आकर्ष के दिमाग के अंदर गुस्से से भरी एक आवाज सुनाई दी।
आकर्ष को उस आवाज के कारण इतना तेज़ दर्द हुआ कि वो बेहोश होने लगा। वो तेज़ दर्द मानो उसकी आत्मा तक को चोट पहुंचा रहा था, जिससे आकर्ष का शरीर कांपने लगा…
"नहीं… असंभव! तुम इस दुनिया से नहीं हो!"
"इतना करीब, बस थोड़ा सा और… मै इसे स्वीकार नहीं कर सकता… कभी भी नहीं! "
वो कर्कश आवाज़ अचानक से कमजोर हो गई, जैसे कि उसे किसी से डर लग रहा हो।
थोड़ी देर के बाद, वो आवाज़ पूरी तरह से गायब हो गई।
"ये क्या हुआ… किसकी आवाज थी ये?"
तेज़ दर्द के बाद, आकर्ष ने आखिरकार अपनी इंद्रियों को ठीक करना शुरू कर दिया।
जल्द ही, उसकी आँखें चौड़ी हो गईं, और उसके मस्तिष्क में बहुत जटिल और विदेशी यादों की एक धारा दौड़ गई। ये याद उस कर्कश आवाज़ वाले व्यक्ति की थी।
"यह…"
उसके दोनो जीवनकाल का अनुभव इन नई यादो के सामने कुछ भी नहीं था।
ये यादें, दस हज़ार साल पहले के 'पुनर्जन्म मार्शल सम्राट' की थी, जिसका वास्तविक नाम 'लक्ष' था।
वो अपने समय, यानी दस हज़ार साल पहले सोमाली महाद्वीप के सात अनंत मंडल के योद्धाओ में से एक था।
सोमाली महाद्वीप इस दुनिया का सामान्य नाम था।
दस हज़ार साल पहले के सात महान अनंत मंडल के योद्धा ऐसे व्यक्ति थे जो सोमाली महाद्वीप के शिखर पर खड़े थे, जो लगभग देवताओं के बराबर थे। वे बहुत ताकतवर थे और आम लोगों को कीड़े मकोडों से ज़्यादा नहीं मानते थे। उन्हें देख ऐसा लगता था, जैसे उनके पास सितारों को गिराने और सूरज व चंद्रमा को, केवल अपने हाथों के हलके से वार से नष्ट करने की क्षमता थी।
उस युग में, पुनर्जन्म मार्शल सम्राट 'लक्ष' को सात महान अनंत मंडल के योद्धाओ में सबसे मज़बूत माना जाता था। लक्ष ने एक बार एक दूसरे योद्धा के शरीर को अपने काबू में कर लिया और उसके शरीर में प्रवेश कर पुनर्जन्म प्राप्त किया, इस प्रकार उसे अपना दूसरा जीवन जीने का मौका मिला।
अपने पहले जीवनकाल में, लक्ष योद्धा होने के अलावा एक अच्छा वैद्य भी था।
अपने दूसरे जीवनकाल में, वह एक महान हथियार शिल्पकार और तंत्र मंत्र का भी ज्ञान रखता था।
"अविश्वसनीय!"
आकर्ष ने गहरी सांस ली।
लक्ष सोमाली महाद्वीप में किसी देवता से कम नहीं था।
यदि वह अपनी तकनीक ' पुनर्जन्म ' की मदद से तीसरा जीवन हासिल कर लेता तो सोमाली महाद्वीप में उसे कोई नहीं हरा सकता था। चाहे सारे अनंत मंडल के योद्धा एक साथ मिल कर उस पर हमला करते तो भी उसे नहीं हरा पाते।
" हा हा हा हा "
आकर्ष अचानक से हंसने लगा।
मूल रूप से वह इस बात से चिंतित था कि वह इस नाजुक शरीर के साथ योद्धा कैसे बनेगा, लेकिन पुनर्जन्म मार्शल सम्राट लक्ष ने उसे एक महान और कीमती उपहार दे दिया था।
आकर्ष ने गहरी सांस ली और एक निर्णय लिया.
वो अब लक्ष की बनायीं मार्शल आर्ट सीखेगा! जिसे लक्ष के अलावा और कोई नहीं सिख पाया था।
लक्ष अपने पहले जीवनकाल में राज स्तर का वैद्य था।
अब क्योकि लक्ष की सारी यादे आकर्ष के पास थी, तो अपने शरीर को मजबूत बनाने के लिए कुछ दवाइयों का निर्माण करना आकर्ष के लिए एकदम आसान था।
सोमाली महाद्वीप में आम लोगों की नज़र में, वैद्य को नौ स्तरों में विभाजित किया गया था, जिसमें नौंवा स्तर सबसे कमजोर और प्रथम स्तर सबसे ताकतवर था।
लेकिन सिर्फ सोमाली महाद्वीप के सबसे ताकतवर योद्धा जानते थे कि प्रथम स्तर से भी ऊपर कुछ स्तर होते हैं जैसे सैन्य स्तर और राज स्तर।
लक्ष पूरे सोमाली महाद्वीप का एकलौता राज स्तर का वैद्य था।
"माँ, मुझे कुछ औषधीय सामग्रियों की आवश्यकता है" आकर्ष ने अपनी मां रेवती को काग़ज़ का एक टुकड़ा देते हुए कहा।
रेवती ने दवा की सूची पर नज़र डाली, उसे दवाईयों का ज़्यादा पता नहीं था पर सूची में लिखी औषधीय सामग्रियों को वो पहचान सकती थी। "आकर्ष, ये सभी तो वो औषधीय सामग्री है, जो शरीर को बेहतर और मजबूत करती है। बहुत समय पहले, मैंने कुछ औषधीय सामग्री प्राप्त की और उन्हें तुम्हारे लिए मिश्रा परिवार के एकमात्र वैद्य 'वेदांत' से तैयार करवाया। पर उन दवाईओं का तुम पर कोई असर नहीं हुआ"
मिश्रा परिवार के एकमात्र वैद्य "वेदांत" नोवे स्तर के वैद्य थे; इस कारण परिवार में उनका दर्जा काफ़ी ऊँचा था।
" माँ, में एक बार कोशिश करना चाहता हूँ। "
आकर्ष ने बिना हिचकिचाहट के जवाब दिया।
"ठीक है, मैं आपके लिए ये सारी औषधियां खरीद लाऊंगी" रेवती ने प्यार से भरी आवाज में कहा।
रेवती के लिए आकर्ष की खुशी सबसे ज़रूरी थी, उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था की आकर्ष को दवाइयां बनाना आता है या नही। चाहे आकर्ष सभी औषधियों को बर्बाद भी कर दे, कम से कम उसका बेटा किसी चीज़ में तो रूचि ले रहा है, रेवती के लिए इतना ही काफी था। वैसे भी, रेवती के लिए पैसे केवल सांसारिक संपत्ति थे।
आधे घंटे बाद, रेवती आकर्ष की बताई औषधीय सामग्रियाँ ले आयी।
"आकर्ष, क्या तुम्हे दवाइयां तैयार करने में मदद चाहिए? अगर तुम चाहो तो मै वेदांत से तुम्हारी मदद करने को कह सकती हूं"
"माँ, इसकी कोई आवश्यकता नही है। आप बस मुझे आपकी लायी औषधियां दे दीजिये।"
औषधीय सामग्री प्राप्त करने के बाद, आकर्ष अपने कमरे में चला गया।
"कहीं आकर्ष उन औषधीय सामग्रियों से दवाइयां बनाने के बारे में तो नही सोच रहा? पर कोई बात नही, जब तक वह खुश है। वैसे भी वो औषधीय सामग्री जहरीली नही है। "
चिंतित रेवती ने खुद को ही आश्वाशन दिया।
रेवती ने आकर्ष को कुल सात प्रकार की सामान्य औषधियां दी थी, जिससे वो सप्त शारीरिक दिव्य जल का निर्माण कर सकता था। इस दिव्य जल को बनाने की विधि सोमाली महाद्वीप से बहुत समय पहले ही विलुप्त हो चुकी थी। ये दिव्य जल किसी के भी सामान्य शरीर को काफ़ी मज़बूत बना सकता था और इसका सबसे ज़्यादा फ़यदा शारीरिक मंडल के योद्धाओं को मिलता था। इस जल की निर्माण विधि, लक्ष को अपने दूसरे जन्म के दौरान एक खंडहर में मिली थी।
लक्ष ने इस दिव्य जल को मूल रूप से अपने तीसरे जीवनकाल के दौरान उपयोग करने की योजना बनाई थी, लेकिन इसका लाभ अब आकर्ष को मिल रहा था।
इस दिव्य जल का निर्माण दवाईओं व गोलियों के निर्माण से अलग था।
दवाइयों व गोलियों को बनाने के लिए, सबसे पहले वैद्य को आग पर काबू करना सीखना पड़ता था और ये आग कोई सामान्य आग नहीं होती थी, बल्कि वैद्य की आंतरिक ऊर्जा द्वारा बनती थी, जिसे सिर्फ़ नौवे स्तर व उससे ऊपर के स्तर के वैद्य ही बना सकते थे।
वहीं इस दिव्य जल को बनाने के लिए केवल निर्माण विधि की आवश्यकता होती थी। आवश्यक औषधीय सामग्रियों के ज्ञान और उस क्रम के साथ, जिसमें औषधीय सामग्री तैयार की जानी थी, कोई भी इस दिव्य जल को बना सकता था।
आकर्ष को एक घंटे का समय लगा, जिसके बाद वो ये दिव्य जल बनाने में सफ़ल रहा।
सफ़ल होने के बाद, उसने दिव्य जल को अपने नहाने के पानी में मिलाया और उस पानी में बैठ गया। उसने अपनी आँखे बंद की और पुनर्जन्म की कला का अभ्यास करने लगा। लक्ष की बनाई ये युद्ध कला नौ स्तरों में विभाजित थी, जब कोई योद्धा इस युद्ध कला के शिखर पर पहुंच जाता तो उसे नौ ड्रैगन्स की ताकत प्राप्त होती। वो योद्धा अनंत मंडल मे भी, बाकि सभी की तुलना में ज़्यादा ताकतवारत हो जाता।
आकर्ष का शरीर उस दिव्य जल में सुन होने लगा;
वह जानता था, कि दिव्य जल उसके शरीर में समाहित हो रहा है और इस कारण उसे थोड़ा संयम रखना होगा।
इस समय आकर्ष पुनर्जन्म के पहले स्तर 'सर्प शक्ति' का अभ्यास कर रहा था। धीरे-धीरे दिव्य जल मिलाया पानी आकर्ष के रोम छिद्रो से होकर उसके शरीर में समाने लगा जिसका मतलब था की आकर्ष सही रास्ते पर था।
एक योद्धा बनने के लिए सामान्य व्यक्ति को सबसे पहले अपने रक्त, ऊर्जा और शरीर को मज़बूत बनाना पड़ता था।
दिव्य जल और अपने कठोर अभ्यास की मदद से आकर्ष… तीन दिन बाद, शारीरिक मंडल के पहले स्तर में प्रवेश करने में आख़िरकार कामयाब हो गया।
आकर्ष अब अपने स्नान घर से बाहर निकला और एक दर्पण के सामने खड़ा हो गया। उसका शरीर पहले की तरह कमज़ोर नही था। वो अब काफ़ी मज़बूत बन चुका था। न सिर्फ़ मज़बूत पर काफ़ी लचीला भी, और इसका कारण था. सर्प शक्ति जिसका अभ्यास वो तीन दिनों से कर रहा था।