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Chapter 46 - धोखाधड़ी उजागर करना

"बख़्शीश ?"

ऐसे शब्द सुनकर, 'मास्टर मो यांग' चौंके और खून की उलटी करने ही वाले थेl

बक्षीस तुम्हारा सिर!

कठोर चेहरे के साथ, 'मास्टर मो यांग' फटने ही वाले थेl इस समय, उनकी स्थिति अजीब थी, पैसे लें तो भी, न लें तो भीl

यदि वह लेते हैं, तो इसका मतलब होगा कि वे उसकी बख़्शीश स्वीकार कर रहे हैंl उस स्थिति में, वे होटल के वेटर या उसके नौकर के स्तर पर आ जायेंगेंl यदि वे मना करते हैं... दुसरे की केवल एक हरकत से ही उनकी बेईज्ज़ती हो रही थी!

अचानक, उनके दिमाग में एक विचार आया... क्या इस लड़के ने यह पहले ही देख लिया था, इसलिए उसने मेरे से पैसे लिए, ताकि वह जानबूझ कर मेरी बेईज्ज़ती कर सके?

"तुम्हें यह नहीं चाहिए? बढ़िया, तो मेरे हज़ार बच गयेl तुम्हें पता होगा कि कोई भी हज़ार सोने के सिक्कों में बहुत सी चीज़ें खरीद सकता है!"

उसकी हिचक देख कर, जहाँग वान ने नोट वापस अपने पास रख लिया और बुबुदाने लगाl

"..." ऐसी बातें सुनकर 'मास्टर मो यांग' बेहोश ही होने वाले थेl

"तुम यकीनन अच्छी किस्मत वाले हो, जो तुमने सही वस्तु चुनीl लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि तुम जीत गये! ठीक है, मेरे पास अब भी बहुत काम है, इसलिए अब मेरे जाने का समय हो गया है!"

अपनी आँखों में गुस्सा लिए, 'मास्टर मो यांग' उठ खड़े हुए, और अपनी बाहें फैला कर जाने के लिए तैयार हुएl

उसकी इस हरकत से जहाँग वान प्रभावित हुआl

[जैसा कि एक पेशेवर ठग से उम्मीद की जाती हैl जैसे ही बात बिगड़ने लगे, निकल लोl उसकी निर्णायक शक्ति इज्ज़त योग्य हैl]

चाहे जहाँग वान की किस्मत अच्छी हो या वह एक कुशल मूल्यांकक हो, एक ही पल में इतनी कमाई करने के बाद, कोई उसे पागल तो नहीं बोल सकताl उसका और तेल निकालने से तो अच्छा है, कि वह बात को यहीं ख़त्म कर देl

आख़िरकार, वह दूसरों के लिए मूल्यांकन करके पहले ही बहुत कमा चुका हैl

जितनी लम्बी यह बहस चलेगी, उसके लिए कोई बात बिगड़ने की सम्भावना उतनी ही बढ़ जाएगीl

"हमारी प्रतिस्पर्धा का अभी कोई निश्चित नतीज़ा नहीं निकला है, तुम जाने की इतनी जल्दी में क्यों हो!" 'मास्टर मो यांग' की पहले की हरकतों की वजह से, जहाँग वान उनको इतनी आसानी से जाने नहीं देना चाहता थाl

"बिलकुल, मास्टर, जाने की इतनी जल्दी में मत रहो! आपने भी चुनी हुई वस्तु से मुनाफा कमाया है, इसको इसकी जीत नहीं बोल सकते!

"मास्टर ने अपने प्रतिद्वंदी को कम आंका, इसलिए उन्होंने शुरू से ही सबसे महंगी वस्तु नहीं चुनीl हमें आप पर विश्वास है..."

बहुत दिनों की मेहनत के बाद, मास्टर ने अपने कई चेले बना लिए थेl

"मैंने पहले ही कहा था कि मेरे पास और भी काम हैं करने के लिएl चलता हूँ!" 'मास्टर मो यांग ' ने अपना हाथ हिलायाl

"आपके पास कोई तुरंत करने वाला काम है भी तो, मुझे नहीं लगता कि कुछ मिनटों की देरी से बहुत फर्क पड़ेगाl अभी भी कई बातें हैं, जिन पर मुझे आपका मार्गदर्शन चाहिए!" जहाँग वान ने दूसरे का बच निकलने का मार्ग रोकाl

"कैसी बातें?" 'मास्टर मो यांग' रुके और गुर्राते हुए बोलेl

"यह मेरे दोस्त..."

उसको रुकता देख कर, जहाँग वान मुस्कुराया और उस अधेड़ व्यक्ति को देखने लगा जिसने मास्टर के मूल्यांकन में वह फूलदान लिया थाl

"यह क्या है? अधेड़ व्यक्ति वहाँ आयाl

वह अभी भी उस वस्तु को जिसमें फूलदान था, ऐसे ढो कर चल रहा था मानो वह कोई खजाना होl उसका आकार देख कर, वह उसे कम समय में ही साफ़ नहीं कर सकता थाl इसलिए, उसने सोचा कि रुक कर यह तमाशा देख लिया जाएl

"यदि मैं गलत नहीं हूँ, जिस वस्तु को खरीदने पर तुमने 80000 सोने के सिक्के खर्च किये, वह एक सुन्दर फूलदान हैl और, वह टूटा हुआ है और उसकी कीमत एक सोने का सिक्का भी नहीं है!" जहाँग वान ने उस वस्तु की ओर इशारा किया और बोलाl

"सुन्दर फूलदान? जिसकी कीमत एक सिक्का भी नहीं है? यह कैसा मज़ाक है? यह वस्तु मेरे लिए मास्टर ने चुनी है..." उस अधेड़ का चेहरा गहरा हो गया और उसने जहाँग वान को डांट दियाl

"इतनी बड़ी वस्तु को साफ़ करने में बहुत समय लगेगाl कम से कम, एक दिनl तो क्यों न ऐसा करें, तुम इसे अभी फर्श पर पटक दो और यदि मैं गलत हुआ, तो मैं तुम्हें 80000 सोने के सिक्के दूंगा! लेकिन, अगर मैं सही निकला, तो इसका मतलब होगा कि तुम इसके जाल में फंस गये हो और ठगे गये होl यदि ऐसा हुआ, तो तुम उससे अपने पैसे वापस मांग लेना जिसने तुम्हारे पैसे ठगे हैं!"

जहाँग वान ने मुस्कुराते हुए बोलाl

"तोड़ दूँ?" अधेड़ व्यक्ति उसकी बातें सुनकर चौंक गयाl

दूसरे की बात सही थीl इतनी बड़ी वस्तु को साफ़ करने में बहुत समय लगेगाl लेकिन, यदि उसने इसे फर्श पर पटक कर तोड़ दिया, तो सिर्फ एक ही क्षण लगेगाl

यदि सामने वाले की बात सच निकली और यह केवल एक सुन्दर फूलदान निकला तो मैंने अपना बहुत बड़ा नुकसान कर लिया होगाl

80000 का नुक्सान तो उसे उसे कंगाल कर देगाl

यदि यह वस्तु नकली निकली तो शायद वह आत्महत्या ही कर लेगाl

यदि इस युवक ने यही बात थोड़ी देर पहले कही होती तो, वह बस गुस्सा होता और उसकी बात नहीं सुनताl लेकिन, सामने वाले ने अभी एक खजाना लिया है जिसने उसे 765 गुना फायदा दिया हैl इसी एक बात से उसका विश्वास डगमगा गयाl

"चिंता मत करो, एक सच्चा खज़ाना ऐसे आसानी से नहीं टूट सकतl यदि तुम उसे पटक भी दोगे तो वह ऐसे ही नहीं टूट जायेगाl तुम्हारा नुकसान नहीं होगा!" उसकी हिचक देखकर, जहाँग वान ने समझायाl

"ठीक है!"

थोड़ी देर सोचने के बाद, उस अधेड़ व्यक्ति ने अपने हाथ में पकड़ी हुई उस वस्तु को ज़मीन पर पटक दियाl

डैंग लैंग!

एक करारी सी आवाज़ के साथ , वह बड़ी सी वस्तु, चकनाचूर हो गयी, और उसका काई और मिटटी के बीच असली रूप प्रकट हो गया... बिलकुल, वह एक टूटा हुआ फूलदान ही निकलाl

"यह तो सच में.... एक सुन्दर फूलदान ही है?"

उसको एक नज़र देख कर, भीड़ ने यकीन किया कि यह एक फूलदान ही थाl

यदि यह कोई बहुत पुरानी वस्तु होती, तो भी इसकी कीमत इतनी नहीं थीl 80000 सोने के सिक्के तो दूर की बात है, कोई इसके लिए 10 सोने के सिक्के भी नहीं देगाl

"यहाँ क्या हो रहा है..."

टूटे हुए टुकड़े ज़मीन पर बिखरे देख कर, वह अधेड़ आदमी जम सा गयाl

शुरू में, उसने अपनी सारी उम्मीद इस वस्तु पर लगाईं थी, कि वह इससे काफी पैसे कमा लेगा, और ऐसा हो गयाl कैसे वह पागल न हो?

 "क्या हो रहा है? तुम्हें यह बात मास्टर मो यांग से पूछनी पड़ेगी! यदि मैं गलत नहीं हूँ तो, इसने इस दुकानदार के साथ मिलकर अपनी छवि एक मूल्यांकक की बनायीं ताकि सबका ध्यान आकर्षित कर सकेl फिर, अपने मूल्यांकन से, इसने आप लोगों से बहुत से पैसे उन वस्तुओं पर खर्च करवाए जो इसने चुनी थी, और फिर उससे मुनाफा कमाया!"

जहाँग वान ने 'मास्टर मो यांग' और दुकानदार को देखा, और उसके होंठ तन गएl "और किस कारण यह अधिक कीमत की वस्तुएं चुन सका, वह एकदम साफ़ हैl चूँकि, उनकी सफाई आपके सामने नहीं होती थी, तो वह उनको अंदर दूसरे सामान से बदल देता था जो इसने पहले ही तैयार किया हुआ होता था और फिर दावा करता कि यह वही है जो अभी चुना गया थाl वैसे भी, किसी ने सफाई करते हुए नहीं देखा है, तो कोई उसके दावे को नहीं झुठला सकताl"

"यह..."

"क्या यह सच है?"

...

जहाँग वान की बातें सुनकर सबका 'मास्टर मो यांग' पर से विश्वास डगमगाने लगाl

 सबके सामने एक खजाना चुनने के बाद, जहाँग वान ने सफलता पूर्वक एक झूठे खजाने का पर्दाफाश कर दिया था जिसे 'मास्टर मो यांग ' ने मूल्यांकित किया थाl जिस भीड़ को कुछ क्षण पहले 'मास्टर मो यांग 'पर अटूट विश्वास था, उन्हें अब शक होने लगाl

डैंग लैंग!

जब वे लोग यही विचार करने में मग्न थे, कि कौन सही है और कौन गलत, तभी भीड़ में एक और करारी आवाज़ सुनाई दीl एक और आदमी जिसने मास्टर के कहने पर सामन खरीदा था, उसने अपना सामान फर्श पर पटक दियाl इस बार वह एक फूलदान नहीं , एक फ़ालतू चीनी मिट्टी की वस्तु निकलीl एक ही नज़र में साफ़ था कि उसकी कोई कीमत ही नहीं हैl

"नकली, यह नकली है! मैंने इसके लिए 60000 सोने के सिक्के खर्च किया हैं...ये सब ठग हैं!"

टूटे हुए टुकड़े ज़मीन पर देखते हुए, जिन लोगों ने भी उसकी मूल्यांकित वस्तुएं खरीदी थी, वे भी समझ गए कि वे भी ठगे गये हैं और गुस्से में हल्ला मचाने लगेl

पेंग! होन्ग! पुहे!

पहले दो का हाल देखकर, बाकी भी नहीं रुक सकेl एक के बाद एक, सबने खरीदी हुई वस्तुओं को हथोड़े से तोड़ दिया या चाक़ू लेकर काट दियाl

उसके अंदर की वस्तु देख कर सबके होश उड़ गएl

"यह सब नकली हैं... यह सब बेकार कचरा है!"

"हमें ठगा गया हैl यह मास्टर मो यांग ठग है..."

यदि केवल एक ही वस्तु नकली निकलती तो भी भीड़ मान लेतीl आख़िरकार, एक मूल्यांकक भी हर बार सौ प्रतिशत सही खजाना नहीं ढूंढ सकताl लेकिन, जब उसकी मूल्यांकित सभी नौ की नौ वस्तुएं फालतू निकली, तो इसका केवल एक ही मतलब हो सकता है कि वह ठग है!

[और सोचो, फिर भी कितना उदार और ईमानदार होने का नाटक कर रहा था... 

पुई! तुम केवल एक धोखेबाज हो!]

पगलाई भीड़ ने 'मास्टर मो यांग' और दुकानदार को घेर लिया और उन्हें गुस्से से घूरने लगेl इस समय, उनको मारने का विचार भी भीड़ के मन में आ रहा थाl

आख़िरकार, किसी का पैसा आसमान से तो नहीं गिरा थाl

यदि कोई इस धोखे को नहीं पकड़ता तो वे तभी सच्चाई जान पाते जब इसको साफ करते, तब वे किससे अपना दुखड़ा सुनातेl

"इस लड़के की बकवास मत सुनो! मास्टर मूल्यांकक भी कभी कभी गलती कर सकते हैं मैं सच में इस दुकानदार को नहीं जानता..."

भीड़ की आँखों में कातिलाना चमक देख कर, 'मास्टर मो यंग' को समझ आ गया था कि अब इनको बेवक़ूफ़ नहीं बनाया जा सकता और इसलिए वह गुस्से से गुर्रायाl

एक क्षण पहले यह हुआ होता तो भीड़ पक्का उसकी बात सुनतीl लेकिन अब...कोई उसकी किसी बात पर ध्यान नहीं दे रहा थाl

 पेंग पेंग पेंग पेंग!

भीड़ में किसी मोटे को मारने की आवाज़ आने लगीl उसके बाद, दर्द से कराहने की आवाजें आने लगीl इस मारधाड़ में दुकानदार को भी नहीं बक्शा गयाl

और, इन सबका सूत्रधार जहाँग वान, वह तो हो हल्ला शुरू होते ही वहां से खिसक गया थाl

यह दुनिया बहुत बड़ी है, और हर दिन , यहाँ लोग दूसरों को ठगते हैंl वह सब जगह मौजूद होने वाला भगवान तो नहीं हो सकता, और उसके लिए सब का भला करना मुमकिन नहीं थाl यदि 'मास्टर मो यांग' इतना नहीं बोलते, तो वह उनकी पोल भी नहीं खोलताl

अब जब जिनको ठगा गया था, वे स्थिति को समझ चुके थे, ज़ाहिर है, कि वे अपने तरीके से उस मुसीबत से निपट लेंगेl जहाँग वान को उनकी चिंता करने की कोई ज़रुरत नहीं हैl

"हुआंग यु किताब की दुकान...."

मार्किट में आराम से घूमते हुए, उसके सामने एक बड़ी सी दुकान आईl उसमें सब तरह की किताबें, अलमारियों में भरी थीl

उस दुकान में जड़ी बूटियाँ, हथियार, सैवेज बीस्ट और ज़ाहिर है, किताबें बिकती थीl इस दुकान में घुसने का मुख्य कारण भी यही थाl

"मुझे एक नज़र मारने दो!"

जहाँग वान पैर उठा कर उस दुकान में चला गयाl