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Chapter 22 - दोस्त की आंसू friend's tears

इस चैप्टर को समझने के लिए इसके पिछला चैप्टर को पढ़ना जरूरी है। आई होप आपको जरूर इंट्रेस्ट आएगा।

Present।

दोपहर समय 2 PM में। इंजीनियर जॉब कैम्पस। गोवा में।

बॉस अपने ऑफिस में बैठा था। बॉस कुछ फाइल पे कुछ लिख रहे थे।

तभी बॉस का ऑफिस का गेट बजा। बॉस अपने ऑफिस के गेट का आवाज सुन कर लिखते हुए बोला," yes come in !."

तभी बाहर से गेट खुला। तो सामने सचिन और खुशी दोनो धीरे से अंदर आया।

तो बॉस, खुशी और सचिन को देख कर खड़ा होकर इज्ज़त से बोला," मै.. !."

बॉस इतना बोला ही था तभी खुशी अपना हाथ नीचे करके बॉस को इशारा से माना करदी।

खुशी, सचिन से छुपा कर इशारा की थी। फिर बॉस, खुशी को देखते हुए बोला," आवो खुशी बैठो!."

खुशी और सचिन बॉस के सामने जाकर एक चेयर पे दोनो बैठ गया।

फिर बॉस खुशी को देखते हुए इतमीनान से पूछा," क्या काम है!."

खुशी, बॉस से बोली," सर हमे थोड़ा घूमने जाना था इस लिए आपसे छूटी लेने आए है!."

सचिन, खुशी को अपना नजर घुमा कर बार बार देख रहा था।

तभी खुशी का बात सुन कर बॉस बोला," हूं जा सकती हो!."

अब बॉस खुशी का बात सुन कर इस लिए परमिशन दे दिया।

क्यू की खुशी को माना भी तो नहीं कर सकता था। क्यू की वो कम्पनी खुशी का ही था।

खुशी, बॉस का बात सुन कर खुश हो गई। सचिन भी बॉस का बात सुन कर मुस्करा रहा था।

तभी खुशी, बॉस से बोली," लेकिन मेरे साथ ये मेरा दोस्त भी जायेगा!."

बॉस, खुशी का बात सुन कर इतमीनान से बोला," ओके जा सकता है, जाओ!."

खुशी, बॉस का बात सुन कर चेयर से उठते हुए बोली," ठीक है सर मैं चलती हूं!."

बॉस इज्जत से बोला," वो के!."

खुशी, और सचिन दोनो बॉस के ऑफिस से बाहर निकल गया।

खुशी, सचिन का हाथ पकड़ कर बाहर कैम्पस में चली गई।

सचिन और खुशी के बाहर जाते ही बॉस अपना सर पटक कर टेबल पे सोचने लगा," क्या जबाना है!."

पता ना खुशी ऐसा क्यों कर रही थी। इतना अमीर होने के बाद भी खुशी एक नॉर्मल जिंदगी जी रही थी।

खुशी के बॉस खुशी के इस हरकत से बहुत परेशान था।

खुशी और सचिन कैम्पस में खड़े होकर बात कर रहे थे। तो सचिन, खुशी से पूछा," क्या चीज से जाना है!."

फिर सचिन अपना नजर चारो तरफ घुमा कर देखा और घबरा कर आगे बोला," चलो ऑटो से चलते है!."

खुशी, सचिन का बात सुन कर मुस्कुराते हुए बोली," इतनी परेशान क्यू हो रहे हो। चलो उस बाइक से!."

एक 390 cc का KTM बाइक लगा था वो बाइक सायेद किसी ऑफिसर का ही था।

सचिन उस बाइक को देख कर इतमीनान से कहा," लेकिन हमारे पास तो उसकी चाभी नही है फिर कैसे जायेंगे!."

खुशी उस KTM बाइक का चाभी अपने आंख के सामने करके बोली," ये रही चाभी!."

सचिन उस बाइक के चाभी की तरफ देखा तभी सचिन का नजर खुशी के होंठ पे गया।

और सचिन, खुशी के होंठ को देख कर सोचने लगा। और किस करने लगा खुशी को।

तभी कुछ देर बाद खुशी सचिन को छू कर बोली," हेलो हेलो!!."

तभी सचिन होस आकर बोला," ऊं हूं हूं!."

खुशी, सचिन को देखते हुए बोली," चलना भी है या ऐसे ही घुड़ते रहोगे!."

फिर खुशी उस बाइक का चाभी सचिन के हाथ में थमा दिया।

और वहा से बाइक की तरफ चलते हुए आगे बोली," चलो आवो बाइक के पास!."

खुशी आगे आगे और सचिन पीछे पीछे उस बाइक के पास चल दिया।

उस बाइक के पास पहुंच कर सचिन बाइक पे बैठ गया और इतमीनान से बोला," बैठो खुशी चलते है!."

खुशी, सचिन का बात सुन कर बैठ गई। सचिन बाइक को स्टार्ट कर के जैसे गेयर डाला तभी सचिन को सुष्मिता याद आ गई।

सचिन झट से बाइक को बंद कर दिया। तभी खुशी सचिन से पूछी," अब क्या हुआ, क्यू बंद कर दिया!."

सचिन,खुशी का बात सुन कर बोला," तुम एक मिनट के लिए उतरो!."

खुशी, सचिन का बात सुन कर बोली," लेकिन क्यू!."

सचिन, खुशी का बात सुन कर बोला," पहले उतरो तो बताता हूं!."

खुशी, सचिन का बात सुन कर इतमीनान से बोली," ठीक है!."

फिर खुशी बाइक से नीचे उतर कर गुस्सा में बोली," क्या है बोलो!."

सचिन भी बाइक से उतर कर खुशी के मुंह के थूथन पे हाथ से पकड़ कर बोला," गुस्सा मत होना प्लीज़!."

फिर सचिन वहा से अंदर जाने के लिए घुमा तभी खुशी इतमीनान से पूछी," अब किधर जा रहे हो!."

सचिन, खुशी का बात सुन कर इतमीनान से बोला,"बस दो मिंट आ रहा हूं!."

सचिन वहा से अंदर जाने के लिए चाल दिया। खुशी, सचिन के इस हरक़त से बहुत गुस्सा हुई।

लेकिन कुछ नही बोली और चुप चाप खड़ा रही वही पे।

सुष्मिता अपना केबिन में बैठ कर कंप्यूटर में कुछ फॉर्म को फील अप कर रही थी।

सामने डायरी रखा हुआ था। सुष्मिता उस डायरी से पढ़ कर कंप्यूटर में टाइप कर रही थी।

तभी सचिन दौर कर हफ्ते हुए सुष्मिता के पास पहुंच गया।

सुष्मिता अपना कंप्यूटर से नजर हटा कर सचिन को देखी।

सचिन हाफ रहा था तो सुष्मिता सचिन को देखते हुए इतमीनान से पूछी," अब क्या जाओ ऑफिस में!."

सचिन, सुष्मिता का बात सुन कर इज्जत से बोला," वो सुष्मिता तुमसे परमिशन लेने आया हूं!."

सुष्मिता, सचिन का बात सुन कर हस्ते हुए बोली," वो हो हो हो हो! आज परमिशन क्या बात किस चीज का परमिशन चाहिए!."

सचिन, सुष्मिता को बताना चाह रहा था लेकिन शर्म की वजह से बोल नही पा रहा था।

सचिन, सुष्मिता से नजर झुका कर बोला," वो वो !."

फिर आगे कुछ नही बोला। तभी सुष्मिता,सचिन से इज्ज़त से पूछी," वो वो क्या रट रखे हो। कुछ बोलोगे या ऐसे समय पास करने आए हो!."

सचिन, सुष्मिता का बात सुन कर अपना नजर नीचे झुका कर बोला," कैसे बताए सुष्मिता मुझे शर्म आ रही है!."

सुष्मिता, सचिन का बात सुन कर खड़ा हो गई।

सुष्मिता अपने हाथ से सचिन का सर का बाल पकड़ कर ऊपर उठाते हुए बोली," ऐसा क्या कर दिया है की तुमको बताने में शर्म आ रही है!."

सचिन, सुष्मिता का बात सुन कर झट से अपना नजर उठा कर सुष्मिता को देखने लगा।

सचिन आचार्य से कहा," तुम जो सोच रही हो ऐसा कुछ नही है!."

सुष्मिता, सचिन का बात सुन कर पूछी," तो फिर बोलो कैसा परमिशन चाहिए!."

सचिन, सुष्मिता का बात सुन कर इतमीनान से बोला," वो खुशी के साथ कॉफी पीने जाने के लिए !."

सुष्मिता, सचिन का बात सुन कर हस्ते हुए बोली," लगता है बबुआ को प्यार हो गया है. ठीक है जा सकते हो, !."

सचिन, सुष्मिता का बात सुन कर खुश हो गया और हस्ते हुए वहा से घूम कर बाहर निकलने के लिए चल दिया।

सुष्मिता, अपने सीट पे बैठ कर फिर से फॉर्म फिल अप कर करने लगी।

सचिन जैसे अभी गेट पे गया था तभी सुष्मिता बोली," एक मिंट रुको!."

सचिन वही गेट पे रुक कर पीछे देखा तो सुष्मिता, सचिन को देखते हुए इतमीनान से कही," कुछ मनी ले लेना। नही तो जाकर मुझको कॉल मत करना । और हा लड़की है जड़ा संभल कर रहना!."

सचिन, सुष्मिता का बात सुन कर मुड़ी हिला कर बोला," वो के!."

और फिर सचिन वहा से निकल कर बाहर खुशी के पास चला आया।

खुशी, सचिन से बहुत गुस्सा हो गई थी।सचिन, खुशी के पास आकर इतमीनान से पूछा," खुशी तुम गुस्सा तो नही हो!."

खुशी अपना चेहरा सचिन से छुपा कर दूसरी तरफ घूम गई।

फिर सचिन, खुशी के कंधा पे अपना हाथ रख कर पीछे से आगे बोला," सुष्मिता मेरी मां से बढ़ कर है। अगर उसको न देखूं तो मेरा दिन पूरा बेचैन से गुजरता है! मेरी गर्लफ्रेंड नही है लेकिन पता ना क्यू ऐसा लगता है!."

फिर सचिन के आंख में आंसू भर आया।

फिर सचिन खुशी के कंधा से अपना हाथ हटा कर बोला," अगर तुमको दिकत है तो ठीक है में चला जाता हूं!."

सचिन, वहा से जाने के लिए चला तभी खुशी, सचिन का हाथ पकड़ इतमीनान से बोली," नही ऐसा बात नही है। तुम दोनो के दोस्ती के जैसा दोस्त आज तक नही देखी! मुझे कोई दिकत नही है।!."

सचिन, खुशी का बात सुन कर मुस्करा दिया और फिर खुशी भी सचिन को देख कर मुस्करा दी।

सचिन बाइक पे बैठ गया और खुशी भी बाइक पे बैठ गई। सचिन अपना बाइक को स्टार्ट किया और लेकर चल दिया। 

To be continued.....

आपको क्या लगता है की सचिन और खुशी कहा जा रहे है। क्या करने जा रहा था क्या सचिन, खुशी को परपोज या नही जानने के लिए पढ़े "खुशी के आंसू!और जुड़े रहिए हमेसा pocket novel पर।