यह कहानी वर्षों पहले की है जब केशवापुर में रानी शुभांगी दर्द से बिलख बिलख कर चिल्ला रही थी क्योंकि केशवापुर को राजकुमार या राजकुमारी देने वाली थी।
इधर रानी शुभांगी के कक्ष के बाहर केशवापुर के महाराज राजा सत्यम सिंह राठौड़, रानी शुभांगी की दर्द भरी चीखों से काफी सहमे हुए थे वो देवी मां से यही प्रार्थना कर रहे थे होने वाले नवजात शिशु और रानी को कुछ भी न हो क्योंकि विवाह के बारह साल बाद रानी शुभांगी गर्भवती हुई थी और इधर रानी शुभांगी दर्द से बिलख बिलख कर दर्द भरी आवाज में कहती है, "कुछ करिए देवी मां मेरे प्राण हर लीजिए पर जो इस दुनिया में आने वाला है उसको बचा लीजिए और इस महल पर उस डायन औरत का श्राप को हटा लीजिए कृपा करो मां, कृपा करो मां।" और इतना कहते ही रानी शुभांगी दर्द से चिल्लाने लगी तभी दाई मां ने रानी को औषधि वाला काढ़ा पिलाया और रानी शुभांगी दर्द से चिल्लाने लगी।
कुछ समय के पश्चात महल में किलकारियों की आवाज गूंजने लगी तभी दाई मां कक्ष से बाहर आकर और खुशी से राजा से राजा से कहा, "बधाई हो महराज बधाई हो महल में त्रिदेवियों ने जन्म लिया है अब तोह आपको मुझे तीन गुना इनाम देना पड़ेगा और वोह भी अभी।"
राजा सत्यम कुछ नहीं समझे और न समझते हुए हाव भाव में कहा, "दाई मां, आप क्या कहना चाहती हो साफ साफ कहिए त्रिदेवियों से आपका मतलब क्या है आखिर रानी और बच्चा सब ठीक तोह है।"
दाई मां हंसते हुए बोलती है, "आपके इस श्रापित महल से श्राप का साया हठ गया और महल एक नहीं, दो नहीं बल्कि तीन तीन कन्याओं के कदम पड़े है मेरा मतलब रानी को तीन कन्याओं को जन्म दिया है और रानी भी सुरक्षित है।"
राजा सत्यम कुछ कहते तभी रहा सत्यम की दूसरी पत्नी रानी कला आती है जो सात माह गर्भवती है। तभी वोह चतुराई भरी आवाज में राजा सत्यम से कहती हैं, "महाराज जब तक इस महल में को वारिश वोह मेरा मतलब कोई राजकुमार नहीं आ जाता है तब तक इस महल का श्राप कैसे दूर हो सकता है और वैसे भी महाराज जुड़वा बच्चे सुने है लेकिन जब महल में तीन बच्चे आए है तोह अपशगुन होता है।"
राजा सत्यम कड़क भरी आवाज में बोलते है, "आप कुटिल मन में चल क्या रहा है, कला रानी जो बोलना साफ बोलिए।"
रानी कला अपनी आंखों में नकली आंसू लाते हुए बोलती हैं, "महाराज हम आपको कुटिल लगते है हमने खुद महामाया जी से पूछा है, उन्होंने स्वयं भविष्यवाणी की है जो जन्म लेने वाली है वोह इस महल की इज्जत और मान सम्मान और प्रतिष्ठा को हानि पहुंचाएगी।"
तभी वहां महान ऋषिका सुमन्या आती है और राजा सत्यम से बोलती है, "रानी कला सही बोल रही लेकिन इनमें एक पुत्री आपका नाम रोशन करेगी और एक पुत्री आपका नाम डुबाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी क्योंकि श्राप के कारण आपकी पुत्रियों के हाथ कोई या किसी प्रकार की भाग्य रेखा नहीं है और एक पुत्री आपकी केवल इस महल वोह करेगी जोह कोई नहीं कर सकता वोह वह कर दिखाएगी वोह आपका मान सम्मान वापस लाएगी तोह आपका मान सम्मान भी उसकी के कारण खोना पड़ेगा इन तीन राजकुमारियों की कहानी दुनिया की सबसे अनोखी जिनके अंदाज जो भी देखेगा वोह पागल हो जाएगा यह एक नया इतिहास रचेगी इनके कारण महान इतिहास लिखा जायेगा।"
तभी काली विद्याओं में पारंगत काल ऋषिका महामाया आती है और रानी कला की तरफ कुटिलता भरा इशारा करती है और राजा सत्यम और ऋषिका सुमन्या से कुटिलता भरे शब्दों से बोलती है, "पहले तीन नन्हीं राजकुमारियों के दर्शन तोह कर लो मेरा मतलब मां का प्यार तोह इन्होंने ले लिया अब उन्हें पिता का प्यार तोह मिलना चाहिए।"
राजा सत्यम, दाई मां को अपने गले में पड़ा पीत स्वर्ण कमल हार देते है और रानी शुभांगी के कक्ष में प्रवेश करते है और राजा सत्यम हर्षित होते हुए बारी बारी से तीनों राजकुमारियों को अपनी गोद में लेते है और महान ऋषिका सुमन्या से बोलते है, "अब आप इनका नामकरण अभी कर दीजिए जिससे इनको इनके नाम से खिलाए।"
तभी ऋषिका सुमन्या बोलती है, "तीनों राजकुमारियों के जन्म तीन नए नक्षत्रों में हुए है और यह नक्षत्र बहुत ही जल्दी जल्दी परवर्तित हुए जिससे इनके नाम होंगे आज से बड़ी राजकुमारी का नाम मुंद्रा और बीच वाली राजकुमारी का नाम कुंद्रा और छोटी राजकुमारी का नाम सुंदरा होंगे।"
नामकरण होते ही केशवापुर राज्य में बारिश होने लगी जोकि राज्य में दस वर्षों से श्राप के कारण राज्य में सूखा पड़ा हुआ था और आज तीनों राजकुमारियों के जन्म से राज्य में बारिश हुई जिससे राजा सत्यम काफी खुश हुए और उन्हें लगा श्राप ख़त्म हो गया है लेकिन अभी श्राप बाकी था।
समय का पहिया घूमता गया और कब समय के पहिए की रफ्तार इतनी तेज हो गई और तीनों राजकुमारियों समय के चक्र के साथ खेलते खेलते बड़ी हो गई वही रानी कला ने भी एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम अंकन था तोह मिलते है इन नए किरदारों से,
एक राजकुमारी नीलकमल के पुष्प लेने के लिए रेतीली पहाड़ियों में चढ़ते हुए एक दासी से बोलती है, "आज हम समय की सीमाओं को पार करते हुए उस नीलकमल को तोड़ कर लायेगे और अपने इस जन्मदिन को हम इतना खास बनाएंगे कि यह जन्मदिन हमारा बहुत ही रोमांचक होगा कि इतिहास के पन्नो में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा जायेगा।"
दासी भगवान से प्रार्थना करती है और बोलती है, "हे भगवान, राजकुमारी मुंद्रा की रक्षा करना।"
वैसे राजकुमारी मुंद्रा दिखने में आकर्षक और घुड़सवारी और तीरंदाजी में माहिर है आस पास के राज्यों में राजकुमारी मुंद्रा की सुंदरता के चर्चे आखिरकार राजकुमारी मुंद्रा थी इतनी सुंदर दिन में उनका रूप सूर्य की रोशनी की समान चमकता था उनके चेहरे पर एक विशेष प्रकार का तेज था वैसे राजकुमारी मुंद्रा को अपनी सुंदरता का थोड़ा भी घमंड नहीं था और उनके हमेशा से कुछ विशेष कार्य करना अच्छा लगता है।
तोह वहीं एक राजकुमारी सैनिक भेष में जंगल में प्रवेश करती है और जंगल में एक शेर की गुफा में प्रवेश करती है और अपने मित्र के साथ एक कोने में छिप जाती है और तभी उनका मित्र बोलता है, "कुंद्रा अगर शेर ने हमें ही अपना शिकार बना लिया तोह, तोह हम जिस कार्य के लिए आए है वोह असफल न हों जाए।"
तभी राजकुमारी बोलती है, "हम जिस कार्य के लिए आए है वोह कार्य अवश्य सफल होगा।"
वैसे राजकुमारी कुंद्रा शेर की पूछ का बाल लेने आई है और वह इस कार्य में सफल भी हो जाती है वैसे राजकुमारी कुंद्रा में राजकुमारियों वाली अर्थात उनमें कोई लड़कियों वाली बात नहीं है बस उनमें मर्दों वाली बात है और उन्हें मर्दों की तरह शिकार करना, तलवारबाजी, घुड़सवारी और तोह और उन्हें लड़कियों की तरह सजना संवरना बिल्कुल भी पसंद नहीं है बस उन्हें मर्दों की तरह रहना पसंद है।
तोह वहीं दिखने में सुंदर और शांत हृदय और कोमल, आकर्षक राजकुमारी सुंदरा गाय को चारा खिला रही थी तभी केशवापुर का नालायक राजकुमार अंकन पीछे से आकर राजकुमारी सुंदरा को डरा देता है जिससे राजकुमारी सुंदरा काफी डर जाती है क्योंकि राजकुमारी सुंदरा काफी मासूम थी और राजकुमार अंकन एक बिगड़ा राजकुमार था साथ वोह काला जादू करना काल ऋषिका महामाया से सीख रहा था और वोह तीनों राजकुमारियों से नफरत करता था आखिर क्यों ?
तभी राजकुमार अंकन के दोनों कंधों पर कोई तलवार रख देता है जिससे राजकुमार अंकन काफी डर जाता है और वोह कोई और नहीं एक तरफ राजकुमारी मुंद्रा और दूसरी तरफ राजकुमारी कुंद्रा थी तभी राजकुमारी कुंद्रा, अंकन से बोलती है, "अगर तुमने सुंदरा से कुछ कहा तोह तुम्हारी गर्दन और हमारी तलवारे तुम्हारा सर कलम कर देंगे।
राजकुमार हंसते हुए बोलता है, "अगर आप दोनों मेरा सर कलम करेंगे तोह आपका सर कलम हमारे पिता श्री कर देंगे इसलिए संभलकर रहिए राजकुमारी वरना वोह दिन शेष नहीं जब आप तीनों ही नहीं बचोगी समझी।"
राजकुमारी कुंद्रा गुस्से में कुछ कहने ही वाली थी कि लेकिन राजकुमारी मुंद्रा उन्हें रोक लेती है, और राजकुमारी मुंद्रा बोलती है, "अब हमें महल चलना चाहिए वरना पिता श्री ने जो हमारे लिए विशेष आयोजन करवाया है हमें उसमें पहुंचना होगा और कुंद्रा तुम महल के पीछे से आना जिससे किसी को शक न हो समझी चलो पहले तुम निकलो।"
यह सब बातें राजकुमार अंकन सुन रहा था और मन ही मन में उसने कहा, "इस बार कुंद्रा इस बार महल नहीं पहुंच पाएगी क्योंकि हम उसे पहुंचने भी नहीं देंगे।"
आखिरकार महल का श्राप क्या है ?
क्या राजकुमार अपने मकसद में कामयाब हो पाएगा ?