Chereads / लाइब्रेरी ऑफ़ हैवेनस पाथ / Chapter 20 - वांग यिंग का अचम्भा

Chapter 20 - वांग यिंग का अचम्भा

यह सुनकर कि उसकी मालकिन ने जहाँग वान को अपना गुरु मान लिया है, याओ हान गुस्से से दौड़ता हुआ यहाँ पहुंचा, उसे नहीं पता था कि जहाँग वान ने कुछ और शिष्य बना लिए हैl

उसने अभी बोला था कि सामने वाला उसकी मालकिन के सिवा कोई और शिष्य नहीं बना पायेगा, लेकिन अगले ही क्षण वह वांग यिंग और अन्य लोगों से मिलाl उसको ऐसा लगा मानो उसको सबके सामने थप्पड़ पड़ा होl उसका चेहरा काला पड़ गयाl

"गुरूजी!" ज्हाओ या को भी अपना चेहरा जलता हुआ लगा और उसकी इच्छा हुई कि वह किसी गड्ढे में छुप जायेl

" तुम ठीक हो ?"

थोड़ी देर बाद, याओ हान सहज हुआ और जहाँग वान को उलझन से देखाl

कल वह आदमी मेरे लिए इतना दरिंदा था, तो उसने सोचा कि जहाँग वान का सिर यदि सूजा नहीं होगा तो कम से कम वह अपाहिज तो हो ही गया होगाl तो क्यों... यह तो पूरा साबुत दिख रहा है, इसके शरीर पर एक खरोंच भी नहीं हैl

दरअसल, हालांकि उसने कहा था कि वह जहाँग वान को जांचना चाहता है, उसका असली मकसद यह देखना था कि उस रहस्यमयी आदमी की मार के बाद जहाँग वान का क्या हाल है...फिर भी, एक फाइटर 6- डान पिक्सी रियल्म होकर भी उसने उससे मार खायी और वह जिसको मारने आया था, उसको ज़रा भी चोट नहीं लगी..... उसको लगा कि उसका बड़ा नुकसान हो गया और यह बात उसे मंजूर नहीं हुईl

"मैं क्यों ठीक नहीं होऊंगा?" जहाँग वान जानता था कि याओ हान क्या सोच रहा है , फिर भी वह स्थिरता से बोलाl उसने ज्हाओ या की तरफ देखा और पूछा," यह अपाहिज व्यक्ति कौन है ..."

"अपाहिज व्यक्ति?" ज्हाओ या के चेहरे पर एक अजीब सा भाव आ गयाl इसके पहले कि वह कुछ बोल पाती, एक आवाज़ ने उसकी बात में व्यवधान डाला l

" तुम अपाहिज हो!" याओ हान ने खून उगलना चाहा उसकी भवें तन गयी और उसने अपनी आस्तीन उपर चढ़ा ली, "मैं बाइयु शहर के लार्ड का बटलर हूँ, याओ हान!"

"ओह, चूँकि तुम अपाहिज हो , तुम्हें यहाँ नहीं घूमना चाहिए, यदि तुम यहाँ मर गए तो मेरे लिए समझाना मुश्किल हो जायेगा!" जहाँग वान ने ऐसे कहा मानो उसने उसकी बात सुनी ही न हो और दरवाजे की ओर इशारा करते हुए बोला," अपने मेहमान को रवाना करो और दरवाज़ा बंद कर दो !"

"तुम..."

याओ हान ने गुस्से से अपनी मुट्ठी भींची और फटने ही वाला थाl

कौन है यह?

 बाइयु शहर के लार्ड के नौकर का बड़ा रसूख थाl होंग्तियान अकादमी में,और तो और शिक्षा विभाग के कार्यकारी अधिकारी को भी उसकी बात माननी पड़ती थी l फिर भी, जहाँग वान जैसा गुरु उसको अपाहिज बोल रहा है और उसे बाहर फेंकने का सोच रहा हैl उसके लिए गुस्सा न होना कैसे मुमकिन है?

" मैं देखना चाहता हूँ कि तुम इनको कैसे सिखाओगे!" अपना हाथ पीछे बांधते हुए याओ हान सीधा खड़ा हो गयाl

"ओह, चूँकि तुम्हें पता है कि तुम्हें जाना ही पड़ेगा, तो ज़रा जल्दी जाओl शिष्यों को सिखाते हुए मुझे शान्ति चाहिए, इसलिए हम किसी कुत्ते बिल्ली को कक्षा में नहीं आने देते!"

जहाँग वान उसकी बात नहीं समझ रहा थाl उसने दोबारा दरवाज़े की ओर इशारा किया मानो उसने कुछ सुना ही न होl

"तुम... तुम किस को कुत्ता बिल्ली बोल रहे हो?" उसका गुस्सा उबल पड़ा और उसके ज़ख्मों से खून निकलने लगाl याओ हान कांपने लगा, " क्या तुम सोचते हो कि मैं तुम्हें अभी अपने हाथों से नहीं मार सकता..."

"ज्हाओ या, इसको बाहर भेजो, ताकि मैं तुम्हारी समस्या का हल कर सकूँ!"

सामने वाले से विचलित हुए बिना जहाँग वान ने ज्हाओ या को इशारा कियाl

" चाचा याओ, कृपया, अभी आप चले जाएँ! मेरा पाठ शुरू होने वाला है!"

ज्हाओ या की आँखें यह सुनकर चमक उठीl

" मैं नहीं जा रहा, मैं चाहता हूँ कि यह बताये कि किसके बारे में बात कर रहा है! जहां भी मैं जाता हूँ, एक फाइटर6 - डान पिक्सी रियल्म होने के नाते मेरा सम्मान होता हैl कौन मुझे अपाहिज बोलने की हिम्मत कर सकता है, और तो और मुझे बाहर निकालने की..."

पेंग!

इसके पहले कि वह अपनी बात समाप्त करता, ज्हाओ या ने उसको बाहर धकेल दियाl अगले ही क्षण उसके सामने अँधेरा छा गया जब उसके मुंह पर दरवाज़ा बंद हो गयाl यदि वह जल्दी से अपने को नहीं बचाता तो उसके मुंह पर दरवाज़ा लगताl

" मालकिन..."

दरवाज़े के बाहर खड़े होकर याओ हान गुस्सा हो रहा थाl

यदि उसको जहाँग वान ने निकला होता तो वह ज़रूर रोकताl हालांकि, उसकी मालकिन ने उसको निकाला था, वह हाथ उठाने की हिम्मत भी नहीं करता, चाहे वह उसको जान से भी क्यों न मार देl इसलिए, उसने अपना सारा गुस्सा जहाँग वान पर केन्द्रित कर दियाl

वह यह समझने ने नाकामयाब था कि ऐसा उसमें कौन सा गुण है जो वह उसकी मालकिन को इतना बेवक़ूफ़ बना पा रहा हैl

"याओ चाचा, मैं आपको बाहर निकालने के लिए माफ़ी चाहती हूँl हम पाठ शुरू करने वाले हैं!"

ज्हाओ या को अपनी समस्या के बारे में पता था l उसकी खुद की बीमारी किसी को पता नहीं चलनी चाहिए, खासकर याओ चाचा कोl यदि उसके गुरु उसकी समस्या का समाधान करने वाले हैं , तो स्वाभाविक रूप से उसे उसको बाहर निकलना ही होगाl

" ठीक है, मालकिनl मैं बाहर रुकता हूँl अगर कुछ होता है तो आप मुझे आवाज़ देना, मैं तुरंत आ जाऊंगा!"

अपनी मालकिन की बात सुनकर याओ हान समझ गया था कि वह अंदर नहीं जा पायेगाl वह चिल्लाना चाहता था, परन्तु वह बस अपने दांत पीस कर ही रह गयाl

याओ हान के जाने के बाद जहाँग वान और उसके पांच शिष्य ही कमरे में रह गएl जहाँग वान ने आस पास देखा," चूँकि तुम सबने मुझे अपना गुरु मान लिया है , इसलिए तुम सब आपस में दोस्त होl ध्यान रहे एक दूसरे का ठीक से ख्याल रखना ताकि मेरी इज्ज़त ख़राब न हो!"

"इज्ज़त?"

यह शब्द सुनकर पांचों शिष्यों ने एक दूसरे को देखा...

[गुरूजी आपकी कोई इज्ज़त नहीं है?

यदि हम चाहें तो भी, कुछ ख़राब नहीं कर सकते...]

" मेरा सिखाने का तरीका दूसरों से थोडा भिन्न हैl मैं शिष्य की निजी हालत पर ज्यादा ध्यान देता हूँl इसलिए हर एक के मार्गदर्शन का तरीका अलग होगा! तुम सब के बीच में कोई तुलना नहीं होगी!" अपने शिष्यों के हाव भाव से अनभिज्ञ , एक गुरु की तरह जहाँग वान बोला," अभी मैं बाजू के छोटे से कमरे में जाऊंगाl जब मैं तुम्हारा नाम बुलाऊं, तब तुम अंदर आना!"

जहाँग वान की कक्षा का कमरा बहुत बड़ा नहीं था ,लगभग सौ वर्ग मीटर |फिर भी उसके बीच में एक विभाजन था जहाँ ,गुरु एक शिष्य को विशेष मार्गदर्शन दे सकते थे |

ये पांचो विद्यार्थी एक दूसरे से भिन्न थे| यदि वह इन सब को एक साथ एक समान रूप से पढ़ाता ,तो यह परेशानी का कारण होता और बहुत ही बेअसर होता |

 "वांग यिंग,तुम मेरी पहली विद्यार्थी हो |अन्दर आओ !"

इसके बाद ,जहाँग वान छोटे कमरे में चला गया |

"जी! वांग यिंग ने अपने आज्ञाकारी स्वभाव के कारण विरोध नहीं किया और उसके पीछे चल दीl

.................

वांग यिंग को थोड़ा पछतावा हुआl

कल, वह रास्ता भटक गयी थी और यहाँ रास्ता पूछने आई थीl फिर भी, उसको धोखे से इसे अपना गुरु मानना पड़ाl

शुरू में, उसे पता नहीं चला कि क्या चल रहा है, लेकिन सोचने के बाद लगा कि यह गुरु सच में काबिल नहीं हैl

दूसरे गुरु उसकी मुक्केबाजी देखकर यह बता पा रहे थे कि उसके पैर में कुछ तकलीफ हैl हालांकि, यह न सिर्फ यह बता पाया बल्कि इसने कहा कि यह उस चोट का इलाज भी कर सकता हैl

उसकी इस चोट के लिए, उसके पिता ने बहुत मशहूर चिकित्सकों से इलाज भी करवाया था परन्तु कोई फायदा नहीं हुआl फिर भी, यह आदमी कहता है कि वह इसका इलाज कर देगाl यदि यह धोखा नहीं है तो फिर यह क्या हो सकता है?"

और, लिऊ लाओशी ने इस गुरु के बारे में कई बातें बताई थीl

तभी उसने जाना था कि गुरु का इतिहास इतना 'चमकीला' हैl पहला गुरु जिसको गुरु योग्यता परीक्षा में शून्य अंक प्राप्त हुए और जो ताकत में सभी गुरुओं से कम है....वह क्यों इतनी बदकिस्मत है कि इसके धोखे में आ गयी और इसपर विश्वास कर लिया!

"कोई अचरज नहीं है कि बड़े भैय्या कहते हैं कि दुनिया में बहुत से बुरे लोग हैं..."

जब उसके बड़े भाई ने कहा था कि बाहर विश्वास न करने लायक लोग हैं, तब उसने उनपर विश्वास नहीं किया थाl अब, इस गुरु को देखकर उसे लगा कि उससे गलती हो गयी और उससे झूठ बोला गया हैl

जैसे ही वह सोच रही थी कि कैसे वह इसकी कक्षा से छुटकारा पाए, ज्यादा से ज्यादा, मुझे डांट पड़ेगी, और फिर वह अपने बड़े भाई की मदद से कोई दूसरा गुरु चुन लेगी, उसने एक पहचानी हुई सी आवाज़ सुनीl

" अपनी युद्ध की तकनीक दोबारा दिखाओ!"

जहाँग वान कमरे के मध्य में बैठा था और शांत भाव से देख रहा थाl

पिछली बार जब उसने वांग यिंग को अपना शिष्य बनाया था , तब लाइब्रेरी ऑफ़ हेवन्स आर्ट सक्रीय नहीं हुई थी, इसलिए उसको कोई इल्म नहीं था कि वांग यिंग में क्या खामियां हैंl

"ठीक है!" हालांकि, वांग यिंग उसकी कक्षा से निकलना चाहती थी, फिर भी थोडा हिचक कर उसने सिर हिला दियाl एक बार फिर, उसकी मुट्ठी से हवा का झोंका पैदा हुआ और जल्द ही, उसका मुक्केबाजी का प्रदर्शन पूरा हुआl

"हूँ !"

जहाँग वान ने अपना सिर हिलायाl

वांग यिंग थोड़ी कम अक्ल थी, फिर भी उसकी मुक्केबाजी प्रशंसनीय थीl

"गुरूजी, असल में मैं ..."

वांग यिंग एक पल के लिए झिझकी और जब वह जहाँग वान की कक्षा से निकलने की बात करने ही वाली थी, उसके सामने के युवक ने कहाl

"यदि मैं गलत नहीं हूँ तो दो साल पहले एक मुकाबले में किसी ने तुम्हारी टांग पर वार किया था!" जहाँग वान ने कहाl

"आप ...आपको कैसे पता? वांग यिंग को झटका लगाl शब्द उसके मुंह में अटक गए और उसकी सुंदर आँखें फ़ैल गयीl

कल, उसने केवल अपनी चोट के बारे में बताया था, यह नहीं कि वह कैसे लगीl उसने उम्मीद नहीं की थी कि सामने वाला उसकी चोट का कारण और समय दोनों बता देगाl वह अचंभित थीl

" किसी के पैर में तीन एकुपॉइंट होते हैं, और वे अलग अलग उसकी ताकत, तेजी और निपुणता को काबू करते हैंl जब तुमने दूसरे के साथ मुकाबला किया तो उसने अनजाने में तुम्हारे उस एकुपॉइंट पर हमला कर दिया जिस से ताकत काबू होती है! जब इस एकुपॉइंट पर चोट पड़ती है तो यह बंद हो जाता है , जिस से खून उल्टा बहने लगता है और तुम एक आम आदमी की तरह इतनी ताकत नहीं लगा पाती!"

जहाँग वान ने शांत भाव से कहाl

"वह..." वांग यिंग का शरीर कांपाl उसका चेहरा पूरी तरह लाल हो गयाl

उसके पैर के लिए उसके पिता ने साम्राज्य के सबसे बड़े चिकित्सकों को बुलाया था, मास्टर युआन्यु को भीl उसने भी ऐसा ही कुछ कहा था , लेकिन वह भी उस एकुपॉइंट को ढूँढने में असफल रहा था जो ताकत को काबू करता है, इसलिए वह उसका इलाज नहीं कर पाया थाl

यदि वह हमेशा के लिए ठीक होना चाहती है तो उसे फाइटर 8-डान जोंग्शी रियल्म मास्टर जिसकी ज्हेंकी सुपीरियर हो, उसे बुलाना पड़ेगाl नहीं तो, उसका इलाज सम्भव नहीं है!

पहले, उसको लगा कि यह गुरु जो कह रहा है कि उसका इलाज कर देगा वह सिर्फ उसको अपना शिष्य बनाने के लिए ऐसा बोल रहा हैl फिर भी, उसने नहीं सोचा था कि यह भी बिलकुल वही बात बोलेगा जो मास्टर युआन्यु ने कही थी, तो वह कैसे अचंभित न हो?

" गुरूजी, क्या आप मुझे ठीक कर सकते हो?" वांग यिंग पूछने से अपने को रोक न सकीl

" यह छोटी सी बात है !" जहाँग वान ने जवाब दियाl

" एक छोटी सी बात!" वांग यिंग की आँखें सिकुड़ गयी और उसकी सांसें तेज़ हो गयीl