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Gene Warrior : The Saga of Rebirth

Sandeep_Dash_4271
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Chapter 1 - अध्याय 1: अजीब घटना

रघु एक छोटे से गाँव में अपने परिवार के साथ रहता था। उसका जीवन बहुत ही साधारण था, जहाँ सुबह सूरज की किरण के साथ उसकी दिनचर्या शुरू होती थी और रात को चाँद की हल्की रौशनी में वह थककर सो जाता। उसका काम मुख्य रूप से खेतों में था, जहाँ वह अपने पिता के साथ खेती-बाड़ी करता। हालाँकि, उसे खेती से अधिक रुचि नहीं थी, लेकिन यह उसकी ज़िंदगी का हिस्सा था, और वह इसे चुपचाप करता था।

आज भी ऐसा ही था, लेकिन उस दिन कुछ खास था। रघु ने जैसे ही सुबह उठकर अपने काम की शुरुआत की, उसे एहसास हुआ कि कुछ ठीक नहीं है! उस रात की नींद के दौरान उसके साथ एक अजीब घटना घटी थी। उसकी आँखें भारी थीं, और सिर में एक असहनीय दर्द हो रहा था। वह अक्सर ऐसे दर्द से जूझता था, लेकिन इस बार यह अलग था! जैसे कुछ अंदर से उसे खींच रहा हो।

"क्या हुआ था मुझे!?" रघु ने खुद से पूछा। वह सोचने लगा, "क्या मैं बीमार हूँ?" लेकिन उसे इसका कोई जवाब नहीं मिला। उसने धीरे-धीरे अपनी आँखें खोली और सामने देखा, तो उसकी आँखें चौड़ी हो गईं! अंधेरे में एक चमकदार गोला उसकी खिड़की के पास था, जो किसी एलियन वस्तु की तरह उसकी ओर बढ़ रहा था! वह घबराया हुआ था, लेकिन वह पूरी तरह से खड़ा हुआ और उस चीज़ को देखता रहा। गोला जैसे ही उसकी ओर आया, उसे अचानक एक अजीब सी ऊर्जा महसूस हुई, जैसे उसके शरीर में कुछ जाग गया हो!

लेकिन फिर वह कुछ नहीं समझ पाया! गोला एक झपकी की तरह लुप्त हो गया! रघु अभी भी अपनी आँखों से उस चमकते हुए गोले को ढूंढ रहा था, लेकिन कुछ भी नहीं था! वह चौंका हुआ था, "क्या यह सपना था!? क्या यह सच था!?" वह घबराया हुआ अपनी बिस्तर से उठा और खिड़की से बाहर देखने की कोशिश की, लेकिन कुछ भी नहीं था! वह फिर से बिस्तर पर लौट आया, और उसने खुद को समझाया, "यह सिर्फ एक भ्रम था! बस एक सपना था।"

लेकिन उसकी वह घबराहट और सिर में घूमते विचार उसे चैन से बैठने नहीं दे रहे थे! उसने सोचा कि यह रात की नींद का असर था, लेकिन फिर भी उसे लगा कि कुछ गड़बड़ था! वह उठकर अपने कमरे के बाहर आ गया। तभी उसकी बहन पूजा की आवाज़ सुनाई दी, "रघु... तुम ठीक हो!?"

पूजा की आवाज़ में कुछ चिंताजनक था, और रघु ने उसे समझाया, "हाँ, बस थोडा सा सिर दर्द है, कुछ नहीं।" लेकिन अंदर ही अंदर वह परेशान था। यह घटना कुछ और थी, और उसे इसका मतलब समझने की कोशिश करनी थी।

अब रघु जानता था कि उसकी ज़िंदगी में कुछ बड़ा होने वाला था! वह नहीं जानता था कि वह क्या था, लेकिन वह जानता था कि उसे इसका सामना करना पड़ेगा!