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Chapter 5 - प्रतिभाशाली योद्धा 

अखाड़े में कुछ ऐसा हुआ था, जिसकी कल्पना तक किसी ने नहीं की थी। वो मुक्का जो आकर्ष ने रवि को मारा था, उसकी छाप अभी भी, सभी के दिलों में मौजूद थी.

"आकर्ष ने अभी कौन सी युद्ध कला का प्रयोग किया?"

"यह कोई युद्ध कला नहीं लगती। मुझे तो ये कोई साधारण पंच लगता है, लेकिन उसने ना सिर्फ अपना बचाव किया, बल्कि रवि को अपने साधारण पंच से घायल भी कर दिया, उसने बाघ के पंजे से अपना बचाव कैसे किया, मैं इस बात से ज़्यादा हैरान हूँ।"

"क्या तुम मेरा मज़ाक उडा रहे हो? इस तरह का पंच भला कोई युद्ध कला कैसे नहीं है, क्या तुमने नहीं देखा, आकर्ष के उस पंच ने रवि के कंधे की क्या हालत की है।"

मिश्रा परिवार के सभी शिष्य, आपस में आकर्ष के प्रयोग किए पंच के बारे में बातें करने लगते हैं। पर कोई भी आकर्ष के उस पंच के बारे में स्पष्ट रूप से बता नहीं पा रहा था।

आकर्ष का वो पंच जितना सरल दिख रहा था, उसे समझ पाना उतना ही मुश्किल था।

"रवि का कन्धा टूट चुका है, उसका दाहिना हाथ अपंग हो गया है!"

सोमदत्त ने रवि की चोटों की जांच की, और एक ठंडी आह भरी। उन्होंने आश्चर्य से आकर्ष की ओर देखा।

आकर्ष शारीरिक मंडल के पहले स्तर का योद्धा था। पर उसने रवि, जो कि शारीरिक मंडल के दूसरे स्तर का योद्धा था, उसे हमेशा के लिए अपंग बना दिया था।

रवि को उपचार के लिए भेज कर, सोमदत्त आकर्ष के पास आये, जो अभी भी अपनी जगह पर ही खड़ा था।

इस समय, सोमदत्त को आकर्ष हमेशा के जैसा सरल और कमजोर नहीं लग रहा था। उसमें हमेशा से कुछ तो अलग था। पर क्या? ये बताना सोमदत्त के लिए काफ़ी मुश्किल था।

"वह पंच, जिसका प्रयोग तुमने अभी किया, उस तकनीक का क्या नाम है? वो पंच किसी युद्ध कला के जैसा नहीं लगता, पर वास्तव में युद्ध कला के समान ताकतवर है, इस तकनीक का अभ्यास तुम कब से कर रहे हो?" सोमदत्त ने उत्सुक होकर आकर्ष से पूछा।

मिश्रा परिवार के शिष्य उस पंच की गहराई देखने में असमर्थ थे, लेकिन सोमदत ने स्पष्ट रूप से देखा था।

वो सामान्य पंच वास्तव में बड़ी कुशलता से प्रयोग किया गया था, पंच मारते समय आकर्ष के पुरे शरीर की ताकत, उस एक वार में समाहित थी। ऐसा वार पीले वर्ग के उच्च स्तर की युद्ध कला से भी नहीं किया जा सकता था।

नहीं, शायद उत्तम स्तर भी इस वार के आगे साधारण लगता।

सोमाली महाद्वीप की युद्ध कला को, उच्च से निम्न वर्ग तक, चार भागो में विभाजित किया गया था: स्वर्ग, पृथ्वी, काला(उत्तम) और पीला। युद्ध कला के प्रत्येक वर्ग को तीन स्तर में विभाजित किया गया था: उच्च, मध्यम और निम्न।

मिश्रा परिवार के युद्ध गृह में रखी सारी युद्ध कला, पीले वर्ग की निम्न और मध्यम स्तर की युद्ध कला थी, उनके पास केवल एक उच्च स्तर की युद्ध कला थी, जिसका नाम पवन चेसर था।

इस युद्ध कला का अभ्यास, केवल मिश्रा परिवार के वो योद्धा कर सकते थे, जो चक्रमध्य मंडल में प्रवेश कर चुके हो।

लेकिन सोमदत्त को पता था, कि अगर कोई पवन चेसर में महारत भी हासिल कर लेगा, तो भी आकर्ष के उस पंच के समान ताकत उत्पन्न नहीं कर पायेगा।

"इसे पतन पंच कहा जाता है!" आकर्ष ने कहा। लेकिन उसने अपने अभ्यास के बारे में कुछ भी नहीं बताया।

वो कैसे बताता कि उसने दस सालों तक इस पतन पंच का अभ्यास किया है, वो भी अपने पिछले जीवन में।

इस पंच की विशेषता थी, कि इसे प्रयोग करते समय, सामने वाला इसकी ताकत का अंदाज़ा आसानी से नहीं लगा पाता था।

पतन पंच सिर्फ़ देखने में सरल लगता था, लेकिन यह वास्तव में आंतरिक अंगों सहित, पूरे शरीर को नष्ट करने की क्षमता रखता था। किसी को भी आकर्ष के समान स्तर तक पहुंचने के लिए, कम से कम दस साल तक इसका अभ्यास करना पड़ेगा।

"सोमदत्त दादा, मै घर वापस जा रहा हूं. आज की घटना के बारे में आपने भी देखा कि किसने पहले हमला किया था। मुझे आशा है कि आप इसके गवाह बनेंगे।"

इतना कहकर आकर्ष अपने घर की ओर चल दिया।

"पतन पंच? यह बच्चा असाधारण है. रेवती, सभी के साथ आकर्ष ने तुमसे भी अपनी वास्तविक ताकत को छुपाया है. वो अभी भी अपनी क्षमताओं को छिपा रहा है, और सही समय की प्रतीक्षा कर रहा है!"

सोमदत्त ने गहरी सांस ली और अपने आप से कहा।

उन्होंने आज आकर्ष का वो रूप देखा था, जिसे कोई नहीं देख पाया था। आकर्ष अभी कुछ बातें छुपा रहा था.

सभी के कुछ राज़ होते हैं, इसलिए सोमदत्त ने आकर्ष से ज़्यादा पूछताछ नहीं की।

आसपास के मिश्रा परिवार के शिष्य, जो लड़ाई को देख रहे थे, एक के बाद एक मैदान से जाने लगे। वो सभी जान चुके थे, कि उस भयानक पंच को "पतन पंच" कहा जाता हैं।

"आख़िरकार सब खत्म हुआ। "

घर वापस आने के बाद, आकर्ष ने राहत की सांस ली। उसके चेहरे पर हलकी सी मुस्कराहट साफ़ देखी जा सकती थी। इस दुनिया में पहुंचने के बाद, यह पहली बार था जब उसने मुक्केबाज़ी का इतना खुलकर प्रयोग किया था।

उस समय, उसे ऐसा महसूस हुआ कि जैसे वो अपने पिछले जीवन में वापस चला गया है, जो उत्साह और रक्तपात से भरा था।

आकर्ष जब अपने कमरे में आया, तो उसका ध्यान सप्त शारीरिक दिव्य जल पर गया, जो अब केवल दो बार स्नान करने के लिए पर्याप्त था।

"लगता है मुझे माँ से और अधिक औषधीय जड़ी-बूटियां खरीदने को कहना होगा।"

औषधीय स्नान का आनंद लेते हुए उसने लक्ष की युद्ध कला का अभ्यास करना शुरू किया। वो जल्दी से अपनी ताकत बढ़ाना चाहता था। क्योंकि आज उसने रवि की जो हालत की थी, उसके बाद मुसीबत ख़त्म नहीं, बल्कि मुसीबतों का दौर शुरू होने वाला था।

"हे! क्या तुमने सुना? नौवें एल्डर के बेटे आकर्ष ने शारीरिक मंडल में प्रवेश कर लिया है!"

"हाहाहाहाहा! मुझे पता है। पर ये खबर पुरानी हो चुकी है, नई खबर सुनो। आकर्ष और रवि के बीच एक मुकाबला हुआ था। जिसमें न केवल आकर्ष ने रवि को हराया, बल्कि उसके कंधे पर ऐसा जानलेवा पंच मारा कि उसका कन्धा टूट गया। रवि हमेशा के लिए अपंग हो चुका है!"

"सच में? पर रवि पहले से ही शारीरिक मंडल के दूसरे स्तर पर है, और उसने पीले वर्ग के निम्न स्तर की युद्ध कला 'बाघ के पंजे' का अच्छा अभ्यास कर रखा है। फिर वो आकर्ष से कैसे हार गया।"

" बाघ का पंजा बेकार है! आकर्ष की युद्ध कला जिसे सब 'पतन पंच' कह रहे हैं, उसके सामने 'बाघ का पंजा' कुछ भी नहीं हैं। यहां तक कि पांचवें एल्डर सोमदत्त दादा ने भी इसके प्रति प्रशंसा व्यक्त की हैं. "

जैसे जैसे पतन पंच के बारे लोगों को खबर मिलती रही, वैसे वैसे ही उसके बारे में और अधिक बातें होने लगी।

कुछ शिष्यों ने इसे एक उत्तम स्तर की युद्ध कला घोषित किया, कुछ ने इसे पृथ्वी वर्ग की युद्ध कला घोषित किया, और कुछ ने तो यह तक घोषणा कर दी कि आकर्ष का पतन पंच एक स्वर्ग स्तर की युद्ध कला है!

मिश्रा परिवार के एक कमरे के भीतर.

अमन बिस्तर के पास खड़ा था और अपने बेटे के टूटे हुए कंधे को देख रहे था। जो रोने के कारण इतना थक गया था कि वह सो गया।

अमन के कानों में, पहले एल्डर की आवाज़ अभी भी बज रही थी, "अमन, अगर यह सिर्फ़ एक टूटी हुई हड्डी होती, तो नौवें स्तर की 'सुवर्णक्षति गोली' का सेवन करना और कुछ समय का आराम चोट को ठीक करने के लिए पर्याप्त होता। लेकिन तुम्हारे बेटे रवि के कंधे की न सिर्फ हड्डी टूटी है, बल्कि सारी मांसपेशियां तक नष्ट हो चुकी हैं. यहां तक कि अगर तुम कुलप्रमुख से आठवे स्तर की 'सुवर्णक्षति गोली' लेकर रवि को दोगे, तो भी कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा. मुझे माफ़ करना पर मेरे पास इसका कोई उपचार नहीं है।"

अमन ने गुस्से में अपनी मुट्ठी भींच ली, और चिल्लाते हुए अपने आप से ही कहा।

"आकर्ष, मैं तुम्हें ज़िंदा नहीं छोडूंगा. तुम्हे मरना होगा!"

ठीक इसी समय, एक व्यक्ति भागते हुए कमरे में आया।

"पिताजी, मेरा छोटा भाई कैसा है?"

यह व्यक्ति सातवें एल्डर अमन का सबसे बड़ा बेटा 'अभिजीत' था। जिसकी गिनती मिश्रा परिवार के ताकतवर शिष्यों में होती थी।

उसने न सिर्फ़ सोलह साल की उम्र में ही शारीरिक मंडल के चौथे स्तर में प्रवेश कर लिया था, बल्कि पीले वर्ग के मध्यम स्तर की एक युद्ध कला 'पर्ण पंच' में भी महारत हासिल कर ली थी।

मिश्रा परिवार के शिष्यों को सोलह वर्ष की आयु में वयस्क माना जाता था।

सोलह वर्ष का होने के बाद, उन्हें मिश्रा परिवार के किसी भी व्यवसायों में से एक मे मदद करने के लिए भेज दिया जाता था। अभिजीत भी उन्ही मे से एक था।

जब उसे पता चला कि उसका छोटा भाई रवि घायल हो चुका है, तो वो अपने सारे काम छोड़कर भागते हुए रवि से मिलने आ पहुंचा।

अमन ने एक गहरी सांस ली, और बेहद भारी आवाज में कहा, "अभिजीत, तुम्हारा छोटा भाई. उसका दाहिना कंधा टूट चुका है. यहां तक कि पहले एल्डर भी उसका उपचार करने में असमर्थ है।"

"क्या.?" अभिजीत का शरीर कांप उठा, जैसे कि उस पर बिजली गिर गयी हो।

मिश्रा परिवार के पहले एल्डर पूरे साँची के एक प्रसिद्ध वैद्य थे, वो भी नौवें स्तर के। अगर वो भी रवि का उपचार करने में असमर्थ थे यानी रवि की चोट सामान्य नहीं थी।

" रवि. "

बिस्तर के किनारे पर खड़े होकर अभिजीत सोते हुए रवि की ओर देख रहा था। रवि की हालत देख उसकी आँखों मे भी अमन की तरह खून उतर चुका था।

इस छोटे भाई को जन्म देते समय उसकी माँ की मृत्यु हो गई थी। उसने इन सभी वर्षों में अपने छोटे भाई को बड़े प्यार से संभाला था। चाहे वह भोजन हो या खिलौने, वह हमेशा अपने छोटे भाई को प्राथमिकता देता था। उसके लिए सबसे ज़रूरी उसका छोटा भाई था।

लेकिन अब, उसके छोटे भाई का दाहिना कंधा टूट गया था, और उसका भविष्य बर्बाद हो गया था। यह सब सोचते हुए अभिजीत का दिल गुस्से से भर गया.

"पिताजी, क्या आप सुनिश्चित है, कि रवि की यह हालत आकर्ष ने ही की है?" अभिजीत ने अमन की ओर देखते हुए पूछा।

जब उसने शुरू मे इस घटना के बारे मे सुना, तो वह विश्वास नहीं कर पाया। कमज़ोर सा दिखने वाला आकर्ष, जिसने अभी तक शारीरिक मंडल में प्रवेश भी नहीं किया था। उसके छोटे भाई को गंभीर रूप से घायल करने में कामयाब हो गया था।

अमन ने अपने दाँत पीसते हुए कहा, "हां, मैंने पांचवे एल्डर सोमदत्त के साथ बात की थी। आकर्ष ने ही रवि को घायल किया था। तीन दिन पहले, ना सिर्फ़ उसने शारीरिक मंडल के पहले स्तर में प्रवेश किया, बल्कि एक उच्च स्तर की युद्ध कला का भी प्रयोग किया, जिसे सब पतन पंच कह रहे हैं।"

"शारीरिक मंडल का पहला स्तर; पतन पंच, हुह.!"

अभिजीत ने अपने आप से हैरान होते हुए कहा, और फिर कुछ सोच कर फिर कहा, "पिताजी, मेरे साथ चलिए!"

ठीक इसी समय, रेवती के घर में.

"माँ, आप यहां. क्यों, कुछ हुआ है?" आकर्ष, जो अभी सप्त शारीरिक दिव्य जल में नहा कर अपने कमरे से बाहर आया था, अपनी मां रेवती को अपने सामने खड़ा देख शर्मिंदा होते हुए बोला।

रेवती ने अपने बेटे को थोड़ा हैरान होते हुए देखा। वह अभी भी विश्वास नहीं कर पा रही थी, जो उसने आकर्ष के बारे में सुना था।

उसका बेटा न सिर्फ़ शारीरिक मंडल के पहले स्तर में प्रवेश करने में कामयाब हुआ था, बल्कि उसने अमन के बेटे रवि को भी हमेशा के लिए अपंग बना दिया था।

"पतन पंच. आकर्ष, क्या तुम अपनी माँ को यह नहीं बताना चाहोगे कि तुमने पतन पंच नामक युद्ध कला कब सीखी? यहां तक कि पांचवें एल्डर सोमदत्त भी तुम्हारी प्रशंसा करते थक नहीं रहे थे।"

रेवती ने आकर्ष को एक मुस्कान के साथ देखते हुए पूछा। जिसपर आकर्ष ने हल्का शर्माते हुए कहा,

"माँ, अगर मैं आपसे कहूं कि जब उस बूढ़े व्यक्ति ने मुझे सप्त शारीरिक दिव्य जल बनाना सिखाया था, तब उसने मुझे यह युद्ध कला भी सिखाई, तो क्या आप मुझ पर विश्वास करोगी?"

रेवती ने गंभीर होकर आकर्ष से कहा।

"आकर्ष, तुम अब बड़े हो गए हो. मैं जानती हूँ कि तुम्हारे पास कुछ ऐसे रहस्य हैं, जिनका तुम खुलासा नहीं करना चाहते, इसलिए मैं इस बारे में तुमसे ज़्यादा नहीं पूछूँगी। लेकिन तुम याद रखना कि कोई तुम्हारे बारे में कुछ भी कहे, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ! "

"माँ." आकर्ष का दिल कांप उठा, उसकी आँखें भर आयी।

ठीक इसी समय, अमन की घृणा से भरी आवाज उन दोनों को सुनाई दी, "रेवती, बाहर आओ! मुझे तुमसे बात करनी है"

रेवती ने गुस्सा होते हुए कहा, "उसमें अभी भी यहां आने की हिम्मत बची है?"

अगले ही पल, अमन और उसका बेटा अभिजीत, रेवती के सामने खड़े थे। वो दोनों आकर्ष को ऐसे देख रहे थे जैसे कोई शिकारी अपने शिकार को देखता है। अगर रेवती वहाँ नहीं होती, तो आकर्ष अब तक कई बार मर चुका होता।

"अमन, क्या मैं जान सकती हूँ कि तुम्हारे यहां आने का क्या उद्देश्य है? कहीं तुम आकर्ष को हानि पहुंचाने के उद्देश्य से तो यहां नही आये हो?" रेवती ने एक कदम आगे बढ़ाया, और आकर्ष को अपने पीछे छिपाते हुए अमन से कहा।

अमन ने एक गहरी सांस ली, और अपने गुस्से को शांत करते हुए कहा, "रेवती, फ़िक्र मत करो. तुम्हारे बेटे, आकर्ष और मेरे बेटे रवि के बीच की लड़ाई को सोमदत्त ने देखा था। रवि के घायल होने में आकर्ष की कोई गलती नहीं है। वो अपनी खुद की गलती के कारण घायल हुआ था।"

"फिर तुम्हारे यहां आने का क्या कारण है.?"

अमन ने जो कुछ कहा था, उस पर रेवती को भरोसा नहीं हो रहा था।

"प्रणाम रेवती चाची" अभिजीत, जो अमन के पास खड़ा था, विनम्रता से बोला।

रेवती को प्रणाम करने के बाद, अभिजीत की नज़र आकर्ष पर पड़ी। तुरंत उसकी आँखें चमक उठीं क्योंकि उसे अपना शिकार मिल चुका था।

"रेवती चाची, मेरे पिता यहां मेरे साथ आये हैं. मेरे यहां आने का कारण आकर्ष को चुनौती देना है। मैंने सुना है कि उसका पतन पंच बहोत शक्तिशाली है, इसलिए मैं उसकी ताकत देखने चला आया।"

अभिजीत की बात सुनकर रेवती की भोंहे गुस्से मे तन गयी।

"अभिजीत, जहां तक मैं जानती हूँ, तुम मेरे बेटे से एक वर्ष बड़े हो और पहले से ही शारीरिक मंडल के चौथे स्तर में कदम रख चुके हो, जबकि मेरा बेटा अभी शारीरिक मंडल के पहले स्तर में है. क्या उसे चुनौती देते हुए तुम्हे शर्म नहीं आ रही?" रेवती ने अभिजीत पर एक नज़र डाली और उदासीनता से कहा।

अभिजीत ने मुस्कराते हुए रेवती से कहा, "चाची, आकर्ष शारीरिक मंडल का कोई साधारण योद्धा नहीं है। उसने आसानी से मेरे छोटे भाई को हरा दिया."

इससे पहले की रेवती कुछ कह पाती, आकर्ष अभिजीत के सामने आया और बोला.

"मैं तुम्हारी चुनौती को स्वीकार कर सकता हूं, लेकिन मेरी एक शर्त है!"