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Chapter 11 - chori ka ilzam

अब तक

दादी की बात पर गुंजन बुआ दादी को माफ करते हुए कहती हैं _" कोई बात नही चाची जी , , वैसे हमारा ईधांश कहा हैं , ,  उसे बुलाइए ,,, , ,,"

दादी अपना सिर हा में हिलाते हुए एक सर्वेंट को ईधांश को बुलाने भेज देती हैं।

5 मिनिट बाद

सिंध्या ईधांश को अपने गोद में लिए नीचे आ रही थी , ईधांश पूरा सिंध्य से लिपटा हुआ था ।

सिंध्या ईधांश को ला सोफा पर दादी के पास बिठा देती हैं कर खुद साइड में खड़ी हो जाती हैं।

सिंध्या को देख गुंजन बुआ दादी से कहती हैं _" यह कोन हैं अब?"

दादी कुछ कहती उससे पहले ही अश्विका सिंध्या के पेरो से लिपटे हुए कहती हैं _" मम्मा , , देखो , अशी ने क्या बनाया हैं " यह बोल अश्विका सिंध्या को अपने बनाए ब्लॉक से बने ब्रिज को दिखाती हैं ।

अश्विका को बिजी देख दादी कहती हैं _" ईधांश की केयरटेकर और नर्स "

गुंजन बुआ हैरानी से _" इतनी सुंदर , , हैं यह , क्या यह भी केयरटेकर हैं "

अब आगे

गुंजन बुआ की बात सुन दादी हा में अपना सिर हिला देती हैं , तो गुंजन बुआ वापस कहती हैं _" पर दोनो बच्चे इस केयरटेकर को अपनी मां क्यों कह रहे हैं ?"

दादी अपना सिर ना में हिलाते हुए कहती हैं _" पता नही गुंजन , , इनको मना करो तो रोने लग जाते हैं और तुम अश्विन को तो जानती ही हो , ,दोनो की आंखों में एक आंसू की बूंद नहीं देख सकता हैं " यह बोल दादी सिंध्या और दोनो बच्चो देखन लगती हैं।

ऐसे ही टाइम बीत जाता हैं और शाम हो जाती हैं साथ ही सिंध्या की शिफ्ट भी खतम हो गई वो अपना सामान ले जा लगती हैं तो अश्विका उसके पैरो से लिपट जाती हैं।

सिंध्या अश्विका को ऐसे लिपटे देख बोलती हैं _" क्या हुआ बेबी , , कुछ चाहिए क्या , , "

अश्विका अपना सिर ऊपर कर क्यूट सी आवाज में कहती हैं _" आप आशी को छोल कल क्यों जा लही हो , , मत जाओ ना मम्मा , , आशी को अछा नही लग लहा हैं "

अश्विका की बात सुन सिंध्या उसके पास ही घुटनो के बल बैठते हुए कहती हैं _" अरे बेबी , , मम्मा की फ्रेंड हैं न वो बहुत बीमार हैं , , मम्मा को उसकी केयर करनी पड़ेगी , , मम्मा कल सुबह जल्दी आ जायेगी "

अश्विका सिंध्या की बात सुन अपने हाथ ही छोटी वाली उंगली आगे कर के कहती हैं _" पिंकी प्लॉमिस , ,आप कल जल्दी आओगी "

सिंध्या वैसे ही करती हैं और कहती हैं _" पिंकी प्रोमिस , , " यह बोल वो ईधांश की तरफ आ जाति हैं जो उन्हे ही देख रहा था , उसे भी अच्छा नहीं लग था थी पर वो कुछ नही बोला , , सिंध्या ईधांश के माथे पर किस करके बोलती हैं _" में जल्दी आ जाऊंगी "

रात का वक्त

रीमा ईधांश को अपने हाथो से सूप पीला रही थी जो की उसने अश्विन को दिखाने के लिए बनाया था , ईधांश भी चुपचाप उसे पी रहा था।

थोड़ी देर बाद वो सूप पी कर सो जाता हैं , रीमा ईधांश के सोने के बाद अपनी चमकती आंखों से उसके रूम में रखे सामान को देखने लगती हैं।

अश्विका की कुछ पेंडेंट वहा इस ही पड़े हुए थे जो जाहिर है काफी एक्सपेंसिव थे , उन्हे देख रीमा खुद से बोलती हैं _" इतनी छोटी सी बच्ची के लिए इतने एक्सपेंसिव पेंडेंट और चैन , बाप रे कितने अच्छे हैं , , अगर इन में एक उठा भी लू किसी को पता नही चलेगा , , " यह सोच वो उसमे से एक डायमंड का सुंदर सा पेंडेंट उठा अपने रूम में आ जाति हैं।

अगली सुबह

मेंशन में जोर जोर से अश्विका के रोने की आवाजे आ रही थी । अश्विन था नही वो किसी काम से अपने ऑफिस गया हुआ था ।

अश्विका को इतना रोते देख दादी घबरा रही थी क्युकी अब अश्विका के सांसे उखड़ने लगी थी रोते रोते  , , ईधांश उसे चुप कराने की कोशिश कर रहा था पर कोई असर नही , , वही साइड में खड़ी रीमा के चेहरे पर पसीना ही पसीना था।

अश्विका अभी भी रोए जा रही थी तभी कोई उसे गले लगा लेता हैं , , तो अश्विका का रोना एक दम से चुप हो जाता हैं।

सब हैरानी से उसे देखते हैं तो सिंध्या उसे गले लगाए हुए थी और उसकी पीठ सहला रही थी, जिससे अश्विका शांत हो गई थी।

अश्विका को शांत देख सिंध्या परेशान होते हुए कहती हैं _" क्या हुआ बेबी , , आप ऐसे क्यों रो रहे थे ?"

सिंध्या की बात सुन अश्विका सुबकते हुए कहती हैं _" मम्मा , , आशी का फेबलेट हाल चला गया , , आशी को नही मिल लहा हैं " यह बोल उसकी आंखो से आंसू आने लगते हैं।

अश्विका और रोती उससे पहले ही वहा एक बुलंद आवाज आती हैं _" क्या हो रहा हैं यहा?"

सब अपनी नजर घुमा डोर पर देखते हैं जहा दादा जी खड़े हुए थे और उन्हें ही देख रहे थे , , अश्विका दादाजी को देख दौड़ कर उनके पास उनके पेरो से लिपट जाती हैं और सब बता देती हैं।

अश्विका की बात सुन दादाजी की आंखे कठोर हो जाती हैं वो बटलर को बोलते हैं _" सब जगह की तलाशी लो और ढूंढो वो कहा हैं, , में मेरी पोती को रोते हुए नहीं दे सकता ।"

दादाजी की बात सुन रीमा घबरा जाती हैं और अपने जींस की पॉकेट में रखा पेंडेंट को अपने हाथो से छुपा लेती हैं।

दादाजी की बात सुन सब लोग उस पेंडेंट को ढूंढने लगते हैं  , , रीमा भी ढूंढने का नाटक करने लगती हैं तभी उसे सिंध्या का बैग देखती हैं जो सोफा पर रखा था , , रीमा चुपके से उस बैग में पेंडेंट डाल देती हैं आस पास वापस से ढूंढने लगती हैं।

थोड़ी देर बाद सभी नोकर वहा खड़े हुए थे और उन्होंने अपना सिर नीचे किए हुआ था क्युकी उन्हे पेंडेंट नही मिला था ।

रीमा सबको ऐसे देख जान करके सिंध्या के बैग से ऐसे टकराती हैं जिससे उसका बैग नीचे गिर जाता हैं और पेंडेंट भी लुढ़कते हुए बाहर आ जाता हैं।

सब लोग भी उस तरफ देखते हैं तो वो पेंडेंट था जो सिंध्या के बैग से निकला था।

उस पेंडेंट को देख रीमा सर्प्राइज होते हुए कहती हैं _" सिंध्या , ,यह तुम्हारे पास था , ,और यहां तुम इसे ही ढूढने का नाटक कर रही थी , , तुम कितनी बड़ी चोर हो छोटे बच्चों का सामान चोरी करती हो , , शर्म नही आती तुम्हे !"

रीमा के इल्जाम को सुन सिंध्या गुस्से में कहती हैं _" जस्ट शट योर माउथ, , मेने कोई चोरी नही की हैं अंडरस्टैंड "

सिंध्या ने इतना बोल ही था की अंदर आता अश्विन बोलता हैं _" क्या हुआ हैं यहां , , किसने चोरी की हैं , , ?"

अश्विन की बात सुन सब सिंध्या को देखने लगते हैं।

To be continue

Kesa lga part btana na bhoole , acche acche review bhi dijiye mujhe kal ke chapter par toh aaya nahi , , hope aaj jyada aaye sabke , , is story ko jyada se jyada share kijiye