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Chapter 21 - दिल हुआ बेहाल Heart upset

सुबह 9 AM में। इंजिनियर जॉब कैम्पस। गोवा में।

सचिन और सचिन का सारा फ्रेंड इंजीनियर जॉब कैम्पस के बाहर खड़े थे।

तभी एक ब्लैक कार आकर कैम्पस में रुक गया। सचिन उस ब्लैक कार को गौर से देखने लगा।

उस ब्लैक कार का गेट खुला और उसमे से खुशी अपना बाल को लहराते और माथे पे बिंदी चमकाते हुए बाहर निकली।

सचिन खुशी को देख कर पूरा पिघल गया था। सचिन खुशी को एक टक नजर से देखे जा रहा था।

सचिन, खुशी को देख कर बेहाल हो गया था। सचिन को लगा की खुशी यहां पे क्या करने आई है।

खुशी अपने कार से उतर कर अंदर चली गई और अपने ऑफिस में जाकर बैठ गई।

खुशी, सचिन की तरह नर्मल काम करती थी हालाकि वो कम्पनी खुशी का ही था।

लेकिन खुशी एक आम आदमी की तरह जीना चाहती थी। खुशी को पैसा की घमंड नहीं था।

सचिन, खुशी के पीछे पीछे जाने लगा। तभी सुष्मिता, सचिन का हाथ पकड़ कर रोक ली।

फिर सचिन और सचिन के सारे फ्रेंड एक साथ अंदर गए और सब अपने केबिन में जाकर बैठ गया।

सचिन एक ऑफिसर की तौर पे था इस लिए सचिन का एक अलग ऑफिस मिला था जो खुशी से बड़े पोस्ट पे था।

खुशी अपने केबिन में बैठी थी और एक फाइल को निकाल कर देख रहीं थी।

खुशी के उस फाइल में कितना काम पेंडिंग पड़ा था। सिर्फ सचिन के मोहर के बिना।

खुशी उस फाइल को लेकर सचिन के ऑफिस जाने लगी। खुशी को पहले से पता था।

कि सचिन हमारे कम्पनी में काम करता है। क्यू की खुशी को फ्लाइट में सचिन का 🆔 कार्ड दिख गया था।

खुशी, सचिन के ऑफिस के गेट पे पहुंच कर दरवाजा को खट खटाया।

सचिन अंदर अपने दरवाजा का आवाज सुन कर इतमीनान से बोला," यस कम इन!."

खुशी, सचिन के आवाज सुन कर धीरे से गेट को अंदर की तरफ धक्का दी।  

खुशी धीरे से अंदर जाने लगी। सचिन खुशी के चेहरा पे देखा तो देखता ही रह गया।

सचिन सिर्फ खुशी को ही देखा जा रहा था  खुशी धीरे धीरे सचिन के सामने जाकर खड़ा हो गई थी।

सचिन अभी भी खुशी के होंठ और बिंदी से नजर नहीं हटा रहा था।

तभी खुशी , सचिन के आगे हाथ फेरते हुए बोली," 👋 हेलो... 👋 हेलो... 👋 हेलो!."

तभी सचिन , खुशी के चेहरा से नजर हटा कर बोला," ऊं... हूं, आवो बैठो!."  

खुशी, सचिन के सामने चेयर पे मुस्कुरा कर बैठते हुए पूछी," कहा खो गया था,!."

सचिन, खुशी का बात सुन कर इतमीनान से बोला," तुम इतनी सुंदर ही हो क्या करे नजर नहीं हटता है!."

खुशी, सचिन का बात सुन कर इतमीनान से कही," अच्छा मैं इतनी सुंदर हूं!."

सचिन, खुशी का बात सुन कर इतमीनान से बोला," मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था की तुम मुझे दुबारा मिलोगी!."

खुशी, सचिन का बात सुन कर इतमीनान से पूछी," क्यों कोई मन्नत मांगे हो!."

सचिन, खुशी का बात सुन कर इतमीनान से जवाब दिया," सायेद भगवान मेरे ख्वाब में सामिल होना चाहते है!."  

खुशी, सचिन का बात सुन कर इतमीनान से बोली," अच्छा!."

खुशी, सचिन को देख कर इतमीनान से आगे बोली," वो के आप इस पे मोहर मार दो! बहुत दिन से काम पेंडिंग में पड़ा है !."

सचिन, खुशी का बात सुन कर इतमीनान से मुस्कुरा कर बोला," ऑफ कोर्स, लाओ फाइल दो!."

खुशी, सचिन का बात सुन कर अपना हाथ का फाइल सचिन की तरफ बढ़ा दी।

सचिन को नही पता था की ये कम्पनी किसकी है। बस सचिन अपने काम से मतलब रखता था।

सचिन, खुशी के हाथ से फाइल लेकर अपने सामने रख लिया।

सचिन उस फाइल को खोल कर पेज पलटते हुए पूछा," कहा करना है साइन!."

खुशी, सचिन का आवाज सुन कर उस चेयर से उठ कर सचिन के पास चली गई।

खुशी अपना एक हाथ का केहुनी सचिन के कंधा पे रख दी।

सचिन, खुशी का हाथ अपने कंधा पे पा कर पूरा हवस में आ गया था।

सचिन को कुछ समझ नही आ रहा था। खुशी, सचिन के कंधा पे अपना हाथ रख कर ।

और उस फाइल का पेज को पलटते हुए बोली," देखो .. इस पे करना!."

फिर दूसरा पेज पलट कर खुशी आगे बोली," इस पे करना है!."

सचिन, खुशी को अपना सर घुमा कर देखने का कोशिश करने लगा था।

तभी खुशी, सचिन की तरफ अपना नजर घुमा कर देखी।

और इतमीनान से बोली," कहा देख रहे हो!."

सचिन, खुशी से ध्यान हटा कर झट से बोला," हूं.. हूं.. हूं.. देख रहा हूं!."

फिर सचिन उस फाइल पे ध्यान देने लगा। लेकिन सचिन को पसीना पसीना छूट रहा था ।

खुशी, सचिन का हाथ पकड़ कर अपने हाथ से मोहर को उठा कर उस फाइल पे मोहर मारने लगी।

सारा पेज को पलट पलट कर मोहर मार रही थी। सचिन, सचिन का अब तब वित रहा था।

सचिन से खुशी का हरकत देख कर रहा नही गया।

सचिन, खुशी का हाथ हटाते हुए बोला," वोके वोके  तुम बैठो हम करते है!."

खुशी, सचिन के कंधा पे अपना हाथ रखी रही।

खुशी, सचिन को देखते हुए पूछी," क्यू दिकत है यहां पे!."

सचिन को लगा की खुशी गुस्सा हो जायेगी।

फिर सचिन इतमीनान से खुशी के होंठ पे देखते हुए बोला," नही नही, ठीक है यहीं रहो!."

फिर खुशी अपने फाइल के सारे पेज पे सचिन का हाथ पकड़ कर अपना हाथ से मोहर मार ली।

और फिर फाइल छोड़ कर और सचिन से दूर होकर जाकर सचिन के सामने चेयर पे बैठ गई।

खुशी, जब सचिन से दूर हटी तो सचिन को होस आया।

फिर सचिन इतमीनान से बोला," हो गया अब ले जावो!."

खुशी, सचिन का बात सुन कर इतमीनान से बोली," हूं दो !."

फिर सचिन उस फाइल को उठा कर खुशी के हाथ में थमा दिया ।

खुशी, सचिन के हाथ से फाइल लेकर बाहर निकलने के लिए चली।

सचिन, खुशी को एक टक नजर से देख रहा था। तभी खुशी गेट पे जाकर रुक गई।

सचिन देखा की खुशी गेट पे रुक गई तो सचिन अपना नजर खुशी से हटा कर एक फाइल को खोल कर पढ़ने लगा।

खुशी गेट पे खड़ा थी। खुशी वहा से पीछे घूम कर सचिन को देखी।

तो सचिन अपना सर टेबल पे टिका कर एक फाइल पढ़ रहा था।

खुशी,सचिन को गौर से देखते हुए बोली," सचिन!."

सचिन, खुशी का आवाज सुन कर के सर उठा कर खुशी को देखा तो खुशी इतमीनान से पूछी," क्या कॉफी पीने चलोगे!."

सचिन, खुशी का बात सुन कर खुश हो गया और इत्मीनान से बोला," लेकिन इस समय नहीं साम को!."

खुशी, सचिन का बात सुन कर पूछी," क्यू अभी क्या समस्या है!."

सचिन, खुशी का बात सुन कर मुस्कुराते हुए बोला," नही मेरा मतलब की अभी बॉस गुस्सा हो जायेंगे!."

खुशी, सचिन का बात सुन कर पूछी," वो क्यू गुस्सा हो जायेंगे!."

सचिन, खुशी का बात सुन कर इतमीनान से बोला," क्यू की अभी मेरा पहला दिन है यहां पे इसी लिए! कहीं जॉब से निकाल दिए तो, फिर मेरी व्हाट लग जायेगी!."

खुशी, सचिन का बात सुन कर बोली," आरे मैं हूं ना। तो डर किस बात की है चल आ जा में बात करती हूं बॉस से!."

सचिन, खुशी का बात सुन कर बोला," आरे लेकिन वो!."

तभी खुशी, सचिन का बात काट कर बोली," जल्दी से बाहर आ!."

और खुशी वहा से निकल कर चली गई अपने केबिन में।

सचिन अपने ऑफिस में बैठ कर सोच रहा था," पता ना आज क्या होगा, कहीं बॉस गुस्सा हो गए तो सुष्मिता तो मेरी जान ही ले लेगी!."

तभी खुशी अपना फाइल को अपना केबिन में रख कर सचिन के गेट पे आ कर खड़ा हो गई थी।

खुशी सचिन को देखते हुए इतमीनान से बोली," चलो ऑफिस बॉस के पास!."

सचिन अपने सीट से उठा और खुशी के तरफ चल दिया।

सचिन अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था। लेकिन सचिन को बॉस का डर भी लग रहा था।

की मेरी जॉब न चल जाए। फिर सचिन, खुशी के पास पहुंच कर कुछ बोलने के लिए अपना मूंह खोला।

तो खुशी गुस्सा में बोली," मुझे कुछ नही सुनना है!."

सचिन, खुशी का बात सुन कर इतमीनान से चुप हो गया।

और दोनो सचिन के ऑफिस से बाहर निकल कर बॉस के ऑफिस चल दिया। 

To be continued....

आपको क्या लगता है की बॉस खुशी का बात मन जायेंगे। हालाकि वो कम्पनी खुशी का ही था लेकिन खुशी इतना नॉर्मल जिंदगी जीना क्यों चाहती है। क्या खुशी सचिन से सच में मोहब्बत करती है जानने के लिए पढ़े" खुशी के आंसू!." और जुड़े रहिए हमेसा pocket novel पर।