने दुकानदार को गर्व से देखाl

उसके पिछले रूप ने उसके पास केवल आठ सोने के सिक्के ही छोड़े थेl अगर चाहे तो भी वह एक सिक्का और नहीं निकाल सकताl

"पू!"

भीड़ में लोगों ने एक दूसरे को देखा और फिर हंसने लगेl

तुम्हें होना चाहिए शर्मिंदा!

यह तो वैसा ही हुआ जैसे, कोई किसी मकान बनाने वाले के पास जाये और एक सोने के सिक्के में मकान खरीदना चाहे!

बड़े भाई, क्या सच में तुम्हारा दिमाग ठीक है?

"ऐसा हो ही नहीं सकता कि यहाँ कोई वस्तु केवल आठ सोने के सिक्कों की होl ऐसा करते हैं, तुम वस्तुओं के इस ढेर से कोई भी वस्तु चुन लोl उसके बाद, मैं उसके पैसे दे दूंगाl यदि तुम्हें मुनाफा हुआ, तो वो पूरा तुम्हाराl अगर घाटा हुआ, तो हम वही करेंगे जो पहले तय हुआ है, तुम माफ़ी मांग लेना!"

"मास्टर मो यांग ने अपने दोनों हाथ पीछे बाँध कर उस युवक को नफरत से देखा, जैसे वह अपनी श्रेष्ठता दिखा रहा होl

"जैसा कि मास्टर मो यांग से उम्मीद थी, कितने उदार हैं!"

"यह युवक एक विदूषक है जो यहाँ आकर अपनी बेवकूफी दिखा रहा है!"

"मैं मास्टर की नैतिकता को स्वीकार करता हूँ!"

...

यह सुनकर कि 'मास्टर' अपने दुश्मन के लिए पैसे भरने को इच्छुक हैं, भीड़ उनकी उदारता से बड़ी ही प्रभावित हुईl

क्या तुमने वह देखा? देखो मास्टर कितने अच्छे हैं, फिर उस युवक को देखो...

रहने दो, अच्छा होगा कि इन दोनों की तुलना न करेंl मुझे डर है कि कहीं मैं उलटी न कर दूँ...

"क्या तुम ऐसा करोगे?" जहाँग वान की आँखें चमक उठीl

यह जानते हुए कि सामने वाला ठग है, जहाँग वान को उसके पैसे खर्च करने में कोई ग्लानि महसूस नहीं हुईl

"बिलकुल, मैं जो कहता हूँ, हमेशा वही करता हूँ!" 'मास्टर मो यांग' ऐसे प्रतीत हो रहे थे मानो अभी अभी धरती पर अवतरित हुए हों और उन्हें धरती की बुराई का असर अभी नहीं हुआ हैl

"ही ही , तो मैं चुन लेता हूँ..."

जहाँग वान हलके से मुस्कुराया, और मंच पर जाकर वहां रखी वस्तुओं के ढेर को जांचने लगाl

चूँकि, सामने वाले ने एक छोटी सी ही वस्तु चुनी थी, इसलिए उसे भी एक छोटी वस्तु ही चुननी थीl इसके अलावा, जितनी बड़ी वस्तु होगी, उसे साफ़ करने में उतना ही अधिक समय लगेगाl

"यह लड़का तो बहुत बेशर्म है!"

"बिलकुल, मुझे नहीं पता कि मास्टर मो यांग इसके साथ इतना अच्छे से क्यों पेश आ रहे हैंl यदि मुझे ऐसा कोई आदमी मिलता, तो मैं कब का उसे उलटे हाथ का झापड़ मार कर भगा देता!"

"पहले तो मास्टर की बेईज्ज़ती की और फिर उनके ही पैसों से वस्तु खरीद रहा है...बेशर्म!"

...

यह देखकर कि कैसे वह युवक बिलकुल भी शर्मिंदा नहीं है, और तो और, वह वस्तुओं को बड़े जोश से देख रहा है, भीड़ निःस्तब्ध थीl

वे पहले बेशर्मों से मिले थे, लेकिन किसी ऐसे बेशर्म से नहीं मिले थे, जिसकी चमड़ी इतनी मोटी होl

तुमने पहले मास्टर की बेईज्ज़ती की! चाहे जो भी हो, तुम दोनों की तो आपस में दुश्मनी होनी चाहिएl ऐसी स्थिति में, तुम्हें दूसरे से पैसे लेकर प्रतिस्पर्धा के लिए वस्तु खरीदते हुए शर्म नहीं आती... बस बहुत हुआ!

भीड़ की बातें नज़रंदाज़ करते हुए, जहाँग वान ने हर उस वस्तु को छुआ जो उसे दिखीl जल्द ही, उसने हथेली के नाप की एक वस्तु चुनी और दुकानदार को दीl

"इसकी कीमत भी 200 सोने के सिक्के ही है!" दुकानदार ने उसे एक नज़र देखा और रुखाई से जवाब दियाl

"मास्टर, जल्दी से भरो इसके पैसे!" बेशर्मी से जहाँग वान ने 'मास्टर' को इशारा कियाl

"..." 'मास्टर मो यांग के चेहरे पर एक गहरी रेखा खिंच गयीl

वह दूसरे का मज़ाक उडाना चाहता था, उसने उम्मीद नहीं की थी कि वह इसकी बात को इतने गर्व से मान लेगा, और ऐसा बर्ताव करेगा मानो अब मैं उसका गुलाम हूँl

सामने वाले का गला दबाने की इच्छा को दबाते हुए, उसने पैसे भर दिएl

"ठीक है, चलो इसको यहीं साफ करोl यहाँ सब देख रहे हैं, इसलिए कोई बाद में मुझ पर धोखा देने का इलज़ाम नहीं लगा पायेगा!" जहाँग वान ने इशारा कियाl

"ह्म्फ, देखते हैं कि क्या तुम इस वस्तु के साफ़ होने के बाद भी इतने घमंडी रहोगे!"

युवक की हरकतों से दुकानदार को भी गुस्सा आ रहा थाl वह सफाई करने वाले औज़ार लाया और उस वस्तु को धीरे धीरे वहीँ साफ़ करने लगाl

जल्द ही, उस वस्तु को ढकी हुई काई और पत्थर साफ़ हो गये और उसने अंदर की वस्तु का असली रूप सामने आ गयाl वह एक अर्ध पारदर्शी पत्थर था, जिसमें से हलकी सी चमक आ रही थीl

"यह....लिंग्लोंग पत्थर है?" उस पत्थर को देखकर भीड़ में से कोई अविश्वास से भरी आवाज़ मैं बोलाl

"लिंग्लोंग पत्थर क्या होता है?" भीड़ में कुछ लोग उसे पहचानते थे, और कुछ नहीं l

"तुम्हें यह भी नहीं पता? लिंग्लोंग पत्थर फैंटम –टियर उपकरण बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण सामग्री हैl हर एक पत्थर बहुत कीमती होता है, और ऐसी वस्तु की हमेशा कमी रहती है!" जिस व्यक्ति ने पहले बोला था, वह उत्साहित होकर बोलाl

सामग्री को गॉड, सेंट, स्पिरिट, फैंटम और मोर्टल में बांटा जाता था!

तिआनवान साम्राज्य जैसी जगह पर, कोई भी मोर्टल पिनाकल उपकरण नहीं के बराबर था, तो फैंटम- टियर की तो बात की क्याl इसलिए, ऐसा हर एक पत्थर अत्यधिक कीमत पर बेचा जा सकता थाl

फैंटम- टियर उपकरण को बनाने के लिए एक मुख्य सामग्री होंने के कारण, जैसे ही इसकी बोली लगेगी, अनगिनत परिवार और एक्सपर्ट्स इसको खरीदने के लिए पागल हो जायेंगेl

"यह कितने में बिक सकता है?"

जो उस वस्तु को नहीं पहचानते थे, वे यह सवाल पूछने से अपने को नहीं रोक पाएl

किसी वस्तु का मूल्य केवल उसके दुर्लभ होने से नहीं लगा सकतेl उसकी कीमत ही उसका सही मूल्य लगाने का सबसे सही तरीका हैl

मैंने सुना है कि लिउज्हू साम्राज्य में कुछ साल पहले ऐसे एक पत्थर की बोली लगी थीl वह इससे छोटा था, लगभग एक मुर्गी के अंडे जितना, लेकिन उसकी कीमत भी 5000 सोने के सिक्के थी! देखो यह कितना बड़ा है, और कितना शुद्ध हैl चाहे जो भी हो, इसकी कीमत कम से कम 100000 ..."

इस समय जो बोल रहा था उसने अपना थूक गिटकाl

"100 ,000 ..."

वहां खड़े सब लोग पागल ही हो गयेl

200 सोने के सिक्कों में खरीदी गयी वस्तु की कीमत 100,000 ?

एक ही क्षण में 500 गुना मुनाफा...

क्या यह सच है?

"यह... यह..." दुकानदार के हाथ कांप रहे थे और वह अपने हाथ में ली हुई वस्तु को शक की निगाह से देख रहा थाl उसे पता था कि जिस व्यक्ति ने अभी बोला है, उसकी बात में एक शब्द भी गलत नहीं था!

इस वस्तु की कीमत सच में उतनी है!

"नामुमकिन... मुझे भ्रम हो रहा है..."

भीड़ की हालत देख कर, मास्टर मो यांग का मुंह उतर गयाl

उसने सोचा था कि सामने वाला कोई भी मूल्यवान वस्तु नहीं चुन पायेगा, और वह अपनी श्रेष्ठता का एक बार और दिखावा कर पायेगाl उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि यह इतनी बेशकीमती वस्तु चुन लेगाl

दोनों वस्तुओं की कीमत २०० सोने के सिक्के थी, फिर भी उसकी वस्तु 2000 में बिकी और दूसरे की कीमत 100,000 ..

क्या दोनों में बहुत अधिक फर्क नहीं है!

"मैं इस लिंग्लोंग पत्थर को अभी बेचूंगा, जो अधिक बोली लगाएगा, ये उसका हो जायेगा!"

जहाँग वान को तो पहले ही पता था कि यह वस्तु क्या है, इसलिए उसे अधिक अचम्भा नहीं हुआl उसने दुकानदार के हाथ से वह पत्थर लिया और भीड़ की ओर देखाl

"मैं इसके 100,000 दूंगा!"

जिसने पहले लिंग्लोंग पत्थर की पहचान की थी उसने पहली बोली लगायीl

 100,000 सोने के सिक्के बहुत अधिक होते हैं, लेकिन लिंग्लोंग पत्थर जैसे के खजाने के लिए, उसकी कोई कीमत नहींl

"मैं 110,000 दूंगा!"

भीड़ में भी कुछ लोगों को उसकी कीमत पता थीl

"120,000 ..."

...

जल्द ही, उसकी कीमत153,000 तय हुई , और उस पत्थर को एक अमीर अधेड़ उम्र के व्यक्ति ने ले लियाl

"यह [तिआनवान बैंक] का बैंकनोट हैl इससे, तुम तिआंवान शहर के किसी भी एक बैंक से 153,000 सोने के सिक्के निकाल सकते हो!" अधेड़ उम्र के व्यक्ति ने बैंक नोट्स का पुलिंदा दिया और लिंग्लोंग पत्थर ले लियाl

सोने के सिक्कों का वज़न बहुत होता है, इसलिए उन्हें ढो कर चलना आसान नहीं होताl इसलिए, धरती के पहले ज़माने की तरह, बैंक नोट्स का प्रचलन शुरू हो रहा थाl

"हूँ !"

एक नजर देखने के बाद उसे समझ आ गया कि वे नोट्स असली हैं और उसने उनको ले लियाl फिर, उसने एक हज़ार की कीमत का एक बैंकनोट निकाला और 'मास्टर मो यांग' के पास गयाl "तुमने मेरे लिए पहले 200 सोने के सिक्के भरे थेl यह एक हज़ार हैं, बाकी तुम रख लोl उसे बख़्शीश समझो!"