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Chapter 2 - एक हाथी के ताकत

एक हाथी की ताकत

रेवती आकर्ष को लेकर रवि के सामने आयी, जो अभी भी बंधा हुआ था।

"आकर्ष, अब बदला लेने का समय आ गया है। तुम भी रवि को वैसे ही मारो जैसे रवि ने तुम्हे मारा था।"

अब आगे.

आकर्ष हँसने लगा. मुक्के मारना? इसमें तो वो विशेषज्ञ था।

रवि, आकर्ष  की ही उम्र का था, और उसे तेज़ धूप में दंड स्तंभ से बांध दिया गया था, जिससे उसका चेहरा बहुत पहले ही पीला हो गया था.

रेवती के शब्दों को सुनकर, रवि बहुत डर गया और चीख कर अपने पिता से बोला, "पिताजी, मुझे बचाओ!"

"रेवती, बात को ज़्यादा मत बढ़ाओ !" रवि के पिता, सातवें एल्डर अमन ने क्रोधित होते हुए कहा।

"मैं बात ज़्यादा बढ़ा रही हूँ ? अमन, आमतौर पर तुम्हारा बेटा मेरे बेटे को परेशान करता है। वो कमजोर हैं इसलिए मानती हूँ कि कभी कभी चोट लगना आम बात हैं । लेकिन इस बार, तुम्हारे बेटे ने उसे लगभग मार डाला. क्या तुम्हे  सच में लगता है कि मैं, रेवती, अब भी शांत रहूंगी?"

रेवती ने अमन की ओर तेज़ नज़रो से देखा; उसकी आवाज़ में गुस्सा साफ़ झलक रहा था।

"आकर्ष, संकोच मत करो और हमला करो! आज मैं भी देखती हूँ कि तुम्हे कोन रोकता हैं?"

रेवती की आवाज़ गुस्से से भरी हुई थी।

भले ही वह एक महिला थी, लेकिन जिस हिम्मत और प्रभावशाली ढंग से उसने अपनी बात कही थी, वैसे कोई पुरुष भी नहीं कह पाता!

"कुलप्रमुख."

अमन ने अपने बगल में बैठे 'कुलप्रमुख वर्धन सिंह' की ओर यह आशा करते हुए देखा, कि शायद वो उसका साथ देंगे।

"अमन, आज का मामला तुम्हारे और रेवती के बीच का निजी मामला है। मुझे आशा है कि आप इसे निजी तौर पर ही सुलझायेंगे।"

वर्धन सिंह ने अमन को समझाते हुए कहा।

"तो तुम ही वो रवि हों जिसने पुराने आकर्ष को  पीट-पीट कर ऐसी दयनीय स्थिति में पहुँचाया था ?" आकर्ष ने अपने आप से ही कहा।

"फ़ाट!"

आकर्ष ने बिना कुछ कहे, सीधे रवि को एक थप्पड़ मार दिया।

आकर्ष की हथेली में हल्का दर्द होने लगा। उसकी भौंहें थोड़ी सी सिकुड़ गईं।

"आकर्ष. अगर हिम्मत हैं तो पहले मेरे हाथ खोलो। हम आमने-सामने लड़ सकते हैं!" रवि ने लगभग चीखते  हुए कहा। आकर्ष के थप्पड़ से उसका आधा चेहरा सूज गया था ।

"तुम्हारे हाथ खोलू और फिर तुमसे लड़ूँ? माफ़ करना, पर मुझे कोई दिलचस्पी नहीं है. जहां तक बात है कि मेरे पास हिम्मत हैं या नहीं, तो उसके बारे में तुम चिंता मत करो" आकर्ष  ने हंसते हुए अपने हाथ फैलाए और उदासीनता से अपने कंधे उचकाए।

"फ़ाट!"

उसने रवि को  एक और थप्पड़ दे मारा।

"इस आदमी के चेहरे की त्वचा सचमुच बहुत मोटी है।"

अपनी दुखती हथेलियों पर फूँक मारते हुए आकर्ष ने कहा।

जब आसपास के मिश्रा परिवार के शिष्यों ने आकर्ष की हरकतें देखी और उसकी बातें सुनी, तो वे अवाक रह गए। रवि पहले से ही बंधा हुआ है, लेकिन फिर भी आकर्ष शिकायत कर रहा है कि रवि के चेहरे की त्वचा मोटी हैं?

क्या ये सच में पुराना वाला आकर्ष हैं?

"जूतों का आज भी कोई मुकाबला नहीं हैं।"

नीचे झुकते हुए, आकर्ष ने अपने पैर से एक जूता निकाला, उसे अपने हाथ में लिया।

इस दृश्य को देख आसपास के सभी शिष्यों के शरीर में कम्पन होने लगी।

"ये आकर्ष, कहीं रवि  के चेहरे पर थप्पड़ मारने के लिए उस जूते का उपयोग करने के बारे में तो नहीं सोच रहा?"

"अगर वह सचमुच रवि  के चेहरे पर उस जूते से थप्पड़ मारता है, तो रवि का चेहरा फट जाएगा!"

जैसे ही अमन की नजर इस दृश्य पर पड़ी वो बोला, "कमीने आकर्ष, तुम मौत को दावत दे रहे हो!" वह खुद पर नियंत्रण नहीं रख सका और आकर्ष पर हमला करने के लिए जाने लगा।

रेवती ने जब अमन को आकर्ष पर हमला करते देखा, तो वो जल्दी से आकर्ष  के सामने पहुंच गई। "अमन, अब मौत को दावत तुम दे रहे हों!"

अपने नाजुक हाथों को फैलाते हुए, रेवती ने आंतरिक ऊर्जा का इस्तेमाल किया और अमन पर हमला कर दिया। उसी समय, रेवती के सिर के ऊपर सफेद धुंध की अस्पष्ट किरणें दिखाई देने लगी।

"रेवती. आज मुझे देखने दो कि तुम वास्तव में कितनी ताकतवर हो।"

रेवती को अपने ऊपर हमला करते देख, अमन ने आकर्ष पर हमला नहीं किया। पर रेवती से लड़ने को तैयार होने लगा, क्योंकि वो ही आकर्ष की एकमात्र ढाल थी।

अमन ने भी तुरंत अपनी आंतरिक ऊर्जा का इस्तेमाल किया और रेवती के प्रहार को रोक दिया! तुरंत, अमन  के सिर पर चार हाथियों की परछाई दिखाई देने लगी।

अमन  ने पूरी ताकत से हमला किया और आंतरिक ऊर्जा का उपयोग करके चार  हाथियों की आकृतियाँ बनाईं.

दूसरे शब्दों में कहे तो इस समय अमन की ताकत चार हाथियों के बराबर थी।

एक हाथी की ताकत 10,000 पाउंड (लगभग 4500 kg)

आकर्ष ज़ोर से चिल्लाया, "माँ."

मिश्रा परिवार के सभी शिष्य, सातवें एल्डर और नौवें एल्डर के बीच हो रही लड़ाई को ध्यान से देख रहे थे, क्योंकि इतने बड़े पैमाने की घटना देखना बेहद दुर्लभ था।

बूम!

अमन और रेवती, दोनों के वार एक भंयकर गर्जना के साथ टकराये।

दोनों के शरीर को हल्का धक्का लगा; रेवती का शरीर थोड़ा आगे की ओर झुका हुआ था, और उसके सिर के ऊपर सफेद धुंध व कुछ अस्पष्ट छाया दिखाई दे रही थी।

कुल छह. छह हाथियों की ताकत!

अमन की चार हाथियों की ताकत का मुकाबला, रेवती की छह हाथियों की ताकत से था। इस लड़ाई में कौन जीत रहा था और कौन हार रहा था, सभी साफ़ देख पा रहे थे।

रेवती के प्रहार से अमन को इतना तेज धक्का लगा था, कि वो दस मीटर दूर जाकर गिरा।

"वाह!"

अमन का चेहरा पीला पड़ गया, उसे इतनी गहरी चोट लगी थी कि उसके मुँह से खून निकलने लगा।

अविश्वास से भरे चेहरे के साथ, उसने रेवती के सिर के ऊपर उन छह हाथियों की लुप्त होती छाया पर नज़र डाली।

"यह कैसे संभव है. छह हाथियों की ताकत. रेवती वास्तव में चक्रमध्य मंडल के चौथे स्तर की योद्धा हैं?"

अमन चौंक उठा ।

उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि आम तौर पर शांत रहने वाली नौवीं एल्डर रेवती, जो हमेशा मिश्रा परिवार के मामलो से दूर रहती थी, वास्तव में इतनी ताकतवर होगी!

परिवार के सभी शिष्य हैरान होने से खुद को नहीं रोक सके, "छह हाथियों की ताकत. रेवती चाची वास्तव में इतनी शक्तिशाली हैं!"

"योद्धाओ की ताकत के अनुसार, छह हाथियों की ताकत केवल चक्रमध्य मंडल के चौथे स्तर के योद्धा के पास होती है।"

"कौन सोच सकता था कि नौवीं एल्डर, जो आमतौर पर दयालु और सौम्य हैं, उनके पास वास्तव में इतनी ताकत होगी. अगर रवि ने आकर्ष  को लगभग मारा नहीं होता, तो हमें नौवें एल्डर की ताकत देखने का मौका कभी नहीं मिलता।"

रेवती स्थिर खड़ी थी।

आकर्ष ने राहत की सांस लेते हुए अपने आप से कहा। "मैंने कभी नहीं सोचा था कि माँ के पास वास्तव में इतनी ताकत होगी। आंतरिक ऊर्जा का उपयोग करते हुए और छह हाथियों की आकृतियों को विकसित करना, माँ निश्चित रूप से  चक्रमध्य मंडल के चौथे स्तर पर है।"

इस दुनिया में योद्धा बनने के पहले चरण को शारीरिक मंडल के नाम से जाना जाता था, जिसे आगे नौ स्तरों में विभाजित किया गया था।

शारीरिक मंडल के नौवें स्तर में पहुंचने पर योद्धा को दस हजार पाउंड ( लगभग 4500 kg ) की ताकत मिलती थी।

इसके बाद अगर वो योद्धा अपनी आंतरिक ऊर्जा और इस ताकत (10000 पाउंड) को आपस में मिला देता, तो वो आंतरिक ऊर्जा को एक हाथी का स्वरूप दे सकता था। जैसा की रेवती ने अभी किया था।

शारीरिक मंडल के ऊपर का मंडल चक्रमध्य मंडल के नाम से जाना जाता था।

शारीरिक मंडल और चक्रमध्य मंडल के बीच सबसे बड़ा अंतर आंतरिक ऊर्जा का था।

शारीरिक मंडल के नौवें स्तर को प्राप्त करने के बाद, योद्धा को आंतरिक ऊर्जा का निर्माण करना पड़ता था। उसके बाद ही वो योद्धा चक्रमध्य मंडल के पहले स्तर में प्रवेश कर सकता था।

चक्रमध्य मंडल के पहले स्तर में प्रवेश करने के बाद योद्धा को एक और हाथी की ताकत प्राप्त होती थी। जिसे पहले की ताकत के साथ मिलाने के बाद, पहले स्तर के चक्रमध्य मंडल के योद्धा के पास, कुल 2 हाथियों की ताकत होती थी।

जैसे-जैसे उनका स्तर बढ़ता जाता, उनकी शक्ति का स्तर भी बढ़ता जाता।

यही सब सोचकर आकर्ष  के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई।

"आकर्ष, अब तुम्हें कोई परेशान नहीं करेगा. तुम बस रवि से अपना बदला लेने पर ध्यान दो।"

रेवती की कोमल आवाज़ आकर्ष के कानों में सुनाई दी।

"पिताजी, मुझे बचा लो!"

रेवती की बातें सुनकर, रवि के चेहरे का रंग उड़ गया। उसकी आँखों में डर साफ झलक रहा था. वो जानता था कि आकर्ष उसे सच में जूता मारने की हिम्मत रखता हैं। और अब भला उसे किस बात का डर होगा, जब अमन रेवती से हार चुका हैं।

अमन का चेहरा गंभीर था, लेकिन रेवती के डर के कारण, उसने कोई कदम उठाने की हिम्मत नहीं की।

आकर्ष ज़ोर से हँसा।

धाड़!

उसने बेरहमी से रवि को जूता दे मारा।

तुरंत, रवि की एक दर्द भरी कर्कश चीख निकली, क्योंकि उसके चेहरे पर जूते का स्पष्ट निशान छप चुका था।

धाड़! धाड़! धाड़! धाड़! धाड़! धाड़!

आकर्ष अपना हाथ घुमाता रहा और बार-बार रवि के चेहरे पर जूता मारता रहा।

जब भी उसका जूता रवि के चेहरे पर पड़ता, तो वहां मौजूद मिश्रा परिवार के शिष्यों को अपने शरीर में एक बेकाबू कंपकंपी महसूस होती। रवि के चेहरे पर जूते की आवाज सुनना ही उन्हें डराने के लिए काफी था।

आकर्ष तब तक नहीं रूका, जब तक रवि बेहोश नहीं हो गया।

रवि को पीटने के बाद, आकर्ष, रेवती के साथ वहाँ से जाने लगा, पर जाने से पहले उसने अमन की ओर देखा। जिसकी आँखों में खून उतर चुका था। अगर रेवती वहाँ नहीं होती तो अमन आकर्ष को जान से मार देता।

आकर्ष का दिल बैठ गया.

उसने अपने पिछले जीवन में अनगिनत बार इस तरह की निगाहें देखी थीं। ऐसे व्यक्ति बेईमान होते थे और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते थे!

इसीलिए उसके पिछले जीवन में, जब भी कोई उसे इस तरह से घूरता, तो उनके कुछ भी करने से पहले, वो उनसे छुटकारा पा लेता था।

आकर्ष को इस समय दबाव महसूस हो रहा था।

वो जानता था कि जब तक वो रेवती के साथ हैं, तब तक अमन उसके खिलाफ कुछ नहीं करेगा। लेकिन उसकी मां हर समय तो उसके साथ नहीं रह सकती।

इस दुनिया में रहने के लिए, जहाँ केवल ताकतवरों का सम्मान किया जाता था, वह केवल खुद पर भरोसा कर सकता था। इस समय उसे जिस चीज़ की सख्त ज़रूरत थी वह थी ताकत. असीम ताकत!

मिश्रा परिवार की नौवीं एल्डर होने के कारण, रेवती के पास अपना खुद का एक घर था। घर में तीन कमरे थे; एक रेवती का, दूसरा आकर्ष का व तीसरा उनकी नौकरानी का।

अपने कमरे में वापस जाने से पहले आकर्ष ने अपनी माँ रेवती को प्रणाम किया।

'इस बार इतनी गंभीर चोटें लगने के बाद, आकर्ष  थोड़ा अलग लग रहा है.'

आकर्ष के सबसे करीबी व्यक्ति होने के कारण, रेवती ने आकर्ष के व्यवहार में आये परिवर्तन को तुरंत भांप लिया था।

पर उसने इस बारे में ज़्यादा नहीं सोचा।

वैसे भी उसके लिए यह सोच पाना बहोत मुश्किल था, कि उसका वास्तविक बेटा आकर्ष तो पहले ही मर चुका हैं। इस समय जो उसके सामने था वो था 21वीं सदी का आकर्ष।

अपने कमरे में लौटने के बाद, आकर्ष उदास भाव के साथ अपने बिस्तर पर बैठ गया।

उन विदेशी यादों से उसे पता चला था कि इस शरीर का असली मालिक यानी पुराना आकर्ष, बहुत छोटी उम्र से ही बीमार और नाजुक था। उसके लिए शारीरिक मंडल के पहले स्तर में प्रवेश करना ऐसा था जैसे एक आम व्यक्ति का हवा में उड़ना, या फूँक मारकर पहाड़ तोडना।

यह सब जानने के बाद आकर्ष को पुराने आकर्ष की किस्मत पर तरस आने लगा।

"हाहाहाहाहाहा ."

अचानक, आकर्ष  के दिमाग में एक भयानक और कर्कश हंसी गूंज उठी।

"कौन?" आकर्ष ने घबराते हुए पूछा।

"बच्चे, मैंने नहीं सोचा था कि तुम इतने भाग्यशाली हो; इतनी मार खाने के बाद भी तुम ज़िंदा हो। रुको. तुम वो बच्चे नहीं हो! तुम कोई और हो! तुम उस शरीर में हो जिसमें तुम्हे नहीं होना चाहिए। अब तुम्हे इसकी सज़ा तो ज़रूर मिलेगी, और तुम्हारी सज़ा हैं, मौत!" वो कर्कश आवाज़ आकर्ष के दिमाग में सुनाई दी। जो अब  क्रूरता और गुस्से से भरी हुई थी।