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Chapter 2 - राजकुमारी कुंद्रा ने बदला भेष

राजकुमारी कुंद्रा गुस्से में कुछ कहने ही वाली थी कि लेकिन राजकुमारी मुंद्रा उन्हें रोक लेती है, और राजकुमारी मुंद्रा बोलती है, "अब हमें महल चलना चाहिए वरना पिता श्री ने जो हमारे लिए विशेष आयोजन करवाया है हमें उसमें पहुंचना होगा और कुंद्रा तुम महल के पीछे से आना जिससे किसी को शक न हो समझी चलो पहले तुम निकलो।"

यह सब बातें राजकुमार अंकन सुन रहा था और मन ही मन में उसने कहा, "इस बार कुंद्रा इस बार महल नहीं पहुंच पाएगी क्योंकि हम उसे पहुंचने भी नहीं देंगे।"

इतना सुनकर राजकुमार अंकन भी वहां से चला जाता है और राजकुमारियां भी वहां से चली जाती है।

इधर राजकुमारी कुंद्रा महल के पीछे के मुख्य द्वार से प्रवेश करने ही वाली थी तभी रानी कला आ जाती है और राजकुमारी कुंद्रा को रोकते हुए कुटिलता भरे शब्दों में बोलती है, "वैसे कुंद्रा तुम आज बच नहीं पाओगी क्योंकि महराज तुम्हारे कक्ष में है और आज तुम्हारी महानता को कोई नहीं सुनेगा आज तुम्हे अपने पिता से कैसे बचोगी।"

कुंद्रा घबराहट से बोलती है, "क्या आज तोह पिता श्री हम को पकड़ लेंगे और हमारा जन्मदिन के अवसर पर हमें सजा मिलेगी।"

इधर राजकुमारी कुंद्रा के कक्ष में राजकुमार अंकन, राजा सत्यम और रानी शुभांगी के कान भरते हुए बोलता है, "देख लीजिए हमने आप से सत्य कहा था कि स्वयं अपनी आंखों से देखा है कि राजकुमारी कुंद्रा मरदाने सैनिक के भेष में घूम रही थी पिता श्री और बड़ी मां वोह आपका नाम डूबा देंगी।"

रानी शुभांगी गुस्से में राजकुमार अंकन से बोलती है, "जब सहारा देने वाली छड़ी टूट जाए तोह उससे सहारा नहीं लिया जाता राजा बेटा और आपको कोई गलतफहमी हुई है राजकुमारी मुंद्रा के कक्ष में होगी इसलिए बोलने और आरोप लगाने से पहले थोड़ा सोच समझ लीजिए वरना अच्छा नहीं होता है।"

यह सब बातें रानी कला, रानी शुभांगी के पीछे खड़े होकर सुन रही थी और पीछे से आते हुए गुस्से में बोलती है, "क्या अच्छा नहीं होगा बड़ी रानी जी और वैसे भी आपको तोह मेरे पुत्र कहा एक एक शब्द बुरा लगता है क्योंकि आप महाराज को इस महल और राज्य को राजकुमार नहीं दे पाई आप भूलिए मत आपकी एक प्यारी बेटी ही आपके मान सम्मान को मिट्टी में मिलाएगी।"

तभी राजा सत्यम दोनों रानियों से तेज स्वर में कहते है, "क्या आप कलह करना बंद करेंगी और हमारे सामने राजकुमारी मुंद्रा को पेश कीजिए वोह भी जल्द से जल्द समझी आप।"

इतना कहकर राजा सत्यम वहां से चले जाते है और राजा सत्यम के जाते ही रानी कला हंसते हुए, रानी शुभांगी से कहती हैं, "अब आप क्या करेंगी बड़ी रानी जी कैसे दस एकड़ बने इस महल में कैसे ढूंढेंगी कुंद्रा राजकुमारी को।"

इतना कहकर रानी कला, राजकुमार अंकन के साथ वहां से चली जाती है लेकिन रानी शुभांगी के चेहरे पर चिंताओं के बादल साफ साफ दिख रहे थे।

इधर रानी कला अपने कक्ष में राजकुमार अंकन के साथ आती है और सुकून की सांस लेकर, राजकुमार अंकन से बोलती है, "बेटा अब कुछ ही देर में सभी मेहमानों और प्रजा के सामने राजकुमारी कुंद्रा अपने पिता श्री के मान सम्मान को इतनी ठेस पहुंचाने वाली कि अब हमारे पति देव यानि तुम्हारे पिता श्री को सभी के सामने अपना मुकुट और मान सम्मान, इज्जत दौलत सभी के सामने अपने प्यारे हाथों से मिट्टी में मिलानी होगी और जब मेरा बदला पूरा होगा और जब तुम केशवापुर के महान से भी महान महाराज बनोगे जब मेरे पिता श्री का बदला पूरा होगा।"

फिर राजकुमार अंकन कुटिलता भरी मुस्कराहट के साथ हंसते है और रानी का से कहते है, "यह सब तोह ठीक है पर आपने कुंद्रा के साथ किया क्या ?"

रानी कला चतुराई भरे शब्दों में बोलती है, "हमने राजकुमारी कुंद्रा को सम्मोहित कर दिया है और अब वोह वही करेंगी जो हमने उनसे कहा है आज जश्न के दौरान शास्त्रार्थ होगा और उसमें होगा एक बड़ा धमाका।"

तभी रानी कला के कक्ष में काल ऋषिका महामाया आती है और बोलती है, "रानी कला पर अपने जो कुंद्रा पर सम्मोहन किया है वोह ज्यादा समय तक टिकेगा नहीं क्योंकि घोषणा के उपरांत ढोल नगाड़ों से कुंद्रा का सम्मोहन टूट जाएगा और फिर आपकी फैलाई विषाद उल्टी पड़ जाएगी रानी कला जी।"

रानी कला हंसते हुए बोलती है, "चिंता मत कीजिए काल ऋषिका महामाया जी अब कुछ उल्टा नहीं होगा अब सब हमारी योजना के अनुसार होगा और हमारी योजना का जाल कभी नहीं टूटेगा क्योंकि हमने जाल ही ऐसा बिछाया है।" इतना कहकर रानी कला जोर जोर कुटिलता के साथ हंसने लगती है।

इधर रानी शुभांगी और उनकी गुप्तचर दासी कृतिका के साथ पूरे महल का एक एक कोना देखती है लेकिन राजकुमारी का कुछ अता पता मिलता है जिससे भयभीत होकर रानी शुभांगी, कृतिका से कहती है, "महल मुख्य प्रांगण में सभी मेहमानों का आगमन हो रहा होगा और कुंद्रा के बारे म हमेें कुछ पता नहीं चल रहा अब हम क्या करे।"

कृतिका, रानी शुभांगी से बोलती है, "रानीसाहिबा थोड़ा धैर्य रखिए अब आपको मेहमानों के स्वागत के लिए जाना चाहिए और हम हर हालत में राजकुमारी कुंद्रा जी को ढूंढने की कोशिश करेंगे।"

रानी शुभांगी कड़क स्वर में दासी कृतिका से बोलती है, "हमे कोशिश नहीं बल्कि परिणाम चाहिए समझी तुम।"

महल का मुख्य प्रांगण जो कि काफी भव्य सजावट के साथ सजा हुआ था पूरा प्रांगण लाल पीले कमल के फूलों से सजा हुआ था और महल के मुख्य द्वार पर दोनों तरफ चार चार हाथी स्वागत के लिए खड़े थे पूरे प्रांगण में जगह जगह भिन्न भिन्न फूलों से बने इत्रों की खुशबू से महक रहा था और महल में प्रत्येक मेहमान के लिए चांदी के आसन थे जिस पर मखमल के गुदगुदे आसन पड़े हुए थे जिन पर मेहमान, ऋषि और ऋषिकाएं, विभिन्न राज्यों से आए राजकुमार आए जो शास्त्रार्थ और अन्य प्रतियोगिताओं में भाग लेने आए थे।

जब सभी मेहमान इत्यादि आ गए तब राजा सत्यम सिंह राठौड़ और उनकी दोनों पत्नियों रानी शुभांगी और रानी कला आते है उनके आने से मेहमान इत्यादि खड़े होकर उनका स्वागत करते है फिर राजा सत्यम सिंह राठौड़ और उनकी रानियां स्वर्ण आसान बैठते है।

थोड़ी देर बाद राजा सत्यम सिंह घोषणा करते हुए बोलते है, "सभी मेहमानों, रिश्तेदारों सभी राजाओं, महान ऋषि और ऋषिकाएं राजकुमारों को इस भव्य समारोह में सभी का अभिनंदन है अब कुछ ही देर में तीनों राजकुमारियाँ एवं इस महल का होने वाला उत्तराधिकारी राजकुमार अंकन पधारेंगे फिर शुरू होंगी इस राज्य की सबसे उत्कृष्ट प्रतियोगताएं और शास्त्रार्थ इसमें से जो विजयी होगा उसे हमारी तरफ सात गांव भेट किए जाएंगे और इन प्रतियोगिताओं का अंतिम फैसला महान ऋषि कांकन और महान ऋषिका सुमन्या और कालदर्शी ऋषिका महामाया करेंगी, पहली प्रतियोगिता का शुभारंभ किया जाए।"

राजा सत्यम के कहते ही ढोल नगाड़ों और बिगुल के साथ प्रतियोगी प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए मैदान में उतरे और राजकुमारी मुंद्रा एवं सुंदरा और राजकुमार अंकन भव्य समारोह में आए लेकिन राजकुमारी कुंद्रा की अनुपस्थिति को देखकर राजा सत्यम को काफी गुस्सा आया लेकिन राजा सत्यम ने सभी आगंतुकों से कहा, "हमारी मझली बेटी यानि आप सबकी राजकुमारी कुंद्रा बीमार होने के कारण अपने ही जन्मदिन के उपलक्ष्य में आ न सकी।"

थोड़ी ही देर बाद घोषणा करने वाले दास ने घोषणा करते हुए कहा, "जो जो इस तीरंदाजी की प्रतियोगिता में भाग लेना चाहता है वोह बारी बारी से मैदान में यह प्रतियोगिता केवल राजकुमारों के लिए ही है।"

दास के इतना कहते ही सभी राजकुमार उत्साहित होते हुए प्रतियोगिता में पहुंचे।

तभी राजा सत्यम ने प्रतियोगिता के बारे में समझाते हुए कहा, "इस जल के अंदर तीन चक्र है प्रत्येक चक्र में एक एक मछली है जो पानी के बहाव के कारण घूम रही है आप सभी को धनुष में तीन तीर चलाकर एक साथ इन मछलियों की आंखों को भेदना है जो इस प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन करेगा वहीं इस प्रतियोगिता को जीतेगा और हमारी तरफ से यह सप्तांगी धनुष दिया जाएगा।

प्रतियोगिता आरम्भ होती है और सभी राजकुमार एक एक करके प्रतियोगिता में अपना बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करते है लेकिन कोई भी राजकुमार मछली की आंख को भेद नहीं पाता है।

तब गुस्से में राजा सत्यम अपने सिंहासन से उठते है और बोलते है, "क्या कोई ऐसा राजकुमार शेष नहीं बचा जो इन मछलियों की आंखों को एक बार में भेद सके क्या कोई ऐसा राजकुमार जो सप्तांगी धनुष जो एक बार में सात तीर छोड़ता है उसको पाने में सभी असमर्थ है।"

तभी पीछे से एक बाण हवा को चीरते हुए सीधे राजा सत्यम के पैरों के पास आ लगता है जिसे सभी देखकर हैरान हो जाते है।"

तभी राजा सत्यम गुस्से में चीख़कर बोलते है, "किसका इतना दुस्साहस हो हमारे ही महल में आकर हमारा ही अनादर करे किसकी इतनी हिम्मत।"

तभी महल के प्रांगण के मुख्य द्वार से एक युवक आता है और वोह कोई और नहीं राजकुमारी कुंद्रा थी जिन्होंने भेष बदलकर प्रतियोगिता में आई थी वे अपने घोड़े से उतरकर मर्दानी आवाज में बोलती है, "महाराज हमने आपका कोई अनादर नहीं किया बल्कि हमने आपको प्रणाम किया है और इस प्रतियोगिता में भाग लेने आए है।"

राजा सत्यम बोलते है, "पर तुम हो कौन ?"

राजकुमारी कुंद्रा थोड़े हकलाते हुए मरदाने स्वर में बोलती है, "जी हम्मम वोह राजकुमार कुंदन है।"

राजा सत्यम बोलते है, "राजकुमार आप आए कहां से हो हमारा मतलब आप किस राज्य से है।"

राजकुमारी कुंद्रा थोड़ी डर जाती हैं और थोड़े हकलाते हुए मरदाने स्वर में बोलती हैं, "वोह हम्मम केशजपुर से आए है जो यहां से मीलों दूर है जिसका निमंत्रण हमें नहीं दिया लेकिन हमारा आने का विशेष मन था इसलिए हम यहां आए है।"

केशजपुर का नाम सुनकर राजा सत्यम थोड़े अचंभित होते हुए बोलते है, "हमने तोह ऐसे कोई राज्य का नाम नहीं सुना।"

बाकी अन्य मेहमान भी एक स्वर में बोलते हैं, "ऐसा कोई राज्य नहीं है ये कोई बहरूपिया है।"

राजकुमारी कुंद्रा घबरा जाती है। तभी रानी कला कुटिलता भरा काल ऋषिका महामाया की ओर इशारा करती है।

तभी महामाया सभी को शांत करते हुए बोलती है, "आप सभी शांत हो जाइए यह युवक झूठ नहीं बोल रहा है यहां से उत्तर दिशा की दो हजार मील दूर एक जंगल है और उस जंगलों में एक छोटा सा राज्य है जिसका नाम केशजपुर है पर यह युवक वहां से हम कह नहीं सकते।"

राजा सत्यम कुछ सोचकर बोलते है, "ठीक है इस राजकुमार को प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकता है केवल एक शर्त में इसको हमारे द्वारा दी प्रतियोगिता को पूर्ण करना होगा और जीतना होगा तभी यह राजकुमार अन्य प्रतियोगिताओं में भाग ले सकता है।"

सबकी नजरों में राजकुमार कुंदन बनी राजकुमारी कुंद्रा बोलती है, "जैसी आपकी मर्जी और आज्ञा महाराज।"

फिर राजकुमारी कुंद्रा अपने धनुष पर प्रत्यंच्या चढ़ाती है और धनुष से टंकार करते है जल में तीन चक्र जिसमें मछलियां घूम रही थी उनको निशाना बनाकर अपने धनुष से एक प्रयास से तीन बाणों को छोड़ा और निशाना बिल्कुल सटीक बैठा और यह सब देखकर सभी राजकुमार बाकी अन्य सभी बल्कि राजा सत्यम भी हैरान हो गए क्योंकि राजकुमार कुंदन उर्फ राजकुमारी कुंद्रा ने इस प्रतियोगिता में जीत हासिल कर ली थी।

थोड़ी ही देर में पूरा प्रांगण तालियों की आवाजों से गूज उठा।

फिर राजा सत्यम ने राजकुमार कुंदन उर्फ राजकुमारी कुंद्रा को सप्तांगी धनुष दिया और कहा, "राजकुमार कुंदन तुम अन्य प्रतियोगिताओं में भाग ले सकते हो।"

इधर राजकुमार अंकन सबकी नजरों से छुप छुपकर मदिरा के घूंट घूंट पीए जा रहे थे यह बात उनकी मां रानी कला भी नहीं पता थी कि राजकुमार अंकन शराब के शौकीन थे वह सभी से छुप छुपकर शराब पीते थे।

राजा सत्यम ने घोषणा करते हुए कहा, "सभी राजकुमार तैयार हो जाए क्योंकि अब दूसरी प्रतियोगिता की तैयारी है और दूसरी प्रतियोगिता घुड़सवारी की होगी और जो इस प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन करेगा उसको हमारी तरफ से हमारा एक एकड़ में फैला केसर का उद्यान उसे उपहारस्वरूप भेंट किया जाएगा।"

कुछ ही देर में प्रतियोगिता शुरू होती है और इस प्रतियोगिता में राजकुमार कुंदन उर्फ राजकुमारी कुंद्रा ही विजयी होती है।

राजकुमार कुंदन उर्फ राजकुमारी कुंद्रा के लिए सभी तालियों से उनका स्वागत करते हैं और इसके बाद राजा सत्यम तीसरी घोषणा करते हुए बोलते हैं, "जैसा कि आप सभी ने देखा कि राजकुमार कुंदन ने दो प्रतियोगिताओं को जीतकर अपने राज्य केशजपुर का नाम रोशन किया है अब तीसरी और आखिरी प्रतियोगिता होगी जिसमें तलवारबाजी की प्रतियोगिता होगी और जो इस प्रतियोगिता को जीतकर स्वर्णिम जीत हासिल करेगा उसे सात गांव भेंट किए जाएंगे तोह शुरू करते है तीसरी प्रतियोगिता का शुभारंभ।"

तलवारबाजी की प्रतियोगिता शुरू होती है और देखते ही देखते अंत में दो राजकुमार बचते है जिसमें से एक राजकुमार रूहेंद्र और राजकुमार कुंदन बचते हैं और फिर क्या था अंतिम युद्ध राजकुमार कुंदन और राजकुमार रूहेंद्र में शुरू होता है और युद्ध करते समय ऐसा कुछ होता है जिससे महल में उपस्थित सभी जन हैरान और अचंभित हो जाते है।

आखिर ऐसा क्या हुआ महल में जिससे सभी लोग अचंभित हो गए ?

क्या होगा राजकुमार कुंदन का राज खुलेगा ?

आखिर ऐसा क्या किया रानी कला ने जिससे राजकुमारी कुंद्रा को यह करना पड़ा ?