अब तक
अश्विका की आवाज सुन सिंध्या जल्दी से डोर खोलती हैं तो सामने ही अश्विका चमकती आंखों के साथ स्माइल करे अश्विन की गोद में बैठी उसे ही देख रही थी।
सिंध्या अश्विन को पूरी तरह इग्नोर कर अश्विका से कहती हैं _" बेबी , , आप सोए नही अभी तक , , ,और यहां क्यों आए इतने रात में , ,आप ठीक तो हो न , , "
सिंध्या की फिकर वाली आवाज सुन अश्विका को अब रोना आ जाता हैं , ,वो रोते हुए कहती हैं _" मम्मा , , भाई बिमाल हैं , ,, ,वो ठीक नही हो लहे हैं , , चलो ना , , मम्मा भाई आपको सोते हुए बुला लहे हैं ।"
ईधांश की तबियत खराब हैं सुन सिंध्या का दिल में दर्द होता हैं , , वो जल्दी से घर के अंदर जाति हैं और अश्विन के मुंह पर गेट लगा देती हैं जिसकी उम्मीद अश्विन को तो बिल्कुल भी नही थी।
थोड़ी देर में डोर वापस खुलता हैं सिंध्या अपने फ्लैट को लॉक कर जल्दी से लिफ्ट की कर जाते हुए कहती हैं , ,_" अब चलो भी , , ,क्या देख रहे हो वहा , , आइए , , ईधु बीमार हैं ,, पहले कहना था न , , पहले बकवास ही करनी होती हैं आप सबको , , , ,"
सब लोग सिंध्या की डाट सुन ओब्रोय मेंशन कि और निकल जाते हैं।
अब आगे
सब लोग ओब्रोई मेंशन की ओर चल देते हैं , कार में अश्विका सिंध्या से लिपटी हुई बैठी थी और सिंध्या उसको थपथपाने लगती हैं।
थोड़ी देर में कार ओब्रोय मेंशन के सामने सामने आ कर रुकती हैं । सिंध्या बिना अश्विन का वेट किए अश्विका को अपनी गोद में लिए अंदर आ जाति हैं।
सिंध्या को आता देख दादी और दादाजी को राहत मिलती हैं।
सिंध्या अश्विका को ले के ही ईधांश के रूम की तरफ चल देती हैं।
सिंध्या को जाता देख गुंजन बुआ मुंह बन के बोलती हैं _" कितनी बदतमीज लड़की हैं बड़े बूढ़े बैठे हैं यहां , , फिर भी बिना ग्रीट किए ऊपर चली गई।"
गुंजन बुआ की बात का जवाब देते हुए दादी कहती हैं _" ऐसी बात नही हैं गुंजन वो बच्ची ईधु को ले कर परेशान हैं वरना वो ऐसी नही हैं।"
गुंजन बुआ बस अपना मुंह बना कर रह जाति दादी जी की बात पर , ,
ऊपर ईधांश के रूम में
डॉक्टर ईधांश के रूम में ही थे वो उसका फेवर चेक कर रहे थे तभी सिंध्या वहा पहुंच जाती हैं वो अश्विका को बेड पर बिठाते हुए कहती हैं _" केसा हैं अब ईधु , , बुखार काम हुआ या नहीं "
डॉक्टर अपना चश्मा उतारते हुए कहता हैं _" जी अभी तक कोई सुधार नहीं हैं , , मेडिसिन भी यह ले नही रहे हैं समझ नही आ रहा क्या करे ।"
डॉक्टर की बात सुन सिंध्या ईधांश के पास जाते हुए कहती हैं _" ठीक हैं अब में यहां हु , , आप अब जा सकते हैं।"
डॉक्टर सिंध्या की बात पर हिचकिचाता हैं पर वो अपना ब्रीफकेस ले नीचे चला जाता हैं।
कार में
जब से सिंध्या गई थी तबसे ही अश्विन उसमे बैठा हुआ था। वो बस अपने फोन में ही घुसा था उसे पता ही नही चला कब सिंध्या वहा से चली गई।
बॉडीगार्ड सब अजीब नज़रों से अश्विन को देखे जा रहे थे पर कुछ कह नहीं पा रहे थे । तभी शेखर वहा आ जाता हैं बॉडीगार्ड सब उसे बता देता हैं तो वो अश्विन की कार की तरफ चल देता हैं।
शेखर कार का गेट ओपन कर अश्विन से बोलता हैं _" बॉस आप 15 मिनिट से कार में हैं , , any problem"
अश्विन अपने फोन से नजर हटा अपने बगल में देखता हैं जहा सिंध्या और अश्विका दोनो ही नही थे।
शेखर दोबारा बोलता हैं _" बॉस आप ठीक हैं ना , , आपने जवाब नही दिया , , आप कार में पिछले 15 मिनिट से क्या कर रहे हैं!"
अश्विन शेखर की बात सुन हैरानी से कहता हैं _" क्या 15 मिनिट , , में तब से यही हु "
बॉडीगार्ड अपना सिर हा में हिला देते हैं तो अश्विन जल्दी से अन्दर ही तरफ भाग हैं और सीधे ऊपर पहुंच जाता हैं।
अश्विन को भी ऊपर भागता देख गुंजन बुआ मुंह बना बोलती हैं _" यह भी ऊपर भग गया , , आज हो की रहा हैं इस घर में , , "
वही रीमा जो साइड में खड़ी सब कुछ बोर हो कर देख रही थी । अश्विन को ऊपर जाता देख वो भी जल्दी से उसके पीछे पीछे ऊपर पहुंच जाती हैं।
रूम में
ईधांश को होश आ चुका था वो इस वक्त सिंध्या से लिपटा हुआ था । सिंध्या उसे खुद से चिपकाए उसके माथे पर गीली पट्टी कर रही थी वही उसकी गोद में अश्विका सो गई थी।
यह सीन दरवाजे पर खड़ा अश्विन देख रहा था । उसे लग रहा था मानो उनकी मां ही उसके बच्चे का ख्याल रख रही हैं।
अश्विन सिंध्या का डेडीकेशन देख कर भी काफी हैरान था । कोई और होता तो वो इस वक्त नहीं आता पर सिंध्या, , , उसमे कुछ बात तो हैं।
रीमा जो अश्विन के पीछे वहा आई हुई थी यह सीन देख जल्दी से अश्विन के साइड हो अंदर आ सिंध्या पर चिल्लाते हुए कहती हैं _" यह क्या कर रही हो तुम , , ऐसे तो ईधांश को इन्फेक्शन हो जायेगा , , , हटो वहा से , ," यह बोल वो सिंध्या का हाथ पकड़ खींच लगती हैं । सिंध्या के गोद में सोई अश्विका इस खींचातानी से गिरने वाली ही होती हैं की सिंध्या अचानक से उसे पकड़ लेती हैं।
वही अश्विन भी इस हरकत से डर गया था । वो जल्दी से रीमा को साइड करता हैं और अश्विका को देखने लगता हैं जो अब वापस सो चुकी थी।
यह देख अब अश्विन रीमा की तरफ मुड़ उसे गुस्से में चिल्लाते हु कह हैं _" तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यह सब करने की , , , अगर मेरी बेटी को एक खरोच तक आती तो में तुम्हारी सांसे तक खींच लेता , , , दफा हो जाओ यहां से अभी , , "
रीमा डर कर जल्दी से वहा से भाग जाती हैं।
To be continue
केसा लगा आज का पार्ट बताना मत भूलना , , इंतजार रहेगा आपके रिव्यू का , ,