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Chapter 19 - sir dukhne laga

अब तक

यह परछाई अश्विका और ईधांश की हैं जिन्हे अपनी मम्मा के पास सोना हैं ।

ईधांश अपना सिर हिला बोलता हैं _" ठीक हैं तलो , , "

खुद में ही बात कर दोनो सिंध्या के अगल बगल लेट जाते हैं , , अश्विका बगल में लेट बोलती हैं _" बले भाई डलना मत "

ईधांश अश्विका को घूर कर बोलता हैं _" डलती तुम हो नाम मेला लगा लही हो।

दोनो की बहस से सिंध्या थोड़ा हिलती हैं तो दोनो चुप हो कर सो जाते हैं।

अगली सुबह

अश्विन हमेशा की तरह उठ कर अपने बच्चो के कमरे में जा रहा था पर उसे क्या मालूम उसके बच्चे वहा हैं ही नहीं , ,

अश्विन जब रूम में आता है तो उसे कोई नही दिखता  , ,  वो आस पास नजर घुमा बोला _" अब यह कहा गए , , "

अब आगे

दोनो बच्चो को कमरे में न पा अश्विन वाशरूम में जा कर देखता हैं तो वहा भी दोनो नही थे ।

अब अश्विन परेशान हो सभी सर्वेंट से बोला _" जाओ जा कर ढूंढो यह दोनो कहा गए  ।"

सर्वेंट्स अपना सिर हिला जल्दी से अधिक और ईधांश को ढूंढने निकल जात हैं।

10 मिनिट बाद

सभी सर्वेंट्स आज फिर लाइन में लगे खड़े हुए थे सभी अपना सिर नीचे कर के खड़े हुए थे क्युकी उन्हे दोनो बच्चे नही मिले ।

अश्विन सब को गुस्से में देख बोला _" बच्चे कहा गए ? , , कहा था न ध्यान रखना वो रातों रात कहा गायब हो गए  , , , बोलो कहा हैं मेरे बच्चे "

अश्विन के चिल्लाने सभी सर्वेंट्स डर के मारे कांप गए  , ,और दादी और दादाजी अपने रूम से बाहर निकल आए इतना शोर शराबा सुनके ।

दादाजी अपनी बुलंद आवाज से अश्विन से बोले _" क्या हुआ  , , इतना शोर क्यों मचा रखा हैं सुबह सुबह घर में। , , "

दादाजी की बात सुन अश्विन गुस्से में ही सर्वेंट्स को घूरते हुए बोला _" अश्वि और ईधु दोनो गायब हैं। , ,और इन निक्कमो से उन्हे ढूंढा नही जा रहा हैं ।"

अश्विका और ईधांश गायब हैं सुन दादाजी और दादी भी परेशान हो जाती हैं । दादी घबराते हुए कहती हैं_" ऐसे केसे बच्चे कही चले गए  , , देखी घर में ही कही छुपे होगे दोनो ।"

दादी की बात सुन हेड सर्वेंट बोला _" नही मैडम हम लोगो ने सब जगह उन्हे ढूंढ लिया हैं सिवाय सिंध्या जी के रूम के। , , हमे उनके रूम जाना ठीक नही लगा।

" ठीक नही लगा। , , what do you mean by that , अगर मेरे  वही हुए न तब तुम देखना " अश्विन  ने चिल्ला कर कहा और वहा से सिंध्या के रूम की तरफ चल दिया।

सिंध्या का रूम

अश्विन बिना नोक किए रूम के अंदर  आता हैं तो देखता हैं उसके दोनो बच्चे सिंध्या से चिपक के सो रहे थे। यह देख अश्विन के जान में जान आई।

अश्विन आगे बढ़ बेड के पास आता हैं । तीनों साथ में सोते हुए काफी प्यारे लग रहे थे। अश्विका सिंध्या के ऊपर ज्यादा सो रही थी और बेड पर कम, , , ईधांश साइड में सो रहा था सिंध्या ने आराम से उसे होल्ड कर रखा था।

अश्विन तीनो को देखने लगा , सिंध्या जो सो रही थी उसे लगा जैसे कोई उसे घूर रहा हैं यह महसूस कर वो अपनी आंखे धीरे धीरे खोलने लगती हैं तभी उसे अपने ऊपर कुछ हेवी सा फील होता हैं।

सिंध्या अपनी आंख खोल सामने देखती हैं जहा अश्विन उसे ही देख रहा था तो सिंध्या अपना सिर नीचे कर के देखती हैं उसके ऊपर अश्विका सो रही थी और बगल  में ईधांश यह देख सिंध्या वापस से लेट जाती हैं।

थोड़ी देर लेटने के बाद सिंध्या अपनी आंख खोल अश्विन को देखती हैं जो उसे ही देख रहा था यह देख सिंध्या बोली _" मिस्टर अश्विन , , क्या वहा आप देखने के अलावा अश्विका को मेरे ऊपर से हटा सकते हैं , , मेरा राइट हैंड ईधांश के नीचे हैं।

अश्विन अपना सिर हिला अश्विका को आराम से सिंध्या के ऊपर से उठा  लेता हैं।

सिंध्या भी अब आराम से ईधांश को सही लेता कर अपना हाथ निकाल बेड से उतर जाती हैं तो अश्विन अश्विका को ईधांश के बगल में सुला देता हैं।

सिंध्या खड़े हो के बाद आप का सही करती हैं जो की सो में अस्त व्यस्त हो गए थे।

अश्विका को सुलाने के बाद अश्विन सिंध्या की तरफ मुड़ गुस्से में कहता हैं _" यह दोनो तुम्हारे कमरे में थे , ,  ,बता नही सकती थी । घर में सब कितने ज्यादा परेशान हो गए थे अंदाजा भी हैं तुम्हे , , , "

सिंध्या की नींद अभी पूरी तरह से खुली भी नही थी अश्विन के चिल्लाने से वो चिड गई वो चिड़ते हुए बोली _" चुप रहिए यह आप , , ,   मुझे नही पता यह दोनो कब आए में पास , , रात में , में दरवाजा  करना  भूल गई थी । तभी आ  गए

होगे। , , , प्लीज आप सुबह सुबह चिल्लाना  बंद करे मेरा सिर दुखने लग गया ।"

अश्विन सिंध्या की बात सुन चिल्लाते हुए कहता हैं _" व्हाट , , ,तुम्हारे सिर दुखने लगा मेरी आवाज सुन कर , , , लोग तरसते हैं मेरी आवाज सुन कर। , , "

सिंध्या हैरानी से अश्विन की बात सुन बोली _" हेन्हह सच्ची , , , मुझे तो पता ही नही था आपकी आवाज में हीरे मोती जड़े हैं जिन्हे सुनने के लिए लोग तरसते हैं।" सिंध्या ने अश्विन की बात को मजाक में लेटे हुए कह डाला ।

अपनी बुराई सुन अश्विन आग बबूला हो कर वहा से निकल गया ।

अश्विन के जाने के बाद अब अश्विका और ईधांश को उठाने लगी ।

थोड़ी बहुत कोशिश के बाद दोनो उठ गए , सिंध्या दोनो को ले कर उनके रूम में आ गई , , दोनो को उसने रेडी किया और हाथ पकड़ नीचे ले आई।

सिंध्या के साथ दोनो बच्चो को देख दादाजी और दादी के चेहरे से चिंता के बदल गायब हो गए। वो दोनो प्यार से तीनो को देखने लगे ।

To be continue

Kesa lga aaj ka part btana mat bhulna , , , itne dino se koi review nahi de rha hein , , esa kyu yaar acche nahi lag rahe hein kya , , acche nahi lag rahe tab bhi btao or acche lag। rahe hein tab toh zarur hi btao , , ,