Chereads / My Poem's & Shayris (Hindi) Vol 1 / Chapter 41 - Poem No 2 चाहत जितनी गहरी

Chapter 41 - Poem No 2 चाहत जितनी गहरी

एक कविता पेश कर रहा हूँ ज़रा गौर फरमाइयेगा

चाहत जितनी गहरी हो

जुदा हो पाना मुश्किल है

समझा रहा हूँ दिल को अपने

जो बीत गया सो बीत गया

अभी आने वाला पल बाकि है

ढूंढ रहा हूँ उस नाज़नीन को

जो बने मेरा हमसफ़र

जीवन भर का साथ हो

और डंका पीटे शहर शहर

सुख दुःख में साथ निभाए

और प्यार करें दिन रात

जब गिर पड़े तो संभाल ले

ऐसा हो जिसका साथ

प्यार से भरा हो जीवन हमारा

जिसका मिसाल करें यह दुनिया

और दो बूँद आँसू बहाये

जब निकल पड़े मेरा जनाज़ा